रिया सुबह होने से पहले ही उठ गई थी क्योंकि आज के एडवेंचर के लिए वह इतनी ज्यादा एक्साइटेड थी कि रात भर नींद ही नहीं आई थी। कबीर ने तो नौ बजे तक आने के लिए कहा था लेकिन रिया आठ बजे ही तैयार होकर बैठ गई। नौ बजे तक वेट करना उसके लिए मुश्किल हो रहा था तो  

उसने कबीर को कॉल किया पर उसने उठाया नहीं। उसे लग रहा था कि बस जल्दी से कबीर आ जाए। तभी गाड़ी के रुकने की आवाज आती है।  रिया फटाफट बाहर निकलती है और कबीर को देख, खुशी से चिल्लाती है।  

रिया : कबीssssss र

कबीर : जल्दी आओ ।  

कबीर का इशारा पाते ही रिया जाकर गाड़ी में बैठ जाती है और कबीर गाड़ी को हवा से बातें कराने लगता है। थोड़ी ही देर में वे एक ऐसी जगह जाकर रुकते हैं जहाँ पहुंचना रिया के लिए किसी सपने जैसा था। कबीर रिया को रास्ता दिखाते हुए आगे ले जाता है। वहाँ कुछ और लोग भी स्टंट कर रहे थे। रिया को अभी नहीं पता था लेकिन कबीर उसको पूरी तरह से तैयार करना  चाहता था अपने काम के लिए। रिया के साथ काम करने में उसको डर था कि कहीं उसकी बेवकूफियों की वजह से, वह पकड़ा न जाए। । कबीर उसे, सबसे पहले, जंपिंग की प्रैक्टिस करवाता है। उस में रिया को काफ़ी डर लग रहा था। एक अच्छी खासी ऊंचाई से कूदने की कोशिश में कई बार रिया को चोट लगी लेकिन फिर वह उसे इन्जॉय करने लगी। वह बस, हर एक पल को पूरा जीना चाहती थी। दिन भर की practice के बाद कबीर रिया को बुलाकर पूछता है-

कबीर : मैं एक खतरनाक मिशन पर जा रहा हूँ..  चलना चाहोगी?  

रिया : यस, व्हाय नॉट? मैं भी ऐसे रियल स्टंट देखना चाहती हूँ जो तुम्हारे सीक्रेट मिशन में होते हैं।  

कबीर: ठीक है, तो फिर घर जाओ और तैयार हो जाओ।  

एक बैग, रिया की तरफ फेंकते  हुए, कबीर उसे तैयार होने घर भेजता है और रिया बिना सोचे-समझे, एक बार फिर अपने कदम, उसी दुनिया की तरफ़ बढ़ा देती है ।  

शाम होते ही कबीर ने अपनी बाइक निकाली और रिया के घर के सामने आकर हॉर्न बजाया। रिया भागती हुई आकर उसके सामने खड़ी हो गई।

कबीर ने ऊपर से नीचे तक रिया को देखा।  

कबीर : ग्रेट! तुम तो एक दिन की क्लास में ही मास्टर हो गई।  

रिया : मैं हर उस खतरनाक रास्ते को पार करना चाहती हूँ जो मुझे खुद से मिला दे।  

रिया नहीं जानती थी कि जिस रास्ते पर उसका दोस्त उसे ले जा रहा था वहाँ वह सब कुछ खोने वाली थी, जो अभी उसके पास था। खुद को पाने का सबसे गलत तरीका मिला था उसे।  

रिया के बैठते ही गाड़ी फिर उसी तेज़ी से बढ़ गई और कुछ ही देर में एक बड़ी-सी बिल्डिंग के पास जाकर रुकी। कबीर रिया के साथ अंदर गया, और लिफ़्ट लेकर, 3rd फ़्लोर पर पहुँच गया।  

किसी से भी मिलने से पहले, कबीर ने रिया को समझाया  

कबीर : अब हम यहाँ एक कस्टमर से मिलेंगे... हो सकता है वह हमारे साथ फ़्रॉड करें या अचानक से कुछ ऐसे लोग आ जाए जो हमें प्रॉब्लेम में डाल दें। तब हमें क्या करना है, यह हम यहाँ सीखेंगे।  

