अयाना की बातों में माहिर पूरी तरह से खो सा गया। वो अयाना की तरफ देख रहा था तो वही अयाना भी उसे देख रही थी और अनुज वो भी हैरान सा बारी-बारी से दोनों की तरफ देखने लगा।

अयाना की बातें सुन अनुज हैरान तो हुआ पर उससे ज्यादा हैरानी वाली बात उसके लिए ये थी कि वो माहिर खन्ना को अयाना की बातों में खोया देख रहा था। एक तरह से यह सीन उसके लिए झटके से कम नहीं था।

"ये क्या हो रहा है? माहिर खन्ना वो भी ऐसे, असंभव है, ये तो अविश्वसनीय है। आजतक जिसने किसी लड़की की बात भी उसकी ओर देखकर नहीं सुनी। आज उसने अयाना मिश्रा की बात सुन भी ली और उसमें खो भी गया। क्या हो रहा है ये सब? मैं कोई ख्वाब तो नहीं देख रहा?" अनुज खुद से सवाल करते मन ही मन खुद से बोला।

तभी अयाना ने जो किया उससे अनुज का ख्वाब उसी पल टूट गया। हकीकत कुछ और है उससे रूबरू होते उसे देर नहीं लगी। मतलब अयाना ने अपने हाथ में मौजूद माहिर का हाथ झटक दिया और खुद भी उससे दूर हो गयी।

माहिर होश में आया और अयाना की हरकत पर जोर से गुस्से से चिल्लाते हुए बोला -"व्हाट द हेल!"

अयाना हंस दी - "हेल, हेल तो आपने बना दी है हमारी जिंदगी। कोई कसर बची है तो वो भी आप पूरी कर लीजिए….बस कमी नहीं रहनी चाहिए।"

इस पर माहिर दांत भींचते कुछ बोलने को हुआ अयाना फिर बोल पड़ी - "चौबीस घंटे हम आपके यहां काम नहीं करेगें, इंसान है हम मशीन नहीं।"

ये सुन माहिर को हंसी आ गयी। वो अयाना की ओर इशारा करते अनुज से बोला - "ये लड़की किस एंगल से मशीन लग रही है जो खुद को इंसान से कम्पेयर कर रही है (अयाना से) कुछ भी बोलती हो ना तुम?"

अयाना एक नजर अनुज की ओर देखते माहिर से बोली - "कुछ भी नहीं बोलते हम, आपके जैसे नहीं है कुछ भी बोले? कुछ भी करे? सही गलत अच्छा बुरा सब सोचते है खुद के साथ साथ सामने वाले का भी। आपकी तरह सिर्फ अपना स्वार्थ नहीं देखते और हां हम मशीन नहीं है तो आप भी इंसान नहीं है। अगर खुद को आप इंसान समझते है ना तो ऐसा समझना छोड़ दीजिए….हैवान कभी इंसान नहीं होता।"

ये सुनकर माहिर का पारा चढ़ गया वो "शटअप" जोर से चिल्लाया लेकिन उसी की तरह उससे ज्यादा जोर से चिल्लाते अयाना बोल पड़ी - "आप शटअप!" और दोनों एक दूजे को घूरने लगे। ये देखकर अनुज ने अपना सिर पकड़ लिया और बोला - "नहले पर दहला, एक तुफान दूजा तबाही, अब क्या होगा राम दुहाई।

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मिश्रा हाऊस

अयाना घर पहुंची तो उसकी नजर नेहा पर पड़ी। नेहा को देखते ही अयाना ने खुश होते नेहा को आवाज दी जो सबके साथ हॉल में बैठी थी -"नेहा?"

