रिया का इंतजार करते - करते विक्रम ड्रॉइंग रूम में सोफे पर ही सो गए थे।  अचानक नींद खुली तो रोशनी से भरा घर देख, जल्दी से उठकर बैठ गए। टाइम देखा, साढ़े सात बज गए थे।  सबसे पहले नजर दरवाजे पर पड़ी, जो कि रात भर से खुला था रिया के लिए।  थके हारे से विक्रम धीरे से खड़े हुए और सीधे रिया के कमरे की तरफ गए। दरवाज़ा खटखटाने पर कोई जवाब नहींं मिला  तो गेट खोलकर अंदर गए, पर रिया आई होती तो मिलती ना॥  विक्रम टूटते जा रहे थे रिया के इस बर्ताव से।  सामने ड्रेसिंग टेबल पर रखी, माँ के साथ रिया की फोटो देख  विक्रम की आँख भर आई।  

विक्रम : तुम नहींं जानती रिया,यह बगावत तुम्हारा जीवन बर्बाद कर रही है। तुम्हारे चुने रास्ते सही नहींं हैं,  बेटा।  

हमेशा अपने इमोशंस को छुपा कर रखने वाले विक्रम, बेटी के कमरे में आते ही टूट गए ।  किसी तरह अपने कमरे में गए और बाथरूम में फ्रेश होने चले गए। अपने रूम से तैयार होकर विक्रम डाईनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट करने बैठे जहाँ पूरा परिवार सामने था। राजेश फिर कोई विस्फोट करने की तैयारी में था,  पर विक्रम उसको इग्नोर कर ब्रेड पर मक्खन लगा रहे  थे ।  राजेश कुछ बोलने वाला ही था तभी विक्रम के फोन की घंटी बजी ।  

विक्रम : हैलो...  

सामने से आवाज आई: हैलो मिस्टर सिंह, इंस्पेक्टर राव बोल रहा हूँ।  कल एक खंडहर पर पड़े छापे में एक ड्रग्स सप्लायर के साथ आपकी बेटी को भी देखा गया।  

विक्रम : व्हाट... जानते हो इंस्पेक्टर, क्या कह रहे हो?  

इन्स्पेक्टर ने कहा , “ जी सर जानता हूँ इसलिए बता रहा हूँ।  फिलहाल वह भाग निकलने में सफल रही, नहींं तो आप यहीं आकर मिलते उसे। घर आए तो प्लीज़ हमें इंफॉर्म कीजिए।”  

जिस बात का डर पूरे परिवार को था वही हुआ।  राजेश अपना सारा गुस्सा विक्रम के सामने निकाल देता है।  “मेरा बोलना आपको कभी सही नहीं लगा भाई। आज जो हुआ है , उसके लिए आप खुद जिम्मेदार हो,.. इंसान जब भटक जाए तो उसे सही रास्ता दिखाया जा सकता है।  रिया, मगर, जानबूझकर उस रास्ते पर जाती है जहाँ जाने के लिए हम रोकते हैं।  रिया का अब एक ही इलाज है।  उसे परिवार से बेदखल कर इस घर से हमेशा के लिए निकाल दिया जाए।”  

विक्रम : जस्ट शट अप राजेश, रिया इस घर की बेटी है, न कि कोई कबाड़ का सामान, जिसे उठाकर बाहर फेंक दिया जाए।  

राजेश ने मुंह बनाते हुए कहा , “हाँ भाई बेटी है इस घर की, और यही बेटी पूरे घर को कबाड़ बना कर दम लेगी, पर उससे ज्यादा आप जिम्मेदार होंगे इस बर्बादी के लिए।”  घर का माहौल पूरी तरह बिगड़ चुका था राजेश के सपोर्ट में पूरी फैमिली थी और विक्रम अकेले पड़ गए। वह जानते थे रिया को समझाना या समझना अब इमपॉसिबल होता जा रहा था। वह क्या चाहती थी, यह सिर्फ वही जानती थी।  विक्रम बिना ब्रेकफास्ट किए बैग उठाकर ऑफिस चले गए।  विक्रम के जाने के बाद घर में पूरी तरह सन्नाटा था।

उधर रिया की आँख खुली तो वह एक बेहतरीन कमरे में बेड पर थी। यह घर उसने पहले कभी नहीं देखा था, आस - पास देख, उठ कर बैठ गई।  वह कहाँ थी और कौन लेकर आया, समझ नहीं आ रहा था।  तभी रिया के दिमाग में एक दिन पहले हुई घटनाएं घूम गई। पुलिस से भागते फिरना और बेहोश होकर गिरने तक। यहाँ कैसे आई, याद नहीं आ रहा था।  जल्दी से अपने ऊपर पड़ी चादर हटाई और उठ कर खड़ी हो गई। तभी उसका ध्यान अपने कपड़ों  पर गया,  और हल्की सी चीख निकल गई  

रिया : ओह्ह गॉड, नाइट सूट। किसका है ? मैंने कब पहना ? किसने चेंज किए मेरे कपड़े?  

