अनुज माहिर के वार से बाल बाल बचा। वो सोफे से खड़ा हो गया और हैरानी से माहिर की ओर देखते बोला- "ये क्या था मुझे लग जाता?"
माहिर उसे अभी भी घूर रहा था।
अनुज उसकी तरफ चला आया- “ओह सच सुना नहीं गया माहिर खन्ना से। मान क्यों नहीं लेते जो मैने अभी कहा वो सच है।”
माहिर दांत भींचते- “मुंह बंद रखो अपना।”
अनुज-"गुस्सा क्यों हो रहे हो, मैं जानता हूं तुम मिस अयाना का वेट उस तरह नहीं कर रहे हो। उस तरह कर रहे हो मेरा मतलब यहां प्यार थोड़ी है यहां तो तकरार है। कब वो आए और कब तुम उसके साथ वो सब करो जो तुमनें प्लान कर रखा है, आईमीन औकात दिखाना चाहते हो ना तुम मिस अयाना को…राईट।"
ये सुन माहिर को अपना मकसद याद आ गया पल भर में गुस्से वाले भाव बदल गये वो तिरछा मुस्कुराते हुए बोला- "वो समझती है उसे मैं हरा नहीं सकता हूं, पर जल्द ही वो समझ जाएगी माहिर खन्ना हारने के लिए जीतने के लिए बना है। जब जीत मेरी होगी तब हार तो उसी की होगी न?"
अनुज बोल पड़ा- "अगर हार जीत का मामला ही ना रहे तो?"
माहिर ने भोहें सिकोड़ते अनुज की तरफ देखा- "व्हाट यू मीन?"
अनुज मुस्कुराते हुए- "ये जो जंग छेड़ रहे हो तुम कल को जंग ही न रही तब क्या करोगे? जीत कर भी हार हुई है ऐसा फील हुआ तब क्या करोगे?"
माहिर मुस्कुरा दिया- "दिमाग सही जगह है न तुम्हारा या उस अयाना मिश्रा का असर हो गया है जो अजीब सी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो तुम?"
अनुज हंस दिया- "अजीब, बहकी बहकी बातें….असर वो भी मिस अयाना का सिरियसली माहिर एनीवेज ये तो जल्द पता चल जाएगा, असर कहां और किस पर हो रहा है वैसे एक बात बोलूं, अयाना टूटने वालों में से नहीं है अगर तुम्हें लगता है तुम उसे तोड़ दोगे तो ऐसा कभी नहीं होने वाला। बहुत मजबूत लड़की है वो, तुम जो मुश्किलें उसके सामने लाना चाहते हो ना वो पहले ही उससे भी ज्यादा मुश्किलों का डटकर सामना कर चुकी है।"
ये बात सुन माहिर को गुस्सा आ गया वो चेयर से उठा और अनुज पर चिल्लाते बोला- "व्हाट द हेल तुम मेरे सामने उसकी तारीफ कर रहे हो उस लड़की की जिसने मेरी इंसल्ट की, जिसकी हैसियत मेरे सामने खड़े होने की भी नहीं है तुम उसकी तरफदारी कर रहे हो?"
"तरफदारी नहीं, मैं सच्चाई बता रहा हूं।" अनुज बोल रहा था कि माहिर ने उसकी बात काट दी- "जस्ट शट अप सच्चाई मुझे बताने की जरूरत नहीं है, सच मैं जानता हूं उस अयाना का तो अच्छे से, औकात दो कोड़ी की नहीं बनती ऐसे है जैसे शहजादी हो। जो उसने किया है न उसकी किम्मत तो उसे चुकानी होगी माहिर खन्ना से दुश्मनी की है उसने? कीमत चुकाएगी अच्छे से वो, तुम भी देखोगे। गलती जो की है उसकी माफी नहीं सजा है और ऐसी सजा जो सिर्फ उसे ही नहीं उनको भी मिलेगी जिनका उनसे वास्ता है, तुम्हें देखकर लग रहा है तुम्हारी भी सगी बन रही है, सो बी केयरफुल। अब तक अयाना मिश्रा की जिंदगी के कुछ घंटे ही माहिर खन्ना ने बर्बाद किये थे आज से हर पल बर्बाद होने वाला है, जिंदगी जहन्नुम कैसे बनाता हूं देखते जाओ......"
