माहिर अपने कैबिन में अपनी चेयर पर बड़ी शान से बैठा हुआ था। जैसे ही अनुज - अयाना कैबिन में आए वो तिरछा मुस्कुरा दिया। उसकी मुस्कुराहट देख अनुज ने अयाना की तरफ देखा जो माहिर को यूं मुस्कुराते देख उसको शक की नजर से देखने लगी। तभी माहिर ने अयाना की तरफ भौहें उचकाई - "व्हाट हेपन?"
अयाना मुस्कुरा दी - "जहां आप हो वहां कुछ भी हेपन हो सकता है।"
ये सुनकर माहिर ने अयाना की तरफ आईविंक की तो अयाना उससे अपनी नजरें हटाकर इधर-उधर देखने लगी। ये देखकर माहिर की मुस्कुराहट और चौड़ी हो गयी।
अनुज मन ही मन खुद से बोला - "आईहोप सब ठीक रहे?"
माहिर अयाना से पूछता है - "देर क्यों की तुमने आने में? यू नो देट यू आर लेट? मुझे देर से आने वाले लोग पंसद नहीं है?"
अयाना दरवाजे की ओर इशारा कर फट से बोली - "तो मैं जाऊं?"
माहिर तिरछा मुस्कुरा दिया और बोला - "अफसोस ये विश तुम्हारी पूरी नहीं होने वाली। कहां फंस चुकी हो पता भी है तुम्हें?"
अयाना माहिर की ओर देखते बोली - "सब पता है और जहां फंसे है वहां से एक दिन निकल भी जाएगें।"
ये सुन माहिर बोला - "वो एक दिन जल्द तो नहीं आने वाला है।"
अयाना हाथ बांधते हुए बोली - "कभी तो आएगा।"
माहिर भौहें चढ़ाते बोला - "इतना कॉन्फिडेंस?"
अयाना - "वेट एंड वॉच।"
माहिर - “फिर भी तुम्हें देर से नहीं आना चाहिए था? अंजाम सोचा है?”
अयाना मुस्कुराते बोली - "आप तो ऐसा बोल रहे है जैसे मेरे जल्दी आने पर आप मुझे अवार्ड देते। सुबह मैं आई थी बहुत जल्दी हालांकि उसमें आपने मुझे समय भी कम दिया था फिर भी मैंने पूरी कोशिश की जल्दी आने की और मैं आई भी थी। तब क्या किया अंदर आने न दिया वापस भेज दिया। मुझे लगा फिर से आप वहीं करेगें तो क्यों खुद को परेशान करना? आपका तो इरादा है ही मुझे परेशान करने का सो मैं आराम से आई…अच्छे से खा पीकर। ऑटो वाले भैया से भी मैने बोला आराम से चलो, कोई जल्दी नहीं। मुझे थोड़ी पता था इस बार अंदर बुला लोगे और खुद के दर्शन करवाओगे (मुंह बनाते) क्या-क्या सोचा था बच गई शक्ल न देखना पड़ी पर क्या पता था दिख कर ही रहेगा वो शख्स जिसके देखने की बजाये मैं अंधी हो जाना ज्यादा पंसद करूंगी।"
अयाना की ये बातें सुन माहिर का जबड़ा कस गया। वही उसकी हाजिर जवाबी देखकर अनुज को हंसी आने लगी, पर माहिर के डर से वो हंसी को कंट्रोल कर लेता है मुस्कुराता नहीं और उसका मुस्कुराना जैसे ही माहिर ने देखा तो वो उसपर जोर से चिल्ला दिया - "बड़ी हंसी आ रही तुम्हें?"
अनुज ने "सॉरी सर" बोला।
माहिर अनुज को घूरते अयाना की तरफ देखता है और कहता है - "हो जाओ अंधी? मुझे फर्क नहीं पड़ता।"
अयाना ने हां में सिर हिलाया और कहा - "हां फर्क नहीं पड़ता पता है…खैर अभी क्यों बुलाया है मुझे बताइए?"
माहिर मुस्कुराते बोला - "आरती उतारना चाहता था तुम्हारी"
अयाना इधर-उधर देखती है और हैरानी से बोली - "तो कहां है पूजा की थाली?"
माहिर उस पर चिल्लाया - "शट अप।"
अयाना उसे घूरते हुए बोली - "सेम टू यू।"
फिर माहिर ने उसे कुछ नहीं कहा और एटीट्यूड वाले लहजे में अनुज से बोला - "एग्रीमेंट रेडी है?"
अनुज ने हां में सिर हिलाया।
माहिर फिर बोला - "तो फिर लेकर आओ?"
अनुज ने "ओके सर "कहा और अयाना की तरफ देखते बोला - "मैं आता हूं?" इतना कहकर वो वहां से उसी वक्त चला गया…दो चार मिनट वहां खामोशी छाई रही।
माहिर अयाना से बैठने को बोलता है - "बैठोगी नहीं?"