रिया : हाँ, जो प्रोब्लमस वहाँ से निकलने में आई, वह अब यहाँ नहीं आएगी।  

रिया ने उस दिन की घटना को याद करते हुए कहा कि किस तरह आकाश ने, उसे सिखाए बिना ही एक खतरनाक मिशन में शामिल कर लिया  और ज़रूरत पड़ने पर हाथ छुड़ा कर भाग गया था।  

रिया ने कबीर का हाथ पकड़ा और कदम से कदम मिलाते हुए चल देती है। अगले ही पल दोनों एक कमरे में थे। सामने दो और लोग बैठे थे जिनकी कबीर से कोई डील तय हो रही थी। बातचीत होने के बाद वहाँ से निकल कर कबीर लिफ़्ट की ओर नहीं बल्कि सामने दिख रही बालकनी की ओर चला गया। रिया बिना किसी सवाल या शंका के उसके पीछे-पीछे चल दी । बालकनी में आकर कबीर ने रिया से नीचे देखने का इशारा किया। रिया ने झांककर नीचे देखा तो डर कर पीछे हट गई। इतनी ऊँचाई से देखने में भी रिया को डर लग रहा था!  

कबीर : चलो रिया, आज की प्रैक्टिस को असल जिंदगी में इस्तेमाल करने का टाइम आ गया। हम लिफ़्ट से नहीं, यहाँ से जम्प करके जाएंगे।  ।  

रिया : यहाँ से जम्प करना बहुत ज्यादा रिस्की है, कबीर। हमने दिनभर जो भी स्टंट किए, सेफ़्टी टूल्स के साथ किए थे! यहाँ कौन बचाएगा?  

कबीर उसकी मासूमियत पर हंस देता है और उसे विश्वास दिलाता है कि वह उसके साथ है। वह  रिया को समझाता है, रोड पर चल रहे वाहनों की ओर इशारा करता है और रिया का हाथ पकड़कर, बिना देर किए छलांग लगा देता है। रिया ने डर को कंट्रोल करते हुए उसका साथ दिया। हवा में लहराते दोनों एक सामान से भरे ट्रक में आ गिरे और रिया उछल कर एक कोने से टकरा गई जिससे माथे से ब्लड निकलना शुरू हो गया। कबीर ने देखा तो अपना रुमाल निकाला और उसके माथे पर बांध दिया। थोड़ी देर में कबीर ने झांककर बाहर देखा और उठकर खड़ा हो गया। उसने रिया का हाथ पकड़ा और चलते ट्रक से कूद गया।  

दोनों, चलती ट्रक से रोड पर कूदे और इस चक्कर में रिया के घुटने भी चोटिल हो गए, पैन्ट फट गई और  खून निकलने लगा। यह देख कबीर ने उसे गोद में उठाया और थोड़ी ही दूरी पर खड़ी एक गाड़ी में पीछे बैठा दिया। उसमें एक ड्राइवर पहले से मौजूद था। कबीर दूसरी तरफ़ जाकर बैठा और उसे चलाने का इशारा किया।  

उधर विक्रम ऑफिस में अपने कैबिन में बैठे रिया के ही बारे में सोच रहे थे। उन्हें उसकी बगावती बातें, एक-एक करके याद आ रही थी।  

रिया : मैं जो चाहे कर सकती हूँ डैड, आपके हिसाब से चलकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करूँगी।  

विक्रम को याद आता है कि रिया बार- बार कहती है कि अपना जीवन बर्बाद नहीं करेगी। उन्हें यह  बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि रिया के डैड ने आखिर किसका जीवन बर्बाद किया था। सवालों में उलझे विक्रम की नज़र टेबल पर पड़े न्यूज़ पेपर पर पड़ी। उसमें सिटी अपडेट्स के साथ जो न्यूज़ थी उसे देख विक्रम की आँखें फटी रह गई। रिया की तस्वीर के साथ हेडलाइन थी - शहर में निडरता से कदम जमाता ड्रग्स माफिया।

विक्रम ने हाथ में पेपर उठाया और एक सांस में पूरी खबर पढ़ गया। तब उन्हें अहसास हुआ कि इंस्पेक्टर की बात को नज़रअंदाज करने के कारण, यह खबर, अखबार तक पहुँच गई। पेपर टेबल  पर रख, विक्रम ने हारे हुए अंदाज में कहा,  

विक्रम : ओह रिया, मेरी बच्ची! क्यों खेल रही हो अपनी जिंदगी से?

