"क्यों खामख्वाह परेशान हो रही हो?" सार्थक ने साक्षी से पूछा तो साक्षी ने कॉफी मग को सार्थक के हाथों में थमाकर खुद बैड पर जाकर बैठ गयी और सार्थक को घूरते हुऐ बोली - “पूछ तो ऐसे रहे हो जैसे खुद कुछ भी जानते नहीं।”

सार्थक ने हाथ में मौजूद दोनों कॉफी मग टेबल पर रखे और साक्षी के पास आ बैठा और बोला- "जानता हूं पर मैं ये भी जानता हूं हमारे परेशान होने से कुछ नहीं होने वाला….होगा वही जो माही चाहेगा और वही हो रहा है।"

साक्षी ने सार्थक की तरफ देखा और कहा- “और वही तो समझ नहीं आ रहा सार्थक। एक ही दिन में इतना बदलाव? देख रहे हो न तुम भी माही को? हमारा माही ऐसा तो कभी नहीं था। आज उसकी हरकतें अलग ही है। सुबह बिना ब्रेकफास्ट ऑफिस भागा और उसके ऐसा करने पर रियू ने नाराजगी जताई तो वो उसको सॉरी बोल उसके साथ वीडियो गेम खेलने लग गया। सॉरी तो रियू को माही कभी कभी बोल भी देता है उसे मनाने के लिए पर सेडनली वीडियो गेम खेलना? ये तो संडे के दिन फिक्स है न? आज तो संडे भी नहीं है?....”

साक्षी बोल रही थी कि सार्थक ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया- "बस करो और फिर अपना चेहरा साक्षी के करीब लाते धीरे से बोला - “अयाना मिश्रा!”

साक्षी की भौहें चढ़ गयी- “अयाना मिश्रा?”

"हां अयाना मिश्रा नाम है उस लड़की का….तुमने नाम पूछा था न? मैने पता कर लिया नाम भी और ये भी माही ने रखा है उस लड़की को जॉब पर, वो लड़की अब से हर रोज माही के साथ माही के ऑफिस में काम करेगी।" सार्थक बोला

ये सुन साक्षी बैड से उठ गयी और बोली- “माही के साथ काम? सार्थक जैसे तुम सुबह उस लड़की की बातें मुझे बता रहे थे। वो लड़की आईमीन अयाना माही पर गुस्सा थी बहुत कुछ बोल रही थी माही के बारें में। माही खुद वो सब सुने तो उसे देखे न कभी उसे जॉब देना तो दूर….फिर भी अयाना को जॉब पर रखना और अयाना का जॉब एक्सेप्ट करना? तुम्हें यह अजीब नहीं लग रहा?”

सार्थक भी बैड से उठा और खुश होते बोला- "अजीब नहीं मुझे तो अच्छा लग रहा है। कुछ अलग मजेदार देखने को मिलेगा…"

साक्षी ने सार्थक को घूरा- "सार्थक प्लीज।"

सार्थक उसे कंधो से पकड़ते - "क्या प्लीज! समझो ना साक्षी? वो लड़की अयाना कौन सा माही के सामने उसे भला बुरा कह रही थी जो वो उसे जॉब पर नहीं रखता और अयाना ने जॉब ली है तो इसका मतलब साफ है ना वो अपने माही के साथ काम करना चाहती है उसे माही पंसद है।"

सार्थक बोल रहा था साक्षी ने उसकी बात को नकार दिया- “नहीं, नहीं बात कुछ और है। जो तुम्हें भी नहीं पता…अनुज ने भी तुम्हें उतना ही बताया जितना वो बता सकता था पर कहानी कुछ और ही है सार्थक।”

सार्थक- “कहानी कुछ और है या कोई कहानी बनने वाली है ये तो वक्त ही बताएगा।”

साक्षी- “फिर तो हमें भी तब ही पता चलेगा न जब वक्त बताएगा उससे पहले पता चले ये तो मुमकिन नहीं है, है ना?”

सार्थक- “या माहिर खन्ना के होते तो बिल्कुल मुमकिन नहीं।”

साक्षी- “वेट करना पड़ेगा?”

सार्थक- “और क्या?” 

साक्षी- “माही जानता होगा न अयाना के बारें में वो कैसी है?”

