अर्जुन हंसते हुए- "लो शैतान का नाम लिया और शैतान हाजिर।"

सारे लड़को को उसकी तरफ देखते पाकर लड़कियां भी उसे देखने लगी। थोड़ी देर बाद माइक से अनाउंसमेंट हुआ कि कार्यक्रम शुरू कराया जाए। सारे बच्चे आ चुके है।तब सबका ध्यान युविका से हटकर स्टेज की तरफ गया। अवि अभी भी उसे ध्यान से देख रहा था। युविका आकर रोशनी,अक्षरा और सिद्धार्थ के पास खड़ी हो गयी अर्जुन ने जब अवि के सामने चुटकी बजायी तब अवि का ध्यान युविका से हटा और वह अर्जुन के साथ स्टेज पर चला गया।

एक एक करके सारे जूनियर्स ने अपनी अपनी परफॉर्मेंस दी,जिन्हें डांस करना था उन्होंने डांस भी किया युविका को सब आता था लेकिन उसने अपने टैलेंट को छुपाना ही मुनासिब समझा वरना सब उसे और परेशान करते। अक्षरा भी बहुत अच्छा गाना गाती थी। इसलिए उसने भी गाना गाया।अवि चुप चाप खड़ा युविका को देख रहा था। अब सबकी इंट्रो देने की बारी आई। सबको अपना इंट्रो इंग्लिश में देना था। एक एक करके सब इंट्रो देकर चले गए। सबसे लास्ट में युविका का नम्बर आया। उसने सबसे पहले अपना इंट्रो शुद्ध हिंदी में देना शुरू की-

"मेरा नाम युविका मिश्रा, पापा का नाम श्री सुनील मिश्रा। मैं प्रतापपुर से हूँ। प्रतापपुर कानपुर से चालीस किलोमीटर दूर है। मेरा सपना बहुत बड़ा है इतना कि अभी आप लोगों को बता नही सकती। मुझे खाना और सोना पसन्द है बस।"

तभी दूर से किसी लड़के ने कमेंट किया- "नकल करके इंजीनियरिंग का एग्जाम पास किया था क्या? इंग्लिश नही आती।"

युविका थोड़ा चिल्लाकर- "अबे ओ चूहे,चुप कर ज्यादा न बोल। हिंदी हमारी मातृभाषा है। मैं हिंदी में ही बात करना पसंद करती हूं और रही बात इंग्लिश की तो वो मैं तुझे भी पढ़ा दूँ।"

तभी किसी ने भोजपूरी में कमेंट किया...युविका उसकी बात सुनकर- "का हो, का बोलत हो। जरा खुले के बोला न, हमहुँ तो सुने का जुबान चलत है तुम्हरी।" 

युविका की ऐसा भाषा सुनकर सब सकते में थे। अवि तो मन ही मन यही सोच रहा कि क्या चीज़ है ये लड़की भी और न जाने कितने रंग दिखाएगी।

दूसरी तरफ अर्जुन सोच रहा था ये लड़की होशियार बहुत है। उसने युविका को फंसाने के लिए पूरा प्लान बनाया हुआ था। 

अर्जुन- "अर्जुन-" तोमिस युविका , आपको खाना बहुत पसंद हैतो खाने का इंतजाम आपका कल किया जाएगा। तब तकआप हमे एक गाना सुनाइये वो भीलता जी का, गाना गाना तो आता ही होगा आपको।" अर्जुन कीबात सुनकर युविका नेपहले बुरा से मुँह बनाया। सबको यही लग रहा थाये लड़ने झगड़ने वाली लड़की इसको गाना कहाँ से आता होगा। अर्जुन मनही मन सोच रहा था अब आएगा मजा। बहुत होशियार समझती है खुद को..

युविका डरते डरते साड़ी सम्भालते हुए स्टेज पर पहुँची और उसने जैसे ही माइक लेकर गाना शुरू किया―

"एकप्यार का नगमा है,मौजों की रवानी है..

