मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों! 

लगान हमारी फ़ेवरिट फिल्म है क्योंकि लगान से हमें सीखने को मिलता है कि गाँव का आदमी चाहे कितना ही गरीब क्यों न हो अगर वो प्लेयर गज़ब का है तो गोरी मेम भी उसके प्यार में डूब सकती है पर गुरु, यह कहानी लगान के भुवन की नहीं है और न ही इस कहानी के पात्र क्रिकेट खेलते हैं, क्योंकि 19 नवंबर के बाद से तो हमने हॉकी को सपोर्ट करना शुरू कर दिया था। जियो सरपंच साब!!! यह कहानी है हमारे गाँव बखेड़ा की! हमारे गाँव का नाम बखेड़ा इसलिए पड़ा क्योंकि ये 50-50 किलोमीटर तक फेमस ही अपने बखेड़ों के लिए है। अरे.. अपना इंट्रो देना तो हम भूल ही गए... मायसेल्फ गोविंदा!

वो क्या है ना, हमारे माँ-बाबा करिश्मा कपूर के बहुत बड़े फैन थे और हो गए हम! अब लड़के का नाम तो करिश्मा रख नहीं सकते... इसीलिए करिश्मा जी की जोड़ी जिसके साथ सबसे ज़्यादा जचती थी, उन्हीं के नाम पे हमारा नामकरण कर दिया! वैसे हमारी अम्मा, यानी दादी ने तो हमको बथुआ प्रसाद घोषित किया था। वो क्या है ना, उनके मुँह में दांत की क्वांटिटी ज़रा कम थी। वो लाड़ में हमको बचुआ कहतीं और घर वाले बथुआ सुन लिए। हमारे नाम की ज़्यादा ऐसी की तैसी न हो, इसलिए हमारे माँ-बाबा ने गोविंदा फाइनल कर दिया।
10 साल पहले हम अपना गाँव छोड़ के शहर आए थे, पैसा कमाने। 

जबसे हम शहर आए हैं, हमारे जीवन में पैसा तो आ गया लेकिन खुशियों की डिलीवरी नहीं हो रही। हमको लगता है या तो हमारे पास ओ.टी.पी गलत आ गया है या फिर शायद खुशियों को हमारी लोकेशन नहीं मिल पा रही।
शहर आ के यहाँ के तौर-तरीके सीख लिए, कॉरपोरेट की मज़दूरी कर ली, 2-3 इंडस्ट्रीज़ भी स्विच मार ली लेकिन आज भी जहाँ जाते हैं, वहाँ इंटर्न के ऊपर न जाने क्यों बढ़ ही नहीं पाते। पता नहीं क्या माजरा है।
खैर, हमारे पीछे से हमारे गाँव बखेड़ा में आज एक शहर वाले की एंट्री होने वाली है! वैसे आपको जानकारी के लिए बता दें कि हमारा गाँव बिहार और यूपी के बॉर्डर पर पड़ता है। 

जब यूपी बिहार का बॉर्डर बन रहा था तब बॉर्डर मैप बनाने वाले ने लिटिल-लिटिल  लगा रखी थी और उससे गलती से लाइन ऐसी खिंच गई कि हमारा गाँव न तो यूपी में आ पाया और न ही बिहार में। इसीलिए हमें दोनों ही सरकारों से कभी कोई मदद नहीं मिली। हाँ, इसका फायदा भी हुआ क्योंकि जब बिहार ने खुद को ड्राई स्टेट घोषित किया तो हमारे गाँव के बेवड़ों ने राहत की साँस ली और उस रात उन्होंने अगली रात तक जी भर के दारू पी और जब यूपी में बेटियों के लिए स्पेशल स्कीम अनाउंस हुई, तो हमारे गाँव में दीवाली के बाद डॉटर्स डे को सबसे बड़ा फेस्टिवल घोषित कर दिया गया।
अच्छा लगे हाथ, एक और जानकारी दे दें कि यह कहानी हमारे बारे में नहीं है। हम तो बस इस कहानी के सूत्रधार हैं! हमारी कहानी के हीरो की ग्रैंड एंट्री के लिए स्लो मोशन में एक लक्सरी कार गाँव के बाहर आ कर रुकी है।
कार का दरवाज़ा खुलता है और एक हीरोइक बैकग्राउंड म्यूज़िक के साथ स्लो मोशन में एक पैर गाँव की मिट्टी पर पड़ता है। 

उस पैर के पड़ते ही मिट्टी उड़ने लगती है। तेज़ हवा चलने लगती है। धीरे-धीरे कार से उगते हुए सूरज की तरह निकलता है, 32 वर्षीय शौर्य रंजन! 

