जहाँ एक तरफ़ वह भूत अपना आतंक फैलाने को तैयार था, वहीं दूसरी तरफ़ सोनू को अपना सपना पूरा करना था। वह जल्दी से अपना रेस्टोरेंट खोलना चाहता था और पिंकी से शादी करना चाहता था। अब रेस्टोरेंट चलना कैसे है, यह सीखने के लिए सोनू हाईवे पर एक सरदार के रेस्टोरेंट में काम करने लगा था।
वो रेस्टोरेंट गाँव से कुछ दूर शिमला हाइवे पर था। सरदार के रेस्टोरेंट पर सोनू के साथ उसका बचपन का जिगरी दोस्त, अन्नू भी काम करता था। सोनू और अन्नू बचपन से ही दो जिस्म एक जान थे-जहाँ सोनू वहाँ अन्नू! इन दोनों की दोस्ती की मिसालें पूरे गाँव में जय-वीरू की तरह दी जाती थी। वहीं इस रेस्टोरेंट का मालिक पूरे दिन बस गल्ले पर बैठकर इंस्टाग्राम पर रील्स ही देखता रहता था।
सोनू और अन्नू बावर्ची वाले काम से लेकर खाना सर्व करने तक का सारा काम करते थे . उन्हें उनकी मेहनत के हिसाब से पैसा बहुत कम मिलता था।
एक दिन अन्नू बगल में प्याज काट रहा था, वही सोनू चूल्हे पर कढ़ाई पनीर की सब्जी में प्याज मिर्च का छौंक लगा रहा था . आज उसका ध्यान काम पर नहीं बल्कि पिंकी पर था। इसी बीच सोनू ने कढ़ाई में नमक डालने के लिए जैसे ही डब्बा उठाया, उसके हाथ से पूरा नमक का डब्बा कढ़ाई में गिर गया और तभी ढाबे का मालिक, सरदार, गुस्से से फूलते हुए उसके पास आया।
सरदार
ओए, तुझ से एक काम ढंग से नहीं होता! दफ़ा हो जा यहाँ से, मनहूस इंसान... बड़ा आया बनने संजीव कपूर। रसोइया बनने की हसियात नहीं है तेरी, मेरे पनीर की माँ-बहन कर दी तूने, दफ़ा हो!
ये बोलकर उसने सोनू को वहाँ से निकाल दिया। उसके पीछे-पीछे उसका दोस्त अन्नू भी उसके साथ बाहर आ गया
सोनू : तू क्यों आया? तू तो अंदर जा न।
अन्नू : नही, जहाँ तू जाएगा मैं भी वहीं जाऊंगा। दोनों भी एक साथ ही बर्बाद होंगे!
अन्नू और सोनू, घर की ओर जा रहे थे। रात हो चुकी थी पर चाँद की हल्की रोशनी सड़क पर छिटकी हुई थी और चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था।
सोनू
यार सोचा था, दोनों मिलकर उस सरदार के रेस्टोरेंट से काम सीखेंगे और अपना रेस्टोरेंट खोलेंगे, शिमला का नंबर 1 रेस्टोरेंट । अपनी क़िस्मत तो गधे की पूंछ से लिखी हुई है।
अन्नू
नहीं नहीं इस बार सब अच्छा होगा तू देख। अच्छा वह शराब के ठेके से उन दोनों नए लड़कों को निकाल दिया।
सोनू
क्यों?
अन्नू
रात को उन दोनों ने दुकान से शराब के कार्टन चोरी कर लिए थे! ।
सोनू
ये तो बढ़िया हो गया! कल सुबह जाकर शराब की दुकान पर बात करते है। क्या पता, हमे काम मिल जाए!
अन्नू
ठीक है, चलते है। वैसे आज शाम को वह जो सरदार के रेस्टोरेंट के आगे खाली प्लॉट है न वहाँ पर एक शराबी की लाश मिली।
सोनू
मनहूस ख़बर ही सुनता रहियो, वैसे कौन था शराबी?
अन्नू
शराबी का तो पता नहीं शायद किसी दूसरे गाँव का था पुलिस कह रही थी कि ज़्यादा शराब पीने से मर गया। पर एक और शराबी पूरे गाँव में अफ़वाह फैला रहा था कि उस रात को वह भूत से बचा है।
सोनू
सब बकवास बातें है, भूत-वूत कुछ नहीं होता। शराब पीने के बाद न, सबको भूर दिखता है... और सुन? तू उस बेवड़े की बात मानेगा?
अन्नू
यार, सच कहूँ तो मुझे लग रहा है, जैसे कोई पीछे से हमें कोई देख रहा है।
भूत
ओए पुत्तर!