ज़िंदगी और कुछ भी नहीं,तेरी मेरी कहानी है।"

उसकी आवाज सुनकर ऐसा लग रहा था कि सबकिसी और ही दुनिया मे खो गएहो। आवाज इतनी सुरीली थी कि कोई सोच नही पारहा था कि येगाना युविका गा रही है।गाना खत्म होने के पाँच मिनट बाद तकसब उसके लिए तालियां बजाते रहे। अवि को विश्वास नही हो रहा थाकि ये शांत कोमल आवाज इसी लड़ने झगड़ने वाली युविका की है। अर्जुन भी अब हार गया था।युविका ने एक भीमौका नही दिया था। इससे पहले वोकुछ बोलता, युविका बोल पड़ी-"हम जूनियर्स का टैलेंट तोसबने देख लिया अबआप लोग भी तोकोई टैलेंट दिखाओ।ताकि जूनियर्स को भीतो पता चले किउनके सीनियर कितने टैलेंटेड है। अर्जुन सरअब आप कोई गाना सुना दीजिये।"

युविका की बात सुनकर अर्जुन काकाटो तो खून नही वाला हाल था। उसका तो गाने से दूर दूर तक कोई सरोकार नही था। युविका ने माइक लेकर अनाउंसमेंट कर दी-" डिअर फ्रेंड्स,तैयार हो जाइए अब आप सबके प्यारे अर्जुन सरएक गाना गाएंगे।" फिर अर्जुन की तरफ देखकर-"अर्जुन सर जल्दी कीजिये उसके बाद एक दोसीनियर्स का और नंबर लगने वाला है।" उसका इशारा अवि की तरफ था। युविका कीइस हरकत पर अवि मुस्कुरा दिया। अब युविका को देखकर ऐसा लग ही नही रहा था किवो फर्स्ट ईयर स्टूडेंट थी। उसे देखकर लगता था जैसे लास्ट ईयर स्टूडेंट हो। अर्जुन नेकाँपते हाथों से माइक लेकर गाना शुरू किया―

"यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी, प्यार हो बन्दों से ये सबसे बड़ी बन्दगी है।"

उसने बस इतना ही गाया कीयुविका को लगा ज्यादा परेशान करना ठीक नही इसलिए उसने माइक वापस लेलिया और बोली-" बहुत अच्छा गाया सरआपने। अब अवि सरकी बारी है।तोसर बताइये आपके पास कौन सा टैलेंट है?"

अर्जुन मुस्कुराते हुए-"अरे तुम्हारे अवि सर मल्टी टैलेंटेड हैं।"अर्जुन भी अवि कीमौज लेने के मूड में था। 

युविका-"तो ठीक है।अवि सर आप कोई शायरी ही सुना दीजिये।" 

अवि-"(मन मेसोचते हुए-आज तोवैसे भी इसे देखकर न जाने कितनी शायरी याद आ गईं है।) हम सुना देंगे। लेकिन अभी नही, अभी टाइम बहुत हो गया है आप लोगों को घर भीजाना है।"

युविका ने एकनजर घड़ी पर डाली जो रात केनौ बजा रही थी। फिर बोली-"हाँ सर कह तोआप सही रहे है। हम शायरी आपसे कल सुनेंगे। अबबस जल्दी कार्यक्रम खत्म कराइये।" 

टाइम ज्यादा होता देख सारा कार्यक्रम जल्दी जल्दी कराया गया । सिद्धार्थ को मिस्टर फ्रेशर और रोशनी कोमिस फ्रेशर का अवार्ड मिला। फंक्शन खत्म होने के बाद सब अपने अपने घरों के लिए निकल गए। युविका के पास मासी का फोन भीबार बार आ रहा था और वहगुस्सा कर रहीं थी। युविका परेशान होउठी थी। सारे बच्चे किसी न किसी के साथ अपने घर के लिए निकल गए थे। लेकिन युविका औरअक्षरा का घर दूर था और उसतरफ से सिर्फ वही दोनो आते थे। तभी युविका कोपरेशान देखकर अवि उसके पास आया औरउससे उसका एड्रेस पूछा। फिर उसने उसी अड्रेस पर फोर सीटर कैब बुक की। उसके बाद युविका के पास आया और उसने पहली बार युविका से बात की-" मैंने कैब बुक कर दीहै। मैं और अर्जुन भी तुम्हारे साथ चल रहे है। हम तुम्हे घरतक छोड़ कर वापस आ जाएंगे।" 

युविका उसकी बात सुनकर बोली- "सर आप परेशान मत होइए हम लोग चले जायेंगे।" 