रिया इस तरह का नाइट सूट कभी नहीं पहनती थी तो वह उसका  तो हो ही नहीं सकता था । अपने सवालों में उलझी रिया जब रूम से बाहर निकली तो एक लड़का नाश्ता लगाते दिखा लेकिन बाकी तो पूरा घर खाली लग रहा था।  अपने कपड़ों को टटोलती रिया बड़ी बड़ी आँखों से उसे घूरने लगी क्योंकि उसे समझ में आ गया कि उसके कपड़े चेंज कराने वाला और कोई नहींं, वही लड़का था। जैसे ही उस लड़के ने पलट कर देखा तो रिया हैरान रह गई ॥ यह वही लड़का था जो सुबह रास्ते पर उसके पास बैठा था।  रिया कुछ बोलने ही वाली थी कि वह लड़का कॉफी का कप हाथ में लिए रिया की ओर आते हुए बोला

लड़का : हाय, आई एम कबीर।  

रिया : हाउ डेयर यू? किसने कहा था तुम्हें मेरे कपड़े बदलने को।  

कबीर : कौन कहता? कोई था ही नहींं।  तुम बेहोश होकर मेरे सामने गिरी तो तुम्हें वहाँ छोड़कर कैसे आता? और तुम्हारे कपड़े! तुम खुद देख लो, क्या हाल है उनका।  

यह कहकर उसने ज़मीन पर एक ढेर में पड़े रिया के कपड़ों की तरफ इशारा किया। रिया ने अपने कपड़ों की तरफ देख खुद ही नाक सिकोड़ ली। पूरी तरह कीचड़ में सने हुए थे। सोचकर ही उल्टी करने को मन करता था कि यह कपड़े पहने वह आराम से पेड़ से सिर टिकाकर सो रही थी।  

कबीर ने कॉफी का कप उसकी तरफ बढ़ाया और खुद जाकर नाश्ता करने लगा।  उसे नूडल्स खाते देख रिया को अहसास हुआ कि उसे भी जोरों की भूख लगी है। हाथ में कॉफी का कप था और नजर कबीर की प्लेट पर। कबीर ने एक नजर उसे देखा और इशारा किया, खाना है?  बस कबीर ने प्लेट बढ़ाई ही थी कि रिया उस पर टूट पड़ी। 24 घण्टे से कुछ भी नहींं खाया था तो भूख कंट्रोल ही नहींं हो रही थी। खाते हुए एकाएक रिया रुकी, उसके मोबाइल फोन की आवाज़ कहीं से आ रही थी।  कबीर उसका मोबाइल लेकर रिया के पीछे खड़े था।  रिया ने हाथ में फोन लेकर नंबर देखा "डैड"॥ एक बार देखकर,मोबाइल वहीं उल्टा रख, फिर खाने में बिजी हो गई।  कबीर फ्रूटस खाते हुए उसे चुपचाप देखता रहा, मोबाइल की बेल लगातार बज रही थी।  रिया ने सुकून से नाश्ता खत्म किया और विक्रम का फोन रिसीव कर बोली-

रिया - हैलो

विक्रम : कहाँ हो रात भर से?  अभी भी घर आने का होश नहींं है।  

रिया : हाँ, होश नहींं है मुझे डैड।  होश में आना भी नहीं  चाहती। मैं  खुश हूँ इस बेहोश दुनिया में।  

विक्रम : जहाँ भी हो सीधे घर चली आओ।  घर पर बात करते हैं।  

रिया : सॉरी डैड, मुझे घर आने में कोई इंटरेस्ट नहीं  है. मैं अपनी मर्जी से जीना चाहती हूँ।  वह क्या बोलते हैं उसे ? हाँ, "आजाद परिंदा"।  

