कुछ रातें ऐसी होती है जिन्हें याद करते ही आपका दिल जोर से धड़कने लगता है। यह कहानी शुरू होती है एक ऐसी ही भयानक रात से। उस रात दिल्ली में बारिश नहीं, मानो आसमान अपना सारा कहर बरसा रहा था। आसमान काले बादलों से ढका था, जिनके बीच बिजली की चमक बीच-बीच में जैसे चेतावनी दे रही हो—कुछ अनहोनी होने वाली है। साठ साल का एक आदमी अपनी कार में बैठे कुछ सोच रहा था, वह अपनी सोच में इतना मग्न था की उसे बादलों के गरजने से या बिजली की चमकने से कोई फ़र्क नहीं पढ़ रहा था। उसकी गाड़ी के आगे और पीछे 3 गाड़िया थी जो सायरन बजाती हुई, तेज बारिश को चीरती हुई प्रधानमंत्री के दफ्तर की ओर बढ़ रही थी।    

 

उसके चेहरे पर चिंता के निशान साफ दिखाई दे रहे थे, लग रहा था की कोई बड़ी मुसीबत आने को थी। प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने आते ही सिक्योरिटी ने उन्हें रोक लिया , और उनमें से एक सिक्युरिटी ऑफिसर ने उस गाड़ी में बैठे उस इंसान को सलामी देते हुए हुए कहा डिफेन्स मिनिस्टर विक्रम सिन्हा, रोकने के लिए माफी चाहूंगा, आपके आने की ख़बर हम तक पहुँच चुकी है, मगर नए ऑर्डर्स आए है की सभी गाड़ियों और लोगों की जांच की जानी चाहिए। आपसे अनुरोध है की बाहर आकार चेकिंग करवा लीजिए। बारिश में इस तरह आपको बाहर बुलाने के लिए माफी चाहूँगा सर।  

  

उस सिक्योरिटी ऑफिसर के चेहरे पर एक हल्का सा डर साफ दिखाई दे रहा था। देश के डिफेन्स मिनिस्टर से इस तरह की रीक्वेस्ट करना उसके लिए आसान नहीं था । सिक्युरिटी ऑफिसर की बात सुन कर डिफेन्स मिनिस्टर ने अपना सिर हाँ में हिलाया और शांति से कहा   

  

विक्रम : यह सभी प्रोटोकॉल मेरे ही बनाए हुए है। तुम अपनी ड्यूटी कर रहे हो ऑफिसर और इसके लिए तुम्हें मुझसे अनुरोध करने की कोई जरूरत नहीं है।  

 

डिफेन्स मिनिस्टर की बात सुनकर उस ऑफिसर के चेहरे पर तुरंत ही मुस्कान आ गई। सभी लोगों और गाड़ियों के चेकिंग के बाद काफिला आगे बढ़ा। प्रधानमंत्री कार्यालय के मेन डोर पर जैसे ही गाड़ी रुकी तो बाहर खड़े एक ऑफिसर ने विक्रम सिंह की ओर सलूट करते हुए उनकी गाड़ी का दरवाजा खोला। विक्रम जैसे ही गाड़ी से उतरे तो उस ऑफिसर ने उन्हें ब्रीफिंग देते हुए कहा “सर, प्रधानमंत्री जी पर हर समय नज़र रखी जा रही है! पूरा दिन वह आज मीटिंग में व्यस्त थे ! सिचुएशन आपके कहे मुताबिक ही है और हमारे कंट्रोल में है !” ऑफिसर की बात सुन विक्रम सिन्हा ने खुश होते हुए कहा,   

  

विक्रम : “ बहुत खूब ऑफिसर ! ”  

 

ब्लैक कमांडोस ने प्रधानमंत्री के ऑफिस का घेरा बनाया हुआ था और उस ऑफिस के अंदर तक पहुचने के लिए पाँच लेवेल्स तक सिक्युरिटी थी। चाहे देश का कोई बड़ा मंत्री हो या कोई और, सभी को इस सिक्युरिटी प्रोटोकॉल से गुज़रते हुए ही प्रधानमंत्री से मिलने जाना होता था। विक्रम सिंह सभी सिक्युरिटी प्रोटोकॉल्स को पार करते हुए ऑफिस के बाहर लगे सोफ़ा पर बैठ गए। वह किसी गहरी सोच में डूबे थे, जैसे की चक्रव्यूह को तोड़ने की कोशिश कर रहे हो। विक्रम अपने खयालों में इतने खोए हए थे की प्रधानमंत्री की असिस्टन्ट को उन्हें चार बार आवाज़ देना पड़ी। विक्रम अपनी सोच से बाहर आते हुए उठे और ऑफिस के अंदर चले गए।     