अयाना की आवाज सुन सबने उसकी ओर देखा जो कि उनके सामने खड़ी थी। अयाना को देखते ही सब सोफो से खड़े हो जाते है और अयाना उनकी तरफ चली आती है।

"नेहा तुम यहां?" अयाना अपना बैग टेबल पर रखते बोली।

नेहा अयाना के पास आकर उसको हग करती है- "तुम्हीं से मिलने आई थी।"

"अच्छा" अयाना अलग होते बोली।

तभी नेहा अपने कान पकड़ लेती है - "एम सॉरी अयाना। मेरे कारण तुम मुसीबत में फंस गयी। ना मैं तुम्हें माहिर खन्ना के बारें में बताती, उसके पास हेल्प के लिए जाने का आईडिया नहीं देती….तो आज तुम मुश्किल में नहीं पड़ती। रियली सॉरी अयाना।"

अयाना ने नेहा के हाथ नीचे कर दिये और उसके गाल पर प्यार से हाथ रखते बोली - "क्या बोल रही हो? पागल हो क्या? किस बात का सॉरी? तुम्हारे कारण कुछ नहीं हुआ।"

नेहा बुरा फील करते बोलती है - "हुआ है न, कैसे कुछ नहीं हुआ है? जब मैने सुना तुम्हें माहिर खन्ना के मैन ऑफिस में जॉब मिली है आईमीन मेहरा इंडस्ट्रीज के CEO माहिर खन्ना खुद चाहते है तुम वहां काम करो। तब बहुत खुश हुई, पर बाद में पूरी कहानी जानी तो समझ आया। मैं ही हूं वो जिसने तुम्हें माहिर खन्ना नाम की परेशानी की तरफ धकेला। ना मैं जिक्र करती, ना तुम आज इतना परेशान होती, सो सॉरी यार......"

नेहा बोले जा रही थी कि अयाना ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया - "चुप करो?" और पिहू की तरफ देखा और बोला - "ये सब तुम्हारा किया धरा है।"

ये सुन पिहू सिर खुझाते इधर उधर देखने लगी।

अयाना फिर बोली - "क्या जरूरत थी बताने की, देखो बताने का नतीजा ये पागल (नेहा की ओर इशारा करते हुए) लड़की खामख्वाह खुद को ब्लेम कर रही है और तो और गिल्टी भी फील कर रही है जबकि गिल्टी फील करने की कोई जरूरत नहीं। नेहा, तुम्हारी वजह से सच में कुछ नहीं हुआ। जब हम नेक इरादे से किसी की हेल्प करने का सोचते है, कुछ करते है तो वो कभी गलत नहीं होता। तुमने तो मेरा भला ही सोचा था।"

"पर हुआ तो नहीं न?" नेहा बोली

"हां तो वो मेरी किस्मत, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं, खबरदार जो खुद को ब्लेम किया?" अयाना बोल रही थी कि नेहा बोल पड़ी - "तुम कब से किस्मत को मानने लगी?"

ये सुन अयाना के चेहरे के हाव भाव बदल गये, उसको "राजश्री जी" की याद आ गयी। 

वो मन ही मन बोली "जब से किस्मत ने मेरी कोशिशों पर विजय पा ली, जब किस्मत मेरी मां को मुझसे दूर ले गयी कि मैं चाहकर भी ना तो उन्हें रोक पाई और चाहूं तो भी अब उन्हें वापस नहीं ला सकती हूं।" 

तभी नेहा ने उसकी बाहं पकड़ उसे हिलाया - "ओये कहां खो गयी?"

अयाना उसकी ओर देखती है और बोली - "कहीं नहीं।"

नेहा - "तो बोल न? जितना मैं तुम्हें जानती हूं तुम किस्मत से ज्यादा कर्म को मानती हो?"

अयाना मुस्कुरा दी और बोली - "हम्म मानती हूं, कर्म पर यकीन रखती हूं और तुझे पता है माहिर खन्ना के साथ जो पंगा हुआ है वो मेरे द्वारा किये कर्म का ही लेखा-जोखा है। तुमनें मुझे ऐडरेस दिया, मैं माहिर खन्ना के मैनेजर से मिली, उन्होने जॉब देने के लिए अपने बॉस को मनाया पर उस बीच मेरी माहिर खन्ना से मुलाकात हुई और फाईट हो गयी। जब मुझे पता चला माहिर खन्ना कौन है तबतक बहुत देर हो चुकी थी। वो मुझ पर बहुत गुस्से थे।जॉब देने से मना भी कर दिया उसने।"

पिहू बोल पड़ी - "पहले मना किया फिर जिद्द पकड़ ली और मजबूर कर रहा है जॉब करने के लिए।"

