सूरज ने बहुत कोशिश की लेकिन उसे वहां कुछ नही मिलता क्योंकि अवि की काल तो सनाया ने पहले ही डिलीट कर दी थी। तभी युविका आ जाती है तो सूरज वापस उसका फोन वैसे ही रख देता है और चुपचाप बैठ जाता है। फिर काफी देर तक दोनो बात करते है। उसके बाद सूरज युविका को घर छोड़कर वापस अपने घर चला जाता है।
दूसरी तरफ सनाया कुछ टाइम बाद अवि को कॉल करती है।
अवि- "हैलो.."
सनाया- "हेलो मैं सनाया बोल रही हूं।"
अवि- "हां मैं पहचान गया। अब बताइये आप क्या बात करना चाहती थी।"
सनाया- "मुझे युविका के बारे में बात करनी थी।"
अवि- "युविका के बारे में मुझसे बात क्यों?"
सनाया- "हाँ क्योंकि मैं ये बात युविका से नही कर सकती अभी।"
अवि- "ऐसी कौन सी बात है जो युविका से नही कर सकती और मुझ अनजान से कर सकती है।"
सनाया- "आप मेरे लिये अनजान नही है क्योंकि डायरेक्टली न सही इंडिरेक्टिली मैं आपको बहुत अच्छे से जानती हूं।"
अवि- "और मेरे बारे में इतने अच्छे से आपको किसने बताया?"
सनाया- "आपकी बेस्ट फ्रेंड ने।"
अवि- "मेरी बेस्ट फ्रेंड..."
सनाया- "हाँ आपकी बेस्ट फ्रेंड युविका, उसने बर्थडे वाले दिन मुझे शाम को फोन किया था और फिर पूरे दिन की सारी कहानी बताई थी। वह आपकी बहुत तारीफ कर रही थी। कह रही थी पहले वह आपको खडूस समझती थी, लेकिन आप वैसे बिल्कुल भी नही हो।"
अवि- "अच्छा युविका ने ऐसा कहा और क्या क्या बताया आपको?"
सनाया- "और भी बहुत कुछ, लेकिन अभी जिस काम के लिए मैंने आपको फोन किया है पहले वह सुनिए क्योंकि मैं जानती हूं आपसे बेहतर ये काम कोई और नही कर सकता।"
अवि- "कौन सा काम?"
सनाया- "सूरज का राज.."
अवि- "सूरज का राज.... सूरज का क्या राज है ये आपको कैसे पता है?"
सनाया- "आप मेरी बात सुनिए। ये तो आप जानते ही है सूरज युविका का पास्ट है जो अब लौट आया है लेकिन मुझे उसका वापस आना कुछ सही नही लग रहा और फिर जिस तरह से आज वह युविका से बात कर रहा था मेरा शक और भी बढ़ गया है। उसके वापस आने का जरुर कोई बड़ा रीज़न है। युविका सूरज से बहुत प्यार करती है। वह उससे नाराज भले रह ले लेकिन जब तक उसकी असलियत सामने नही आएगी वह सूरज को कभी नही छोड़ सकती। मैंने देखा है उसे सूरज के लिए तड़पते हुए। मैं अपनी दोस्त को अब दोबारा तड़पता नही देख सकती। पहले मुझे भी सूरज अच्छा लगता था लेकिन अब मुझे सूरज बिल्कुल पसंद नही और मैं उसे हमेशा के लिए युविका की लाइफ से दूर करना चाहती हूं ताकि वह हमेशा खुश रहे।"
अवि- "तो इसमें मुझे क्या करना है?"
सनाया- "हमे पहले सूरज के वापस आने का सच जानना है और फिर उसकी असलियत युविका के सामने लानी है।
अवि- "हां वो सब तो ठीक है लेकिन ये होगा कैसे? मतलब मुझे तो कुछ भी नही पता सूरज के बारे में।"
सनाया- "उसकी फिक्र आप मत करो, मैं उसका पूरा बॉयोडाटा आपको मैसेज कर दूंगी और साथ मे पिक भी व्हाट्सअप पर भेज दूंगी। अब बस आपको उस पर नजर रखनी है या किसी से रखवानी है ये आपका काम है।"
अवि- "ठीक है मैं तैयार हूं लेकिन क्या आप मेरी एक बात का जवाब देंगी।"
सनाया- "हाँ पूछिये।"
अवि- "आपने मुझपर इतना भरोसा क्यों किया?"
