युविका- "ठीक है मम्मा, आप कहते हो तो मैं कोशिश करूँगी।"
इतना कहने के बाद वह ऊपर अपने कमरे में चली गयी। दूसरी तरफ उसकी मम्मा सोच रही थी-"कैसे बताऊं युविका तुम्हे की, तुम्हारे पापा ने सूरज के साथ तुम्हारा रिश्ता बहुत पहले ही तय कर दिया था, हमे पता था कि सूरज कहाँ है लेकिन तुम्हारी पढ़ाई की वजह से हमने तुम्हे कुछ नही बताया। सबको पता है युविका तुम्हारे और सूरज के रिश्ते के बारे में सिवाय तुम दोनों के।"
युविका की मां जानती थी कि जब ये युविका को पता चलेगा तो उसे बहुत बुरा लगेगा लेकिन उन्होंने जो कुछ भी किया था सब युविका के भविष्य के लिए ही तो किया था ताकि वह कुछ बन जाये। उन्हें सूरज पहले से ही पसन्द था। सूरज एक अमीर फैमिली का इकलौता लड़का था और सबसे बड़ी बात वह युविका से बहुत प्यार करता था इसलिए किसी को भी इस रिश्ते से कोई एतराज नही था।
युविका जब रूम पर गयी तो उसे अक्षरा का ख्याल आया, उसने अक्षरा को कॉल लगाया तो उसने उठाया नही। फिर उसने न जाने क्या सोचकर अवि को कॉल लगा दिया। अवि का फोन बज रहा था लेकिन अवि किसी काम मे बिजी था तभी अर्जुन ने अवि के फोन पर इश्का नाम से कॉल आते देखा तो सोचने लगा कि ये इश्का कौन है फिर कुछ सोचकर कॉल उठा लिया। दूसरी तरफ से आवाज आई- "हेलो अवि सर।"
अर्जुन- "मैं अर्जुन बोल रहा हूँ।"
युविका- "अर्जुन सर आप, अवि सर नही है क्या?"
अर्जुन- "नही लेकिन तुम कौन?"
युविका- "मैं युविका.." अर्जुन,"अच्छा तो तुम हो इश्का(धीरे से), वही तो मैं सोचूं ये अवि की लाइफ में इश्का कौन आ गयी तुम्हारे सिवाए?"
युविका- "कैसे है आप सर?"
अर्जुन- "मैं ठीक हूँ लेकिन तुम बताओ तुम तो ठीक हो न। मुझे पता चला तुम रो रही थी सुबह।"
युविक- "सुबह क्या मैं तो अभी भी रो ही रही हूँ। (मन मे ) नही तो किसने कहा आपसे?"
अर्जुन- "बस पता लगा मुझे।"
युविका- "हाँ पता है मुझे किसने कहा होगा?"
अर्जुन- "अवि ने तो बिल्कुल नही कहा।"
युविका- "मैंने तो अवि सर का नाम ही नही लिया।" तब तक फोन अवि ने ले लिया और उसने युविका को सर बोलते सुन लिया।
अवि- "तुम सुधर नही सकती न।"
युविका- "अब मैंने क्या किया?"
अवि- "मैंने कितनी बार बोला मुझे सर मत बोला करो।"
युविका- "अरे वो तो मैं अर्जुन सर से बोल रही थी। मुझे क्या पता फोन आपने ले लिया है?"
अवि- "वैसे तुम्हे हुआ क्या है आज?"
युविका- "क्या? मुझे तो कुछ भी नही हुआ।"
अवि- "अगर दोस्त मानती हो बताओ बात क्या है। तुम मुझे वह युविका नही लग रही जो हमेशा हँसती रहती है और दूसरों को भी हँसाती रहती है।"
युविका- "कुछ नही सर बस थोड़ा परेशान हूँ।"
अवि परेशान होते हुए- "क्यों क्या हुआ? फिर कोई बात हो गयी क्या? घर पर किसी ने कुछ बोला क्या?"