"उसकी इगो जो हर्ट हो गयी जिसके चलते ठान लिया माहिर खन्ना ने मेरा जीना हराम कर देगा पर यार यह सब तुम्हारे कारण नहीं मेरे कारण हुआ है। मेरे कर्मो का फल, मैने माहिर खन्ना से उसके ही लहजे उसके ही तरीके में बात की उसने ईंट मारी तो मैने पत्थर दे मारा जो उससे बर्दाश्त न हुआ और बस फिर हो गया स्यापा।

काश सामने वाले को समझ जाती….नहीं उलझती उससे, वो गुस्से में था तो खुद शांत रहती पर ऐसा नहीं हुआ। उल्टा हुआ उसे देख उसकी हरकतें
देख मुझे भी गुस्सा आ गया। अब भी जब उसे सामने देखती हूं खून खौल उठता है मेरा। बट डोंट वेरी ये जो भी स्यापा हुआ है जल्द ठीक हो जाएगा।मैंने उनके यहां जॉब एक्सेप्ट कर ली जल्द से जल्द सब ठीक हो जाएगा।"

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उसी रात

अयाना अपने रूम में आइने के सामने खड़ी बाल बना रही थी तभी वहां पिहू आ गयी और बैड पर आकर वो अपना सिर पकड़कर बैठ गयी। अयाना ने ये देखा तो वो उसके पास आ बैठी और हैरान होते बोली - "क्या हुआ तुझे?"

पिहू ने अयाना की तरफ देखा और मासूमियत भरे लहजे में बोला - "मुझे तो कुछ नहीं हुआ पर आपके मामा मामी दोनों का पारा चढ़ चुका है हाई लेवल वाला।"

ये सुन अयाना ने आह भर ली।

पिहू अयाना के हाथ अपने हाथों में लेते बोली - "सच बताना दी, आप भी नहीं चाहती ना माहिर खन्ना के इशारो पर चौबीस घंटे चलना?"

अयाना ने पिहू से हाथ छुड़ाया और वापस आइने के सामने जा खड़ी हुई - "चाहने न चाहने से क्या होता है पिहू? कभी-कभी हालात ऐसे हो जाते है बच्चा….हमें न चाहकर भी वो सब करना पड़ता है जो हम नही चाहते है।"

पिहू बोलते हुए उसके बगल में आ खड़ी हुई - "पर दी ये तो बहुत मुश्किल काम होने वाला है। जिसको देखकर ही आपका मूड ऑफ हो जाता है उसके लिए चौबीस घंटे काम करना? वो सामने रहा तो कैसे डील करेगें आप अयू दी उस सिचुएशन के साथ।"

ये सुन अयाना मुस्कुरा दी और पिहू का चेहरा हाथों में भरते बोली - "तू जानती नहीं है क्या मुझे? तेरी अयू दी तेरी बुआ की बेटी है, संभाल लेगी हालात भी और उस माहिर खन्ना को भी।"

पिहू परेशान होते बोली - "मैं अपनी अयू दी को जानती हूं बट उस माहिर खन्ना को नहीं। उसे तो आप भी नहीं जानती अब तक, पता नहीं कब क्या कर दे वो? कहीं उसने आपके साथ कुछ गलत......" वो बोल रही थी अयाना ने उसके मुंह पर अंगुली रख दी - "शशश"

पिहू ने अंगुली हटाई और वापस बैड पर जा बैठी वो भी फुले मुंह के साथ। अयाना उसके पास आई - “पिहू क्यों परेशान हो रही है। कह तो रही हूं सब ठीक होगा। टेंशन मत ले, तुम तो कह रही थी कल कोई मेरा साथ दे ना दे….मेरा पढाकू बच्चा हमेशा मेरे साथ रहेगा और मेरी हिम्मत बनेगा? अब ऐसे तू परेशान होगी तो मेरा क्या होगा, इधर तू उधर मामा मामी। मैंने माहिर खन्ना की चौबीस घंटे वाली बात पर सोच समझकर ही हां कहा है। यार सैलरी भी डबल मिलेगी सोचो ना समझो ना ज्यादा पैसे मतलब बहुत जल्द माहिर खन्ना नाम की आफत से छुटकारा।”

पिहू अयाना से लिपट गयी - "दी हम सब आपके साथ है, हम समझते भी है अयू दी। आप जो कर रही हो सोच समझकर, अच्छा सोचकर कर रही
हो। बट हमें भी आपकी चिंता होती है आप हमारे भले के लिए कुछ भी करने को तैयार है मम्मी को बचाने के लिए, हमारी फैमिली को हर परेशानी से
बचाने के लिए पर इसके चलते हम आपको तो यूं परेशान होते नहीं देख सकते न?"

