6th February 2022
CRIME BRANCH, Mumbai, 3 PM
मुंबई क्राइम ब्रांच में कमिश्नर ने एक अर्जेंट मीटिंग बुलाई थी।
कमिश्नर - "कितने शर्म की बात है कि हमारे ही ऑफिसर की बेटी के साथ ऐसा हुआ है । दो दिन हो गए हैं, अभी तक सिमरन का कुछ पता नहीं चला। मीडिया ने तमाशा बना के रखा है। जब हम अपने ऑफिसर के ही परिवार को सुरक्षित नहीं रख सकते हैं तो फिर आम जनता हमसे कैसे उम्मीद करेगी...?"
इन्स्पेक्टर अविनाश पाटिल अपना हाथ खड़ा करता है।
अविनाश - "एक्सक्यूज़ मी सर....।"
कमिश्नर - "यस अविनाश।"
अविनाश - "आए एम सॉरी, पर ये डिपार्टमेंट के लिए शर्म की बात नहीं है कि अर्जुन राठौर की बेटी का किडनैप हुआ। ये उस सो कॉल्ड प्रिंस अर्जुन सिंह राठौड़ के लिए शर्म की बात है। सिमरन उनके राजमहल से गायब हुई है जहां पर उनकी अपनी सिक्योरिटी थी और सिमरन अपनी मर्जी से गायब हुई है किसी ने उसका किडनैप नहीं किया है।"
कमिश्नर - "अविनाश.... मैं जानता हूं कि तुम्हारे और अर्जुन के बीच बहुत मिसअंडरस्टैंडिंग है पर इसका मतलब ये नहीं है कि इस वक्त तुम अपना बदला निकालो।"
अविनाश - "मैं बदला नहीं निकल रहा हूं सर, मैं तो सिर्फ आपसे रीक्वेस्ट करता हूं कि आप ये केस मुझे दीजिए, मैं इसे जल्द से जल्द सॉल्व कर दूंगा यह मेरी गारंटी है।"
कमिश्नर - "कैसी बात कर रहे हो तुम केस जयपुर क्राइम ब्रांच के पास है। मुंबई कैसे ट्रांसफर किया जाएगा,जबकि मुंबई से कोई कनेक्शन ही नहीं है।"
अविनाश (बड़बड़ाते हुए) - "कनेक्शन तो बनाना पड़ेगा ना सर।"
कमिश्नर - "कहाँ..?"
अविनाश - "कुछ नहीं सर,पर अगर मुंबई से कनेक्शन हुआ तो क्या यह हम केस यहां पर ट्रांसफर कर सकते हैं।"
कमिश्नर - "उसके लिए अलग प्रोसेस है,बहुत लंबा है पर डिपेंड करता है कि यहां से कनेक्शन होगा कैसे और अगर होगा भी तो भी हमें जयपुर क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर काम करना होगा।"
अविनाश - "सर मेरी आपसे रिक्वेस्ट है की जो भी हो यह केस में मुझे काम करने दीजिए।"
कमिश्नर - "तुम इस केस में इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रहे हो?"
अविनाश - "मैं यह साबित कर दूंगा कि मैं आपके चहेते अर्जुन सिंह राठौड़ से ज्यादा काबिल हूँ। बस आप मुझे एक बार मौका दीजिए सर।"
कमिश्नर - "इस बारे में हम सोचेंगे।
जयपुर के अस्पताल में बॉडी की शिनाख्त के लिए अर्जुन सिंह राठौड़ और उसकी पत्नी माया राठौर को बुलाया जाता है। अर्जुन गाड़ी से पत्नी को लेकर नीचे उतरता है । माया अर्जुन के कंधे पर सर रखकर रोती हुई नीचे उतरती है और अर्जुन उसे संभालता है।
माया (रोते हुए) - "अर्जुन...मेरा दिल नहीं मानता है यह मानने के लिए।"
अर्जुन - "माया...दिल तो मेरा भी नहीं मानता,पर हमें देखना तो पड़ेगा ना।"
माया - "नहीं...मेरी हिम्मत नहीं है।"
अर्जुन - "माया प्लीज,थोड़ी हिम्मत रखो, हमें यह करना ही पड़ेगा।"
माया मना करती है पर अर्जुन जबरदस्ती माया को लेकर मोर्चरी की तरफ जाता है। वहां पर एक ऑफिसर खड़ा होता है। बॉडी को सफेद कपड़े से ढक रखा जाता है।
ऑफिसर - "खम्बा घणी कुंवर सा,बॉडी पर बहुत से चोट के निशान है, बहुत जगह कट लगे हैं,चेहरा पहचान पाना मुश्किल है,पर फिर भी अगर आपको कोई पहचान पता है तो आप पहचान कर सकते हैं।"
यह सुनकर माया अर्जुन के गले लगा कर फूट-फूटकर रोने लगती है। अर्जुन के भी आंसू निकलते रहते हैं।
अर्जुन आगे बढ़ता है और हिम्मत करके कांपते हाथों के साथ चादर हटाकर देखता है तो उसकी रूह कांप जाती है। चेहरे पर बहुत से कट के निशान थे,और चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था। अर्जुन घबरा जाता है, उसका दिल तेजी से धड़कता है वो झट से चादर ऊपर ढक देता है।
