16 फरवरी 2022

जयपुर से 40 किमी दूर सुनसान जंगल,धूप ढलने लगी थी, और जंगल की हवा में एक अजीब सी सनसनी थी। दो कॉलेज छात्र—राहुल और सपना—शहर की भीड़ से दूर इस एकांत में घूमने आए थे।  

सपना घबराई हुई, आसपास नज़रें घुमाते हुए वॉली- "राहुल... हम यहाँ तक कैसे आ गए? शाम तक मुझे हॉस्टल पहुँचना है। अगर वार्डन ने मम्मी-पापा को शिकायत कर दी, तो हमारी मुलाक़ातें भी बंद हो जाएँगी।"  

राहुल मुस्कुराते हुए, कैमरे से सपना की फोटो क्लिक करते हुए बोला- "अरे यार, तुम्हारी चिंताएँ कभी ख़त्म नहीं होतीं। वैलेंटाइन डे पर समाज के ठेकेदारों ने इतनी पाबंदियाँ लगा दी हैं कि भाई-बहन भी साथ घूम नहीं सकते। राखी बँधवा देते हैं ये लोग। उस दिन तो हम मिल नहीं पाए थे, लेकिन आज हम अपना वैलेंटाइन सेलिब्रेट करेंगे। इसीलिए तुम्हें इतनी दूर लाया हूँ।"  

सपना इधर उधर डरते हुए देखते हुए बोली-  "राहुल... यह जगह सुरक्षित तो है ना?" 

राहुल आत्मविश्वास से बोला- "चिंता मत करो यहाँ कोई नहीं आता—बिल्कुल परफेक्ट जगह है।"

सपना घबराती हुए बोली- "आर यू श्योर? कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी?"  

राहुल ने सपना के कंधे को हल्का सा दबाते हुए बोला- "डरपोक कहीं की... तुम हमेशा डरती रहती हो। कुछ नहीं होगा, मैं तुम्हारे साथ हूँ ना? और हम ज़्यादा देर नहीं रुकेंगे, बस एक-दो घंटे।"  

सपना थोड़ा झिझकते हुए बोली- "ठीक है...!"  

राहुल ने सपना को गले लगा लिया। दोनों भावुक हो उठे, और धीरे-धीरे उनके बीच दूरी कम होने लगी।  

सपना ने अचानक राहुल को धक्का देते हुए कहा- "राहुल... ये क्या कर रहे हो? प्लीज़, अभी नहीं...!"  

राहुल ने झट से उसकी कलाई जकड़ते हुए कहा- "अरे, इंजॉय करने आए हैं, तो करने दो न।"  

सपना अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली- "हाँ... लेकिन इतनी जल्दी भी ठीक नहीं।"  

सपना ने जोर से राहुल की कलाई में चिकोटी काटी, अब वो राहुल की पकड़ से छूट गई और एक तरफ भागने लगी।  

राहुल उत्साहित हो कर बोला- "ओह। तो अब तुम मुझसे खेलना चाहती हो? ठीक है।"  

सपना हँसती हुई आगे भागी और राहुल उसके पीछे-पीछे। भागते-भागते सपना अचानक एक खुली जगह पर आकर रुक गई। सामने जो दृश्य था उसे देख के उसकी साँसें थम गईं।  

सामने एक विशाल, पुराना खंडहरनुमा महल खड़ा था, जिसकी दीवारें समय के साथ जर्जर हो चुकी थीं। पेड़ों की घनी छाया ने उसे और भी रहस्यमय बना दिया था।  

सपना ने आँखें फैलाकर, धीमी आवाज़ में कहा- "बाप रे... इतने घने जंगल में इतना बड़ा महल? ये कहाँ से आ गया?"  

तब तक राहुल भी सपना का पीछा करते हुए वहाँ पहुँच गया था। वो अपना इम्प्रेशन झाड़ने के चक्कर में बोला- "तुम बाहर से आई हो ना, इसलिए तुम्हें जयपुर के बारे में पता नहीं है। अगर ढंग से सर्वे किया जाए तो यहाँ घर कम मिलेंगे और महल ज्यादा। राजा-महाराजाओं के टाइम के महल है और ऐसे जंगलों में महल मिलना आम बात है।"

सपना उत्तेजित होते हुए बोली- "राहुल चलो ना हम अंदर चलते हैं, मुझे ये महल अंदर से भी देखना है।"

राहुल- "अरे यार... जो काम करने आए हैं पहले वो तो कर लें।"

सपना- “प्लीज... प्लीज राहुल, मुझे पहले महल घूमना है, उसके बाद जो तुम बोलोगे मैं मना नहीं करूंगी। लेकिन प्लीज पहले मुझे महल घुमा दो।”

