युविका खुशी से- "हाँ, क्यों नही सर बिल्कुल? आज से हम दोस्त है।"
अवि- "दोस्त है? ऐसे कैसे दोस्त है?"
युविका- "क्यों क्या हुआ सर?"
अवि- "अरे दोस्त को भला कोई सर बोलता है।"
युविका- "तो फिर मैं आपको क्या बोलू सर?"
अवि- "फिर से.."
युविका- "सॉरी..."
अवि- "दोस्ती का फर्स्ट रूल तुम्हे पता नही शायद दोस्त को सॉरी और थैंक्स नही बोलते।"
युविका- "तो फिर क्या बोलते?"
अवि- "दोस्त को आर्डर देते है और हां अबसे सर मत बोलना वरना मैं बात नही करूँगा।"
युविका- "तो फिर क्या बोलू?"
अवि- "एक काम करो तुम मेरा कोई अच्छा सा नाम रख दो।"
युविका- "क्या नाम रखूं?"
अवि- "अब ये तुम सोचो। ये भी मैं बताऊं।"
युविका- "ठीक है फिर मैं आपको कुछ दिन बाद सोच के नाम बताऊंगी।"
अवि- "ठीक है। वैसे तुमने चॉकलेट तो खाई ही नही, ये तो तुम्हारी फेवरेट है।"
युविका- "आपको कैसे पता चला, मेरे दोस्तों ने बताया न।"
अवि- "नही मेरे दोस्तों ने.."
युविका- "आपके कौन से दोस्त को मेरी पसन्द पता है?"
अवि- "सिद्धार्थ, अक्षरा और रोशनी को।"
युविका- "वो तो मेरे दोस्त है न, आपके दोस्त कब बने?"
अवि- "बस आज अभी।"
युविका- "अभी कैसे?"
अवि- "अब तुम मेरी दोस्त हो तो तुम्हारे दोस्त मेरे भी दोस्त हुए न।"
युविका- "अच्छा जी।"
अवि- "हाँ जी।"
इसके बाद युविका ने चॉकलेट ओपन किया तो देखा ये उसकी फेवरेट डेरी मिल्क ओरियो चॉकलेट थी। चॉकलेट लेकर वह बिल्कुल बच्चों की तरह खाने लगी। तभी अवि बोला-"अरे मुझे भी तो दो, तुम तो अकेले अकेले ही खाने लगी। मैं तुम्हारा नया नया दोस्त हूँ।"
युविका- "हां तो ठीक है न आप मेरे दोस्त हो लेकिन मैं चॉकलेट किसी को शेयर नही करती।"
अवि- "अरे लेकिन दोस्तों से तो हर चीज शेयर की जाती है।"
युविका- "हां लेकिन चॉकलेट अकेले खाई जाती है।"
वह इस तरह से चॉकलेट खा रही थी कि पूरी चॉकलेट उसके होठों के चारो तरफ लग गयी, अवि उसको इस तरह खाता देख सोच रहा था-"इसकी हरकतों के आगे तो छोटा बच्चा भी फेल है। बिल्कुल छोटी बच्ची बनी हुई है।"
अवि- "मुझे भी दो, वरना मैं गुस्सा हो जाऊंगा।"
युविका- "हो जाओ, मैं नही दूंगी।"
अवि वही पर मुहँ फुला कर बैठ गया और दूसरी तरफ देखने लगा। थोड़ी देर तक युविका खाती रही लेकिन जब उसे लगा कहीं सच मे गुस्सा तो नही हो गए तो उसके पास आई और बोली-"वैसे तो मैं किसी को देती नही हूँ। अपने उन दोस्तों को भी नही। फिर भी आपको दिए दे रही हूं लेकिन प्लीज थोड़ा सा ही खाना।" उसने मासूम सा चेहरा बनाया।
"जाओ मुझे नही खानी।" अवि ने झूठ मुठ का गुस्सा दिखाते हुए कहा।
युविका- "अरे अब खा भी लो। मैं और किसी को देती भी नही हूँ। आपको तो दे रही हूं न।"
अवि- "तुम खा लो।"
युविका- "ठीक है, कहकर उसने अपनी खाई जूठी चॉकलेट ही अवि के मुँह पर लगा दी। अब अवि का चेहरा चॉकलेट से पुता था। उसको इस तरह देख युविका हंसने लगी। अवि भी हँसने लगा। दोनो रूम पर एक दूसरे को देखकर पागलों की तरह हँस रहे थे। तभी युविका ने अपनी और अवि की एक सेल्फी ली।
