सूरज- "मैं मजबूर था युविका।"

युविका- "तुम मुझे एक बार बता तो सकते थे न। तुम सोच भी नही सकते कितनी तकलीफ दी है मैंने खुद को। लेकिन अब मैं मजबूर नही हूँ सूरज। तुम्हारी वजह से मैंने खुद को अपने ही गांव घर से दूर कर लिया। जानते हो तुम्हारे और मेरे घर मे सब जानते थे हमारे बारे में। तुम तो चले गए सहना तो सब कुछ मुझे पड़ा। लेकिन अब कोई गलती नही।"

सूरज- "युविका प्लीज, मुझे माफ़ कर दो प्लीज अब मैं कभी नही जाऊंगा तुम्हे छोड़कर। प्लीज! प्लीज्!"

सूरज अब रोने लगा था। युविका सब कुछ बर्दास्त कर सकती थी लेकिन सूरज की आंखों में आंसू कभी नही। 

युविका- "हम बाद में बात करते है। अभी मुझे कुछ काम है।" इतना कहकर युविका ने फोन कट कर दिया और फूट फूट कर रोने लगी।

सूरज युविका का पास्ट था जिसे भुलाने की वह हर रोज कोशिश करती थी लेकिन कभी भुला नही पायी। अब फिर से लौट आया था। युविका आज भी सूरज से बहुत प्यार करती थी लेकिन उसने खुद को इतना मजबूत कर लिया था कि उसे किसी के सहारे की जरूरत नही थी। आज सूरज के इस तरह रोने से वह फिर कमजोर हो गयी थी। काफी देर तक रोती रही तभी उसका फोन बजने लगा फोन देखा तो अवि की कॉल थी। सूरज के कॉल उठाने से पहले ही युविका ने अवि के गुड मॉर्निंग मैसेज का जवाब दे दिया था जिससे अवि को पता चल गया था कि युविका जग चुकी है। इसीलिए उसने बड़ी हिम्मत करके फोन किया था। काफी देर तक तो युविका का फोन बिजी आ रहा था, अवि को लगा शायद किसी फ्रेंड से बात कर रही हो इसीलिये अब उसने फिर से कॉल किया था। युविका ने कॉल उठायी तो उधर से आवाज आई-"हेलो गुड मॉर्निंग.."

युविका- "गुड मॉर्निंग.."

काफी देर तक रोने की वजह से उसकी आवाज भारी हो गयी थी।

अवि- "क्या हुआ युविका? तुम्हारी तबियत तो ठीक है।"

"हां मैं बिल्कुल ठीक हूँ मुझे कुछ नही हुआ।" युविका अपने आंसुओ को पोछते हुए बोली।

अवि- "मुझे लग रहा है तुम ठीक नही हो। अपने नए नए दोस्त को नही बताओगी।"

युविका- "मैं ठीक हूँ सर,और आप बताइये। आपने कैसे याद किया सुबह सुबह।"

अवि चिढ़कर - "युविका फिर से सर। क्या हुआ है कुछ बताओगी? तुम्हारी आवाज बता रही कि तुम रोई हो।"

युविका- "कुछ नही, बस ऐसे ही घर की याद आ रही थी।"

अवि- "चली जाओ घर , वैसे भी दो दिन हॉलिडे है और तुम्हारा घर भी पास में है। "

युविका थोड़ा चौककर- "आपको कैसे पता?"

अवि- "तुमने ही तो बताया था उस दिन अर्जुन को, जब हम तुम्हें तुम्हारी मासी के यहां छोड़ने गए थे।"

युविका- "हो सकता है मैंने बताया हो, लेकिन मुझे याद नही है। ठीक है सर, मैं आपसे बाद में बात करती हूं। अगर बनेगा तो मैं घर चली जाउंगी।"

अवि- "युविका प्लीज सर मत बोला करो। मुझे अच्छा नही लगता।"

युविका- "ओके"

इतना कहने के बाद युविका फोन कट कर देती है और कुछ सोचने लगती है। वह जानती थी की वह अगर घर जाएगी तो उसे सूरज जरूर मिलेगा और वह सूरज के सामने फिर कमजोर पड़ जाएगी। काफी देर सोचने के बाद उसने अपना बैग पैक किया और घर के लिए निकल गयी।