अयाना उसकी तरफ देखते बोली - "नो थैंक्स"
माहिर - "नो थैंक्स, ये क्यों नहीं कहती मेरे सामने बैठने की तुम्हारी औकात नहीं?"
ये सुनकर अयाना माहिर को घूरने लगी तो माहिर मुस्कुरा उठा। उसे फिर मुस्कुराते देख अयाना उसी पल जाकर माहिर के सामने वाली चेयर पर बैठ गयी। ये देखकर माहिर की भौहें सिकुड़ जाती है। अयाना ने पहली तो बत्तीसी दिखाई और फिर टेबल पर कोहनी टिकाते मुस्कुराते हुए बोली - "मैं सोच रही थी कि कहीं मेरे आपके सामने बैठने से आपकी शान में कमी ना आ जाएं, नहीं…नहीं इगो एंड एटीट्यूड में, पर ऐसा तो हुआ ही नहीं। टस से मस न हुई आपकी इगो और एटीट्यूड वो तो ज्यों का त्यों है सो बैठ ही जाती हूं। मैं क्यों परवाह करूं वो भी आपकी जिसको सिर्फ खुद से मतलब है जो एक नंबर के मतलबी है।"
ये सुन माहिर को गुस्सा आ गया "वो जस्ट शटअप" बोलते चेयर से उठ खड़ा हुआ। ये देख अयाना मंद-मंद मुस्कुराने लगी। माहिर अयाना को घूरते हुए बोला -"तुम खुद को क्या समझती हो? कहां हो ये भी देख लोगी तो बेटर रहेगा तुम्हारे लिए"
अयाना - "मैं जमीन पर ही हूं और क्या समझती हूं? वो तो बिल्कुल नहीं जो आप मुझे समझते है।"
माहिर - "हल्के में ले रही हो मुझे?"
अयाना - “आपको और हल्के में कभी नहीं।”
माहिर - "डर नहीं लगता मुझसे उलझने में?"
अयाना-"बिल्कुल नहीं।"
अयाना ने जिस कॉन्फिडेंस से ये कहा माहिर की गुस्से से हाथों की मुठ्ठियां बंद गयी और चेहरे पर गुस्से भरे भाव भी चले आए। ये देखकर अयाना ने उसकी तरफ भौहें उचकाई तो माहिर उसे घूरने लगा। वो कुछ कहता तभी अनुज आ गया। दोनों ने अनुज की तरफ देखा तो अनुज हैरानी से बोला - "क्या हुआ?"
अयाना ने कहा - "अभी तक तो कुछ नहीं हुआ पर अब होगा?"
अनुज हैरानी से बोला - "क्या?"
अयाना मुस्कुराने लगी - "एग्रीमेंट और क्या? सही कहा न मिस्टर खन्ना?" कहते अयाना ने माहिर की तरफ देखा जो अभी भी उसको घूर रहा था। ये देख अनुज आगे आते माहिर से बोलता है - "क्या हुआ सर, ऑल वेल?"
माहिर दांत भींचते कुछ कहने को हुआ कि अयाना बोल पड़ी - "वेल ही है मैनेजर अनुज। आप तो जानते है ना अपने बॉस को, सॉरी हां हमारे बॉस (बॉस शब्द पर जोर देते साथ मुंह बनाते हुऐ) मिस्टर माहिर खन्ना थोड़ी-थोड़ी देर में गर्म हो जाते है। देखिए न अभी शांति से बैठे थे अभी उठ खड़े हुए। सर बैठ जाइए (हल्का सा मुस्कुराते) सामने बैठने से आपकी शानोशौकत में गिरावट नहीं आएगी।"
माहिर अयाना पर चिल्लाते बोला - "बहुत जुबान चल रही है न तुम्हारी?"
अयाना चेयर से उठ खड़ी हुई और बोली - "मैनैं तो कुछ किया ही नहीं सर?"
अनुज ने दोनों की ओर देखते मन ही मन कहा - "हे भगवान ये दोनों कुछ देर भी एक साथ सही से नहीं रह सकते है। जब भी मिलते है, बात करते है गड़बड़ ही होती है। अभी ये हाल है आगे क्या होगा?"