विक्रम : रिया, बहुत हो चुकी तुम्हारी मनमानी। चुपचाप घर चली आओ।  

रिया : मुझे जब आना होगा, आ जाऊंगी, डैड। बाय।  

इतना कह कर रिया फोन काट देती है। विक्रम कुछ बोलते रह गए जो उसने सुनना भी उचित नहीं समझा।  कबीर,रिया और विक्रम की बहस चुपचाप सुन रहा था। फोन काट कर रिया ने प्लेट खिसकाई और टेबल पर हाथ बांध, उस पर सर रख कर ऐसे बैठ गई जैसे बच्चे क्लास में हेड डाउन करते हैं।  तभी कबीर ने उसे दोस्ती का ऑफर दिया जो रिया ने सर उठा, झट से एक्सेप्ट कर लिया। बातों - बातों में उसने कबीर को अपनी सारी कहानी सुना डाली - पिता से बिगड़े रिश्ते , आकाश का धोख़ा, रात की घटना। सब कुछ जानकर कबीर उसे प्रॉमिस करता है कि वह उसका बेस्ट फ्रेंड बनकर उसे हर तरह से सपोर्ट करेगा। दिन भर कबीर के साथ बिताने के बाद रिया रात को घर पहुंची जहाँ पूरा परिवार, मानो उसके ही इंतजार में बैठा था।  रिया ने एक बार नजर दौड़ाकर सबको देखा और अपने रूम की तरफ चल दी।  

राजेश विक्रम को गौर से देख रहा था। उसे पूरा विश्वास था कि अब रिया को घर से निकाल दिया जाएगा।  कन्फर्म करने के लिए उसने पूछा “ भाई आपको अभी भी लगता है कि इस बात को जाने देना चाहिए?”  राजेश की बात का कोई जवाब विक्रम के पास नहीं  था क्योंकि वह फोन पर हो चुकी बात के बाद रिया से कुछ नहीं बोलना चाहते थे। विक्रम माथे पर हाथ रखकर किसी हारे हुए इंसान की तरह बैठ गए॥ राजेश का गुस्से से खून खौल रहा था। अपने बड़े भाई की लापरवाही के कारण बढ़ रही रिया की मनमानी, उसे रत्ती भर नहीं भाती। मन तो हुआ वही टोक दे रिया को, लेकिन अपने भाई की वजह से चुप रहा ।  

रिया को भी सीढ़ियाँ चढ़ते हुए लग रहा था कि कोई तो टोकेगा,  लेकिन कोई आवाज नहींं आई । ऊपर पहुँच कर एक बार उसने पलट कर सब को देखा और फिर अपने कमरे में चली गई। घर आने पर सबका अजनबी की तरह उसे देखना, पूरे परिवार के लिए उसकी नफरत और ज्यादा  बढ़ा रहा था ।  रिया ने भी ठान लिया कि अपने पिता के खिलाफ वो अपनी बगावत को कम नहीं  होने देगी।    

सुबह होते ही रिया फिर तैयार होकर निकल ही रही थी कि विक्रम ने उसे रोक दिया।  

विक्रम : रुको रिया, अपने कमरे में जाओ। तुम अब से बाहर नहींं जाओगी ।  

रिया : कौन रोकेगा मुझे?

विक्रम : कल जो तुम्हारी हरकत सामने आई है उसके बाद यह सवाल करने का तुम्हें कोई हक नहीं ।  

रिया : कल जो हुआ,उसके लिए आपसे हेल्प मांगने नहींं आई मैं, और कभी आऊँगी भी नहीं ।  

विक्रम : इस घर की बेटी के लिए पुलिस के फोन आने लगे, इससे ज्यादा और क्या करना चाहती हो।  

विक्रम की बात पर रिया खिलखिलाकर हंस पड़ी। आँख में हल्की नमी आ गई जिसे उसने हंसकर रोक लिया और अपने पिता के पास आकर बोली

रिया : तो इसलिए आपको याद आया कि आपकी एक बेटी है। पुलिस के एक फोन कॉल से बड़ी बदनामी हो गई आपकी, पर यह लास्ट टाइम था  … अब सिर्फ बदनामी घर आएगी, बेटी नहीं ।  

रिया अपनी बात पूरी कर गुस्से से पांव पटकते बाहर निकल जाती है।  विक्रम चाह कर भी अपनी बेटी को नहीं रोक सके।  रिया के फैसले इतने बगावती क्यों थे, यह किसी की भी समझ से परे था।   

उधर कबीर एक रेस्टोरेंट में रिया का इंतजार कर रहा था । थोड़ी ही देर में रिया वहाँ पहुँच गई और कोल्ड कॉफी ऑर्डर करके बैठ गई।  रिया का चेहरा देख कर कबीर को लगा कि वह अपने डैड से लड़ कर आई है । कबीर का अंदाजा सही था पर रिया ने उसे बताया कि वह घर छोड़कर ही आ गई ।कबीर ने बड़े प्यार से उसके फैसले को  सही बताया और उसका हर हाल में साथ देने का भी वादा किया। रिया कॉफी पीते हुए आकाश को याद कर कबीर से कहती है

रिया : आकाश जो काम करने वाला था, उसमें बहुत पैसा था पर वह इडियट् निकला। अगर वह काम चल जाता न, मुझे अपने डैड से कभी पैसा नहींं लेना पड़ता।  

कबीर : और मैं तुम्हें उससे भी कहीं ज्यादा पैसा कमाने वाला काम बताऊँ तो?  