युविका- "नही घर पर किसी ने कुछ नही बोला।"
अवि- "फिर क्या हुआ?कुछ बताओगी "
युविका- "मंडे को कॉलेज में मिलते है। फिर मुझे पूछना है कुछ सबसे।"
अवि- "ठीक है लेकिन कुछ तो बताओ।"
युविका- "नही सर अभी नही, अभी दिमाग काम नही कर रहा। ओके मैं आपसे बाद में बात करती हूं "
अवि- "ओके बाय युविका, ख्याल रखना।" युविका-"आप भी सर...।"
अवि थोड़ा गुस्से से- "युविका..."
युविका कॉल कट कर देती है और अवि फिर से परेशान हो जाता है ये सोचकर कि पता नही अब क्या हो गया?
अगले दो दिनों तक युविका घर पर रही। सूरज का कॉल अब अक्सर करके आ जाता और न चाहते हुए भी युविका को उससे बात करनी पड़ती। सूरज चाहता था कि युविका फिर से उसके लिए उसकी किट्टू बन जाये लेकिन युविका के लिए ये सब मुश्किल हो रहा था। वह फिर से अपने आप को तकलीफ नही देना चाहती थी। मंडे को युविका वापस रूम पर पहुँची लेकिन उस दिन कॉलेज नही गयी। सभी कॉलेज में उसका वेट कर रहे थे लेकिन युविका नही आई। अवि ने कॉल भी किया लेकिन उसने उठाया नही। अगले दिन युविका कॉलेज पहुँची। युविका को देखकर उसके दोस्तों के चेहरे में स्माइल आ गयी, सब बहुत मिस कर रहे थे।
लेकिन युविका के चेहरे की स्माइल कहीं गायब सी थी उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वह कई रातों से ढंग से सोई नही है। वह बहुत बीमार और थकी थकी लग रही थी। सबने युविका से पूछा कि क्या हुआ तो उसने कुछ नही बस थकान है कहकर बात को टाल दिया। अवि जब कॉलेज पहुँचा तो उसकी नजरें भी युविका को ढूंढ रही थी। लेकिन युविका उसे कहीं दिखाई नही दी। तभी उसे सामने से सिद्धार्थ अक्षरा और रोशनी आते दिखाई दिए।
अवि- "क्या युविका आज भी कॉलेज नही आई?"
सिद्धार्थ- "आयी तो है सर..."
अवि- "कहाँ है मुझे दिखाई नही दी?"
रोशनी- "वो कैंटीन में है, कुछ परेशान है आज उसने क्लास भी नही की। हम लोग बस वही जा रहे है।"
अवि- "ठीक है मैं भी चलता हूँ।"
अवि भी उन लोगों के साथ कैंटीन की तरफ बढ़ गया। उसे दूर ही एक कोने पर युविका बैठी दिखाई दी, उसका चेहरा उतरा उतरा लग रहा था। युविका की ऐसी हालत देखकर अवि बहुत परेशान हो गया। सब उसके पास जाकर बैठ गए । अवि उसके सामने पड़ी चेयर पर बैठ गया और उसके चेहरे पर आए भावों को पढ़ने लगा।
तभी थोड़ी देर के बाद युविका बोली- "मैने तुम लोगों को यहां एक सजेशन लेने के लिए बुलाया है। क्योंकि मुझे बिल्कुल समझ नही आ रहा क्या करूँ?" उसकी आंखें भर आयीं जिसे अवि ने देख लिया। वह चुपचाप अपनी आंखों में आये आंसुओ को पोछने लगी।
अक्षरा- "हाँ बोलो युविका क्या बात है?"
युविका- "ठीक है पहले तुम लोग मेरी पूरी बात सुनो उसके बाद मुझे बताना की मैं क्या करूँ अब?"