सार्थक- "ऑफकोर्स बिन जाने माही किसी से बात ना करें यहां तो लड़की है, जानता है उसे तभी तो पास जा रहा है उस लड़की के और उसे पास आने दे रहा है..." बोलते बोलते साक्षी की तरफ देखा जो उसे घूर रही थी उसको घूरता पाकर सार्थक ने बत्तीसी दिखाई और फट से भागकर दोनों कॉफी मग उठा लिए- "ठंडी हो रही है कॉफी पिओ। बाकि बातें तो बाद में भी होती रहेगी।" 

"ज्यादा न अपने मन से कोई भी कहानी मत बनाओ। यहां बात मेरे भाई की है। कुछ का कुछ और भी हो सकता है सो वेट एंड वॉच..."बोल साक्षी कॉफी पीने लगी और सार्थक भी।

---

मिश्रा हाऊस 

सुबह की ठंडी हवा चल रही थी। सूरज की हल्की किरणें घर में उतर आई थी। अयाना अपने रूम से बाहर आई तो उसने देखा प्रकाश जी और सविता जी दोनों आंगन में बैठे है। प्रकाश जी अखबार पढ़ रहे थे और सविता जी मटर छील रही थी। दोनों की ओर देखते अयाना किचन में चली गयी और जल्दी से चाय बनाकर ले आई - "मामा जी मामी जी चाय।"

दोनों ने ठंडी नजरों से अयाना की तरफ देखा। अयाना उनकी नजरें देख समझ गयी दोनों अभी भी नाराज है, नाराज ही नहीं परेशान भी वो भी कल की बात को लेकर। उसने हिम्मत जुटाई और मुस्कुराते प्रकाश जी की ओर चाय बढ़ाई- "मामा जी चाय?"

प्रकाश जी उसकी तरफ देखते है और बिन बोले चाय का कप पकड़कर उसे सामने टेबल पर रख देते है और वापस नजरें अखबार पर जमा लेते है।अयाना ने आह भरी और सविता जी की तरफ देखा जो उसे ही देख रही थी वो "मामी जी चाय" कहते उनकी ओर भी चाय का कप बढ़ाती है।

"रख दे" सविता जी टेबल की ओर इशारा करते बोली

तो अयाना ने "जी" कहते टेबल पर चाय का कप रख दिया। तभी पिहू वहां आ गयी- "अयू दी मेरी चाय?"

"है ना, ये ले" कहते ट्रे में मौजूद तीसरा कप अयाना ने पिहू की ओर बढ़ा दिया।
 
पिहू कप पकड़ते- "आपकी चाय?"

अयाना- “तू पी न पिहू, मैं बाद में पियूंगी वो भी तेरे हाथ की, तू चाय पी ले फिर मेरे लिए बना देना ओके।”

"ओके दी" पिहू मुस्कुराते बोली और चाय पीने लगी।

अयाना पिहू को चाय पीते देख खुश होती है वहीं वो उसी पल उदास भी हो जाती है प्रकाश जी सविता जी चाय नहीं पी रहे ये देखकर, सबसे ज्यादा बुरा तो उसको इस बात का लग रहा था उसके मामा जी ने अयाना के हाथ की चाय पीना तो दूर उसकी तरफ ठीक से आज देखा तक नहीं था जबकि उनका खरगोश तड़प रहा था कि कब उसकी तरफ प्यार से वो देखे और उसकी जान में जान आए।

तभी सविता जी उठकर किचन की तरफ जाने लगी कि अयाना उन्हें रोकते हुए बोली- “मामी कहां जा रही हो आप?”

सविता जी- "किचन में, नाश्ता बनाने।"

अयाना- "आप चाय पीजिए न, नाश्ता मैं बना दूंगी।"

सविता जी- "वो दिन गये, अब तेरा बॉस कहां तुझे घर के काम करने देगा? चौबीस घंटे अब उसी के तो काम करेगी तू" इतना कह सविता जी चाय का कप साथ में लेकर किचन में चली गयी।

अयाना ने पिहू की तरफ देखा। पिहू प्रकाश जी की ओर इशारा कर- "कुछ करो, बात करो अयू दी पापा से?" और फिर "आप यहां देखो? मैं मम्मी को देखती हूं" इशारों ही इशारों में बोलकर पिहू किचन में चली गयी।

अयाना प्रकाश जी की ओर देखते "मामा जी" कहते वो उनके पैरों के पास आ बैठी, हाथों से अखबार लिया और अपने कान पकड़ लिये- "सॉरी मामा जी, माफ कर दीजिए अपनी अयाना को, प्लीज नाराज मत हो अपने खरगोश से।"

प्रकाश जी ने अयाना के हाथ नीचे किये ,उसको खड़ा कर अपने पास बैठाया- "मैं अपने खरगोश से कभी नाराज हो सकता हूं?"