अवि थोड़ा गुस्से से-"चुप रहो तुम। टाइम देख रही हो दसबज चुके है। एकघण्टे तो वहां तकपहुँचते पहुँचते लग जाएंगे। हम जितना कहरहे है उतना सुनो।" 

अक्षरा अवि की बात सुनकर बोली-" ठीक कह रहे है सरयुविका। टाइम बहुत होगया है और रास्ता भी लंबा है। दो  की जगह चार लोग रहेंगे तो अच्छा रहेगा।" 

युविका को भी ये बात सही लगी। वह भी मान गई। अवि -"तुम लोग यही रुको। कैब आती होगी मैं अर्जुन को लेकर आता हूँ।" 

अक्षरा-"ओके सर।"

अवि अर्जुन केपास गया और उसे सारी बात समझाई। अर्जुन थोड़ा मजाकिया था लेकिन दिल का बुरा नही था। उसे भीयही सही लगा औरवह साथ चलने केलिए तैयार हो गया। वह वैसे भीअवि की किसी बात को मना नही करता था। थोड़ी देर बाद अवि अर्जुन के साथ उन दोनों केपास आ गया औरकैब भी आ गयी। अर्जुन,अक्षरा और युविका पीछे बैठे वहीं अवि आगे बैठ गया। कैब ड्राइवर गाड़ी चलाने लगा। गाड़ी में पूरी तरह शांति थी। फिर युविका कुछ सोचकर अर्जुन से बोली-"वैसे अर्जुन सर आपएक भी मौका नही छोड़ते मुझसे लड़ने का।" 

अर्जुन उसकी बात सुनकर हंसते हुए- "हाँ तो तुम भी कहाँ कभी अपनी गलती मानती हो।" 

युविका-"अब मैंने क्या किया?"

अर्जुन- "हाँ तुम कहाँ कुछ करती हो?" ऐसे ही लड़ते झगड़ते वहलगभग पहुँच गये। थोड़ी देर के बाद अवि बोला-" चुप करो तुम दोनों फिर शुरू हो गए।" 

अक्षरा- "पता नही भगवान इसलड़की का क्या होगा? जिससे नही उससे झगड़ती रहती है। भगवान जाने उसइंसान का क्या होगा जिससे इसकी शादी होगी?" युविका अवि की तरफ देखकर-"कुछ नही होगा वह झगड़ा करने के नएनए तरीके सीख जाएगा। फिर हम दोनों खूब झगड़ा किया करेंगे।" अवि मन ही मनमुस्कुरा रहा था। 

अक्षरा- "हे भगवान कुछ नही होसकता इस लड़की का। चलो मैं तोचली, मेरा घर आ गया।"

"ठीक है बाय और सर आप दोनों बचकर जाना इसके साथ।" इतना बोलकर अक्षरा चली गयी। 

"तुम्हारा घर कहाँ है?"- अर्जुन ने पूछा। 

युविका-" बस थोड़ी दूर और।"

गाड़ी में अब फिर से शान्ति थी। अवि आगे लगे शीशे से बड़े ध्यान से युविका को देख रहा था। तभी युविका की नजर उसपर पड़ी और उसने नजरें नीची करलीं। गाड़ी में गाना बज रहा था―

" दो दिल मिल रहे हैमगर चुपके चुपके,सबको हो रही हैखबर चुपके चुपके।"

थोड़ी देर बाद युविका का भीघर आ गया। वह उन दोनों को थैंक यू और बाय बोलकर घर कीतरफ चली गई अवि तब तक उसे देखता रहा जबतक वह घर केअंदर नही पहुँची, उसके बाद दोनों उसी कैब से वापस होस्टल के लिए निकल गए।

दिन युविका कॉलेज नही आयी। अवि की नजरें बसचारो तरफ युविका को ढूंढ रही थी। अक्षरा, रोशनी और सिद्धार्थ भी आपस मे युविका के बारे में बात कर रहे थे।

सिद्धार्थ बोला- "ये युविका बोलती जरूर ज्यादा है लेकिन दिल की बुरी नही है। वैसे ये सीनियर्स का क्या पंगा है?  कल वोतुम लोगों को छोड़ने क्यों गए थे?" 

