राहुल - "वरना क्या करोगे तुम। कौन लगती है वो तुम्हारी जिसके लिए तुम मुझसे झगड़ा कर रहे हो अपने दोस्त से।"
अवि- "मैं इतनी घटिया सोच वाले को अपना दोस्त नही मानता औररही बात उसकी तोफिर कह रहा हूँ दूर रहना उससे। प्यार करता हूँ उससे। अभी तुमने सिर्फ मेरी दोस्ती देखी है। मेरा गुस्सा नही।"
राहुल और विक्रम गुस्से में वहां से चले गए। दूसरी तरफ अर्जुन और वरुण, अवि को शांत कराने में लगे थे।
अर्जुन खुश थाकि अवि ने अपने दिल की बात कुबूल कर लीथी। अब बस युविका के दिल कीबात पता करनी थी। अवि वैसे तो बहुत शांत रहता लेकिन उसे जब गुस्सा आता था तोअच्छे अच्छों की हालत खराब हो जाती। एक अर्जुन हीथा जो उसे सम्भाल सकता था। वहां से वह दोनों किसी तरीके सेअवि को हॉस्टल लेकर आये। उसे बड़ी मुश्किल से शांत कराया थोड़ी देर बाद वह सो गया।
अगले दिन मंडे था। सब कॉलेज आ गए। युविका अभी भी कॉलेज नही आई थी। सिद्धार्थ, रोशनी और अक्षरा क्लास केलिए खड़े थे। अवि उनसे युविका के बारे में पूछने हीवाला था कि उसे मेन गेट सेयुविका आती दिखाई दी। पांच दिनों बाद युविका को देखकर अवि के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। लेकिन युविका के चेहरे की मुस्कान आज कहीं गायब थी। युविका चुपचाप अपने दोस्तों के पास आकर खड़ी हो गयी। सबने उसे हाय बोला तो उसने बस एक नार्मल सा हेलो किया और फिर क्लास की तरफ चली गयी। उसने उनकी किसी बात का कोई जवाब नही दिया। बाकी सब युविका के इस बेहवीयर से हैरान थे। सब सोच रहे थे कि ऐसा क्या हो गया जो वह इस तरह बिहेव कर रही है। क्लास खत्म होने के बाद सबने उससे बात करने की कोशिश की लेकिन वहचुपचाप जाकर कैंटीन में बैठ गयी। थोड़ी देर बाद सब उसके बगल में आकर बैठ गए। अवि भी अर्जुन के साथ युविका की पीछे वाली सीट परबैठ गया जिससे वहउसे सुन सके और उसकी प्रॉब्लम जान सके।
सिद्धार्थ- "क्या हुआ युविका? तुम हम लोगों से बात क्यों नही कररही हो और तुम इतनी परेशान क्यों हो?"
युविका- "कुछ नही यार, तुम लोग प्लीज् मुझे अकेला छोड़ दो।"
अक्षरा-"युविका हम तेरे दोस्त है बता न बात क्या है? शायद हम तेरी कुछ मदद कर सके। तेरा फोन क्यों बन्द था इतने दिनों से औरतू थी कहाँ?"
युविका- "कुछ नही यार उसदिन यहां से घरपहुँचते पहुँचते ग्यारह बजगए थे। मासी गेट पर ही खड़ी थी। मैं गाड़ी से उतरी तो उन्होंने सर लोंगों सेबात करते देख लिया और मुझे खूब सुनाया की मैं यही सब करने कॉलेज जाती हूँ। उन्होने उसी टाइम पापा को फोन करके न जाने कितना कुछ गलत बोला कि मैं दिन भर फोन पर लगी रहती हूँ। लड़को के साथ घूमती रहती हूँ और न जाने क्या क्या? पापा ने मुझे फोन पर कुछ नही कहा बस घर आने के लिए बोल दिया। उस रात मैं रोते रोते सो गई। अगले दिन सुबह उठकर मैं सीधे घरके लिए निकल गयी और घर जाकर पापा को पूरी बात समझाई। इसी बीच मेरा फोन भी पानी में गिरकर खराब हो गया। पापा ने पूरी बात सुनकर बस इतना ही कहा, तुमने जो किया सही किया लेकिन कोई मेरी बेटी केलिए गलत बोले ये मुझे बिल्कुल बर्दास्त नही है। इसलिए अबसे तुम वहां नही रहोगी। उन्होंने मुझसे बोला कि मैं यही पास में ही अपने लिए कोई रूम देख लूं। मैं कल तक घर मे थी। कल ही मासी के यहां आयी हूँ अब मुझे वहां रहना बिल्कुल अच्छा नही लगता। बस जल्दी से जल्दी कोई रूम ढूंढना चाहती हूँ लेकिन मुझे यहां केबारे में कुछ पता नही है।"