अन्नू
सुना तूने? वही भूत?
सोनू
तू बेकार का मत सोच। अपना कोई गाँव वाला पी कर बड़बड़ा रहा होगा,
अन्नू ने मुड़कर देखा, . वहाँ कोई नहीं था। सड़क पर केवल चाँद की हल्की रोशनी थी।
तभी अचानक, वही अजीब आवाज़ फिर से सुनाई दी—
भूत
ओए पुत्तर! सुन ना
इस बार ये आवाज़ सुनकर दोनों की सांस अटक गई और क़दम चलते-चलते रुक गए, चारो तरफ़ हवा में शराब की बदबू आने लगी। उन दोनों ने एक दूसरे की तरफ़ देखा और तेज़ी से दौड़ना शुरू कर दिया।
अन्नू और सोनू
भूत... भूत...
उनका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था और भूत की आवाज़ अभी भी उनके कानों में गूंज रही थी।
भूत
ओए
सुबह सुबह पूरे गाँव में ये ख़बर आग की तरह फैल गई की रात में गाँव में भूत घूमता है। ये सुनकर साधुपुल और आसपास के गांवों में हंगामा मच गया . जब ये बात पुलिस तक पहुँची तो इस बात को खारिज कर दिया गया। ऐसा कुछ नहीं होता है, घबराने की कोई बात नहीं है, पुलिस ने कहा। अफ़सोस, गाँव वालों के मन में अब वह डर बैठ चुका था।
दूसरी तरफ़ उस खाली प्लॉट में, लोगों ने जाना बंद कर दिया। पिछली रात को लेकर सोनू और अन्नू डरे हुए थे पर पैसे कमाने का जुनून भी सवार था।
सोनू
जो कल रात को हुआ उसे एक टट्टी सपना समझ के भूल जाते हैं। हमने कुछ देखा थोड़ी था! आवाज़ ही सुनी थी... हमारा वहम होगा। चल अब काम ढूँढते हैं।
अन्नू
हाँ भाई, जैसा तू बोले
दोनों ने शराब की दुकान पर जाकर उन दो लड़को की जगह नौकरी ले ली। शराब की दुकान के मालिक को भी अपनी बिक्री की वज़ह से दुकान पर एक साथ 12 लोग रखने पड़ते थे, जिसके लिए उसने सोनू और अन्नू को बिना किसी एक्सपीरियंस के ही नौकरी पर रख लिया।
सोनू और अन्नू ने उस दुकान पर काम करना शुरू कर दिया था, . सोनू की खराब क़िस्मत ने उसका साथ यहाँ भी नहीं छोड़ा। जिस दिन सोनू ने शराब की दुकान पर काम करना शुरू किया, उसी दिन पूरे गाँव में भूत वाली बात आग की तरह फैल गई। गाँव के लोगों ने शराब की दुकान पर हुई चोरी को भी, उस भूत से जोड़ना शुरू कर दिया था। कुछ लोगों का कहना था कि वह भूत उन लोगों पर ही हमला करता है जो लोग शराब पीकर घूमते हैं। कुछ लोगों का मानना था कि वह भूत इस गाँव में इसलिए भटक रहा है क्योंकि इस गाँव के किसी इंसान ने शराब पीकर उसका मर्डर किया था। अब उसे जो शराबी दिखता था, वह उसको ही अपना खूनी मानकर उससे बदला लेने की सोचता था। ऐसी अफवाहें शारब की तरह लोगों के सिर पर सवार थी।
डर के मारे सब ने अपने घर से शराब की बोतल निकालकर बाहर कूड़ेदान में फेंकना शरू कर दिया।
अपनी दिहाड़ी खतम करने के बाद सोनू पिंकी से मिलने तालाब के पास आया था। पिंकी सोनू की बचपन से गर्लफ्रेंड थी और सोनू के साथ शादी करने के सपने देख रही थी।
पिंकी
कल पापा फिर से मेरी शादी के पीछे पड़ गये थे... तुमसे मैं कितनी बार बोल चुकी हूँ शादी कर लेते हैं... यह छुप-छुप के कब तक मिलते रहेंगे?