अक्षरा- "ठीक है बताओ।" इसके बाद युविका ने अपनी और सूरज की कल तक की पूरी कहानी बता दी और साथ मे ये भी बताया कि उसकी मां भी चाहती है कि मैं सूरज को माफ कर दूं।
युविका की बात सुनकर अवि का तो जैसे दिल ही टूट गया, बाकी सबकी नजरें भी अवि की तरफ थी जो बड़ी मुश्किल से अपने आंसुओं को छुपाने की कोशिश कर रहा था।
थोड़ी देर बाद अवि खुद को सम्भालते हुए बोला-" तो तुमने क्या सोचा, तुम क्या चाहती हो?"
युविका- "मुझे लगता है मुझे एक बार उसे मौका देना चाहिए। उसकी मजबूरी न होती तो वह मुझे कभी छोड़कर नही जाता।"
अक्षरा- "लेकिन युविका, मुझे नही लगता कि..."
युविका- "क्या नही लगता अक्षरा .."
अक्षरा- "कुछ नही, हम इसमे कुछ नही कह सकते युविका, तुम्हारा दिल जो कहे तुम वही करो। वैसे भी हमेशा दिल की सुननी चाहिए।"
युविका- "मुझे तो लगता है मैं उसे माफ कर दूं।"
अवि- "ठीक है युविका, तुम्हें जो सही लगे तुम वही करो। हम हमेशा तुम्हारे हर फैसले के साथ खड़े है। तुम जो करोगी सही ही करोगी।"
युविका- "ठीक है थैंक यू , तुम लोगों ने मेरी प्रॉब्लम सॉल्व कर दी। तुम लोग मेरे सच्चे वाले दोस्त हो। लव यू आल।"
"वी टू" सब एक साथ बोले।
थोड़ी देर के बाद युविका वहां से चली गयी। वह अब खुश थी। दूसरी तरफ अवि का दिल टूट चुका था। उसके आंसू बहने लगे, सब मिलकर अवि को संभालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन नही सम्भाल पा रहे थे। आस पास बैठे सारे लोग अवि को देख रहे थे। थोड़ी देर बाद अर्जुन को पता चला कि अवि को पता नही क्या हो गया है तो वह भागकर कैंटीन गया। वहां उसे अवि रोता हुआ मिला। बाकी सब भी वहां आकर खड़े हो गए। अर्जुन सबसे पूछ रहा था कि अवि को क्या हुआ है लेकिन कोई कुछ नही बता रहा था।
तभी अवि बोला- "अर्जुन मुझे रूम पर ले चल।"
अर्जुन सिद्धार्थ का सहारा लेकर अवि को रूम पर ले गया। अवि की हालत अचानक से बहुत बिगड़ गयी थी। वह खुद को संभाल ही नही पा रहा था। शायद उसे सदमा लगा था युविका को खोने का। उसकी लव स्टोरी शुरू होने से पहले ही खत्म हो गयी थी। अर्जुन और सिद्धार्थ अवि को रूम पर ले गए। सिद्धार्थ अवि को छोड़कर वापस आ गया और अर्जुन वही रुक कर उससे पूछने लगा कि क्या हुआ है? उस वक्त वह कुछ बताने की हालत में नही था उसने सिर्फ इतना ही कहा-"कुछ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दो।" इतना कहकर वह चुपचाप लेट गया। उसकी आँखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे।
दूसरी तरफ अर्जुन के पास अक्षरा की काल आयी और उसने अर्जुन को युविका की सारी बातें बता दी। अक्षरा की बात सुनकर अर्जुन को भी बहुत दुःख हुआ। क्योंकि वह जानता था कि पहली बार उसके भाई को किसी से प्यार हुआ है और उसका वो प्यार भी अधूरा रह गया। फोन रखकर अर्जुन अवि के पास आया तो देखा कि अवि सो चुका था। वह चुपचाप उसके सिर के पास बैठ गया और उसके सिर पर हाथ फेरने लगा।
अवि के पास बैठे बैठे ही अर्जुन को भी नींद आ गयी और वह वही सो गया। शाम को जब अवि की नींद खुली तो उसने अर्जुन को अपने पास सोता पाया। उसका सिर दर्द की वजह से फटा जा रहा था। वह अर्जुन को डिस्टर्ब नही करना चाहता था इसलिए बिल्कुल हल्के से उठने की कोशिश की लेकिन अवि के उठने से पहले ही अर्जुन की आंख खुल गयी। उसने अवि से पूछा- "क्या हुआ?"