 

ऑफिस के अंदर, हल्की सी पीली रोशनी में एक 65 साल का व्यक्ति सफेद कुर्ता-पायजामा पहने, आरामदायक सोफे पर बैठा था। उनके हाथों में कुछ ज़रूरी कागज़ात थे, जिन्हें वह ध्यान से पढ़ रहे थे। चेहरे से वह भले ही अपनी उम्र के हिसाब से दिख रहे थे पर उनकी आँखों की चमक और चेहरे पर तेज ऐसा था कि कोई भी उन्हें देखकर उनका असली उम्र भूल जाए।  

उनकी बड़ी, घनी सफेद दाढ़ी और सफेद बाल, उनकी गरिमा को और ऊंचाई दे रहे थे। उनकी आँखों पर एक गहरे रंग का चश्मा था। देश के प्रधानमंत्री, श्रीमान अर्जुन मल्होत्रा, जिन्होंने इस देश में कई बड़े और कठिन फैसलों के जरिए अपनी एक अलग, निडर पहचान बनाई। देश की प्रगति और लोगों की भलाई के आगे जैसे अर्जुन किसी को देखते ही ना हो।  

उनके अलावा उस ऑफिस में एक महिला थी जो की उस समय सोफ़े के सामने रखे टेबल पर चाय सर्व कर रही थी, अंदर आते ही विक्रम सिन्हा ने प्रधानमंत्री को सलूट किया और अपनी जगह पर ही खड़े रहे। विक्रम की आवाज सुन प्राइम मिनिस्टर ने एक नजर कागजों से उठाकर विक्रम सिन्हा की ओर देखा ! विक्रम को देखते ही उन्होंने उन कागजों को टेबल पर रखा और उस महिला से मुस्कुराते हुए कहा, “ मिस रेहाना, श्रीमान विक्रम सिन्हा आए है, क्या आप हमे बात करने के लीए अकेला छोड़ेगी !”  

  

प्रधानमंत्री की बात सुन वह महिला तुरंत ही उस कमरे से बाहर जाने लगी, दरवाजे पर आते ही विक्रम सिन्हा और रेहाना की नज़रे आपस में टकराई, विक्रम को देखते ही रेहाना ने अपना सिर ना में हिलाया! रेहाना ने इशारों में ही बता दिया था की प्रधानमंत्री जी का मूड कुछ ठीक नहीं है जिसे विक्रम तुरंत ही समझ गया था। रेहाना के बाहर निकलते ही प्रधानमंत्री अपने सोफ़े से उठकर डेस्क की ओर जाने लगे और अपनी कुर्सी पर बैठकर विक्रम को भी बैठने का इशारा किया। उन्होनें अपना चश्मा उतार और उसे साफ़ करते हुए विक्रम की ओर देखा और कहा “अब कौन सी नई धमकी मिली है मेरी हत्या की आपको?”  प्रधानमंत्री को सीधे मुद्दे पर आते देख विक्रम ने भी गंभीर आवाज में तुरंत कहा,   

 

विक्रम : “ सर, देश खतरे में है! आप भी खतरे में है! ”  

  

विक्रम की यह बात सुन प्रधानमंत्री सिरियस होते हुए विक्रम का चेहरा देखने लगे, फिर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “दुनिया का हर देश हर वक़्त इसी डर में रहता है विक्रम, और तुमसे बेहतर यह बात कौन जानता है? पिछले पंद्रह सालों में, तुम और तुम्हारी सेना ने ना जाने कितनी ही बार इस देश को संकट से बचाया है! पर आज तुम्हारे चेहरे पर एक अलग सा भाव है। क्या हुआ विक्रम?” 

  

प्राइम मिनिस्टर की बात सुनकर विक्रम सिन्हा सोच में पड़ गए, उनके चेहरे पर उदासी के भाव नजर आ रहे थे, जो की प्राइम मिनिस्टर से छिपे हुए नहीं थे, फिर एक गहरी साँस लेते हुए विक्रम सिन्हा बोल उठे,   

  

विक्रम : “सर, आज तक जीतने भी मिशन्स को हमने अंजाम दिया है, आपने मुझ पर विश्वास करते हुए आगे किया है। दुश्मन यदि बाहर का हो तो उससे लड़ा भी जा सकता है पर जब दुश्मन देश में ही हो तब कैसे लड़ा जाए? एक बड़ी साजिश होने वाली है सर, माफ़ कीजिए लेकिन आपको कल पार्लियामेंट नहीं जाना चाहिए। इंटेल बहुत सालिड है की कल आप जिस रूट से जाने वाले है इन देश द्रोहियों के निशाने पर है।   

    

विक्रम की बातों को सुन प्राइम मिनिस्टर सोच में पड़ गए ! वे अपनी जगह से खड़े हुए और चाय का कप हाथ में लेकर खिड़की के पास जाकर बारिश देखने लगे, कुछ देर तक ऐसे ही देखने के बाद, मुस्कुराते हुए उन्हों ने विक्रम से कहा, “ तुम्हें याद है वो बलूचिस्तान वाला मिशन? उस वक़्त मैंने तुम्हें कहा था की रुक जो, इस मिशन को थोड़ा टालना चाहिए पर तुम्हारे कान्फिडन्स और तैयारी को देखते हुए मैंने पर्मिशन दे दी थी! वह मिशन कामयाब भी हुआ था!”  