सनाया- "क्योंकि मैं जानती हूं आप युविका को पसन्द करते है।"
अवि- "आप ..आप ये कैसे जानती है? युविका ने कुछ..."
सनाया- "नही युविका ने कुछ नही कहा लेकिन जिस तरह आप उसकी केअर करते है। वह मुझे बताती है सब, इस तरह तो कोई किसी की केअर तभी करता है जब सामने वाला उसके लिए खुद से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट हो और अगर आज आपकी कॉल न भी आती तो मैं युविका के फोन से आपका नंबर निकालकर कॉल जरूर करती लेकिन मुझे ये नही पता था कि उसने नंबर किस नाम से सेव कर रखा है। लेकिन कॉल करके आपने मेरी मुश्किल आसान कर दी।"
अवि- "लेकिन उसे तो लगता है मेरी कोई गर्लफ्रैंड है।"
सनाया- "हाँ ये भी पता है। पागल ने बताया। सच मे मेरी दोस्त इस मामले में बहुत भोली है। उसे कोई भी अपने प्यार में उल्लू बना सकता है। हर किसी की बात पर बहुत जल्दी भरोसा कर लेती है।"
अवि- "चलो वो तो उसे पता चल ही जायेगा आज नही की कल, की मेरी गर्लफ्रेंड है या नही लेकिन सच मे बहुत प्यारी है आपकी दोस्त।"
सनाया- "आप मुझसे एक प्रॉमिस करोगें।"
अवि- "हाँ बोलो।"
सनाया- "आप मेरी दोस्त की आंखों में कभी आंसू नही आने दोगे..."
अवि- "मैं प्रॉमिस करता हूँ मैं उसे कभी रोने नही दूंगा।"
सनाया- "ओके, एक बात और आप लोग प्लीज कॉलेज में सब युविका से वैसे ही बात करना जैसे पहले करते थे। क्योंकि मुझे मालूम है आने वाला वक्त उसके लिए फिर से बहुत मुश्किल होने वाला है।"
अवि- "ठीक है, मैं हमेशा उसके साथ खड़ा हूँ हर दुख तकलीफ में...।"
सनाया- "चलिए अब मैं फोन रखती हूं। अच्छा लगा आपसे बात करके।"
अवि- "मुझे भी"
सनाया- "बाय..." इसके बाद फोन कट गया। आज सनाया से बात करके पूरे एक महीने बाद अवि के चेहरे पर मुस्कान आयी थी। उसे अब यकीन हो गया था कि युविका सिर्फ उसकी है और उसे ही मिलेगी। अवि मुस्कुरा रहा था तभी अर्जुन ने उसको देखा तो उसके चेहरे पर भी स्माइल आ गयी क्योंकि कितने ही दिनों बाद उसने अपने भाई को इस तरह मुस्कुराते देखा था।
अर्जुन- "क्या बात है भाई? बड़ा चुपके चुपके मुस्करा रहा है।"
अवि- "बात ही कुछ ऐसी है।"
अर्जुन- "भाभी ने हाँ कर दी क्या?"
अवि- "की तो नही लेकिन बहुत जल्दी कर देगी।"
अर्जुन-"क्यों सूरज भाग गया क्या फिर से?"
अवि- "भागा नही है लेकिन अब युविका खुद ही भगा देगी।"
अर्जुन- "भाई पूरी बात बता न, क्यों गोल गोल घुमा रहा है" अवि ने उसे पूरी बात बताई जो सनाया ने बोला था।
ये सुनकर अर्जुन बोला- "ये तो बहुत अच्छी बात है। मतलब भाभी की बेस्ट फ्रेंड चाहती है कि तू ही उसका जीजा बने।"
अवि- "हां उसे भी पता है कि मैं युविका को पसन्द करता हूँ।"
अर्जुन- "भाई तब तो पक्का भाभी तुझे मिल जाएगी। क्योंकि किसी ने कहा है अगर लड़कीं को मनाना है तो पहले उसके बेस्टफ़्रेंड को मनाना होगा और यहां तो भाभी के सारे बेस्ट फ्रेंडस को तू पसन्द है।"
अवि- "हाँ भाई ये तो है। आज मैं बहुत खुश हूं चल पार्टी करते है। कल से उस सूरज पर नजर रखनी है।"
अर्जुन- "भाई तू उसकी चिंता न कर। उसका इंतजाम तो अब मैं कर दूंगा, तू बस फ़ोटो और एड्रेस दे देना।"
अवि- "हां पता है भाई है आखिर तू मेरा... वैसे बेटा आजकल तू भी मुझसे बहुत कुछ छुपाने लगा है?""