अर्जुन (चिल्लाता हुआ) - "नहींsssss ...नहीं... ये मेरी बेटी नहीं हो सकती,यह मेरी सिमी नहीं हो सकती।"
माया (रोते हुए) - "नहींsssss...नहीं मेरी बेटी नहीं हो सकती । प्लीज अर्जुन चलो यहां से,मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज। हमारी सिमी के को ढूंढो,उसका पता लगाओ। वो जिंदा है, मेरा दिल कहता है वो जिंदा है, वह नहीं मर सकती।"
ऑफिसर - "माफ करना कुँवर सा, छोटा मुंह बड़ी बात। इस वक्त दिल से नहीं दिमाग से फैसला कीजिए। एक बार आप अपने दिमाग पर जोर डालिए अगर आपको कुछ याद है, कोई पहचान याद है तो प्लीज याद कीजिये।"
अर्जुन को उस ऑफिसर के बात समझ आ जाती है। वो पुरानी यादों में खो जाता है।
बचपन में जब सिमरन 5 साल की थी तब एक बार नहलाते टाइम सिमरन ने अपने पापा से पूछा था।
सिमरन - "पापा....ये मेरी गर्दन पर पीछे काला निशान कैसा है, मम्मी ने मुझे आईने में दिखाया था काला काला सा निशान।"
अर्जुन - "सिमी बेटा,एक निशानी रहती है और शायद तुम्हारे साथ यह जिंदगी भर रहेगी।"
सिमरन - "निशानी वह क्या होती है पापा?"
अर्जुन - "ये एक साइन होता है,एक तरह का निशान होता है । जो अगर पापा को होता है तो बेटी को भी होता है।"
सिमरन (सोचते हुए) - "पर आपकी गर्दन पर तो ये निशान है ही नही।"
अर्जुन कुछ बोल नहीं पाता।
अर्जुन - "तो बेटा कुछ और होगा, हम डॉक्टर से चेक करवा लेंगे आप चिंता मत कीजिए । आप जब बड़ी होगी तो यह निशान अपने आप चला जाएगा।"
सिमरन - "ओके पापा।"
अर्जुन को वही बात क्लिक कर जाती है दिमाग में। वो झट से पलटता है और चादर हटाकर हिम्मत करके बॉडी के बाल हटाकर गार्डन के पीछे की तरफ वो निशान देखता है। अर्जुन के हाथ पैर फूल जाते हैं उसे झटका लगता है और वहीं जमीन पर गिर जाता है।"
माया - "क्या हुआ… क्या हुआ अर्जुन?"
ऑफिसर - "कुंवर सा… कुंवर सा क्या हुआ?"
अर्जुन कुछ बोल नहीं पाता,उसके मुंह से शब्द बाहर नहीं निकाल पाते हैं। वो बोलना चाहता है पर उसकी आवाज रुक जाती है आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। दिल तेजी से धड़क रहा था मानो अभी बाहर निकल जाएगा।"
माया - "बोलो अर्जुन क्या हुआ?"
अर्जुन की आंखों में माया अर्जुन का सच पढ़ लेती है और माया के भी आंसू निकलते हैं। दोनों एक दूसरे से गले मिलकर फूट फूट कर रोने लगते हैं ।
अर्जुन (चिल्लाते हुए) - "सिमीsssssss...मुझे छोड़कर नहीं जा सकती, सिमी प्लीज, वापस आजा सिमी।"
अर्जुन और माया फूट फूट कर रोने लगते हैं।
इस खबर को बाहर निकलते देर नहीं लगती और यह खबर सबसे पहले मीडिया के पास पहुंच जाती है और आग की तरह सारे चैनलों पर फैल जाती है।
ब्रेकिंग न्यूज़ - अभी-अभी हमें खबर मिली है कि जयपुर के पास के जंगलों से एक बच्ची की लाश बरामद हुई है और दो दिन से पुलिस युवराज अर्जुन सिंह राठौर की बेटी को ढूंढ रहे थे। ये लाश उसी की है। बॉडी पर कई घाव है बच्ची को टॉर्चर करके मारा गया है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट अभी आई नहीं है,पर कोई बहुत बड़ी साजिश इसमें हो सकती है। एक क्राइम ब्रांच ऑफिसर की बच्ची के साथ ये हो सकता है तो फिर आम आदमी कैसे सुरक्षित महसूस करें खुद को यह बहुत बड़ा सवाल है।
ये खबर एक टाइम बम की तरह काम करती है मुंबई से लेकर राजस्थान तक सबके पैरों से जमीन खसक जाती है।
मुंबई -
यह खबर टीवी पर देखकर मुंबई में 13 साल की सोनिया की आंख से आंसू आ जाते हैं।
सोनिया (चीखते हुए) - "मम्मा…।"
तब उसकी मां आती है उसे गले लगाती है।
माँ - "क्या हुआ बेटा,क्या हुआ सोनिया?"