  

प्राइम मिनिस्टर की बात सुन विक्रम सिन्हा ने हाँ में सर हिलाते हुए कुछ कहने की सोची पर प्रधानमंत्री ने दोबारा बोलना शुरू कर दिया “मुझे मालूम है... मेरी जान पर मंडराता ख़तरा, सुन है... गुप्त बैठकों का दौर चल रहा है, सरकार गिराने की साजिशें बुनी जा रही हैं। और उन बैठकों में कौन है? हमारी ही पार्टी के लोग शामिल हो रहे हैं। बात तुम्हारी बिल्कुल ठीक है की जब घर के लोग ही साजिश में हिस्सा लें, तो आप कैसे डील करोगे? तुम क्या समझते हो? यह लोग मुझे सिर्फ प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटाना चाहते हैं? नहीं... उनकी सबसे बड़ी समस्या मैं हूँ! पंद्रह सालों में जो काम इस देश के लिए किए गए हैं, उसने उन्हें हिला दिया है। वे सिर्फ मुझे सत्ता से नहीं, बल्कि इस दुनिया से हटाना चाहते हैं। तुम्हें लगता है मैं अनजान हूँ? इन करप्ट नेताओं को मैंने चुनौती दी है, और अब वे मुझे मिटाने पर उतारू हैं। लेकिन जान लो... मैं डरने वालों में से नहीं हूँ!      

  

प्राइम मिनिस्टर की बात सुन विक्रम सिंह चौंक उठे, उन्होंने तुरंत ही हैरानी से प्राइम मिनिस्टर से पूछा,   

  

विक्रम : “सर तो अब हमें क्या करना चाहिए?”  

  

विक्रम के सवाल में प्रधानमंत्री को साफ साफ चिंता नजर आ रही थी, उन्होंने विक्रम को देखते हुए गहरी सांस ली और फिर हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे मरने से डर नहीं लगता विक्रम ! मुझे बस डर है के ये सत्ता के भूखे भेड़िये इस देश का क्या हाल कर देंगे! क्यूंकी मेरे जाने बाद देश के यह करप्ट नेता जिन्हे बस अपनी जेबे भरनी है, वे पता नहीं किस तरह से देश को बेच खाएंगे !  

  

प्रधानमंत्री की बात सुनकर विक्रम एक बार फिर सोच में पड़ गए। उनकी बातों का विक्रम के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं था वह बस किसी भी तरह से प्रधानमंत्री को कल पार्लियामेंट में जाने से रोक देना चाहते थे। विक्रम अपने खयालों में एक बार फिर खो गए थे तभी उन्हें कंधे पर एक हाथ महसूस हुआ जिससे विक्रम अपनी गहरी सोच से वापस बाहर आए। यह हाथ अर्जुन मल्होत्रा का था, वह विक्रम को सिर्फ एक कैबिनेट मिनिस्टर ही नहीं बल्कि एक सलाहकार एक दोस्त की तरह मानते थे। उन्हें विक्रम की काबिलियत पर पूरा भरोसा था।  

एक अलग जोश के साथ विक्रम सिन्हा अपनी कुर्सी से खड़े हुए और उन्होंने प्रधानमंत्री को सैल्यूट करते हुए वहा से जाने की इजाज़त मांगी। बाहर निकलते ही विक्रम सिन्हा ने ऑफिसर्स को ऑर्डर देते हुए कहा,   

  

विक्रम : “ प्लान ए पर काम शुरू करो, तुरंत ! और जरा सी भी गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी समझे ! ”  

 

डिफेन्स मिनिस्टर की बात सुनते ही दरवाज़े के बाहर खड़ी सीनियर अफसरों की टीम तुरंत अपने काम में लग गए!   