अर्जुन- "मैंने क्या किया भाई?"
अवि- "चल अब ज्यादा मत बन,सच सच बता तू अक्षरा को पसन्द करता है।"
अर्जुन- "नही तो भाई , ये किसने कहा तुझसे?"
अवि- "मुझे भी भगवान ने आंखे दी है, मुझे भी दिखता है सब।"
अर्जुन- "ऐसा कुछ नही है भाई।"
अवि- "ठीक है मत बता , मैं पता तो कर ही लूंगा।"
अर्जुन थोड़ा शरमाते हुए- "हाँ भाई अच्छी लगती है...."
अवि- "किसे बता रहा और क्यों?"
अर्जुन- "तुझे और किसे.."
अवि- "मुझे नही जानना अब, मुझे तो पहले से ही पता है। वह क्या है अर्जुन बाबू हम भी अपनी युविका की तरह उड़ती चिड़िया के पर गिन लेते है।"
अर्जुन- "तुम्हारी युविका?"
अवि- "हाँ वो तो मेरी ही है।"
अर्जुन- "कब से?"
अवि- "भाई तभी से जबसे मुझे उससे प्यार हुआ और वैसे तू कब बोलेगा अक्षरा को?"
अर्जुन-"अभी नही भाई, पहले उसे मुझे जानने दो।"
अवि-"हाँ लेकिन जल्दी ही बोल देना, कहीं मेरी तरह तुम्हारा भी हाल न हो।"
अर्जुन- "ऐसा कुछ नही होगा..."
अवि- "क्यों?"
अर्जुन- "क्योंकि उसका कोई पास्ट नही है।"
अवि- "तुझे कैसे पता?"
अर्जुन- "उसने बताया..." अवि-"पूछा था तूने"
अर्जुन- "नही खुद से बताया। मैने तो बस यही बोला था कि अगर वह युविका की जगह होती तो क्या करती?"
अवि- "मतलब कुछ तो चल रहा है उसके दिल मे भी।"
अर्जुन- "हो सकता है। मैं स्योर नही हूँ।"
अवि- "चल इसी खुशी में पार्टी करते है।"
इसके बाद वरुण के साथ तीनो बैराज घूमने गए और वहां पर खूब मस्ती की। आज कितने ही दिनों बाद अवि के चेहरे पर मुस्कान आयी थी।
अगला दिन सबके लिए बहुत भारी गुजरने वाला था। फ्रेंडशिप डे तो दोस्तों का दिन होता है और यहां तो सब कुछ बिखर सा गया था। फिर भी अक्षरा ने सबको कॉल करके मिलने को कहा, सारे दोस्त मान गए।
शायद ये एक मौका भी था अपने रूठे दोस्तों को मनाने के लिए, लेकिन दूसरी तरफ सूरज ने भी सोच लिया था कि वह युविका को उसके दोस्तों से नही मिलने देगा।
अगले दिन सब रेव मोती मे शाम चार बजे मिलने वाले थे, अक्षरा और सिद्धार्थ टाइम से आ गये , दूसरी तरफ अवि भी किसी तरह मनाकर अर्जुन को ले आया। अर्जुन जाने क्यों आजकल सबसे दूर रहने लगा था, कोई भी नही जानता था कि वह ऐसा क्यों कर रहा था? अवि भी नही समझ पा रहा था कि वजह अक्षरा थी या कुछ और खैर अवि के कहने पर वह आ तो गया था, क्योंकि वह कभी अवि की बात नही काटता था। दूसरी तरफ समीरा भी अपने दोस्तों के साथ उसी मॉल में आई थी। रोशनी भी प्रताप के साथ आ गयी थी। हाँ वह गुस्सा जरूर थी लेकिन उसकी नाराजगी युविका से थी, बाकी सबसे उसको कोई प्रॉब्लम नही थी। पाँच बज गए थे लेकिन युविका अभी तक नही आई।
काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी जब वह नही आई तो सबने मिलकर एक दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड बांधे और अपनी दोस्ती को कभी न तोड़ने का वादा किया।