अक्षरा जवाब देती है- "अरे कुछ नही कलबहुत देर हो गयी थी और तुम्हें तो पता हीहै हमारा घर बहुत दूर है इसलिए सर को हमारा अकेले जाना सही नही लगा। वोहमे छोड़ने गए थे।"

रोशनी - "वैसे मुझे क्या लगता है ये अवि सर युविका को पसन्द करते है। तभी उसके सामने उनकी आवाज नही निकलती।"

सिद्धार्थ- "और युविका उसका क्या? मुझे तो नही लगता उसके टाइप काकोई लड़का भी बना है इस दुनिया मे, जिसे वोपसन्द करे।" 

अक्षरा- "अब ऐसा जरूरी तोनही कि जो जैसा है उसे उसी के टाइप काइंसान पसन्द आये। प्यार तो हमेशा अपने से अपोजिट टाइप के इंसान से होता है।"

 सिद्धार्थ- "हाँ तुम्हे बड़ा पता है कहीं तुम्हे तो नही हो गया किसी से?" 

अक्षरा- "मुझे न करना ये प्यार व्यार। तुम लोग किस लिए हो। मुझे तो बस अपने दोस्तों से ही प्यार है।" 

रोशनी- "और मुझे भी।"  

सिद्धार्थ-"अरे तुम तो रहने ही दो। तुम्हारा तो हर दूसरे लड़के पर दिल आ जाता है।" 

रोशनी-"बहुत मारूंगी तुमको।"

अक्षरा- "सही तो कह रहा सिद्धार्थ, रोशनी प्यार ही करना है तो किसी एक सेकरो जिसके साथ जिंदगी भर रह सको।"

रोशनी- "यार ऐसा कोई मिलता ही नही है। वैसे ये बताओ आज युविका क्यों नही आई? बात हुई क्या तुम लोगों की उससे?"

अक्षरा- "नही यार हमारी बात तो नही हुई। उसका फोन भी बंद आ रहा।" 

सिद्धार्थ- "तबियत तो खराब नही हो गयी।"

अक्षरा- "पता नही यार आज उसके बिना सब सूना सूना लग रहा है। बहुत याद आ रही उसकी यार।"

तभी दूसरी तरफ से अर्जुन औरअवि उनके पास आये।

अर्जुन- "हाय गाइस, क्या कर रहे हो?" 

अक्षरा- "कुछ नही सर बस क्लास का वेट कर रहे है।" 

अर्जुन- "आज कॉलेज में बहुत शान्ति है। तूफान एक्सप्रेस नही आई क्या?" 

अक्षरा- "हाँ सर आज तूफान एक्सप्रेस आई मीन युविका नही आई।" 

अर्जुन- "क्यों भाई क्या हुआ?" 

अक्षरा- "हो सकता है कोई प्रॉब्लम हो गयी हो।"

अर्जुन- "नंबर तो होगा न तुम लोगों के पास, बात करके पूछ लो।" 

अक्षरा- "हमने कॉल किया थासर लेकिन उसका फोन बंद आ रहा।" 

अर्जुन- "ओके कोई नही होसकता है कल आ जाए। ओके बाय हम चलते है हमारी भी क्लास है।"

अर्जुन और अवि क्लास के लिए आगे बढ़ गए। अवि आज बिल्कुल शांत था। उसे भी अब युविका को बिना देखे चैन नही पड़ता था स्पेशली कलके बाद से।

अर्जुन अवि से -"क्या हुआ भाई? तुम आजइतने परेशान कहे हो।" 

अवि- "कुछ नही यार।" 

अर्जुन- "भाई तूमुझे दोस्त मानता हैन तो बता बात क्या है? मैं कुछ दिनों सेदेख रहा हूँ तूकुछ ज्यादा ही खोया खोया सा रहने लगा है।"

अवि- "कुछ नही यार बस युविका के बारे में सोच रहा था। कहीं कल कोई बात तो नही हो गईं। वैसे भी वो अपनी मासी के यहां रहती है।"

अर्जुन- "भाई एक बात पुछु तुझसे तू सच सचबताएगा। कहीं तू युविका को पसन्द तोनही करने लगा।"

अवि- "पता नही यार लेकिन न जाने क्यों उसे देखकर एक अजीब सा सुकून मिलता है। उसकी बातें मुझे एकअलग ही दुनिया मेले जाती हैं।" 