अयाना के होठों पर मुस्कुराहट आ गयी। 

प्रकाश जी फिर बोले- "और इसी बात को लेकर तुम मनमानी करती हो।"

अयाना ने उनके हाथ अपने हाथ में पकड़ लिये- "ऐसा नहीं है मामा जी। आपको तो सब पता है। प्लीज मान जाईए, मैने जो डिसीजन लिया है सच में बहुत सोच समझकर लिया है। आप तो जानते है ना मैं यूं ही कोई डिसीजन नहीं लेती। अगर लेती हूं तो कुछ वजह होती है और आपको तो वजह भी मालूम है मैने माहिर खन्ना की चौबीस घंटे वाली बात पर हां किया है तो समझकर ही किया है यकीन कीजिए।"
 
प्रकाश जी- “यकीन है बेटा पर चौबीस घंटे बहुत होते है।”

अयाना- “हां पर देखना आप वो पूरे चौबीस घंटे ही मुझसे काम नहीं लेगा अगर ऐसा होगा तो वो खुद भी परेशान हो जाएगा।”

प्रकाश जी- “मुझे उसकी परेशानी से कोई मतलब नहीं मुझे तेरी चिंता है बेटा, चौबीस घंटे नहीं भी लेगा काम तो कम घंटे में भी नहीं छोड़ेगा।”

अयाना- “मामा जी, आप न अब ये मत सोचिए और ना ही चिंता कीजिए, मैं सब संभाल लूंगी, ख्याल भी पूरा रखूंगी प्रोमिस, आप मेरी चिंता न कीजिए कुछ करना है तो साथ दीजिए हमेशा की तरह अपनी खरगोश का…मुझे आपके साथ आपके प्यार की जरूरत है, आप हो मेरा परिवार मेरे साथ है, मां भी साथ है और माता रानी भी तो है जल्द सब ठीक हो जाएगा। जिस मुश्किल में हम सब फंसे है उससे परमानेंट छुटकारा मिल जाए और हां मैने जल्द से जल्द माहिर खन्ना से पीछा छुड़ाने के लिए ही हां कहा है और इतना ही नहीं हम कुछ और भी देख लेगें जिससे और जल्द माहिर खन्ना के जाल से छूट पाए, अब तो मान जाईए।”

ये सुन प्रकाश जी "ठीक है" कहते अयाना के सिर पर हाथ रख देते है और बोले- "यही तुझे ठीक लग रहा है तो यही सही, बस तुझे कुछ नहीं होना चाहिए।"

"नहीं होगा, आप मान गये?" अयाना फट से बोली तो प्रकाश जी ने हां में सिर हिला दिया- “मान गया।”

ये सुनते ही अयाना खुश होते उनके सीने से लग गयी- "थैंक्यू, थैंक्यू मामा जी। मुझे पता था आप मान जाएगें। आप मान गये थैंक्यू....." तभी पिहू की आवाज आई - "मम्मी भी मान गई।"

अयाना ने सामने देखा, पिहू के साथ सविता जी खड़ी थी वो भी मुस्कुराते हुए। "सच" बोलते हुए अयाना उठ जाती है।

पिहू- "सच के साथ मुच भी अयू दी, मना लिया मम्मी को मैने, है ना मम्मी।"

सविता जी ने हां में सिर हिला दिया।

"कैसे पिहू?" कहते अयाना पिहू की तरफ चली आई। 

पिहू सविता जी की ओर देखते- "ज्यादा कुछ नहीं किया मैने, मैने मम्मी को बोला, अयू दी माहिर खन्ना की बातें मानकर उसके यहां चौबीस घंटे काम करेगी डबल सैलेरी मिलेगी जल्दी पैसे उरतेंगें वो जो आपने माहिर खन्ना से लिए इतना ही नहीं मम्मी के जेल जाने के चांस कम ही नहीं जल्द खत्म भी हो जाएगें तो बस मम्मी को जेल जाना नहीं, ये जेल जाने के मामले से भी छूटना है तो मान गये।"