तभी माहिर ने अनुज के हाथ से फाईल ली, ली क्या छीनी और उसे अयाना के सामने फैंक दी - "मुझे भी आता है तुम्हारी बहुत चलती जुबान बंद करना।"
इतना कह माहिर फिर अपनी चेयर पर शान से बैठ गया और अयाना उसकी ओर देखती है और अपने सामने रखी फाईल को उठाकर देखती है। जैसे ही उसने फाईल में मौजूद पन्नों को पलटा उसका चेहरा हैरानी से भर गया।
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सागर जी, मीना जी ब्रेकफास्ट कर रहे थे, युग भी वहीं मौजूद था जिसके एक हाथ में कॉफी मग तो दूजे में उसका फोन जिसपर उसकी नजरें काफी देर से टिकी हुई थी।
मीना जी युग की ओर देखती है और ना में सिर हिलाते मन ही मन बोली - "ये लड़का भी न, कभी ढंग से खाता पीता नहीं है। कुछ कहूंगी तो बोलेगा मॉम आप कुछ न बोलो।"
तभी सागर जी की नजर मीना जी पड़ी। वो उन्हें देख युग की ओर देखते हुए बोले - "युग फोन छोड़कर ब्रेकफास्ट करो"
युग बिना उनकी तरफ देखे तपाक बोला - "डैड जो मैं देख रहा हूं, आप देखेगें तो आप भी ब्रेकफास्ट छोड़ देगें।"
सागर जी हैरान हो गए, "ऐसा क्या है?"
युग ने सागर जी के सामने अपना फोन रख दिया। सागर जी ने जैसे ही फोन पर नजर डाली उनकी भौहें चढ़ गयी - "क्या ये सच है?"
युग अपना फोन अपनी तरफ करते बोला - "हां डैड ये सच है। आपको क्या लगता है ये झूठ है? जल्द वो पुणे में होगे।"
सागर जी परेशान हो गए, "इसका मतलब हमारे पास वक्त बहुत कम है?"
युग - "यही तो कब से कह रहा हूं मैं आप से डैड, पर आप है जो समझ ही नहीं रहे है। डैड टाईम नहीं है अब हमारे पास ज्यादा, कुछ कीजिए जल्दी।"
इतना सुन सागर जी उसी वक्त वहां से उठकर चले गये। उन्हें जाते देख मीना जी सागर जी को आवाज देते बोली - "सागर ब्रेकफास्ट तो पूरा कर लो, बीच में खाना छोड़कर चले गये!"
तभी युग बोला - "अब खाना डैड के गले से नहीं उतरेगा मॉम"
मीना जी सागर जी के खाने की प्लेट की ओर देख युग की ओर देखती है और परेशान होते बोली - "क्यों नहीं उतरेगा? ऐसा क्या दिखाया तुमने जो वो ऐसे चले गए और कौन होगा पुणे में? किसकी बात कर रहे थे तुम युग?"
युग मग टेबल पर छोड़ चेयर से खड़ा होते बोला - "पता चल जाएगा मॉम आपको भी जल्द। अभी आप इस बारें में नहीं अयाना के बारे में सोचिए"
मीना हैरान से बोली…"अयाना के बारे में?"
युग मुस्कुरा दिया और घर की ओर देखते बोला - "हां मेरे डैड की बेटी आने वाली है मेरे इस घर में, उसके वेलकम की तैयारी कीजिए मॉम।"
इस पर मीना जी कुछ कहती कि युग "बॉय मॉम" बोलकर वहां से चला गया। मीना जी उसको जाते देख खुद से बोलती है - "हे भगवान अब क्या होने वाला है?अयाना का वेलकम (बहुत ज्यादा परेशान होते) और यहां?"
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अयाना ने फाईल को देखा पढ़ा तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो "ये क्या है मैनेजर अनुज?" कहते अनुज की और माहिर की ओर देखती है। माहिर तिरछा मुस्कुरा दिया।
अनुज कुछ कहता अयाना बोल पड़ी - "ऐसा एग्रीमेंट बनाया है आपने और इतनी शर्ते?"
तभी माहिर एटीट्यूड वाले लहजे में बोला - "मेरे यहां काम करना है तुम्हें…शर्तें तो होगी न?"
अयाना फाईल टेबल पर पटकते हुए बोली - "काम करना है मुझे आपके यहां, वो भी मजबूरी के चलते। न कि मर्जी के चलते….पर फिर भी इतनी सारी और ऐसी शर्ते? आपकी पहली शर्त ही सही नहीं बाकि की तो बात ही क्या करनी, मिस्टर खन्ना मैं यहां आपके साथ काम करने का एग्रीमेंट कर रही हूं शादी का एग्रीमेंट नहीं जो आप जैसा चाहते है वैसा ही होगा। काम की कुछ टाईम लिमिट होती है, इंसान हूं मैं मशीन नहीं। आप चाहते है मैं आपके साथ चौबीस घंटे रहूं…आप मुझसे चौबीस घंटे काम करवाएगें?"