अवि ने बोला कि उसको भी सेंड कर देना तो युविका बोली कि उसके पास नंबर नही है। तब अवि ने बताया कि रात में बारह बजे जिस नंबर से मैसेज आया था उसपर सेंड कर देना। जब युविका को पता चला कि वह नंबर अवि का था तो उसे बहुत खुशी हुई। दोनो आराम से बैठकर चॉकलेट खा रहे थे कि तभी गेट से अर्जुन और बाकी सारे आ गए। युविका और अवि ने उन्हें देखा नही वह तो बस खाने में बिजी थे और बाकी सब उन्हें ऐसे खाते देखकर हँस रहे थे। थोड़ी देर बाद अवि की नजर उन लोगों पर पड़ी तो वह शांत हो गया। युविका अभी भी खाने में बिजी थी। तभी अर्जुन बोला-" देखो इस पागल को कैसे चॉकलेट खाने में लगी है और पूरे मुहँ में लगा रखी है बच्चों की तरह।"
अक्षरा- "वो ऐसी ही है सर, उसे चॉकलेट खाते टाइम कुछ होश नही रहता है।"
सिद्धार्थ बड़े ध्यान से दोनो को देखते हुए- "वो सब तो ठीक है लेकिन मुझे एक बात नही समझ आ रही।"
अक्षरा- "क्या?"
रोशनी- "यही की युविका ने अपनी चॉकलेट अवि सर को कैसे दे दी? वह तो हम लोगों को अपनी चॉकलेट कभी हाथ नही लगाने देती।"
अक्षरा- "हाँ ये तो मुझे भी समझ नही आ रहा, सिद्धार्थ तुम क्या पूछ रहे थे वैसे?"
सिद्धार्थ- "यही जो रोशनी ने पूछा।"
अर्जुन जो अभी तक इन लोगों की बातें सुन रहा था, बोला-"शायद इसलिए कि अवि भी बिल्कुल ऐसा ही है।"
अक्षरा- "मतलब अवि सर को भी चोकलेट बहुत पसंद है।"
अर्जुन- "हाँ और वह भी अपनी चॉकलेट किसी से शेयर नही करता।"
रोशनी- "तब तो अच्छी जोड़ी बनेंगी दोनो की।"
तब तक युविका की नजर भी उन लोगों पर पड़ गयी और बोली-" अरे तुम लोग कब आये?"
अक्षरा- "जब तुम चॉकलेट खा रही थी।"
युविका- "वैसे तुम सब गए कहाँ थे हमे यहां अकेले छोड़कर?"
अक्षरा- "तुम अकेली कहाँ थी, अवि सर तो थे तुम्हारे पास।"
युविका-" हाँ वो तो थे , लेकिन तुम कहाँ थी ये बताओ?"
अक्षरा-" कुछ नही एक जरूरी काम आ गया था। वैसे तुम्हें कोई दिक्कत हुई क्या?"
युविका- "नही दिक्कत तो नही हुई और अच्छा ही रहा मैंने और अवि सर ने सारी चॉकलेट खा ली।"
सर सुनते ही अवि ने उसे घूर कर देखा तो उसने अपना एक कान पकड़ लिया।
अक्षरा- "तूने अवि सर को अपनी चॉकलेट कैसे दे दी?"
युविका- "वो मांग रहे थे और मैं अकेले खा रही थी तो मुझे अच्छा नही लगा इसलिए दे दी।"
रोशनी-"तुम हमे तो कभी नही देती। हम कितना भी मांगते रहे।"
युविका- "अब क्या वापस माँगू, तुम लोग मुझे डांट रहे हो, जाओ मैं किसी से बात नही करूँगी।"
और उसने रोनी सी सूरत बना ली।
तभी अर्जुन बोला- "मैं तो युविका के लिए एक और चॉकलेट लाया था लेकिन वह तो गुस्सा है फिर एक काम करते है हम लोग ही खा लेते है। युविका और अवि तो वैसे भी खा चुके हैं।"
अवि- "भाई मैंने नही खाई, मुझे भी खिलाना।"
अर्जुन- "क्यों तुम्हें युविका ने नही दी? तुम्हारे चेहरे से तो ऐसा लग रहा कि तुमने बहुत चॉकलेट खाई है।"
अवि- "बिल्कुल इत्तू सी दी थी।"अवि ने अंगुली के इशारा से बताया। युविका ने उसकी तरफ ग़ुस्से से देखा तो अवि ने गर्दन नीचे कर ली। फिर कुछ सोचकर बोली- "अर्जुन सर मेरी चॉकलेट दे दो वरना..."
