सभी अपनी अपनी क्लास में चले गए थे। सभी इस पल का वेट कर रहे थे की जल्दी से क्लास खत्म हो। आखिर रक लंबे इंतजार के बाद क्लास खत्म हुई और सभी शॉपिंग के लिए गए। किसी को समझ नही आ रहा था कि वो युविका के लिए क्या गिफ्ट खरीदें? सब परेशान से एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे। थोड़ी देर तक टहलने के बाद अक्षरा को एक बड़ा सा टेडी पसन्द आया। उसने, सिद्धार्थ और रोशनी ने मिलाकर उस टेडी को ले लिया। अब अवि की बारी थी। अवि युविका की पसन्द नही जानता था। उसने सबसे युविका की पसन्द पूछी तो सबने बताया कि ऐसा कुछ भी नही है जो युविका को बहुत पसंद हो, हाँ बस एक चीज है जो उसे सबसे ज्यादा पसन्द है और वो है चॉकलेट।
अवि ने एक बड़ी सी चॉकलेट खरीद ली और उसे पैक करा लिया। फिर एक शॉप पर गया और वहां उसे एक प्यारा सा पेंडल पसन्द आया। उसने उसे भी खरीद लिया ये सोचकर कि जब युविका उसके प्यार को एक्सेप्ट कर लेगी तो वह उसे ये पहना देगा। इसके बाद उन्होंने डेकोरेशन का सारा सामान खरीदा और वापस आ गए। टेडी सिद्धार्थ अपने साथ ले गया । रोशनी और अक्षरा कल के प्लान के साथ अपने अपने घर चले गए। अवि भी अर्जुन के साथ रूम पर आ गया।
अर्जुन- "तुम एक काम करना कल"
अवि- "क्या?"
अर्जुन- "कल तू युविका को अपने दिल की बात बोल देना।"
अवि- "नही यार ऐसे कैसे? अभी तो मुझे ये भी नही पता कि वह मेरे बारे में क्या सोचती है?"
अर्जुन- "हाँ लेकिन कल उसका बर्थडे है और इससे अच्छा दिन क्या हो सकता किसी को प्रोपोज़ करने के लिए?"
अवि- "लेकिन अगर उसने मना कर दिया तो?"
अर्जुन- "नही मना करेगी।"
अवि कुछ सोचकर- "नही मैं उसे खोना नही चाहता। पहले उसे अपना दोस्त बनाऊंगा फिर अगर मुझे लगेगा कि वह भी मुझे पसन्द करती है। तब ही उससे बोलूंगा।"
अर्जुन- "ठीक है जैसी तेरी मर्जी। चल अब सोजा।"
अवि- "नही अभी नही, मैं बारह बजे उसे बर्थडे विश कर दूं फिर सो जाऊँगा।"
अर्जुन- "लेकिन उसे पता नही लगना चाहिए कि तूने मैसेज किया है।"
अवि- "नही पता लगेगा भाई।"
अर्जुन- "ओके भाई मैं चला सोने। गुड नाईट।"
अवि- "गुड नाईट..."