दूसरी ओर, दिल्ली से करीब सौ किलोमीटर दूर एक बड़े से फार्म्हाउस में काफी सारे लोग जमा हुए थे , ढेरों नेता वहाँ एक दूजे से बातों में लगे हुए थे। उनके सामने एक अंधेरे कोने में एक आदमी बैठा हुआ था, अंधेरे में होने की वजह से उसका चेहरा कोई भी नहीं देख पा रहा था। दिख रहे थे तो सिर्फ उसके हाथ जो की टेबल पर रखे हुए थे ! उस आदमी की दोनों तरफ बॉडीगार्ड अपने हाथ में बड़ी सी बंदूकें लीए खड़ा हुए थे।   

  

थोड़ी ही देर बाद एक नेता अपने साथियों के साथ उस मीटिंग में प्रवेश करते है और सभी लोग उठकर उस इंसान के सामनेखड़े हो जाते है जिससे साफ पता चल रहा होता है की यह कोई बहुत की ताकतवर नेता है। उनके अपनी जगह पर बैठते ही उस जगह चल रही सारी खुसुर पुसुर बंद हो जाती है और एक सन्नाटा सा छा जाता है। किसी राज्य की तरह वो नेता सभी लोगों को देखता है और कहता है “रात के इस वक्त हमे यहाँ क्यों बुलाया है ? देख नहीं रहे बाहर तेज बारिश हो रही है!! जानते भी हो इस बारिश में यहाँ तक आना कितना मुश्किल था? बताओ आखिर मीटिंग क्यों बुलाई है?”  

  

उस नेता के सवाल पूछते ही बाकी के नेता भी मेज पर बैठे उस आदमी से सवाल पूछने लगे, तभी उस आदमी ने जवाब देते हुए कहा, “समाधान के लिए, हम सबकी परेशानी के समाधान के लिए !  ” यह सुन वह नेता फिर से गुस्से से सवाल पूछते हुए बोल उठा, “कैसी परेशानी ? कैसा समाधान? साफ साफ बताओ यार” नेता के इस सवाल को सुनते ही उस आदमी ने हँसते हुए कहा,  “मिस्टर विपुल चोपड़ा ! ........उस परेशानी का नाम है प्रधानमंत्री अर्जुन मल्होत्रा, जिसने हम सबके नाक में दम कर रखा है। यहाँ मौजूद हर एक इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन वही है ! पिछले 15 सालों में उसकी देशभक्ति ने हम सबकी नायक में दम कर दिया है। आप लोग नेता बने थे क्योंकि आप लोग पैसे चाहते थे, पावर चाहते थे, लेकिन उसने नेता को एक सरकारी नौकर बनाकर रख दिया। लेकिन अब अब ऐसा नहीं होगा, अगर आप सब ने साथ दिया तो हम सरकार को पलट सकते है। 

  

उस अंजान रहस्यमयी आदमी की बात सुन सभी नेता सोच में पड़ गए, उस आदमी का कहा एक-एक शब्द मानो सभी नेताओ के दिल पर लगा था। जबसे अर्जुन मल्होत्रा की सरकार आई थी उन सबका जीना हराम हो गया था।  वे सभी चाहते थे की अर्जुन की सरकार किसी न किसी तरह से गिर जाए लेकिन उनकी लाख कोशिशों के बावजूद ये हो नहीं पाया। तभी वह नेता जिनका नाम विपुल चोपड़ा था, हँसते हुए बोल उठे, “ हाहाहा, सरकार गिराओगे ! तुम्हें क्या लगता है यह आसान है? अर्जुन मल्होत्रा को सड़क चलता आम आदमी नहीं है इस देश का प्रधानमंत्री है! जनता उस अर्जुन को भगवान मानती है ! उसके किए कामों की चर्चा पूरी दुनिया में की जाती है!”  

  

विपुल की बात से फिर एक बार पूरी मीटिंग में चर्चा होने लगी, लेकिन तभी उस आदमी ने टेबल पर जोर से हाथ पटकटे हुए कहा, “किसने कहा मेरे पास तोड़ नहीं है, कहा ना मैंने आपको परेशानी के समाधान के लिए बुलाया है ! ” उस आदमी की बात सुन विपुल ने गंभीर होते हुए पूछा, “अच्छा तो बताओ समाधान क्या है?”  

यह सुनते ही अंधेरे में चेहरा छुपाए बैठ वह आदमी जोर से हंसने लगता है और कुछ ऐसा कहता है जिसे सुनते ही वहा बैठे हर इंसान की रूह कांप उठती है! एक सन्नाटा सा छा जाता है और सभी लोग एक दूसरे को हैरानी से देखने लगते है।  

ऐसा क्या कहा है इस अनजान आदमी ने जिससे वहा मौजूद सभी लोगों की धड़कने बड़ जाती है? कौन है यह आदमी जिसने इस साजिश को प्लान किया हुआ है? क्या यह विक्रम सिंह इस प्लान को रोकने में कामयाब होगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।  

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