मरता ना क्या करता इसलिए राहुल भी सपना की जिद के आगे घुटने टेक देता है और ना चाहते हुए भी अपना मन मारते हुए बोला- "ओके... ठीक है, जैसी तुम्हारी इच्छा। मैं भला कभी जीत पाया हूँ तुम्हारी जिद के आगे।"

अब राहुल और सपना उस खंडहरनुमा महल में घूम रहे थे, जहाँ हवा में सनसनाती ठंडक और सड़ांध मिली हुई थी। महल का हर कोना अंधकार से घिरा था, जैसे किसी ने वहाँ सदियों से धूप को प्रवेश करने की मनाही कर रखी हो। दीवारों पर जाले लटके थे, और कहीं-कहीं से टपकते पानी की आवाज़ें गूँज रही थीं—मानों कोई अदृश्य प्राणी उन्हें देख रहा हो।  

थकान के मारे दोनों एक टूटी हुई सीढ़ी के पास बैठ गए। राहुल की नज़रें सपना पर टिकी थीं, उसकी आँखों में एक अजीब-सी मस्ती थी। सपना की साँसें तेज हो गईं, उसके होंठ काँप रहे थे, मानो वह बिना शब्दों के ही राहुल को अपनी ओर खींच रही हो। दोनों एक-दूसरे के करीब आए, और एक गहरी चुप्पी में उन्होंने एक-दूसरे को गले लगा लिया।  

तभी—टप्प... टप्प... 

सपना के हाथों पर कुछ गर्म और चिपचिपा गिरा। उसने देखा—खून। गाढ़ा, लाल, धीरे-धीरे उसकी उंगलियों से बहता हुआ। उसकी साँसें रुक गईं, दिल धड़कना भूल गया। धीरे-धीरे उसने ऊपर देखा—  

और वहाँ... ऊपर छत से एक लाश लटक रही थी।

वह लाश सफ़ेद कफन में लिपटी हुई थी, उसका चेहरा नीला पड़ चुका था, आँखें फटी हुई और मुँह खुला—जैसे वह चीख़ रही हो। उसकी गर्दन एक रस्सी से बंधी थी, जो हवा के झोंकों से हिल रही थी, मानो वह अभी-अभी फाँसी पर झूली हो। खून की बूँदें उसके पैरों से टपक रही थीं, और जमीन पर एक अजीब-सी गंध फैल रही थी—मौत की गंध।  

"आह्ह्ह!" सपना की चीख़ महल की दीवारों से टकराकर गूँज उठी। राहुल ने भी ऊपर देखा—और उसका खून सूख गया। लाश एकदम सी अजीब और डरावनी लग रही थी ये देख दोनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। वे चीख़ते हुए भागे, राहुल ने सपना का हाथ जोर से पकड़ा और अंधेरे गलियारों से होते हुए बाहर की ओर दौड़ा। 

जब तक वे अपनी बाइक तक पहुँचे, सपना का दम घुट रहा था। उसकी आँखों के सामने अँधेरा छा रहा था। 

राहुल ने बाइक स्टार्ट की लेकिन वो स्टार्ट ही नहीं हो रही थी जिसकी वजह से वे दोनों और घबरा गए थे।

सपना डरते हुए बोली- "राहुल.....राहुल हम पुलिस को...।"

राहुल गुस्से में सपना को अपनी आंखे दिखाता हुआ बोला- "तुम...तुम पागल हो क्या, ये पुलिस के चक्कर में हमको नहीं पड़ना।"

सपना- "पर राहुल...पता नहीं किसकी लाश थी वो, कहीं किसी ने हमें यहाँ आते देखा होगा तो लेने के देने पड़ जाएंगे।" 

राहुल- "सपना... हम दोनों लोगों से छुपते छुपाते यहां पर आए हैं। पुलिस को अगर यह बात बताई तो यह बात हमारे घर तक पहुंच सकती है, तुम चुपचाप बाइक पर बैठो जल्दी। इससे पहले की कोई देख ले और बात का बतंगड़ बन जाए हमें जल्दी यहां से निकलना होगा।" 

सपना और राहुल बाइक पर बैठते हैं और निकल जाते हैं। अभी मुश्किल से कुछ दूर आगे बढ़े ही थे की तभी जोर से राहुल के कंधे को पीछे खींचते हुए बोली- "ओह नो…!"

राहुल गुस्से में बोला- "अब क्या हुआ?"