अर्जुन- "भाई मुझे तो लगता हैतुझे उससे प्यार होगया है। वैसे कलउसके साथ बात करके मुझे पता चला कि वह इतनी भी बुरी नही है जितना हम सोचते है।"

अवि- "तू सोचता है मैं नही।" 

अर्जुन- "हाँ तू क्यों सोचेगा? तेरे लिए तोवो अच्छी ही रहेगी हमेशा। तेरे लिए तो मैं बुरा हूँ न।" 

अवि- "अरे तूतो मेरा भाई है।" 

अर्जुन थोड़ा मुँह बनाकर- "हाँ हाँ पता है।"

 

फिर दोनों दोस्त हंसते मुस्कुराते क्लास की तरफ चले गए। अगले चार दिनों तक युविका कॉलेज नही आई। सब उसका फोन लगा रहे थे लेकिन चार दिनों सेउसका फोन बंद आ रहा था। सब परेशान थे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि युविका बिना बताए चार दिनों से गायब है। अवि भी परेशान था। उसे भी समझ नही आ रहा था और वहतो किसी से उसके बारे में पूछ भी नही सकता था वरना सब उसके बारे में क्या सोचेंगे। ऐसे हीसंडे आ गया। संडे को कॉलेज ऑफ था। अर्जुन और उसके दोस्तों ने घूमने का प्लान बनाया। सारे दोस्त गंगा बैराज घूमने गए। गंगा बैराज दोस्तों के साथ घूमने के लिए सबसे बेहतर जगह थी। गंगा किनारे बैठकर लहरों को देखना बहुत सुकून भरा लगता है। युविका भी अक्सर अपने दोस्तों के साथ यही आती थी। वहां पहुँच कर सब नीचे रेत में उतर कर खेलने लगे।

 अवि भी वही बैठ कर उन लहरों को देख रहा था। गंगा बैराज कपल के घूमने की बहुत अच्छी जगह है। इसलिए उसे चारो तरफ कपल कपल ही दिखाई दे रहे थे। उसे युविका की बहुत याद आ रही थी। पांच दिनों से युविका का पता नही था। तभी अर्जुन के दोस्तो में एक लड़का विक्रम बोला-"यार इस बार कीअपनी जूनियर कितनी मस्त आयी है।" 

तभी दूसरा लड़का राहुल- "हाँ यार और वह लड़की कितनी मस्त लगती है क्या नाम है उसका―युविका। युविका का नाम सुनकर अर्जुन औरअवि दोनो ने हीउनकी तरफ देखा।

विक्रम- "हाँ यार उसकी तो बात ही अलग है। वह कितनी हॉट एंड सेक्सी है।"

विक्रम कीऐसी बातें सुनकर अवि को गुस्सा आ रहा था। उसने गुस्से से अर्जुन कीतरफ देखा। अर्जुन उसकी फीलिंग्स समझ रहा था। इसलिए उसने बात बदलना जरूरी समझा। उसने अवि से शांत रहने का इशारा किया और बोला- "यार तुम लोग भी क्या सोचते हो? वहहमारी बहन जैसी हैऔर तुम अपनी बहन के बारे में ऐसी बात करते हो।" 

विक्रम- "नही यार हम तो बस बोल रहे थे।" 

राहुल- "वैसे मैं तो उसे प्रोपोज़ करने वाला हूँ। फिर उसके साथ ऐश करूँगा। तू अपनी बहन बना ले फिर मैं तेरा जीजा बनूँगा।"

अवि बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से को कंट्रोल कररहा था। उसने अपना हाथ वही जमीन में पटका और फिर गुस्से से राहुल का कॉलर पकड़ लिया और बोला-"पहले लड़की की इज्जत करना सीख ले फिर उन्हें गर्ल फ्रेंड बनाने के बारे में सोचना।"

राहुल- "तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा कॉलर पकड़ने की। वह भी उसलड़की के लिए। अब तो मैं उसके साथ ऐश जरूर करूँगा।" 

अवि गुस्से से- "दूर रहना उससे वरना..."

 

क्या होगा अब राहुल और विक्रम के बीच? क्या दोनों एक लड़की के चक्कर में करने वाले थे हाथापाई? अगर हाँ तो क्या होगा उसका अंजाम? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ और बने रहिए हमारे साथ। 

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