थोड़ी देर बाद अर्जुन सो गया और अवि बारह बजने का वेट करने लगा। आज पहली बार वह किसी लड़की के लिए इतना बेचैन था, उसे समझ आ रहा था कि अर्जुन सही कहता था कि भाई जब तुझे प्यार होगा तब पता चलेगा कि प्यार क्या होता है। उसे युविका से कब प्यार हो गया पता ही नही चला। उसने अपना फेवरेट सांग मोबाइल में प्ले किया और सुनने लगा। उसका फेवरेट सांग था―
"चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था, हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था।"
गाना सुनते सुनते अवि की आंख लग गयी। थोड़ी देर बाद अचानक से उसकी आंख खुली वो हड़बड़ाकर उसने घड़ी में टाइम देखा तो ग्यारह बजकर उनसठ मिनट हो रहे थे, उसने अपने दूसरे नंबर से "हैप्पी बर्थडे डिअर युवी, महादेव तुम्हारी हर विश पूरी करें..!" लिखकर युविका के नंबर पर सेंड कर दिया, तब तक घड़ी ने भी बारह बजा दिये। दूसरी तरफ युविका अभी तक जग रही थी। उसने जब अपने फोन पर अननोन नंबर से मैसेज देखा तो सोचने लगी कि आखिर नया इंसान कौन है जिसे मेरा बर्थडे मालूम है और उसने बिल्कुल बारह बजे मैसेज किया। उसने उस नंबर पर थैंक यू का मैसेज लिख कर सेंड कर दिया। दूसरी तरफ से अवि मैसेज देखकर मुस्कुरा दिया और उसने एक स्माइली सेंड कर दिया। स्माइली देखकर युविका के चेहरे पर भी स्माइल आ गयी और उसने भी स्माइली सेंड कर दिया। इसके बाद अवि ने कोई रिप्लाई नही दिया ताकि युविका को शक न हो। अब युविका सोचने लगी कि कौन हो सकता है फिर खुद से ही बोली- "कोई भी हो मुझे क्या, मुझे तो यही खुशी है कि कम से कम किसी ने मुझे बर्थडे विश किया। मेरे कमीने दोस्त तो भूल ही गये। आने दो इन सबका बर्थडे मैं भी नही विश करूँगी।" थोड़ी देर बाद उसे भी नींद आ गयी।
अगले दिन सुबह युविका देर से उठी। उसने फोन उठा कर देखा तो मम्मा की मिस्ड कॉल लगी थी उसने मम्मा को फोन लगाया तो दूसरी तरफ से फोन गोलू ने उठाया- "हैप्पी बर्थड़े दुश्मन। तुम्हारा एक साल और कम हो गया।"
युविका- "थैंक यू दुश्मन तुम्हारे लिए तो अच्छा ही है। तुम तो यही चाहते हो कि मैं जल्दी निपट जाऊं ताकि मेरे हिस्से की प्रॉपर्टी तुम्हे मिल जाये।"
गोलू- "और क्या मैं तो भगवान से दिन रात यही प्रार्थना करता हूँ।" तभी पीछे से मम्मा की आवाज आई- "कौन है? दीदी है न। लाओ हमको फोन दो तुम।"
गोलू- "हां और कौन हो सकता है शैतान के शिवाय।"
मम्मा थोड़ा गुस्से से- "बस करो अब हो गया, हैप्पी बर्थडे बेटा।"
युविका- "थैंक यू मम्मा, आई मिस यू.."
मम्मा- "आई मिस यू टू बेटा..घर आ जाओ। यहीं तुम्हारा बर्थडे सेलिब्रेट करते है।"
युविका- "नही मम्मा नही आ सकते, बहुत काम है। संडे को आएंगे अब।"
मम्मा थोड़ा उदास होकर- "ठीक है बेटा, अपना ख्याल रखना।" इतना कहकर मम्मा ने कॉल कट कर दिया और युविका उदास होकर बैठ गयी क्योंकि उसके किसी भी दोस्त की कॉल नही आई थी। उसे आज बहुत अकेला फील हो रहा था।।
थोड़ी देर बाद अक्षरा और रोशनी, युविका के रूम पर आई। उनको देखकर युविका खुश हुई लेकिन थोड़ी ही देर बाद फिर से उदास हो गयी। क्योंकि उसे लग रहा था कि उसके दोनो दोस्तों में से किसी को भी उसका बर्थडे नही याद है। अक्षरा और रोशनी उसकी उदासी देख रहीं थी, उन्हें भी ऐसे बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था लेकिन वो दोनों ये सब युविका की खुशी के लिए ही तो कर रहीं थी।