पूरी बात सुनने के बाद अर्जुन उठकर उसके सामने आ गया और बोला-" बस इतनी सी बात, तुम आज क्लास केबाद हमारे साथ चलना, हम तुम्हे रूम दिला देंगे। जगह भी अच्छी है और वही हमारे क्लास की एक लड़की रहती है।"
युविका- "ठीक है सर।"
अर्जुन- "युविका एकबात बोलूँ।"
युविका- "जी सर बोलिये।"
अर्जुन- "तुम उदास बिल्कुल अच्छी नही लगती। हंसती मुस्कुराती ही अच्छी लगती हो। इसलिए हंसते रहा करो।"
युविका-"जी सर।"
अर्जुन और अवि इसके बाद चले गए। अवि नेयुविका की मदद करने के लिए अर्जुन को थैंक्स कहा तो अर्जुन बोला -"वह उसकी भी तो कुछ लगती है।"
और दोनों मुस्कुरा दिए। क्लास के बाद अर्जुन और अवि केसाथ युविका रूम देख आयी, उसे रूम बहुत अच्छा लगा। अगले दिन उसने अपना सामान ट्रान्सफर कर लिया और मासी का घर छोड़ दिया।"
युविका ने जैसे ही रूम खोला। चारो तरफ कानजारा देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गयी। पूरा रूम कलर्ड बैलून और गुलाबों से सजा हुआ था। रूम की लाइट ऑफ थी और चारो तरफ कैंडिल्स जल रही थी। वहीं टेबल पर केक सजा था वो भीउसका फ़ेवरेट चॉकलेट फ्लेवर। वह हैरानी सेचारो तरफ देख रही थी और सोच रही थी किये दोनों तो मेरे साथ थी फिर ये सब किसने किया। अर्जुन, अवि और सिद्धार्थ छुपे हुए थे। उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गयी,उसे समझ आ गया था कि ये सब किसने किया होगा।
उसने अक्षरा से बात करते हुए कहा- "चलो यार केक काटते है। किसी को छुपना है तो छुपा रह सकता है। वैसे मुझे पता चल गया हैये सब किसने किया है?"
युविका की बात सुनकर सब बाहर आ गए और उसे बर्थडे विश करने लगे।
सिद्धार्थ- "हैप्पी बर्थडे बन्दरिया। तूजल्दी से बुढ्ढी होजाये।"
युविका- "थैंक यू कार्टून वैसे मैं गुस्सा हूँ सबसे।"
अर्जुन आगे आकर-"अरे गुस्सा क्यों? कम से कम आज तो माफ कर दो बच्चों को। इतनी मेहनत से तुम्हारा बर्थडे प्लान किया है। वैसे हैप्पी बर्थडे युविका जल्दी से केक काटो भूख लगी है बहुत जोर की।
"युविका- "थैंक यू सर। मैं इसलिए गुस्सा हूं कि किसी नेमुझे सुबह से विश नही किया औरपहले मेरा गिफ्ट तो दो तभी केक खाने को मिलेगा।"
अर्जुन- "अरे गिफ्ट तो मैं भूल गया। चलो तुम्हारा गिफ्ट उधार रहा।"
युविका- "ठीक है सर फिर आपका केक भीउधार रहा।"
अर्जुन- "ऐसा थोड़ी न होता है। "
युविका हँसते हुए- "वैसा भीनही होता सर । किसी के बर्थडे परबिना गिफ्ट नही जाते। अगली बार याद रखियेगा।"
अर्जुन- "ठीक हैबाबा याद रखूंगा।"
युविका अब अवि की तरफ़ देखने लगी जो बहुत देर से खुद की बारी आने का इंतजार कररहा था।
वह चॉकलेट युविका को देते हुए बोला- "हैप्पी बर्थडे युविका, मेनी मेनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ द डे.."
युविका मुस्कुराते हुए- "थैंक यू सर। आपको कैसे पता चला किआज मेरा बर्थडे है?"