सोनू
तो पिंकी मैं कब शादी करने को मना कर रहा हूँ? अगर मेरा बस चले तो मैं तो आज ही तुमसे शादी कर लूं। वह मल्होत्रा नहीं मानेगा।
पिंकी
तमीज़ से बात करो! पापा है वह मेरे।
सोनू
हाँ, पापा जी मानेंगे तभी तो शादी कर पाएंगे हम।
पिंकी
तो उनका भी कहना कहाँ ग़लत है, तुम अभी कुछ काम करते नहीं और तुम्हारे पापा की चूड़ियों की दुकान भी कब तक चलेगी? उनको डर लगता है कि कहीं उनकी बेटी ग़रीबी में न रहे।
सोनू
पिंकी जैसे दाल मखनी मक्खन के बिना अधूरी है, वैसे ही मैं तुम्हारे बिना अधूरा हूँ। बस एक बार अपना रेस्टोरेंट खोल लूं फिर सबसे पहले आकर तुम्हारे पापा जी से तुम्हारा हाथ मांगूंगा। पक्का॥ पैसा ही पैसा होगा अपने पास॥
पिंकी
मेरे पापा मेरी शादी के लिए लड़का ढूँढ रहे हैं। कल एक रिश्ता कनाडा से भी आया था, पता है सोनू, जब भी हवाई जहाज़ देखती हूँ मुझे मेरा सपना...
तभी सोनू उसे टोक देता है और गुस्से में कहता है।
सोनू
तो तुम जाओ कनाडा फिर, मेरे साथ क्यों हो? यहाँ भी क्यों आई मुझसे मिलने?
ये बोलकर सोनू थोड़ा दूर जाकर खड़ा हो गया, फिर पिंकी उसके पास आई और उसे पीछे से पकड़कर बोली,
पिंकी
सोनू मैं तुमसे ही प्यार करती हूँ, मुझे नहीं करनी किसी और से शादी। मैं तुम्हारे साथ ही रहना चाहती हूँ इसलिए बोलती हूँ जल्दी कुछ काम का देख लो और जल्दी से मेरे घर आ जाओ, मेरे पापा से हमारे रिश्ते की बात करने।
ये बोलकर पिंकी ने सोनू के गाल पर किस किया और सोनू ने पिंकी को ज़ोर से गले लगा लिया। गांव के बाहर कूड़ेदान में शराब की बोतल फेंकनी शुरू दी थी, वही पर सुनील, जो गाँव में सफ़ाई का काम करता था, उसने उस डस्टबिन में से एक शराब की बोतल निकाली और चुपचाप तालाब के पास जाकर बैठ गया। अफवाहों से अनजान सुनील ने बोतल खोल कर अपने होंठों से लगा ली।
पहली घूंट पीने के बाद, सुनील ने कहा
सुनील
क्या ज़माना आ गया है, ऐसी बढ़िया चीज को अब लोग डस्टबिन में डाल रहे हैं!
तभी उसे पीछे से आवाज़ आई,
भूत
पुत्तर अकेले-अकेले पी रहा है, मेनू वी पीला दे यार
ये सुनकर सुनील ने पीछे देखा-भूत उसकी तरफ़ घूर रहा था। अचानक भूत हवा में उड़ा और दूसरी तरफ़ आकर खड़ा हो गया। यह देखकर सुनील एकदम से सुन्न पड़ गया।
सुनील
मैं नहीं पी रहा था, मैं तो बस देख रहा था। मुझे मत मारना प्लीज, मेरी तो शादी भी नहीं हुई अभी। मैंने तो कोई गंदे काम भी नहीं किए अब तक।
भूत आधे जले हुए चेहरे के साथ अपने पीले दांत दिखते हुए हस रहा था। सुनील वही पर शराब की बोतल फेंककर उल्टे पैर भागने लगा
सुनील
भूत!! भूत!! भूत बचाओ मुझे... !!! भूत"
भागते भागते सुनील एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गया। वह ज़ोर-ज़ोर से हाँफ़ रहा था! फिर थोड़ी देर बाद उसने पेड़ के पीछे से छुपकर उस तालाब वाले रास्ते की तरफ़ देखा की कोई आ तो नहीं रहा। पूरी सड़क सुनसान पड़ी था। सुनील ये देखकर चैन की सांस लेते हुए पेड़ से टिककर बैठ गया। तभी ऊपर से उसके सर पर कुछ पानी-सा टपकने लगा। उसने सर पर हाथ फेरा और देखा कि वह पानी नहीं, खून था। ये देखकर उसने पेड़ पर ऊपर की तरफ़ देखा, तभी भूत उसपर कूद गया।
क्या सुनील ज़िंदा है या मर गया? ये भूत है कौन और ये गाँव वालो से क्या चाहता है। इसका अगला शिकार अब कौन होगा? क्या सोनू और अन्नू इसके बारे में पता लगा पाएंगे? जानने के लिए पढ़िए काके दी हवेली का अगला एपिसोड।
No reviews available for this chapter.