 विक्रम के सामने अब कोई रास्ता नहीं था जो उन्हें उनकी बेटी तक पहुंचा सके। निराश और हताश विक्रम, अपनी चेयर पर सिर टिकाकर, आँख बन्द कर बैठ गए।

इधर कबीर, रिया को घर लाता है। जैसे ही दोनों गेट पर पहुँचते हैं, गेट खुल जाता है। दोनों शॉक्ड होकर एक दूसरे को देखते रह जाते हैं।  

अगले ही पल, एक लड़की सामने आती है जो रिया को घूरकर देख रही थी। रिया उसे देखती ही, इमोशनल हो गई । उसके होंठों पर स्माइल आ गई और आँखों से आँसू बहने लगे।  

कबीर कुछ नहीं समझ पा रहा था। वह उस लड़की से कुछ कहने ही वाला था कि रिया, कबीर को रोकते हुए, झट से उस लड़की को गले लगाकर रो पड़ी।  

रिया : नेहा.. कहाँ थी तू? कब से तेरा फोन स्विच ऑफ है? तुझे नहीं पता, मैं  कितनी अकेली हो गई थी तेरे बिना    

रिया की इस बात पर नेहा बोली  “जानती हूँ, और यह भी जानती हूँ कि कितने खतरनाक खेल, खेल रही है तू।”  

कबीर को समझ नहीं आ रहा था यह लड़की कौन है और यहाँ कैसे पहुंची।  

रिया को बातों में उलझा देख कबीर ने अपने कदम चुपचाप पीछे ले लिए और बिना कुछ बोले चला गया। नेहा रिया को लेकर अंदर आती है और उसे न्यूज़ पेपर में आई उसकी तस्वीरें और सोशल मीडिया पर उसके ही रिश्तेदारों की वाइरल पोस्ट दिखाती है। नेहा उसे दिखाना चाहती थी कि वह कितनी ज़्यादा बदनाम हो चुकी है लेकिन रिया को इन सब बातों से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था कि कौन क्या कह रहा है।  

नेहा ने उसके अंदर चल रहे कशमकश को समझते हुए डिसाइड किया कि थोड़ी देर बाद बात करना चाहिए। उसने रिया की चोटें देखीं और उन्हें साफ़ कर,  मेडिसिन लगाई और बैंडेड से कवर कर दिया। अब रिया थोड़ा रिलैक्सड लगने लगी तो नेहा ने, बिना बात घुमाए, सीधा सवाल किया, “आकाश कहाँ है अब?”  

रिया : नो आइडिया। पता है उसने कितना ग़लत किया मेरे साथ, नेहा? एक नंबर का फ्रॉड था, मुझे फंसा कर खुद भाग गया। यह फोटोज़, जो मीडिया को मिले हैं ना, उसकी वजह से मिले।  

उसके जाते ही तुम्हें नया बॉयफ्रेंड मिल गया और इतने कम समय में तुमने इस अनजान इंसान पर ट्रस्ट भी कर लिया।” नेहा की बात सुन रिया खिल -खिला कर हंस पड़ी। उसे ट्रस्ट जैसी चीजें अब नहीं सूझतीं, वह  तो वही हाथ पकड़ लेती है जो उसे थोड़ा-बहुत भी सहारा दे सके।  

नेहा फिर भी जानना चाहती थी कि रिया इतनी लापरवाह कैसे हो गई? उसे खुद से प्यार क्यों नहीं रहा लेकिन समझ रही थी कि रिया अभी शायद बात करने या समझने लायक हालत में नहीं थी।  