ये सुन "थैंक्यू पिहू" बोलते अयाना ने पिहू के गाल पर हाथ रखा और सविता जी की तरफ देखा जो पिहू को घूर रही थी, तभी अयाना उनको हग कर लेती है- "थैंक्स मामी जी मानने के लिए और हां मामी जी जिसने आपको डराया है हम उसे मजा जरूर चखाएगें।"
 
सविता जी ने हाथ जोड़ लिए- “नहीं बेटा कोई पंगा नहीं पता चले अभी हमारे जेल जाने की बात हो रही है फिर पूरा परिवार सलाखों के पीछे, कोई भरोसा नहीं है उस सिरफिरे माहिर खन्ना का।”

इस बात पर अयाना पिहू को हंसी आ गयी तभी प्रकाश जी बोल पड़े- "हंसने वाली बात नहीं है खरगोश सही कह रही है तुम्हारी मामी।"

"लो अब तो तेरे मामा जी ने भी मेरी बात को सही कह दिया,अब तो मानोगी?" सविता जी बोली

तो अयाना दोनों की तरफ देखते बोल पड़ी- "जी मामी जी जरूर मानूंगी।"

"काम से काम, लड़ने भिड़ने की कोई जरूरत नहीं है बेटा" प्रकाश जी फिर बोले।

अयाना "जी मामा जी" तभी अयाना का चेहरा खुशी के मारे खिल उठा, प्रकाश जी चाय का कप उठाकर मुस्कुराते चाय की चुस्कियां भरने लगे।

________

मेहरा इंडस्ट्रीज

माहिर अपने केबिन में बड़े ही स्टाईल से बैठा हुआ था, होठों पर एटीट्यूड भरी मुस्कान। वो कभी अपनी वॉच की तरफ देख रहा था तो कभी दरवाजे की तरफ। वहीं केबिन के सोफे पर मैनजर अनुज बैठा था, जो अपने बॉस माहिर खन्ना के ऑर्डर पर फाईनल एग्रीमेंट रेडी कर रहा था अयाना से रिलेटेड।

अनुज ने माहिर की तरफ देखा, उसके एक्सप्रेशन और हरकतें देख उसने ना में सिर हिलाया और माहिर से बोला- “इतनी बेताबी आज से पहले तो कभी नहीं देखी?”

माहिर ने उसे घूरा- “अपना काम करो।”

अनुज मुस्कुरा दिया- "काम ही कर रहा हूं यार, अरें ऐसे क्या देख रहे हो सुबह आठ बजे से लेकर रात के बारह एक बजे तक तुम मेरे बॉस होते हो बाकि टाईम तो तुम दोस्त हो मेरे और अभी आठ नहीं बजे माहिर…हां वो बात अलग है तुम्हारा मैनेजर ही नहीं दोस्त होने के नाते मैं तुम्हारी बातें मान लेता हूं जैसे अभी मान रहा हूं जल्दी ऑफिस चला आया और तुम्हारे ऑर्डर पर मैं ये मिस अयाना का एग्रीमेंट भी रेडी कर रहा हूं।"

माहिर टेबल से स्पीनर उठाते-"हां तो करो न, और हां काम करो बातें नहीं, जल्दी खत्म करो।"

अनुज- "इतनी जल्दी है तो खुद कर लो पर तुम कैसे करोगे, तुम तो बीजी हो ना….इंतजार में ,बेसब्री से इंतजार जो कर रहे हो?"

माहिर फट से बोला- "तुम्हें क्या लगता है मैं उस अयाना का वेट कर रहा हूं?"

अनुज हंस दिया- "अरे मैने तो ऐसा बोला ही नहीं, मैं तो सोच रहा था शायद किसी और का इंतजार कर रहे होगें, कोई मिलने आ रहा होगा। पर तुमने तो मिस अयाना का नाम लिया इट मीन सच में उसका वेट कर रहे हो.…" वो बोल रहा था कि "जस्ट शट अप" बोलते माहिर ने अनुज की तरफ स्पीनर फैंक कर दे मारा।

अनुज ने जानबूझकर माहिर को क्यों छेड़ा? 

क्या सच में माहिर अयाना का वेट कर रहा था? 

क्या अपने मामा मामी जी की बात मानकर अयाना माहिर से पंगे नहीं लेगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

Continue to next

No reviews available for this chapter.