सपना ने डरते हुए कहा- "राहुल... राहुल, मैं...मैं अपना पर्स वहीं पर भूल गई।"

यह सुनकर अचानक राहुल जोर से ब्रेक लगा देता है। 

राहुल इस बार जोर चीखते हुए बोला- "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया सपना, तुम बुरी तरह से हमदोनों को फँसवाओगी। जानती भी हो अगर वो लाश पुलिस को मिल गई ना तो वो सीधे तुम्हें पकड़ेंगे।" 

सपना डर से कांपती हुई बोली- "हाँ जानती हूँ तभी तो बोला। राहुल...उस पर्स में मेरा कॉलेज का आईडी कार्ड और सारे आइडेंटी कार्ड थे।"

राहुल चिल्लाता हुआ बोला- "सपना तुम बहुत लापरवाह हो। देखना एक दिन तुम्हारी इसी हारकर की वजह से दोनों मारे जाएंगे।" 

इस बार सपना को उसके ताने बर्दाश्त नहीं हुए और वो लगभग चिल्लाते हुए बोली- "तो मैं क्या करती राहुल... एक तो तुम मेरे इतने करीब थे की मुझे जरा भी ध्यान नहीं डे पाई और जब सामने वो दृश्य देखा तो मैं घबराकर भाग पड़ी। और वैसे भी तुम भी तो थे ना वहां पर और तुम तो मेरे बाद आए थे?"

राहुल और सपना हाईवे पर गाड़ी रोक कर एक दूसरे से लड़ रहे थे। तभी हाईवे पर पुलिस पेट्रोलिंग करती हुई पीसीआर वेन वहां पर आकर रुक गई। पुलिस को देखकर राहुल और सपना के होश उड़ गए। उनके माथे पर से पसीना टपकने लगा। पुलिस वैन में एक महिला आरक्षक और एक पुलिस आरक्षक भी था।

महिला आरक्षक- "ओ लैला-मजणु,अठे के कर रहे हो?"

राहुल और सपना उनकी बात का जवाब नहीं दे पाते और दोनों एक दूसरे का चेहरा देखने लगते हैं। दोनों के चेहरे पर घबराहट साफ दिखाई देती है। महिला आरक्षक दोनों के चेहरे पर से पसीना टपकती हुए समझ जाती है, वो गाड़ी से बाहर आती है।

महिला आरक्षक- "इत्ति सर्दी में थारे माथे पर से पसीना क्यों टपक रा? कोई बात है..?"

राहुल हड़बड़ाते हुए बोला- "नहीं... नहीं... नहीं मैडम... मैडम ऐसी कोई... कोई बात नहीं है। हम तो बस ऐसे ही जा रहे थे।"

महिला आरक्षक को दोनों की हरकतें देख के थोड़ा शक होता है। वो अपने साथी को आवाज लगती है।

महिला आरक्षक- "अरे मोहन, अरे देख भई, बालक बालीका घणे परेशान लग रे।"

तब आरक्षक मोहन बाहर आता है और सख्ती से राहुल के कंधे पर हाथ रखता है।

आरक्षक मोहन- "क्यों रे बणा...भई के नाम है थारा...?"

राहुल लगभग काँपते हुए बोला- "मैं...मैं.... मेरा नाम राहुल... राहुल है।"

महिला आरक्षक सपना की तरफ विचित्र ढंग से देखती है।

महिला आरक्षक- "तुझे पीले चावल देना पड़ेंगे, नाम बताने के लिए?"

सपना- "मेरा नाम सपना है।" 

महिला आरक्षक- "यहां... इस सुनसान जंगल में के कर रहे थे?"

राहुल- "वो.... वो... वो हम घूमने आए थे, घूमने आए थे यहां पर।"

महिला आरक्षक मोहन को देखती हैं।

महिला आरक्षक- "हम्म...घुमणए हाईवे पर? जहां तक म्हारे पतो है कि अठे दूर-दूर तक सब जंगल है। घूमने की कोई जगह नहीं है, तो तुम दोनों यहां पर के घुमाण आये थे?"

दोनों बहुत बुरी तरह से घबरा जाते हैं। महिला आरक्षक समझ जाती है की जरूर डाल में कुछ काला है और दोनों मिलकर उनसे कोई बात छिपा रहे हैं। 

महिला आरक्षक- "कहां पर पढ़ते हो?"

सपना- "जी...जी.. चौधरी कॉलेज में।"

महिला आरक्षक- "अपना आईडी दिखा?"