सोनिया (रोते हुए) - "माँ...सिमरन।"
उसकी मां की आंखों से भी आंसू आ जाते हैं वह अपनी बेटी को गले से लगा लेती है।
माँ (रोते हुए) - "मत रो बेटा, मत रो सोनिया।"
सोनिया - "मेरी सबसे अच्छी दोस्त,मेरी बेस्ट फ्रेंड थी वो।"
दोनों मां बेटी बहुत रोते हैं।
मुंबई मे अपने ऑफिस में एक मीटिंग कर रहा एक बड़ा क्रिमिनल लॉयर विवेक मंगलानी की मीटिंग के बीच में दौड़कर उनका असिस्टेंट आता है और गेट खोल देता है।
विवेक मंगलानी (गुस्से में) - "व्हाट नॉनसेंस,तुम्हें पता नहीं कितना इंपॉर्टेंट डिस्कशन चल रहा है यहां पर।"
असिस्टेंट - "सर....सर माया मैडम?"
विवेक - "क्या हुआ माया को?"
असिस्टेंट तुरंत टीवी ऑन करता है। सबकी नजर न्यूज़ पर पड़ती है विवेक के होश उड़ जाते हैं।
राजस्थान - जयपुर
उधर राजस्थान के होम मिनिस्टर तुरंत एक कमिश्नर से अर्जेंट मीटिंग करते हैं।
होम मिनिस्टर (गुस्से मे) - "ये क्या हो रहा है कमिश्नर। जब राज घराने के लोग ही सुरक्षित नहीं है तो हम आम जनता की क्या उम्मीद करेंगे अगले चुनाव में। क्या मुँह लेकर जाएंगे जनता के सामने? राठौर परिवार हमारा इलेक्शन में फंडिंग करता है किस मुंह से जाऊंगा उनके पास अगले इलेक्शन में?"
कमिश्नर - "सर...हमारा डिपार्टमेंट दिन रात आरोपी को खोजने की कोशिश कर रहा है।"
होम मिनिस्टर - "कोशिश नहीं मुझे रिजल्ट चाहिए,मेरे ऊपर भी प्रेशर है। मुझे 24 घंटे के अंदर इस केस में कोई बड़ा डेवलपमेंट चाहिए। मुझे भी जवाब देना होता है।"
कमिश्नर - "सर...डिपार्टमेंट को एक सुराग तक नहीं मिला है,लगता है बहुत सफाई से काम किया गया है।"
होम मिनिस्टर - "मुझे कुछ नहीं पता 24 घंटे के अंदर मुझे रिजल्ट चाहिए कमिश्नर।"
कमिश्नर उठकर खड़ा होता है। सैल्यूट करता है।
कमिश्नर - "ओके सर,जय हिंद।"
17th february 2022
रात 2 बजे,मुंबई
इतनी रात को मुंबई कमिश्नर अपने घर पर गहरी नींद में सो रहा था कि अचानक उसका मोबाइल बजने लगा। कमिश्नर सूर्य प्रताप सिंह अपनी आंखें मींचता हुआ मोबाइल देखता है।
सूर्य प्रताप (गुस्से में) - "इंस्पैक्टर अविनाश यह भी कोई टाइम है फोन करने का?"
अविनाश - "सॉरी सर,अगर अर्जेंट नहीं होता तो मैं आपको डिस्टर्ब नहीं करता।"
सूर्य प्रताप सिंह - "बोलो... क्या बात है?"
अविनाश - "सर...आज मैंने आपको वादा किया था कि अगर इस केस में मैं अपनी पूरी जान लगा दूंगा।"
सूर्य प्रताप सिंह - "बातें गोल- गोल मत घुमाओ, सीधे पॉइंट पर आओ।"
इंस्पैक्टर अविनाश - "सर…ही इज़ अरेस्टेड।"
यह सुनकर कमिश्नर की जैसे नींद उड़ जाती है।
सूर्य प्रताप सिंह - "क्या...क्या बोला तुमने?"
अजय - "सर...किलर पकड़ा गया मुंबई से, मेरी गट फीलिंग सही थी। केस का मुंबई कनेक्शन था और किलर भी यही से है ।"
सूर्य प्रताप सिंह - "कौन है वो...?"
आखिर कौन है वो किलर? क्या सच में वो पुलिस के हाथ लग गई थी या थी कोई नई चाल? क्या लेगी कहानी में नया मोड़?
जानने के लिए पढे कहानी का अगला भाग।
No reviews available for this chapter.