इधर अवि युविका से बात करने के बाद कुछ परेशान हो गया था। उसे समझ नही आ रहा था कि कल तक तो ये लड़की इतनी खुश थी और आज सुबह किससे बात करने के बाद ये रो रही थी। घर की याद आती तो घर चली जाती, घर के लिए इतना रोना क्यों? वह परेशान सा इधर उधर घूम रहा था कि आखिर कैसे पता करे कि प्रॉब्लम क्या है? युविका इतनी परेशान क्यों है? तभी अर्जुन आया उसने जब अवि को परेशान देखा तो पूछा- "क्या हुआ? अवि ने उसे पूरी बात बता दी। अर्जुन कुछ सोच रहा था कि तभी अवि बोला-"तू एक काम कर, शालिनी को फोन लगा और उससे बोल कि युविका के रूम पर जाकर देख ले।"

अर्जुन शालिनी को फोन करता है और उसे युविका के रूम पर जाने के लिए बोलता है। शालिनी जाकर देखती है तो उसे युविका के रूम पर ताला लगा मिलता है और वह ये बात अर्जुन को बता देती है। अवि ये सुनकर और परेशान हो जाता है। अर्जुन उससे युविका को कॉल करने के लिए बोलता है लेकिन वह मना कर देता है। वह कहता है - "मैं बार बार उसे कॉल नही कर सकता। पता नही वो क्या सोचने लगे मेरे बारे में?"

अर्जुन- "तब तो जब एक ही रास्ता है।"

अवि- "क्या?"

अर्जुन- "हमे अक्षरा को कॉल करके कहना पड़ेगा कि वो युविका से बात कर ले।"

अवि- "ठीक है तो कर फिर।"

अर्जुन- "नही भाई, मैं उसे कॉल नही करूँगा तू ही कर।"

अवि अक्षरा को कॉल करता है और उसे युविका से बात करने के लिए बोलता है। अक्षरा युविका को कई बार कॉल करती है लेकिन उसे कोई रेस्पांस नही मिलता। सब परेशान हो जाते हैं।

दूसरी तरफ युविका बस में थी। उसने अपना फोन साइलेंट कर लिया था और विंडो सीट पर बैठे अपने और सूरज के साथ बिताए पल याद कर रही थी। कैसे एक फैमिली फंक्शन में वो दोनो मिले थे और फिर अक्सर करके वह मिल जाते। धीरे धीरे उन दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। युविका के घरवालों को भी उनके बारे में पता चल गया था।सूरज के पेरेंट्स को भी युविका बहुत पसंद थी। दोनो ही फैमिली तैयार थी उनकी शादी के लिए। लेकिन वह चाहती थी कि दोनो पहले पढ़ लिख कर कुछ बन जाये। सब बहुत अच्छा चल रहा था।। फिर एक दिन अचानक सूरज की फैमिली बिना कुछ बताये कहीं चली गई और फिर दिन बीत गए, हफ्ते गुजर गए,महीने भी बीत गए लेकिन सूरज की कॉल नही आई। युविका बहुत परेशान रहने लगी। उसकी पढ़ाई भी डिस्टर्ब होने लगी थी खाना पीना भी सही से नही खाती थी। बहुत कमजोर हो गयी थी। मां अक्सर उसे समझाती रहती लेकिन उसे कुछ समझ नही आता था। फिर किसी दोस्त से उसे पता चला कि सूरज की जिंदगी में अब कोई और आ गया है लेकिन युविका को उसकी बातों पर विश्वास नही हुआ। लेकिन जब एक साल तक भी सूरज वापस नही आया तो युविका ने अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया और पूरे मन से पढ़ाई की। अच्छे नंबर से बारहवीं पास किया और सारी पुरानी यादों को पीछे छोड़ यहां आ गयी।