तब सपना के होश उड़ जाते हैं, वो राहुल की तरफ देखने लग जाती है। 

सपना (घबराकर)- "मैडम...वो...वो..वो आईडी तो मैं... मैं घर… घर पर भूल गई मैं, हम लोग यहां पर घूमने आ गए आज, आज कॉलेज नहीं गए ना।"

महिला आरक्षक- "लड़की कहीं बाहर जाए तो अपना पर्स ले जाना नहीं भूलती, तेरे पास तो पर्स ही नहीं है। मामला क्या है सब सच-सच बता?"

सपना इतनी घबरा जाती है कि उसकी आंखों से आंसू टपकने लगते हैं। तब महिला आरक्षक सपना के कंधे पर हाथ रखती है।

महिला आरक्षक- "बेटा... सच-सच बोल दे, मामला क्या है, वरना थाने ले जाकर पूछूंगी और साथ में मां-बाप को भी फोन लगा दूंगी।"

यह सुनते ही सपना टूट जाती है और नया चाहते हुए भी अब वो सच्चाई बताने को तैयार हो जाती है। 

सपना रोते हुए बोली- "मैडम... मैडम प्लीज... प्लीज आप मेरे मम्मी पापा को फोन मत करना प्लीज, उन्हें नहीं पता कि मैं यहां पर आई हूं।"

महिला आरक्षक- "ये देखो, ये आज की जनरेशन। मां-बाप पढ़ने के लिए बच्चों को यहां भेजते हैं और यहां बच्चे गुलछर्रे उड़ा रहे हैं।"

राहुल- "सपना....पागल हो गई हो क्या?"

मोहन डांटते हुए बोला- "बेटा चुप हो जा, बोलने दे छोरी णे।" 

सपना जोर-जोर से फूट-फूट कर रोते हुए महिला आरक्षक को सब सच-सच बता देती है।

Breaking News : गौरतलब है कि पिछले दो दिनों से रतनगढ़ युवराज अर्जुन सिंह राठौड़ की बेटी सिमरन राठौर मिसिंग केस में अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। वैलेंटाइन डे के दिन गायब हुई सिमरन को किसी ने खुद किडनैप किया है या फिर वो अपनी मर्जी से गई है इस बारे में भी अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। यह पुलिस डिपार्टमेंट पर एक सवाल है कि एक क्राइम ब्रांच ऑफिसर की बेटी ही जब सुरक्षित नहीं है तो आम जनता की तो बात ही छोड़ दीजिए।

न्यूज़ रतनगढ़ महल के बड़े से टीवी पर चल रही थी। अचानक वहां पर रतनगढ़ की महारानी आती है और रिमोट से टीवी बंद कर देती है। उनकी आंखों में आंसू थे।

महारानी पद्मदेवी- "अगर मैं जिद नहीं करती तो यह सब कुछ नहीं होता और तुम्हें इतना कुछ सुना नहीं पड़ता।"

युवराज अर्जुन सिंह राठौड़ एक बड़े से सोफे पर बैठा उसकी आंखों में भी चिंता थी।

अर्जुन- "माँ सा... मुझे इस वक्त सिर्फ अपनी जान, अपनी सिमी की चिंता है, 48 मिनट मैं उसकी आवाज सुने बिना नहीं रह पाता था,और अब 48 घंटे हो चुके हैं उसे गायब हुए। हर एक घंटे में उसे फोन करता था अपने काम पर रहने के बावजूद भी,और आज पता नहीं मेरी बच्ची किस हाल में होगी। मुझे चिंता नहीं है कि मीडिया क्या बोल रही है, मुझे सिर्फ अपनी सिमी की चिंता है।।"

पद्मदेवी- "माया कैसी है?"

अर्जुन- "बार-बार बेहोश हो रही है, जब भी होश में आती है सिमरन के बारे में पूछती है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है मैं क्या करूं।"

तभी एक नौकर दौड़ते हुए रानी सा के पास आता है।

नौकर- "खम्मा घणी रानी सा।"

पद्मदेवी- "क्या हुआ?"

नौकर फोन देता है।

नौकर- "रानी सा... युवराज के लिए फोन है कमिश्नर साहब का, बहुत अर्जेंट बात करनी है।"

युवराज अर्जुन झट से नौकर से हाथ से फोन छिनता है और जिसके बाद सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं-

युवराज अर्जुन- "व्हाट? न... नहीं ये नहीं हो सकता। म... मैं आ रहा हूँ।"

 

आखिर किसकी कॉल थी जिसे सुनने के बाद युवराज अर्जुन के होश उड़ गए? आखिर कहाँ है सिमी और ऐसी कौन सी बात थी जिसकी वजह से वो गायब थी? उस महल के खंडहर में मिलने वाली लाश किसकी थी? 

जानने  के  लिए पढिए कहानी का अगला भाग।   

 

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