रिया कबीर को शक की नजर से देखती है।   एक बार उसके दिल में आया,  कहीं आकाश की तरह कबीर भी तो उसे यूज  नहींं कर रहा ।  मगर कबीर पर विश्वास करने के अलावा, उसके पास और कोई रास्ता नहींं था । एक बार फिर बिना सोचे समझे वह अनजाने रास्ते पर चलने के लिए तैयार हो गई।  कबीर उसे दिन भर न जाने कितने ही ठिकाने दिखाता रहा, एक से एक सीक्रेट मिशन उसे समझाता रहा । रिया को भी उसकी दोस्ती खूब जम रही थी और उसे यह लग रहा था कि उसे सिर्फ कबीर की ही जरूरत है, उसके अलावा कोई उसे नहींं समझ सकता।  फिर भी मन में चल रही दुविधा के चलते रिया ने पूछ ही लिया

रिया : वैसे तुम मेरे लिए इतना कुछ क्यों कर रहे हो?

कबीर : क्योंकि तुम भी मेरी तरह मल्टी टैलेन्टेड हो और मेरी दुनिया में हम जैसे लोगों की बड़ी कद्र है ।  

कबीर की बातों पर रिया को पूरी तरह विश्वास हो चला था जबकि असलियत में कबीर की लाइफ में टैलेंट जैसा कुछ नहीं था। कानून जिसे जुर्म की दुनिया कहता है, कबीर उस दुनिया का बादशाह बना फिरता था।  हर नए ठिकाने पर कुछ गुंडे जैसे दिखते लोग उसको सैल्यूट कर रहे थे जिससे  ये ग़ुमान रिया को भी होता जा रहा था ।  

शाम हो चली थी, दिन भर कबीर के साथ मजे से घूमते रिया अपना पिछला दर्द भुला चुकी थी। कबीर गाड़ी ड्राइव करते हुए रिया को ही देख रहा था, रिया घर छोड़ चुकी है वह अच्छे से जानता था। उसने रिया से पूछे बिना गाड़ी एक छोटे से खूबसूरत घर के बाहर रोकी, हाथ पकड़ कर रिया को गाड़ी से उतारा और उस घर के अंदर ले गया।  

रिया समझ नहींं पा रही थी, यहाँ क्यों आए हैं। उसे लगा, यह भी एक ठिकाना होगा लेकिन कबीर उसे घर की चाबी देकर बोला

कबीर : जब तक तुम अपना घर नहीं बना लेती या अपने डैड के घर नहींं जाना चाहती,यह घर तुम्हारा है।  

रिया खुशी से कुछ बोल ही नहींं पा रही थी। उसे खुशी इस बात की ज्यादा थी कि बिना कहे ही कबीर ने उसके दिल की बात समझ ली। अगले ही पल यह सोचकर वह उदास हो गई कि उसकी अपनी फैमिली में एक भी मेंबर ऐसा नहीं जिसने उसका हाल भी पूछा हो लेकिन यह सोच झटक कर वह कबीर को मुस्कुराकर थैंक यू  कहती है। कबीर उसे रेस्ट करने के लिए कहकर जाने लगता है, फिर लौट कर आता है और उसे सुबह जल्दी तैयार रहने को कहता है क्योंकि कल वह कुछ खतरनाक स्टंट सिखाने वाला है। रिया के पूछने पर भी वह कुछ नहीं बताता और सुबह मिलने का कह कर चल जाता है ।  

रिया बेसब्री से सुबह का इंतजार करती है, इस बात से अनजान कि कल उसके साथ क्या होने वाला है ।  

 

ऐसा कौन सा खतरनाक स्टंट है जो कबीर रिया को सिखाने वाला है ?  

क्यों दे रहा है कबीर रिया का साथ ??  

क्या रिया किसी और खतरे में फंसने वाली है ?  

जानिए अगले एपिसोड में। 

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