रिया ने कहा वो नहाकर आती है। इसी बीच, नेहा दोनों के लिए खाना लगाने चली गई।  

नहाकर आई रिया, नेहा को खाना लगाते देख खुश हो जाती है, एक लंबे टाइम से उसने सुकून से बैठकर खाना नहीं खाया था। हॉस्टल में छुट्टियां होने पर जब नेहा घर चली गई और रिया वहाँ अकेली हो गई तो एक रात को वहाँ  से भागकर सीधे नेहा के ही घर गई थी और नेहा ने उस दिन अपने हाथों से बनाकर खाना खिलाया था। वही खुशबू आज उसे उस रात की याद दिला रही थी

रिया : वॉओ नेहा, आज तो खाना खाने का मजा ही कुछ और रहेगा।

नेहा एक स्माइल के साथ उसे खाने को बुलाती है। रिया भी फटाफट खाना शुरू ही कर देती है। नेहा की मुस्कान रिया के लिए फिक्र लिए हुए थी। उसने रिया की प्लेट में पूरी डालते हुए पूछा, “यह लड़ाई किसके खिलाफ़ लड़ रही हो रिया?”  

रिया : किस लड़ाई की बात कर रही हो?  

रिया ने नेहा से नजरें चुराते हुए, खाने में बिजी होते हुए कहा। वह विक्रम के लिए अपने दिल में  पल रही नफरत की वजह किसी भी नहीं बताना चाहती थी।  

नेहा समझ रही थी कि कुछ ऐसा है जो रिया आसानी से नहीं बताएगी और यह भी कि अगर उसके अंदर चल रहे उलझन को नहीं सुलझाया गया तो वह अपना जीवन पूरी तरह बर्बाद कर लेगी।  

नेहा को अपनी तरफ गौर से देखते देख रिया थोड़ा नर्वस फील करने लगी और उससे बचने के लिए वह  खाना खत्म किए बगैर ही उठकर अपने कमरे में चली जाती है। नेहा एक लंबी सांस खींचती है और उसकी चुप्पी तोड़ने का निश्चय कर लेती है।  

खाने के बर्तन समेटकर नेहा सीधे रिया के कमरे में पहुँच गई। रिया कुछ गुनगुनाते हुए नेहा को इग्नोर करने की कोशिश कर रही थी। इस बार नेहा ने उसे डांटते हुए कहा- “बस करो रिया.. किससे नजरें चुरा रही हो? मैं जानती हूँ कि जो तुम कर रही हो वह  तुम्हारा शौक़ या अय्याशी नहीं है। तो फिर क्यों कर रही हो? किसके लिए खुद को इतना दर्द दे रही हो?

नेहा के शब्द रिया को कमज़ोर कर रहे थे।  वह टूटना नहीं चाहती थी इसलिए चुप थी और नेहा उसे बोलने के लिए फोर्स कर रही थी। वह  जानती थी जब तक रिया नहीं बोलेगी, तब तक उसे रोकना मुश्किल होगा।  

आखिर में रिया चिल्लाते हुए बोली,  

रिया : नहीं चाहिए मुझे साफ-सुथरी इमेज! नहीं बनना मुझे अच्छा सबकी नजरों में। मैं बुरी हूँ तो सब परेशान हैं, पर अगर मैं अच्छी बनी तो सिर्फ मुझे परेशान करेंगे। किसी को मेरे दर्द से कोई मतलब नहीं होगा। आज सब दुखी हैं मेरी वजह से लेकिन मैं अपने दर्द को एंजॉय कर रही हूँ।  

यह बोलते-बोलते रिया खिलखिला कर हँस पड़ी।  

नेहा ने लंबी सांस लेकर अपनी आँखें बन्द कर ली। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसे रिया की हालत पर तरस आ रहा था लेकिन अभी बहुत कुछ था जो रिया ने अंदर दबा रखा था। नेहा, वह सब कुछ, निकलवाना चाहती थी।  

वह रिया को कुछ पल की तकलीफ देकर उसकी ज़िंदगी भर की परेशानी खत्म करने की ठान चुकी थी।  

 

क्या छुपा है रिया के दिल में जिसके कारण वह अपनी ही ज़िंदगी बर्बाद कर रही है?  

क्या नेहा सब कुछ जानकर रिया को निकाल पाएगी एक खतरनाक दुनिया से?

जानिए अगले एपिसोड में। 

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