आज सब युविका को बहुत मिस कर रहे थे। अभी तक तो सब कुछ नार्मल था हां सबके चेहरे की वो मुस्कुराहट गायब थी, जो हमेशा रहती थी। दूसरी तरफ सूरज को ये तो पता था कि युविका को अपने दोस्तों से मिलने जाना है लेकिन कहाँ ये युविका ने सूरज को नही बताया था? क्योंकि उसको अक्षरा ने सूरज को कुछ भी बताने से मना किया था। युविका अपने दोस्तों को आज बहुत मिस कर रही थी। थोड़ी देर बाद युविका सूरज के साथ उसी मॉल में पहुंच गई। अक्षरा ने उसको देख लिया तो सबको लेकर उसके पास गई। अपने सारे दोस्तों को देखकर युविका बहुत खुश हुई। उसने एक एक करके सबको अक्षरा, अर्जुन और सिद्धार्थ के फ्रेंडशिप बैंड बांधा। युविका ने रोशनी को जानबूझकर इग्नोर किया। उसने अवि से भी बात नही की, अवि बस चुपचाप बदली हुई युविका को देख रहा था।
अक्षरा- "युविका पुरानी बातें भूल कर अपनी दोस्ती को नए सिरे से शुरू करो। यहां सब तुम्हारे दोस्त ही है।"
युविका-"सब नही सिर्फ तुम तीनो , बाकी किसी से मुझे कोई मतलब नही है।"
रोशनी-"तुम्हारी प्रॉब्लम मुझसे है न , तुमने अवि सर से दोस्ती क्यों तोड़ दी?"
युविका-"क्योंकि मुझे धोखेबाज लोगों की जरूरत नही है।"
ये सुनकर अवि की आंखों में आंसू आ गए, वो अपने आंसू छुपाने की कोशिश कर रहा था।
रोशनी-" उन्होंने तुम्हे क्या धोखा दिया?"
युविका-"सबने मुझे धोखा ही दिया है, तुमने जो कुछ भी मेरे बारे में बोला, मुझे तुममें से किसी ने नही बताया। वह तो अगर मुझे कोई न बताता तो कभी पता ही नही चलता तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो।"
रोशनी-"मैं तुम्हारे बारे में कुछ नही सोचती, मैंने उस दिन जो कुछ भी बोला गुस्से में बोला था।"
युविका-"गुस्से में इंसान सच ही बोलता है।"
रोशनी-"चलो माना सच बोला मैंने लेकिन गलत क्या बोला? यही तो बोला था न कि जो इंसान तुम्हे छोड़कर चला गया था,उस पर भरोसा है और जो साथ है उनका प्यार नही दिखता। तुम जिस सूरज पर इतना भरोसा करती हो न देख लेना एक बार फिर धोखा देगा और उसके बाद हमारे पास लौट कर मत आना।"
युविका ने गुस्से में रोशनी पर हाथ उठाया, उसके हाथ को अक्षरा ने बीच मे ही पकड़ लिया।
अक्षरा-"बस युविका, बहुत देर सुन लिया। तुम हमारी दोस्त हो इसका मतलब ये नही है कि जब मर्जी जिसपर भी हाथ उठा दो। तुम्हें शायद हमारी दोस्ती की जरूरत नही है तो ठीक है तुम खुश रहो अपने सूरज के साथ, हम सब दोस्त गलत लगते है न तुम्हे, देख लेना एक दिन यही दोस्त काम आएंगे। आज से हम कभी तुम्हारे रास्ते मे नही आएंगे।"
युविका- "मुझे भी नही मतलब है तुम लोगों से , हमारे रास्ते अलग ही समझो।"
युविका सूरज से- "चलो सूरज यहां नही रहना इन मतलबियों के साथ।"
क्या होगा इनके गुस्से का अंजाम? क्या लेने वाली है कहानी में अजीब मोड़? क्या सूरज वाकई में अच्छा लड़का नहीं है युविका के लिए? जानने के लिए बनरे रहिए हमारे साथ और पढिए अपनी इस मान पसंदीदा कहानी को।
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