बोलते माहिर वहां से जाने लगा। जाते अनुज सामने आया तो उसे धक्का देकर साईड में धकेलते वहां से चला गया।
अनुज उसे जाते देख- “जो मैं देख पा रहा हूं वो तुम नहीं देख पा रहे माहिर। आई होप टाईम रहते देख-समझ लो वरना पछतावे के अलावा शायद ही तुम्हें कुछ और मिले। डर लग रहा है कभी नहीं हारने वाला माहिर खन्ना इस बार हार न जाए। जीत भी हुई तो हार उस पर भारी न पड़ जाए। तुम्हारा जूनून कहीं तुम्हारा सुकून न छीन ले।”
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मिश्रा हाऊस
अयाना ऑफिस के लिए रेडी हो रही थी तभी पिहू रूम में आ गयी- "अयू दी हो गये रेडी?"
"हां पिहू" अयाना ने बैड से अपना बैग उठाते बोला।
पिहू अयाना के सामने आ खड़ी हुई और बोली- "आज तो आप लेट नहीं होगें न?"
“कोशिश तो यही है पिहू बाकि कुछ कह नहीं सकते, अच्छा मैं निकलती हूं। निकलूंगी घर से तभी पहुंचूंगी न” कहते अयाना पिहू के गले लगी।
"बेस्ट ऑफ लक दी और हां डरना मत उस माहिर खन्ना से, ओके। पिहू अयाना के गले लगे-लगे कहती है, अयाना मुस्कुरा दी, पिहू से अलग होकर उसके गाल पर हाथ रखा और कहा- "नहीं डरूंगी, ब-बाय, शाम को मिलते है......" कह अयाना जल्दी से वहां से चली गयी, उसे जाते देख पिहू हाथ जोड़ ऊपर की ओर देखते माता रानी से प्रार्थना करते बोली- “हे मातारानी मेरी अयू दी को हिम्मत देना दी उस माहिर खन्ना का डटकर सामना कर सके और उस माहिर खन्ना को सदबुद्धि जो वो मेरी अयू दी को ज्यादा परेशान न करे।”
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मेहरा इंडस्ट्रीज के सामने ऑटो रूकता है, अयाना उस ऑटो से उतरी और ऑटोवाले को पैसे देकर हाथ में बंधी घड़ी की ओर देखते ऑफिस बिल्डिंग की तरफ बढ़ी- "15 मिनट पहले ही आ गयी मैं, थैंक्यू माता रानी वक्त पर ऑटो मिल गया और जल्दी पहुंच भी गयी। अब देखती हूं कैसे भगाता है कल जैसे मुझे वो माहिर खन्ना यहां से, आज लेट नहीं हुई बल्कि पहले ही आ गयी हूं आठ बजने में अभी टाईम है....." बोलते-बोलते अयाना एंट्री गेट के पास जा पहुंची, गार्ड ने उसे देखा तो हल्का सा मुस्कुरा दिया।
अयाना उसकी ओर देखते अंदर की ओर इशारा करते बोली- "आज तो नहीं रोकोगे न मुझे अंदर जाने से?"
गार्ड- "कल भी नहीं रोकता अगर ऑर्डर न होता तो, आज मुझे आपको बाहर रोकने का ऑर्डर नहीं दिया है।"
अयाना मुस्कुरा दी- "सही है, वैसे भी मैं आज देर से नहीं वक्त से पहले आई हूं तो क्यों ऑर्डर मिलता मुझे रोकने का एंड डोंट वरी मैं यूं ही कह रही हूं म़ुझे बुरा नहीं लगा कल आपने जो किया। आप तो अपनी ड्यूटी कर रहे थे और ड्यूटी में वो करना पड़ता है जो करने का ऑर्डर मिलता है।"
गार्ड ने हां में सिर हिलाया- "हां, आज आपका यहां पर पहला दिन है न? अब से आप यहीं जॉब करने वाली हो न?"
ये सुन अयाना धीरे से बड़बड़ाई- “हम्म पहला दिन, यहां जॉब करने वाली हूं मर्जी से नहीं मजबूरी से।”
तभी गार्ड ने उसके सामने हाथ हिलाया- "हेल्लो क्या हुआ? बोलिए न?"