अर्जुन- "वरना क्या युविका?"
युविका- "वरना मैं आपसे कभी बात नही करूँगी।"
अर्जुन- "अच्छा तो तुम अभी गुस्सा नही हो न।"
युविका- "अभी नही हूँ। लेकिन अगर चॉकलेट नही दी तो जरूर हो जाउंगी।"
अर्जुन- "ठीक है, ले लो लेकिन गुस्सा मत होना। तुम्हारा फेस ग़ुस्से में अच्छा नही लगता।"
सिद्धार्थ- "हाँ बन्दरिया लगती है बिल्कुल क्यूट सी।"
इतना सुनते ही युविका सिद्धार्थ को मारने लगी। अर्जुन ने उसको चॉकलेट दी, इस बार सबने मिलकर चॉकलेट खाई। शाम तक सबने खूब मस्ती की। ये दिन सबकी जिंदगी का यादगार दिन बन गया था।आज से सब एक दूसरे के दोस्त थे। सीनियर जूनियर का रिश्ता अब खत्म हो गया था। फिर टाइम ज्यादा होने पर सब अपने अपने घर चले गए अवि और अर्जुन भी कल कॉलेज में मिलने को बोल अपने होस्टल चले गए। होस्टल पहुंचकर अवि आज बहुत खुश था। अर्जुन ने उससे पूछा "उसकी युविका से क्या क्या बात हुई?"
फिर उसने अर्जुन को सारी बातें बताई जो युविका ने उससे बताई थी। उसकी बातें सुनकर अर्जुन खूब हँसने लगा।
अर्जुन बोला- "भाई , सच मे वह लड़की बहुत अच्छी है। उसका दिल बहुत साफ है। उसके दिल मे जो भी आता है, बोल देती मन मे कड़वाहट नही रखती है। उसके जैसी लड़की तुझे कभी नही मिल सकती।"
अवि- "हाँ भाई, तुम सच कह रहे हो। उसकी जैसी दूसरी लड़की है ही नही। उसका मन बिल्कुल आईने की तरह साफ है। मैंने गलत लड़की से प्यार नही किया भाई।"
अर्जुन- "मुझे तो पहले ही पता था कि जब तुझे प्यार होगा न तब तुझे एहसास होगा प्यार क्या होता है?"
अवि- "हाँ भाई, मुझे पता चल गया, प्यार क्या है?"
अर्जुन- "चल अब सोजा।"
अवि- "नही अभी नही। अभी युविका से बात कर लूं वह अकेले बोर हो रही होगी। वह सो जाएगी फिर मैं भी सो जाऊंगा।"
अर्जुन- "अभी से इतनी फिक्र भाई, क्या बात है?"
अवि- "कोई बात नही है , तुम सो जाओ।"
अर्जुन गुड नाईट बोलकर सो गया। अवि ने पहले सोचा कि युविका को कॉल करे लेकिन उसे लगा कि शायद थकान की वजह से वह सो गई हो, डिस्टर्ब करना ठीक नही रहेगा। इसलिए थोड़ी देर बाद वह भी सो गया। दूसरी तरफ युविका भी यही सोच रही थी, फिर अवि को गुड नाईट का मैसेज करके सो गई।
अचानक से जगह बदलने की वजह से कुछ दिनों तक युविका को परेशानी का सामना करना पड़ा। पानी बदलने की वजह से उसकी तबियत खराब हो गयी। वह कई दिनों तक कॉलेज भी नही जा पायी लेकिन अब उसके दोस्त उसके रूम पर जाकर उसका हाल पूछ लेते और उसके नोट्स भी कम्पलीट कर देते। अवि को अक्षरा से उसकी तबियत का पता चला तो वह भी अर्जुन के साथ उससे मिलने गया और ख्याल रखने के लिए कहा। उसे बहुत दिनों बाद युविका को देखकर एक सुकून सा मिला। धीरे धीरे अब युविका की तबियत सही हो रही थी और उसे वहां अच्छा भी लगने लगा था।
बारह अप्रैल को युविका का बर्थडे था। उसके सारे दोस्त मिलकर उसे सरप्राइज पार्टी देने की सोच रहे थे लेकिन उन्हें समझ नही आ रहा था कि क्या करे?
अक्षरा- "यार कुछ समझ ही नही आ रहा कैसे प्लान करें बर्थडे सरप्राइज कि उसको पता न चले?"