अवि-"बस चल गया।"
युविका, सिद्धार्थ और अक्षरा की तरफ देखने लगी। उसको देखते पाकर उन्होंने सर झुका लिया तब अवि बोला-"इसमें उनकी कोई गलती नही है। ये लोग तुम्हारा बर्थडे का सरप्राइज प्लान कर रहे थे। हमने सुना तो हम भी इस प्लान में शामिल हो गए औरहमने ही इन्हें तुम्हे बर्थड़े विश करने से मना किया था। उसमें इनलोगों की कोई गलती नही है। इसलिए तुम इन पर गुस्सा मत होना।"
युविका- "अरे सर किसने कहा किमैं इन लोगों से गुस्सा हूँ? मैं तो बहुत खुश हूं। मेरे दोस्तों ने मेरा ये बर्थडे बहुत स्पेशल बना दिया।"
अक्षरा और रोशनी ने उसे बर्थडे विश किया। वह एक एक करके अपने तीनो दोस्तों केगले लग गयी। फिर अर्जुन बोला- "चलो अब केक काटो। बहुत भूख लगी है।
“युविका- ”केक तो कटेगा हीलेकिन मिलेगा सिर्फ उनको ही जिन्होंने मुझे गिफ्ट दिया है।"
तभी सिद्धार्थ अपना टेडी लेकर आया और उसने उसे युविका को दे दिया। युविका टेडी देखकर बहुत खुश हुई। अब बेचारा अर्जुन ही बचा थाजो खाली हाथ आया था।
युविका ने केक काटा। उसने सबसे पहले अक्षरा और रोशनी को केक खिलाया। फिर सिद्धार्थ कोकेक खिलाया। अर्जुन सबके फोटोज ले रहा था। हंसती मुस्कुराती युविका बहुत ही प्यारी लग रही थी। अवि का मनकह रहा था आजही उसे प्रोपोज़ कर दे लेकिन वह पहले युविका की फीलिंग्स जानना चाहता था। उसने अवि को केक खिलाया तो अवि ने उसी केक से थोड़ा सा केक लेकर उसे खिला दिया। अर्जुन ने उन दोनों की साथ मे पिक ले ली। बहुत ही प्यारे और क्यूट लग रहे थे दोनो साथ मे। सबने केक खालिया अब केवल अर्जुन बचा था। युविका उसे केक दिखा दिखा कर खा रही थी। सब उसे देख हंस रहे थे। अवि नेआज पहली बार युविका को इतने करीब से देखा था। वह हंसते हुए बहुत ही प्यारी लगती थी। उसकी हंसी किसी कोभी दीवाना बना दे। शायद यही वजह थी कि हमेशा प्यार से दूर रहने वाले इंसान को भी युविका से प्यार हो गया था।
थोड़ी देर तक अर्जुन को चिढ़ाने के बाद युविका ने उसको भी केक खिला दिया लेकिन गिफ्ट देने कावादा लेने के बाद। अवि ने उनदोनों की पिक अपने फोन पर लेली। उसने युविका की अकेले की न जाने कितनी फोटोज भीचुपके से अपने फोन में कैद करली। तब तक शालिनी भी आ गयी। युविका ने उनको भी केक खिलाया। सबने साथ मे सेल्फी ली। आज सब बहुत खुश थे। थोड़ी देर बाद युविका को शैतानी सूझी और उसने केक लेकर सबके चेहरे पर लगा दिया। अवि ने जबकेक लगवाने से मना किया तो उसने पीछे से जाकर उसे भी केक लगा दिया। फिर तो सबने मिलकर युविका को ऐसा भूत बनाया की उसका चेहरा ही नही दिख रहा था। आज का दिन युविका और अवि दोनो के लिए कभी न भूलने वाला दिन बन गया। सबने मिलकर खाना आर्डर किया औरसाथ मे खाना खाया। अर्जुन चाहता था कि युविका और अवि कुछ देर अकेले साथ रहे इसलिए उसने एक प्लान बनाया। उसने अक्षरा रोशनी और सिद्धार्थ को बुलाया और कहा कि-"तुम लोग तो शायद येबात जानते हो कि अवि युविका को पसन्द करता है। लेकिन अपने दिल की बात कहने से डरता है। उसे लगता है कहीं वह युविका को खो न दें, पहले वह उसे समझना चाहता है, उससे दोस्ती करना चाहता है। इसलिए तुम लोगों को मेरी एक हेल्प करनी पड़ेगी।"
सिद्धार्थ- "कैसी हेल्प सर?"
अर्जुन- "हम लोगों को उन दोनों को रूम में कुछ देर केलिए अकेले छोड़ देना चाहिए ताकि वह दोनों एक दूसरे केसाथ बात कर सके, दोस्ती कर सके।"
रोशनी- "हाँ , हम भी यही चाहते है सर। अवि सर हमारी युविका के लिए परफेक्ट है। लेकिन हमउन दोनों को क्या बोलकर अकेला छोड़े?"