अयाना बत्तीसी दिखाते- "जी सही कहा आपने आज मेरा पहला दिन है यहां, पहली जॉब पहला ऑफिस जहां मैं काम करने वाली हूं।"
"बेस्ट ऑफ लक" गार्ड तपाक से बोला।
"थैंक्यू" अयाना ने गार्ड से कहा और फिर अंदर की ओर बढ़ गयी।
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माहिर अपने केबिन में सोफे पर स्टाईल से बैठा अपने फोन में गेम खेल रहा था। अनुज भी वहीं था तभी उसका फोन रिंग किया। वो कॉल रसीव करता है- "हेल्लो, ओके......." इतना कह वो कॉल कट कर माहिर की ओर देखते बोलता है- "वो आ गयी।"
दरअसल अनुज को गार्ड ने फोन करके अयाना के वहां आने का इंफोर्म किया। अनुज ने जैसे ही “वो आ गयी” कहा माहिर के हाथ फोन को टच करते-करते रूक गये और वो एटीट्यूड वाले लहजे में अनुज से बोलता है- "यहां भेजो उसे…"
"ओके सर" बोल अनुज वहां से चला गया।
माहिर ने अपना फोन अपने कोट की जेब में डाला और खुद अपनी चेयर पर स्टाईल से आकर बैठ गया- "तुम आ ही गयी, आज से अभी से शुरू होगा एक ऐसा खेल जिसमें अयाना मिश्रा माहिर खन्ना के इशारे पर चलेगी सिर्फ माहिर खन्ना के........" बोलते वो तिरछा मुस्कुरा देता है।
अनुज बाहर आकर अयाना से मिलता है। "हेल्लो मैनेजर अनुज" अयाना मुस्कुराते बोली।
"हेल्लो मिस अयाना"अनुज भी मुस्कुरा दिया।
"आपके बॉस ऑफिस में है?" अयाना ने पूछा।
"आपके नहीं हमारे बॉस" अनुज बोला….
"ऐसा कहना जरूरी है" अयाना मुंह बनाते बोली।
“कहना तो जरूरी नहीं पर सच यही है और सर आ चुके है, अपने केबिन में है, आपको बुलाया है चले?” बोलते अनुज ने माहिर के केबिन की ओर देखा।
अयाना माहिर के केबिन की ओर देख अपनी वॉच की ओर देखती है- "अभी नहीं"
ये सुन अनुज हैरान हो गया। वो कुछ कहता अयाना वहां मौजूद लोगों की ओर आईमीन वहां के एम्प्लॉयज की ओर देखते बोली- "मैनेजर अनुज मुझे लगता है मेरा यहां आना इन सबको अच्छा न लगा। देखिए न कोई खुश ही नजर नहीं आ रहा है, जब से आई हूं मैं यहां तब से पता नहीं खुसर फुसर कर रहे है, देख तो ऐसे रहे है मुझे जैसे इनका जी चाहता हो ये मुझको कच्चा चबा जाए। जैसा बॉस यहां का वैसे ही उसके यहां काम करने वाले।"
अनुज बोल पड़ा- "काम तो मैं भी यहीं करता हूं।"
अयाना -"मैने आपके बारें में नहीं कहा, वैसे आप तो सबसे अलग है और अच्छे भी, बाकि यहां किसी को भी देखकर फील ही नहीं आया कोई अपने टाईप का है पर आपको देखकर लगता है आप यहां है तो मेरा यहां रहना आईमीन काम करना इजी रहेगा वरना मैं तो यहां सांस भी न ले पाती।
तभी माहिर की आवाज आई- "काम करने की जगह है ये बातें करने की नहीं।"
ये सुनते ही अनुज अयाना ने माहिर की तरफ देखा जो अपने केबिन के बाहर खड़ा था वहीं सब एम्प्लॉयज उसी वक्त अपने अपने काम में लग गये।
माहिर की नजरें अयाना पर ठहर गयी, व्हाईट कुर्ती, ब्लू जीन्स, बंधे बाल, कानों में सिंपल सी बालियां जो उसके गालों को बार-बार चूम रही थी। सादगी से पूर्ण खूबसूरती अयाना को बेहद प्यारा बना रही थी ऊपर से उसकी मासूमियत जो माहिर का ध्यान उसकी ओर चुंबक की भांति अपनी तरफ खींच रहा था अयाना इस सबसे अंजान अनुज की तरफ देख रही थी वहीं माहिर बार-बार उससे नजरें हटाने में नाकाम हो रहा था।