रोशनी- "एक काम करते है हम उसे कहीं बाहर घुमाने ले जाते है। वैसे भी बहुत दिनों से हम कहीं घूमने नही गए है।"
सिद्धार्थ- "लेकिन इससे तो उसे पता चल जाएगा..फिर सरप्राइज कैसे रह जायेगा?"
अक्षरा- "हाँ यार, तो ऐसा क्या प्लान करें कि उसे पता न चले कुछ भी।"
तभी पीछे से अर्जुन और अवि आ गए।
अर्जुन अपनी आईब्रो ऊपर करते हुए- "अरे क्या प्लान कर रहे हो तुम लोग। कहीं मेरा मर्डर करने की तो नही सोच रहे तुम लोग।"
अक्षरा- "अरे सर हम क्यों आपका मर्डर प्लान करेंगे? एक बार युविका होती तो आप सोच भी सकते थे। हमारी तो आपसे कोई दुश्मनी नही है।"
अर्जुन- "हाँ ये भी सही है। मैंने तुम लोगों का कुछ नही बिगाड़ा है। वैसे मैंने युविका का भी कुछ नही बिगाड़ा है। वह भी मेरी दोस्त ही है अब। वैसे अब बताओ तुम लोग क्या प्लान कर रहे थे?"
रोशनी- "कुछ नही सर हम लोग युविका का सरप्राइज बर्थडे प्लान कर रहे थे लेकिन कुछ समझ नही आ रहा क्या करें? कैसे करें? और कहाँ करें?"
अर्जुन खुशी से- "युविका का बर्थडे कब है ?"
सिद्धार्थ- "कल है सर.."
अवि- "तो क्या सोचा तुम लोगों ने। मैं कुछ आईडिया दूँ क्या?"
अक्षरा-"हां सर बताइये अगर आपके पास कोई प्लान हो तो ?"
अर्जुन- "हम लोग उसके रूम पर ही बर्थडे सरप्राइज प्लान करेंगे। बस तुम्हें किसी तरफ उसको दो घण्टे के लिए बाहर लेकर जाना है। इसलिए तुम और रोशनी मिलकर उसे दो घण्टे के लिए रूम से बाहर ले जाओगी और हम तीनों मिलकर उसके रूम की सारी डेकोरेशन करेंगे और ध्यान रहे उससे पहले कोई भी उसे बर्थडे विश नही करेगा। उसे बिल्कुल भी पता ही नही चलना चाहिए कि हमे याद है कि आज उसका बर्थडे है।"
रोशनी- "हाँ सर ये ठीक रहेगा। लेकिन हम उसे क्या कहेंगे कि हम उसे कहाँ ले जा रहे?"
अवि- "अरे अब तुम लोग इतना तो कर ही सकते हो। आखिर लड़कियों में इतना तो टैलेंट होता ही है कि कोई भी उनकी बातों में आसानी से आ जाता है।"
अक्षरा- "हाँ सर लेकिन वो रूल लड़को के लिए लागू होता है। यहां सामने युविका है जिसे बेवकूफ बनाना लगभग नामुमकिन है। "
अर्जुन- "अब तुम लोगों को एक काम दिया है। तुम लोग वह भी ठीक से नही कर सकते.."
अक्षरा- "ठीक है सर हम पूरी कोशिश करेंगे।"
अवि- "ओके तो चलो आज से ही तैयारी शुरू करते है। सिर्फ एक दिन ही बाकी है।"
सिद्धार्थ- "ठीक है, आज क्लास के बाद सब शॉपिंग पर चलते है।"
अवि- "तुम लोगों से एक बात बोलूं?"
रोशनी- "हाँ सर बोलिये।"
अवि- "क्या मुझे युविका का नंबर मिल सकता है? मैं उसे बर्थडे विश करना चाहता हूं। उसे पता नही चलेगा कि ये मेरा नंबर है।"
अक्षरा- "हां सर दे तो सकते हैं लेकिन आप युविका को मत बोलना कि हमने आपको नंबर दिया है वरना हमारी क्लास लगा देगी। आपको शायद पता नही है,क्लास के एक लड़के ने उसे दो तीन दिन कॉल करके परेशान किया था उसने पूरे क्लास के सामने उसे बुरी तरह हड़काया था।"
अब क्या करेगा अवि? क्या वो युविका को अपने दिल की बात बताएगा? क्या इस बर्थ डे पर होगा बड़ा धमाका। क्या होगा अगर अवि का दिल तूत जाएगा? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ और पढ़ते रहिए ये कहानी।
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