युविका की आंखों से आंसू बहने लगे। वह बार बार अपने आंसुओं को पोछने की कोशिश कर रही थी लेकिन आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे। थोड़ी देर तक रोने के बाद उसने अपना फोन निकाला तो उसमें अक्षरा के दस मिस्ड कॉल्स लगे थे।उसने अभी कॉल करना सही नही समझा इसलिए मैसेज कर दिया-"मैं घर जा रही हूं अभी रास्ते मे हूँ, घर पहुँच कर बात करती हूं।"

अक्षरा ने जब मैसेज देखा तो उसने अवि को कॉल करके बता दिया। ये सुनकर अवि की कुछ परेशानी कम हुई।

युविका ने सूरज को कॉल किया और बोली- "सूरज तुम कहाँ हो अभी?"

सूरज-" मैं तो मासी के यहां आया हूँ तुम्हारे गांव।"

युविका-"क्या तुम मुझे पुराने मंदिर में आकर मिल सकते हो?" सूरज-" तुमने मुझे माफ़ कर दिया युविका।"

युविका-" तुम मिल सकते हो या नही।" सूरज-ठीक है कब आना है?" युविका-"अभी आधे घण्टे में।" सूरज-"ठीक है रुको मैं आता हूँ बस।" युविका-"ओके..."

 

इतना कहकर युविका ने कॉल कट कर दी और सोचने लगी कि उसे सूरज से क्या बोलना है? दूसरी तरफ सूरज बहुत खुश था, उसे लग रहा था युविका ने उसे माफ कर दिया। वह जल्दी जल्दी तैयार होकर पुराने मंदिर पहुँचा। युविका वहाँ पहले से बैठी हुई थी।

 सूरज को देखकर एक बार तो उसे लगा कि वह जाकर उसके गले लग जाये और उससे पूछे कि क्यों चले गए थे मुझे छोड़कर, लेकिन उसने खुद को कमजोर नही होने दिया। युविका को देखते ही सूरज बोला- "किट्टू (युविका के घर का नाम) ये तुम ही हो, कितना बदल गयी हो तुम पूरे दो साल बाद देख रहा हूँ मैं तुम्हे"

युविका- "हाँ सूरज मैं ही हूँ एंड प्लीज डोंट कॉल मी किट्टू, तुम भी मुझे युविका ही बोलो।"

सूरज- "लेकिन क्यों? मैं तो हमेशा तुम्हे किट्टू ही बोलता था।"

युविका- "जब बोलते थे सूरज, तब बात अलग थी। अब मुझे इस नाम से बुलाने का हक सिर्फ मेरे घर वालों को है।और हाँ मैंने तुम्हें यहां सिर्फ इसलिए बुलाया है कि मैं अपना पास्ट भूल चुकी हूं बेहतर है तुम भी भूल जाओ। अब हम दोनों के रास्ते अलग है।"

सूरज- "मैं तुम्हे नही भूल सकता युविका और मैं जानता हूँ तुम भी मुझे कभी भूल नही पाओगी।"

युविका- "जैसे दो साल पहले भूल गए थे वैसे ही भूल जाओ और एक बात मैंने तुम्हें एक साल पहले ही भुला दिया था। अब मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कोई फीलिंग नही  है।"

सूरज- "प्लीज युविका मुझे माफ़ कर दो। प्लीज एक बार मैं नही रह सकता तुम्हारे बिना।"

युविका- "नही सूरज अब नही एंड मुझे जाने दो मैंने सिर्फ तुम्हे यही समझाने के लिए बुलाया था कि अब हमारे रास्ते अलग है। मैं अपनी लाइफ में कुछ बनना चाहती हूं। तुम भी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।"

सूरज- "युविका प्लीज मान जाओ न, एक मौका दे दो  प्लीज़ ।" 

सूरज अब रोने लगा था, युविका के लिए वहां से जाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि वह सूरज को रोता हुआ नही देख सकती थी। सूरज का रोना युविका को कमजोर कर गया और वह रुक गयी।

युविका- "ठीक है सूर, मैंने तुम्हें माफ कर दिया लेकिन हमारे रास्ते अलग ही रहेंगे।"

सूरज- "मैं नही रह पाऊंगा युविका।"