अवि- "कुछ नही सर में बहुत दर्द हो रहा है।"
अर्जुन उसके सिर को टच करता है तो उसका सिर आग की तरह तप रहा होता है।
अर्जुन- "अरे तुम्हे तो बुखार है।"अवि-"नही बस सर दर्द हो रहा है।"
अर्जुन- "नही तुम्हारा शरीर बहुत तेज तप रहा। तुम यही रुको मैं दवा लाता हूँ।"
अवि उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है- "नही तुम कहीं मत जाओ ,मैं ठीक हूँ । तुम यही मेरे पास रहो।"
अर्जुन- "मैं यही हूँ, लेकिन दवा कौन लाएगा?"
अवि- "अरे मैं ठीक हूँ न।"
अर्जुन- "नही तुम्हे बहुत तेज बुखार है मैं वरुण को कॉल कर देता हूँ वो दवा ले आएगा।"
अर्जुन फोन निकाल कर वरुण को अवि के लिए दवा लाने के लिए कहता है खुद अवि को लेटा कर उसके सिर पर ठंडे पानी की पट्टी करने लगता है। अवि अपनी मासूम आंखों से बड़े ध्यान से अर्जुन को देख रहा था, तभी अर्जुन की नजर उसपर पड़ती है तो पूछता है- "क्या हुआ , तू ऐसे क्यों देख रहा?"
अवि- "कुछ नही बस ये सोच रहा हूँ अगर तू न होता तो मेरा क्या होता?"
अर्जुन- "मैं कैसे नही होता? अब तू ज्यादा न सोच चुपचाप आंख बंद करके लेट।"
अवि- "भाई वो युविका...।"
अर्जुन- "कुछ बोला है न मैंने तुझे , बस चुपचाप लेटा रह।बोलने के लिए नही बोला है।"
अवि (मासूम सा फेस बनाते हुए)- "डाँट रहे हो।"
अर्जुन- "अगर और बोला तो मारूंगा भी।"
अवि- "ठीक है फिर नही बोलूंगा और वह सिर घूमा कर लेट गया।"
अर्जुन- "अरे इधर कर सिर। पट्टी करने दे मुझे वरना सच मे बहुत मारूंगा।"
अवि सिर इधर करता है तो उसकी आँखों मे आंसू होते है। अवि जल्दी से अपने आंसू छुपाने की कोशिश करता है लेकिन अर्जुन से नही छुपा पाता। अब वह जोर जोर से रोने लगता है।
अवि- "क्यों भाई मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ? मैंने तो उससे सच्चा प्यार किया है। पहली बार मुझे कोई लड़की पसन्द आयी और उसे भी भगवान ने मुझसे दूर कर दिया।"
अर्जुन चुपचाप अवि के चेहरे को देख रहा था उसे भी अपने भाई के लिए उतना ही दुख हो रहा था। आंसू उसकी भी आंखों में थे लेकिन वह अवि के सामने रोना नही चाहता था वरना अवि को कौन संभालता? थोड़ी देर तक रूम में बिल्कुल शांति थी। तभी गेट पर किसी के आने की आहट हुई।
आखिर कौन था दरवाजे के बाहर? कहीं वो युविका तो नहीं? क्या वो अवि के प्यार को एक्सेप्ट करने आई थी या था कोई और? क्या होगा अवि और युविका की प्रेम कहानी को? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ।
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