अक्षरा- "युविका चल न यार तैयार हो जा कहीं बाहर चलते है।"
युविका- "बाहर किसलिए।"
रोशनी- "यार बहुत दिनों से हम तीनों कहीं घूमने नही गए और इस अक्षरा का भी बहुत घूमने का मन कर रहा क्यों न हम मूवी देखने चलें। बाजीराव मस्तानी लगी है। मैंने उसका ट्रेलर देखा बहुत ही मस्त लगा मुझे।"
युविका- "नही यार तुम लोग जाओ मेरा बिल्कुल भी मन नही है।"
अक्षरा- "चल न यार बस तीन घण्टे की बात है फिर आ जाना वापस। बहुत मन है मेरा। तू मेरी इतनी विश पूरी नही कर सकती।"
युविका- "ठीक है यार दस मिनट रुको तैयार होकर आती हूँ। मेरा मन तो नही है लेकिन मुझे दोस्तों का दिल दुखाना नही आता।"
अक्षरा- "ठीक है हम यही बैठे है तू रेडी हो जा।"
युविका वाशरूम में कपड़े चेंज करने चली गयी। दूसरी तरफ अक्षरा और रोशनी ने अवि और सिद्धार्थ को मैसेज कर दिया कि युविका तैयार हो गयी है और हम तीनों अभी थोड़ी देर बाद यहां से चले जायेंगे। वो लोग आकर अपना काम कर सकते है। दूसरी तरफ से भी डन का मैसेज आ गया। थोड़ी देर बाद युविका तैयार होकर आयी। उसने हाफ सोल्डर ब्लैक टॉप और स्काई ब्लू जीन्स पहन रखा था। वह बहुत प्यारी और मासूम लग रही थी। युविका ने अपना लॉक लगा कर चाभी अवि की क्लासमेट शालिनी को दे दी और तीनों मूवी के लिए निकल गईं। शालिनी को पहले ही अर्जुन ने अपना प्लान बता दिया था। इसलिए उसने चाभी अवि को दे दी। वो तीनो अब रूम की डेकोरेशन में लग गए।
पूरे तीन घण्टे की मेहनत के बाद उन्होंने बहुत अच्छे से रूम डेकोरेट कर दिया। तभी अवि के पास अक्षरा का मैसेज आया कि वो लोग वहां से निकल चुके है। अवि ने सबको छुपने के लिए बोला और शालिनी से कहा कि वो रूम की लाइट ऑफ करके रूम को बाहर से ऑफ करदे और चाभी वापस उसी जगह रख दे जाकर जहां युविका रख के गयी थी और खुद कोई काम करने लगे। शालिनी ने बिल्कुल वैसा ही किया। युविका जब वापस आयी तो उसने शालिनी से चाभी मांगी तो शालिनी ने कहा कि वह कुछ काम कर रही है। चाभी वही पर रखी है जहां वो रखकर गयी थी। इसलिए जाकर ले ले। युविका ने जाकर उसी जगह चाभी देखी तो उसे उसी तरह रखी चाभी मिल गयी। वह चाभी लेकर आई और उसने रूम खोला तो उसकी आंखें खुल कर चौड़ी हो गयी........
अगले दिन सुबह जब अवि की नींद खुली तो उसने युविका का गुड नाईट का मैसेज देखा ,उसे समझ आया ,युविका उस वक्त तक जग रही थी जब वह सोया था। उसने सोचा-"अभी कॉल करके उसकी आवाज सुन लेता हूँ मेरा दिन अच्छा जाएगा, पता नही कब सोई हो, मैं भी कितना पागल हूँ हर वक्त बस उसी के ख्याल में खोया रहता हूँ। अब उससे कॉलेज में ही मिलूंगा।" और फिर वह जल्दी जल्दी कॉलेज के लिए तैयार होने लगा। आमतौर पर क्लास में सबसे लेट पहुँचने वाला इंसान आज जल्दी तैयार हो रहा था। थोड़ी देर बाद अर्जुन की नींद खुली तो उसने अवि से पूछा-" क्यों भाई इतनी सुबह सुबह सज धज के कहाँ जा रहे हो?"
अवि- "क्यों कॉलेज नही जाना? तू भी उठ जा जल्दी से।"
अर्जुन- "लेकिन भाई, आज तो कॉलेज बन्द है।"
अवि- "क्यों आज क्या है जो आज कॉलेज बन्द है?"
अर्जुन- "भाई तुझे सच मे पता नही है आज क्या है?"