सूटेड-बूटेड, ट्रिम्ड दाढ़ी, शार्प जॉ-लाइन, आँखों के ऊपर काला चश्मा और आँखों के अंदर बड़े-बड़े सपने। चेहरे पे एक नूर जो एक मसीहा के चेहरे पर होता है।
शौर्य को देखकर कंचे खेल रहे बच्चे रुक जाते हैं और वो भी सम्मोहित होकर उसे देखने लगते हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी में इतना हैंडसम आदमी या तो फिल्मों में देखा था या फिर किसी बड़े स्कैम की न्यूज़ रिपोर्ट में।
शौर्य अपनी हीरोइक वॉक में आगे कदम रखता है, उसके पैर भले ही ज़मीन पर हों पर हर महत्वाकांक्षी आदमी की तरह उसकी नज़रें आसमान पर हैं और इसी महत्वाकांक्षा में उसका पैर बच्चों के कंचों पर फिसलता है और वो धड़ाम से गिरता है और उसका मुँह सीधा जाकर भैंस के फ्रेशली डाउनलोडेड गोबर पर लगता है।
हवा चलनी बंद हो जाती है... मिट्टी उड़ना बंद हो जाती है और हीरोइक म्यूज़िक की जगह अब बच्चों की दहाड़ मार-मार के हंसने वाली हंसी ने ले ली है।

शौर्य: व्हाट द..!

शौर्य ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिंदगी में जब वो पहली बार गाँव आएगा, तो आते ही उसके मुँह पर गोबर का फेसपैक लग जाएगा। शहर के बड़े-बड़े सैलून में कॉफी का फेसपैक लगाने वाला और कोयले के फेसवॉश से मुँह धोने वाला शौर्य आज गोबर में अपना मुँह देकर गिरा पड़ा है। आखिर ऐसा क्या हुआ जो इस अमीरज़ादे को शहर की अपनी लग्ज़ूरियस लाइफ छोड़कर धूल-मिट्टी का स्वाद चखने गाँव आना पड़ा? ये पता लगाने के लिए तो हमें कहानी को थोड़ा रिवाइंड करना पड़ेगा। तो आइए चलते हैं कुछ दिनों पहले.. जब शौर्य बाबू अपनी ऐशोआराम वाली ज़िंदगी जी रहे थे।

शौर्य: एवरीबडी, लेट्स रॉक द पार्टी!!! गर्ल्स कम ऑन! इस पूल में आग लगा दो!

ये जो आधी रात को रुमाल के साइज़ के कपड़े पहनने वाली लड़कियों से घिरे आपको पूल में पार्टी कर रहे, शराब में धुत्त सुनाई दे रहे हैं ना, ये हैं शौर्य रंजन.. दिल्ली के बहुत बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट नितिन रंजन की इकलौती बिगड़ी हुई औलाद। नितिन रंजन का बिज़नेस गुजरात के कच्छ जितना बड़ा और लाल किले जितना फैला हुआ है। इसलिए हर मिनिस्ट्री के नेताओं को नितिन रंजन के घर से रिश्वत जाती है। तो अब आप खुद अंदाज़ा लगा लीजिए कि इनके पास कितना ब्लैक का पैसा होगा!
इसी ब्लैक के पैसे की वजह से शौर्य की लाइफ इतनी रंगीन है, पर ये सब सुनकर आप अपने दिमाग में शौर्य की कोई गलत इमेज मत बना लेना। शौर्य भले ही अपने डैडी का प्रिंस है, पर इसका मतलब ये नहीं है कि उसे मेहनत करना नहीं आता। 

शौर्य ने जो कुछ भी अचीव किया है, वो उसने अपनी मेहनत से अचीव किया है। उसने अपनी मेहनत से लंदन के टॉप एमबीए कॉलेज का फॉर्म भरा और दिन-रात एक करके अपने पापा को डोनेशन के दम पे उसका एडमिशन करवाने के लिए कन्विंस किया। उसके बाद उसने पढ़-पढ़ के किताबें काली कर दीं क्योंकि उन किताबों पर सिगरेट की राख गिर जाती थी ना, स्मोक करते-करते, लेकिन शौर्य की मेहनत यहाँ पर खत्म नहीं हुई। उसके सपने बहुत बड़े थे। उसे अपना स्टार्टअप शुरू करना था, इसलिए उसने बड़े-बड़े फाउंडर्स के फुटस्टेप्स को फॉलो किया और कॉलेज से ड्रॉपआउट हो गया।
हालाँकि उसके डैडी को शौर्य का ये फैसला बिलकुल पसंद नहीं आया। नितिन रंजन ने कहा, "शौर्य व्हाट इज़ दिस? तुम पढ़ाई पूरी नहीं करोगे तो कल को हमारा बिज़नेस कैसे संभालोगे?"

शौर्य: डैड, चिलैक्स! आपका बिज़नेस संभालने के लिए मुझे डिग्री नहीं, आपका डीएनए चाहिए, जो मेरे पास पहले से है और वैसे भी, सब बड़े-बड़े फाउंडर्स कॉलेज ड्रॉपआउट ही थे। बिल गेट्स.. ज़ुकरबर्ग.. स्टीव जॉब्स!