माहिर - "हां करवाऊंगा।"
अयाना हंस दी - "अच्छा तो इसका मतलब आप भी यहीं पर ऑफिस में रहेगें न चौबीस घंटे और मैनेजर अनुज आप भी रहेगें न, या फिर ऑफिस मेरे हवाले कर के आप दोनों चले जाएगें? अब ऐसा है मैं चौबीस घंटे आपके बनाए एग्रीमेंट के मुताबिक काम करूंगी, मेरा तो ठिकाना भी फिर यहीं होगा न, यहीं ढेरा जम जाएगा मेरा और आपका भी, आपको निगरानी भी करनी होगी मेरी, काम भी करवाना होगा मुझसे? वो भी चौबीस (चौबीस शब्द पर जोर देते) घंटे।"
ये सुन अनुज ने माहिर की ओर देखा जो अयाना की ओर देखते मुस्कुरा रहा था। अनुज अयाना की बात से सहमत होते माहिर से बोला - "सर मैनैं कहा था न, यह शर्त ठीक नहीं है। चौबीस घंटे?" वो इतना ही बोल पाया कि माहिर को अपनी तरफ घूरता पाकर उसने नजरें झुका ली। ये देख अयाना माहिर से बोलती है -"घूर क्या रहे है आप मैनेजर अनुज को। सही बोला इन्होनें ये शर्त ठीक नहीं है। इन्हें भी ये बात समझ आती है, आपको क्यों नहीं आती है समझ मिस्टर खन्ना? या फिर आप ये सब जानबूझकर कर रहे आईमीन समझना नहीं चाहते?"
माहिर चेयर से उठा और बोला - "हां नहीं समझना चाहता और तुम भी गलत समझ रही हो….चौबीस घंटे तुम्हें मेरे लिए काम करना है पर मैने ऐसा भी नहीं कहा तुम चौबीस घंटे मेरे लिए मेरे ऑफिस में काम करोगी?"
अयाना सवालिया नजरों से माहिर की ओर देखते बोली - "तो फिर? आपने एग्रीमेंट में लिखा है मुझे आपकी बातें माननी पड़ेगी। चौबीस घंटे आप जो भी कहेगें वो करना होगा…"
माहिर ने बोला - "यस राईट वो भी चुपचाप…बिना मुझसे जुबान लड़ाए, बिना मेरे अगेंस्ट जाए"
कि तभी अनुज के मुंह से निकल गया - "इट्स इम्पॉसिबल।"
माहिर उसकी तरफ देखता है तो अनुज फिर से नजरें झुका लेता है। माहिर अयाना की ओर देखते फिर से बोला - "माहिर खन्ना को इम्पॉसिबल को भी पॉसिबल करना आता है। मेरे सामने खड़ी ये लड़की इसका जीता जागता सबूत है।"
अयाना ने एक पल के लिए अपनी आखें मूंद लेती है पर दूजे ही पल आखें खोल माहिर से कहती है - "आप मुझसे अपने घर के काम भी करवाना चाहते है क्या?"
ये सुन माहिर हंस पड़ा और हंसते-हंसते अयाना की तरफ चला आया और उसके सामने आकर हंसी को रोकते बोला - "शक्ल देखी है तुमनें अपनी?"
अयाना भौहें सिकोड़ते बोली - "क्या मतलब?"
माहिर अनुज से अयाना की तरफ हाथ से इशारा कर बोला - "शक्ल और अक्ल दोनों से जीरों है ये लड़की। पहले क्या बोला शादी और अब घर।ओ हेल्लो मैडम (अयाना की ओर देखते) शादी तुमसे और तुम्हें अपने घर? हकीकत तो दूर ऐसा ख्वाब में भी नहीं हो सकता। स्टेटस देखा है तुमने मेरा और अपना? अगर ऐसा ख्याल भी आ रहा है तुम्हें या फिर सोच रही हो तो ऐसा कभी नही होने वाला....."
माहिर बोल रहा था कि अयाना ने उसका हाथ अपने हाथों के बीच थाम लिया वो हाथ जिससे वो उसकी तरफ इशारा कर रहा था। हाथों को कसकर थाम, वो माहिर की आखों में झांकते मासूमियत और प्यार से बोली - "क्यों नहीं हो सकता? कर लो मुझसे शादी, ले चलो मुझे अपने घर। आपको मुझसे अच्छी - प्यारी लड़की कहीं नहीं मिलेगी मिस्टर खन्ना। प्लीज, प्लीज मैं जो ख्वाब देख रही हूं उसे हकीकत बना दो….मुझे चौबीस घंटे नहीं ताउम्र आपके साथ रहना है ताउम्र।"
अयाना की ये बात सुन अनुज हैरान सा हो गया वहीं माहिर उसकी तरफ बस एकटक देखता रह गया मानो अयाना की बातें उसके मन पर असर डाल गयी वो भी इतना कि वो अपनी पलकें तक न झपका सका।
कौन आने वाला था पुणे?
जिसकी खबर सुनकर सागर जोशी परेशान हो गया?
क्या अयाना माहिर की शर्तें मानेगी?
आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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