अयाना पिहू का सिर सहलाती है - "पिहू आज परेशानी भरे दिन है तो कल सब ठीक भी होगा, इस उम्मीद के साथ हमें कोशिश जारी रखनी है।डगमगा नहीं सकते वरना मुश्किलें कम नहीं ज्यादा होगी जो मैं नहीं चाहती। अब मैं परेशान नही हूं सोच लिया क्या करना है और जो भी होगा देखा जाएगा ज्यादा नहीं सोचना। चलो अब मूड ठीक करो और अपनी अयू दी के लिए मुस्कुराओ और डोंट वेरी मामा मामी मान जाएगें। मैं उनसे सुबह बात फिर से करूंगी और देखना तब वो हां कर देगें।"

ये सुन पिहू ने चेहरा ऊपर कर अयाना की तरफ देखा, अयाना ने फिर "मुस्कुराओ" कहा तो पिहू ने प्यारी सी मुस्कुराहट दी और फिर अयाना से लिपट गयी। ये देख अयाना भी मुस्कुराते उस पर अपनी बाहें कस लेती है और प्यार से उसका सिर भी चूम लेती है।

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खन्ना विला

माहिर रियान के साथ वीडियो गेम खेल रहा था। माहिर गेम जीत गया और रियान हार गया। रियान ने माहिर की तरफ देखा जो तिरछा मुस्कुरा रहा था। ये देख रियान को अपने हारने का दुख तो नहीं हुआ बट माहिर के जो एक्सप्रेशन थे वो देखकर हैरान हो गया।

रियान मन ही मन खुद से बोला - "मामू फर्स्ट टाईम तो वीनर नहीं बने? मैं भी फर्स्ट टाईम नहीं हारा। फिर मामू इतने हैप्पी क्यों हो रहे है। जब मैं वीनर नहीं बनता तब मामू हैप्पी नही होते मोटीवेट करते है। आज तो कुछ नही बोला मुझे? क्या हो गया मामू को?"

खुद से बोल वो माहिर के हाथ पर हाथ रखता है - "मामू?"

रियान के छूने से माहिर ने उसकी तरफ देखा। रियान फिर बोला - "व्हाट हेपन मामू?"

माहिर - "नंथिग चैंप"

रियान - “आप जीत गए मामू, मै हार.....आगे वो कुछ बोल पाता कि अयाना के बारे में सोचते माहिर बोल पड़ा - ”यस मैं जीत गया, जीत गया मैं। मुझे हराना इम्पॉसिबल है…..इम्पॉसिबल।"

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साक्षी हॉल में इधर से उधर चक्कर काटते माहिर के बारे में सोच रही थी। कभी रूककर वो ऊपर की ओर देखती तो कभी परेशान सी जमीन मापती। तभी वहां सार्थक आ गया, उसके हाथ में दो कॉफी के मग थे। वो अपने और साक्षी के लिए किचन से कॉफी लाया था।

सार्थक साक्षी के सामने आ रूका, जिससे साक्षी के कदम रूक गये। सार्थक ने कॉफी मग की ओर इशारा किया और मुस्कुराते बोला - "कॉफी, पति के हाथ की बनी। पंसद है न? पिओ और दिमाग शांत करो…"

साक्षी हल्का सा मुस्कुराते हुए कॉफी मग को पकड़ लेती है और फिर ऊपर की ओर देखती है। ये देख सार्थक ने ना में सिर हिलाया और उसका हाथ पकड़ उसे अपने रूम में ले आया - "क्यों खामख्वाह परेशान हो रही हो तुम?"

 

साक्षी माहिर को लेकर इतना परेशान क्यों थी? 

अयाना के मामा मामी मानेगें….परमिशन देगे अयाना को माहिर खन्ना के यहां चौबीस घंटे की जॉब करने के लिए? 

आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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