नितिन रंजन बोले, "अरे पर बेटा, जब उन्होंने कॉलेज ड्रॉपआउट किया, उनके पास स्टार्टअप का आइडिया था। तुम्हारे पास तो कोई आइडिया भी नहीं है।"
शौर्य: डैडी, हर चीज़ का एक प्रोसेस होता है। आई एम फॉलोइंग द प्रोसेस! क्या हुआ अगर मेरे पास अभी कोई आइडिया नहीं है, मैं प्रोसेस तो फॉलो कर रहा हूँ ना। आइडिया भी अपने आप आ जाएगा।

बाप-बेटे की हेल्दी डिबेट के बीच माँ न गेटक्रैश करे, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। शौर्य की मॉम बोली, "शौर्य सही कह रहा है। आप फ्री फंड में ही टेंशन ले रहे हैं। देखिए, टेंशन से आपके चेहरे पे कितनी झुर्रियाँ आ गई हैं। ऐसा रिंकल्ड फेस लेकर जाएंगे आप पार्टी में? कितना गंदा इम्प्रेशन पड़ेगा हमारी फैमिली का! आप ये फेस क्रीम लगा लीजिए, इसमें अफ्रीका की रेयर स्पीशीज़ के पक्षियों की उल्टी है। इससे आपका फेस चमक उठेगा और आप 10 साल जवान लगेंगे।"

ये मोहतरमा हैं मिसेज कविता रंजन। माफ कीजिएगा, इनकी उम्र सही नहीं बता सकते, क्योंकि 25 के बाद इनकी उम्र पे फुल स्टॉप लग गया था। वैसे तो इनका अपने पति के बिज़नेस में कोई इंटरेस्ट नहीं है, पर अपनी फैमिली की पब्लिक इमेज को मेंटेन करना ये अपना धर्म समझती हैं और इसी के लिए ये विदेशों से ऐसे अजीबोगरीब ब्यूटी प्रोडक्ट्स मंगवाती रहती हैं। जो किसी जानवर की उल्टी से बने होते हैं, तो किसी की पॉटी से क्योंकि मुल्तानी मिट्टी लगाना तो इनके लिए बहुत चीप बात है।

खैर, शौर्य का स्टार्टअप का सपना तो सपना ही बनके रह गया। शौर्य की इस कामचोरी का उसके डैडी ने ज्यादा लोड नहीं लिया, भई आखिर में उन्हें पता था कि शौर्य ने संभालना तो उन्हीं का बिज़नेस है। अब कोई अमीर बाप अपनी ही कंपनी में सीईओ की पोस्ट के लिए वैकेंसी निकालने से तो रहा। अगर वो एक मिडिल क्लास बाप होते तो अब तक अपने बेटे की खाल उधेड़ चुके होते।
शौर्य की जिंदगी में उसके अमीर माँ-बाप के अलावा उसकी अमीर गर्लफ्रेंड जोया भी है। जिसने तीन बार मिस इंडिया के कॉम्पिटिशन का फॉर्म भरा है, पर कभी सेलेक्ट नहीं हुई। हाँ, इससे उसकी हॉटनेस पर कोई फर्क भी नहीं पड़ा। असल जिंदगी में इन दोनों के जितने मर्ज़ी झगड़े होते हों, पर सोशल मीडिया पर ये दोनों दुनिया के लिए कपल गोल्स हैं। यही फर्क होता है गाँव वालों और शहर वालों में। गाँव वाले कपल्स दुनिया भर के सामने कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़के भी 10-10 बच्चे कर लेते हैं और शहर वाले दुनिया के सामने प्यार जता के भी बंद कमरे में मोबाइल ही देखते रह जाते हैं।
जोया ने अपना बाबू-शोना वाला फेस बनाकर शौर्य से पूछा, "बेबी, आज का प्लान ऑन है ना?"

शौर्य: फुल ऑन है बेबी! तुम, मैं और मेरा बेस्ट बडी रोहन!

रोहन का नाम सुनकर जोया का मुँह बन गया.. "बेबी, तुम हमेशा उस रोहन को हमारे बीच में कबाब की हड्डी क्यों बना लेते हो?"

शौर्य: "बेबी, यू नो ना रोहन सिर्फ मेरा बेस्ट बडी ही नहीं, मेरे लिए भाई से भी बढ़कर है। प्लस उसका फ्रेश ब्रेकअप हुआ है। ही नीड्स माय सपोर्ट। डोन्ट वरी, आई प्रॉमिस ये बिग नाइट आउट तुम जिंदगी भर याद रखोगी।"

जोया ने हँसकर स्माइल किया और कस के शौर्य को किस किया क्योंकि अमीर लोगों को किस के अलावा खुशी जताने का और कोई तरीका आता ही नहीं है और ऐसे ही खुशी मनाकर शौर्य की लाइफ़ मौज में कट रही थी।
फिर ऐसा क्या हुआ कि शौर्य को शहर में अपनी ये ऐशोआराम वाली जिंदगी छोड़कर गाँव आना पड़ा? 

सब्र रखिए महाराज, सब कुछ पहले ही एपिसोड में जान लीजिएगा? 

बताएँगे.. बताएँगे... गाँव वालों के अगले चैप्टर में!

 

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