युविका- "मेरे दिल मे प्यार खत्म हो चुका है , फिर भी अगर तुम्हें दोस्त बनके रहना है तो तुम रह सकते हो।"

सूरज- "ठीक है तुम अगर दोस्त ही रहना चाहती हो तो ठीक है, मैं तुम्हारा दोस्त बनकर ही खुश हूं। प्लीज़ मुझे कभी छोड़ के मत जाना।"

युविका- "सूरज प्लीज़ अब रोना बन्द करो एंड अब मैं जा रही हूं। मम्मा वेट कर रही होंगी मेरा।"

सूरज- "चलो मैं तुम्हे बाइक से छोड़ देता हूँ ।"

युविका- "नही अब नही, मैं चली जाउंगी, मैं लोगों की बातें और नही सुन सकती। जो रिश्ता खत्म हो गया है उसे अब खत्म ही रहने दो।"

सूरज- "ठीक है फिर जाओ तुम, मैं शाम को आऊंगा।"

युविका- "नही, तुम घर मत आना। अगर तुम चाहते हो कि मैं तुमसे दोस्ती रखूँ तो घर मत आना।"

सूरज- "ठीक है नही आऊंगा, जो तुम बोलोगी वही करूँगा , लेकिन तुम मुझे छोड़ कर मत जाना।"

युविका- "ठीक है.." इतना कहकर युविका वहां से चली गयी और सूरज उसे जाते हुए देखता रहा।

 

घर पहुंच कर युविका ने अपने हाथ पैर धोए तब तक उसकी माँ उसके लिए नास्ता ले आईं। रोने की वजह से उसकी आंखें लाल थी। मम्मा उसकी आंखे देखकर ही समझ गयी कि युविका बहुत रोई है। उन्होंने युविका से पूछा-" क्या बात है बेटा, तुम परेशान हो?

युविका- "नही मम्मा ऐसी कोई बात नही है। मैं ठीक हूँ।"

मम्मा- "तो फिर तुम्हारी आंखे इतनी लाल क्यों है?"

युविका- "मम्मा वो रास्ते मे धूल मिट्टी बहुत उड़ रही थी इसलिए।"

"तुम अपनी मां से झूठ बोल रही हो युविका"

"नही मम्मा मैं झूठ क्यों बोलूंगी?" युविका अपनी आँखों को साफ करते हुए बोली।

मम्मा- "सच बताओ सूरज की वजह से परेशान हो।"

युविका अपनी माँ के पैर पर सर रखकर लेट गयी और रोने लगी- "हाँ मम्मा सूरज की कॉल आयी थी और मुझसे माफी मांग रहा था।"

माँ उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली- "हाँ कल घर भी आया था और मुझसे माफी मांग रहा था। बता रहा था कि उसकी मम्मी की तबियत बहुत खराब हो गयी थी इसलिए वो लोग उनके इलाज के लिए कहीं दूसरे शहर चले गए थे और ये सब अचानक हुआ इसलिए वो लोग कुछ बता नही पाए।

युविका- "लेकिन मम्मा वह मुझे एक बार काल तो कर सकता था।"

मम्मा- "मैंने भी यही कहा तो उसने कहा कि उसके पास नंबर नही था।"

युविका- "अब मैं क्या करूँ मम्मा।"

मम्मा- "बेटा, तुम्हे एक बार सूरज को मौका देकर देखना चाहिए।"

युविका- "मम्मा , ये आप बोल रहे हो।"

मम्मा- "हां बेटा क्योंकि मैं तुम्हारी खुशी चाहती हूं और मैं जानती हूं कि तुम्हारी खुशी सिर्फ सूरज में है। तुम आज भी उससे प्यार करती हो। इसलिए उसे माफ कर दो , उसमे उसकी गलती नही है। हालात ही ऐसे थे।"

 

क्या करेगी युविका? क्या वो सूरज की उन गलतियों को कर देगी माफ? या अवि के साथ वो चुनेगी अपनी नई ज़िंदगी को? मिलेगा सभी सवालों के जवाब बस बने रहिए हमारे साथ। 

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