अवि- "नही मुझे नही पता।"
अर्जुन- "भाई आज सेकंड सैटरडे है और आज तो कॉलेज बन्द रहता है।"
अवि- "ओ शिट, मुझे बिल्कुल याद नही था। फिर आज मैं युविका से कैसे मिलूंगा?"
अर्जुन- "और मैं अक्षरा से (बिल्कुल धीरे से बोला) जिसकी आवाज अवि तक पहुँच गई थी।
अवि नजरें टेढ़ी करते हुए- "क्या बोला तूने किससे?"
अर्जुन- "कुछ नही भाई मैंने कुछ नही बोला, मैं तो बस ये सोच रहा था। हमारा टाइम पास कैसे होगा?"
अवि- "तेरा तो हो जाएगा, लेकिन मेरा सोच, मैं कैसे रहूंगा उससे बिना बात किये। अब तो एक पल मन नही लगता उसके बिना।"
अर्जुन- "आज तो मैं होस्टल में पार्टी करूँगा। मेरे भाई को प्यार हो गया है। हमेशा लड़कियों से दूर रहना वाला मेरा भाई भाभी से बात करने के लिए आज इतना तड़प रहा है।"
अवि- "नही भाई, अभी कुछ नही। जब तक मैं युविका के दिल की बात नही जान लेता। तू किसी से कुछ नही बोलेगा।"
अर्जुन- "ठीक है भाई, तू बोलता है तो नही बोलूंगा।" तभी वरुण रूम में आता है। वरुण भी उनका दोस्त था। वह पूछता है किस बात को बोलने से मना किया जा रहा है। तो अर्जुन बात बदलते हुए कहता है कि अवि कह रहा उसे समीरा से बात करना अच्छा नही लगता। लेकिन मैं ये बात समीरा को न बताऊँ, हॉस्टल में सारे लड़के समीरा को अवि की गर्लफ्रैंड समझते थे। सच सिर्फ अवि और अर्जुन जानते थे।
दूसरी तरफ युविका की आंख नौं बजे खुलती है वह अवि का मैसेज देखती है। उसे मैसेज देखकर बहुत खुशी होती है। वह अवि के मैसेज का रिप्लाई करने ही वाली होती है कि उसके फोन पर एक अननोन नंबर से कॉल आने लगता है। पहले सोचती है कि पता नही किसकी कॉल होगी लेकिन फिर कुछ सोच कर कॉल पिक कर लेती है दूसरी तरफ से आवाज आती है- "हैप्पी बर्थडे डियर.. "
युविका- "थैंक्स लेकिन कौन? और मेरा बर्थडे कल था आज नही।" आवाज कुछ जानी पहचानी लगी थी युविका को, आवाज सुनकर उसकी आंख भर आयी थी। वह तो बस ये कन्फर्म करना चाहती थी कि जिसको वह सोच रही ये वही है या कोई और।
दूसरी तरफ से- "हाँ मुझे याद है तुम्हारा बर्थडे कल था। लेकिन मैं हमेशा ही लेट विश करता हूँ। तुम्हे तो पता ही है।"
युविका- "सूरज ...."
सूरज- "देखा याद आ गयी न मेरी। मुझे पता है तुम मुझे कभी नही भूल सकती। मैं भी तुम्हे कहाँ भूल पाया हूँ युविका।"
युविका- "भूल तो कभी नही पाउंगी सूरज, लेकिन कोशिश तो कर ही सकती हूं न।"
सूरज- "युविका क्या तुम मुझे एक मौका और नही दे सकती?"
युविका- "नही सूरज अब नही, प्यार एक बार होता है। धोखा भी इंसान एक बार ही खाता है। अब मुझे प्यार शब्द से ही चिढ़ है। जिस वक्त मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत थी। उस वक्त तुम मुझे छोड़ गए। अब जरूरत नही है।"
आखिर कौन था ये सूरज? क्या युविका का पुराना प्यार लौट आया था? क्या लेगी मोड़ उसकी ज़िंदगी में? क्या होने वाला था यहाँ लव ट्राइऐंगल? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ।
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