अर्जुन- "वो तुम मुझपर छोड़ दो। पहले तुम औरअक्षरा कोई बहाना करके बाहर चले जाओ फिर हम और सिद्धार्थ भी आते है।"
अक्षरा- "ठीक है सर। हम दोनों अभी जा रहे।" युविका पूछे तो बोल देना कुछ अर्जेंट काम था।"
अर्जुन- "ठीक है तुम लोग चलो। हम भी आते है।"
इतना बोलकर अक्षरा और रोशनी वहां से चली गयी। अर्जुन,सिद्धार्थ के साथ रूम पर आ गया जहाँ युविका शालिनी और अवि के साथ बैठी बातें कर रही थी। युविका ने जब अर्जुन से अक्षरा के बारे मे पूछा तो अर्जुन ने बताया कि उन्हें कुछ जरूरी काम था इसलिए थोड़ी देर के लिए बाहर गयी है और मुझे भी होस्टल से एक दोस्त की कॉल आयी है तो मैं सिद्धार्थ के साथ जा रहा हूँ। अभी थोड़ी देर में आ जाऊंगा। तब तक अवि यही पर है। क्यों अवि ठीक है न? उसने अवि से पूछा।
अवि- "मैं भी चलता हूँ न।"
अर्जुन- "नही तुम यही रहो, मैं बस 10 मिनट में आया। अभी तो बहुत मस्ती करनी है।"
अवि- "ठीक है जाओ।"
अर्जुन सिद्धार्थ कोलेकर चला गया और उसने शालिनी को भीजाने का इशारा कर दिया। शालिनी भी कुछ अर्जेंट काम बोलकर वहां से चली गयी।
अब युविका और अवि रूम पर अकेले थे। तभी अवि के फोन परअर्जुन का मैसेज आया - "अब बात कर लो आराम से भाभी से, हम लोग एक घण्टे बाद आएंगे।"
अवि ने "कमीने" लिख कर वापस रिप्लाई कर दिया। उधर से स्माइली आया, अवि ये देख मुस्कुरा दिया।
अवि ने अब युविका से बात करने की कोशिश की- "तुम्हे आज का सरप्राइज कैसा लगा?"
युविका- "बहुत अच्छा था। इतना अच्छा सरप्राइज आज तक मुझे किसी ने नही दिया। ये बर्थड़े मैं कभी नही भूल सकती सर।"
अवि- "युविका एक बात बोलूं। बुरा तो नही मानोगी।"
युविका- "बोलिये सर बुरा क्या मानना?"
अवि- "मैंने जब पहली बार तुम्हे देखा था, याद है जब हम दोनों एक दूसरे से भिड़ गए थे और फिर तुम्हारी अर्जुन सेबहस हुई थी।"
युविका- "हां याद है सर वोदिन कैसे भूल सकती हूं। अर्जुन सरको देखकर वो दिन याद आ जाता है और मुझे बहुत हंसी आती है।"
अवि स्माइल केसाथ- "तब तुम्हे देखकर मुझे लगा शायद तुम एक बड़े घर की बिगड़ैल लड़की हो। जिसे बहुत घमंड हैऔर फिर उसके बाद प्रताप की घटना जिसकी वजह से तुम पूरे कॉलेज में फेमस हो गयी। इन सारी वजहों से मुझे लगता था। तुमसे बहस करने का कोई मतलब नही है। तुम बहुत अकड़ू और खड़ूस हो। लेकिन फिर एकदिन मैंने तुम्हें रोड पर एक बुजुर्ग का हाथ पकड़े उनको रोड क्रॉस कराते देखा तो मेरी आँखों पर पड़ा वो पर्दा उतर गया कि तुम खड़ूस या अकड़ू हो, उस दिन से मेरे दिल मे तुम्हारे लिए रेस्पेक्ट पैदा हो गयी क्योंकि जो लड़की खुद से पहले दूसरों का ध्यान रखे वह बुरी नही हो सकती।"
युविका- "एक्चुअली सर एक बात बताऊं आपको?"
अवि- "हाँ बताओ।"
युविका- "मैं ऐसी ही हूँ, मेरा नेचर हमेशा सेऐसा ही रहा है। मैं कोई रिच फैमिली से बिलोंग नही करती, बाकी सबकी तरह मैं भी एक मिडिल फैमिली से हूँ। मै बचपन सेही अच्छे लोगों के साथ अच्छी और बुरे लोगों से साथ बुरी हूँ , जबभी कोई मुझे पहली बार मिलता हैउसे मैं बुरी ही लगती हूँ। सिर्फ आपको ही नही कॉलेज के हर शख्स को मैं पहली बार ऐसी ही लगी थी,अकड़ू-खड़ूस और घमंडी। यहां तक कि मेरे दोस्तों को भीलेकिन जब उन लोगों ने मुझसे दोस्ती की और वक्त के साथ मुझे जाना तो आज मैं उनके लिए सबसे खास हूँ।"
अवि- "तब तो फिर मुझे भीतुमसे दोस्ती करनी पड़ेगी। क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?"
क्या जवाब देगी युविका अवि को? क्या वो उसकी दोस्ती में छिपे हुए प्यार को समझ जाएगी? क्या होगा जब इस दोस्ती से करेगी इनकार? क्या दोनों बनेंगे अच्छे दोस्त या फिर लगी थी कोई शर्त? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ...
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