अनुज ने "चलो" धीरे से कहा और अनुज अयाना दोनों माहिर की तरफ चले आए, उनको आते देख माहिर ने खुद पर कंट्रोल किया- "स्टॉप इट माहिर, क्या कर रहे हो तुम स्टॉप इट, इस इडियट लड़की के चक्कर में मकसद नहीं भूलना है। इसका भोलापन सादगी तुझे नहीं फंसा सकता, कभी नहीं फंसा सकता है, माहिर खन्ना पर आजतक किसी लड़की का असर नहीं पड़ा चाहे वो मिस वर्ल्ड ही क्यों न हो फिर ये अयाना मिश्रा तो कुछ भी नहीं।"
अनुज अयाना दोनों माहिर के पास आकर रूके कि माहिर अयाना से बोला- "वेलकम इन हेल।"
"जहां आप हो वहां हेल ही हो सकता है" माहिर से बोल अयाना इधर उधर देखने लगी वहीं उसका ऐसा जवाब पाकर माहिर ने गुस्से से दांत हाथ भींच लिये। अनुज को अयाना की ऐसी हाजिरजवाबी देख हंसी आ गयी, पर बेचारा अपने बॉस के डर से चाहकर भी हंस नहीं पाया। हंसी दबा ली पर माहिर ने अपना गुस्सा नहीं दबाया वो अनुज पर फूट पड़ा- "तुम्हें मैने क्या कहा था, तुम बाहर आकर इसके साथ बातें करने लग गये।
“नो सर, मैं बस लेकर ही आ रहा था मिस अयाना को” अनुज बोल रहा था कि अयाना बोल पड़ी- "पर मैं नहीं आ रही थी।"
इस पर माहिर कुछ कहता अयाना फिर बोल पड़ी- "दो मिनट बाकी है, मैने सोचा था कुछ देर आपकी शक्ल देखने से बच जाऊं, बाद में तो ऐसा होगा नहीं पर मैने जो सोचा वो नहीं हो सका एनीवेज चलिए मैनेजर अनुज एग्रीमेंट साईन करते है फिर मुझे मेरा काम बता दीजिएगा। मैं यहां काम करने ही आई हूं होप सो मुझे काम ही करने दिया जाए।"
माहिर ने अपना एक कदम अयाना की तरफ बढ़ाया और दांत भींचते बोला- "तुमसे यहां काम ही लिया जाएगा, आराम फरमाने के लिए मैने तुम्हें जॉब नहीं दी है, समझी।"
अयाना एक कदम पीछे होकर माहिर की आंखों में आंखें डाल आत्मविश्वास के साथ बोली- "आराम, वो भी आपके रहते, यहां.....आराम हराम करना जिंदगी खराब करना ये तो आपका पंसदीदा खेल है। तो हम ऐसा कभी सोच ही नहीं सकते, और हां बेफिक्र रहिए हम खुद को रेडी करके आए है, हमें पता है आप मुझसे यहां कोल्हू की बैल की तरह काम करवाएगें, आप अपना पैसा वसूल करने का वो भी सूद समेत एक भी मौका नहीं छोड़ेगे।"
ये सुनते ही माहिर तिरछा मुस्कुरा दिया, वही अयाना ने उसी पल उससे नजरें फेर ली।
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माहिर अपनी चेयर पर बैठा था, अयाना ठीक उसके सामने खड़ी थी, तभी अनुज एग्रीमेंट पेपर ले आया, माहिर की ओर देख "एग्रीमेंट" कहा और उसे अयाना की तरफ बढ़ा दिया।
अयाना ने फाईल ली, एक नजर माहिर की ओर देखा और फाईल पढ़ अनुज से बोली- "ये तो एग्रीमेंट की एक ही कॉपी है दूसरी कॉपी कहां है?"
ये सुन अनुज हैरानी से बोला- "दूसरी कॉपी" अनुज ही नहीं माहिर की भी हैरानी से भोहें सिकुड़ गयी तभी अयाना फिर बोल पड़ी- "हां दूसरी कॉपी....."
क्या सच में अयाना माहिर पर अपना असर डाल रही थी?
माहिर अपने मकसद आईमीन जिद्द से भटक तो नहीं जाएगा?
अयाना को दूसरी कॉपी एग्रीमेंट की क्यों चाहिए?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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