पिहू की राहू केतू वाली बात सुन अयाना को हंसी आ गयी। उसने हंसते-हंसते सविता जी की ओर देखा तो वो भी मुस्कुरा दी। पिहू दोनों को हंसते मुस्कुराते देख मुंह बनाते बोली - ”सही तो कह रही हूंअयू दी। मम्मी आप ही बताओ कुछ गलत कहा क्या मैनैं?”
सविता जी-”बिल्कुल नहीं।”
अयाना पिहू के पास चली आई और उसका चेहरा हाथों में भरते बोली - "किसने कहा गलत कहा पिहू तुमनें? बट डोंट वरी बच्चा…हम ग्रहण को भी देख
लेगें और राहू केतू को भी। ज्यादा बैंड नहीं बजाने देगें हम उन लोगों को हमारी।”
पिहू मासूमियत से - "पक्का न अयू दी।”
अयाना - ”पक्का”
पिहू अयाना से लिपट गयी - ”हां दी और हां इस बार वो युग जोशी मिले न आपको और वो मेरी बुआ के बारे में कुछ भी गलत कहे वहीं उसकी पिटाई कर
देना।”
अयाना - “जरूर, अपनी तरफ से भी और तुम्हारी तरफ से भी।” कहते अयाना ने पीहू का सिर चूम लिया, पिहू उससे दूर होते हुए मुस्कुरा उठी और सविता जी से बोली - "मम्मी राहू केतू से बचने का आपके पास कोई वो होता है न (सोचते हुऐ) हां टोटका है क्या? जिससे सब ठीक हो जाए…वो सुधर जाए।”
सविता जी - "है ना?”
पिहू - "सच्ची….क्या है मम्मी बताओ न?”
सविता जी ने अयाना की ओर इशारा कर दिया - "ये है न…तेरी अयू दी, सुधार भी देगी और सब ठीक भी कर देगी, है न अयाना।”
अयाना मुस्कुरा दी - ”जरूर मामी जी जरूर।”
सविता जी मुस्कुराने लगे - ”जानती हूं…पूरा भरोसा है तुझ पर।”
पिहू दोनों की ओर देखते बोली - ”वाह क्या प्यार है, मम्मी का ह्रदय परिवर्तन अयू दी आपके लिए तो किसी वरदान से कम न होगा न?”
ये सुन अयाना ने पिहू के सिर पर चपत लगाई और सविता जी ने हाथ दिखाते उसे घूरा और फिर तीनों हंस पड़ी। तभी अयाना का फोन बजा, वो अपनी पेंट की जेब से फोन निकालती है। अभी जो हंसी खुशी के भाव थे चेहरे पर एक ही सैंकड में फुर्र हो गये।
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खन्ना विला
“साक्षी कब तक उठक बैठक करूं, मान जाओ न?” सार्थक साक्षी के सामने उठक बैठक कर रहा था। तभी साक्षी ने बेड से पिलो उठाया और सार्थक पर दे मारा। जो सार्थक के लगकर फर्श पर जा गिरा। सार्थक पिलो उठाकर उसे साक्षी की ओर बढ़ा देता है जिसे वो नहीं पकड़ती। बेड पर पालती लगाकर और मुंह फुलाकर बैठ जाती है। सार्थक ने पिलो को बेड पर रखा और “एम सॉरी” कहते उसके पास बैठ गया। साक्षी उसे घूरते कुछ कहती कि तभी सार्थक मासूमियत भरे लहजे में बोल पड़ा - ”माही की वजह से हुआ जो भी हुआ।”
साक्षी - ”माही की वजह से?”
सार्थक - ”हां” और उसने साक्षी को अयाना को लिफ्ट देने से लेकर उसको ऑफिस छोड़ने तक की सारी बात बताई…जिसे सुन साक्षी चौंक उठी - ”माही और लड़की का चक्कर?”
सार्थक - ”हां साक्षी हां, सोचो जरा बिना ब्रेकफास्ट किये, इतना जल्दी ऑफिस जाना और उस लड़की को ऑफिस बुलाना वो भी जल्दी? ऑफिस का टाइम भी वो नहीं जिस टाइम दोनों ऑफिस पहुंचे….माही का यूं इतनी सुबह घर से जाना? बॉस है वो बॉस। साक्षी बॉस जो सबसे लास्ट में जाता है आईमीन अपने टाइम पर, आज अलग टाइम और वो लड़की भी कोई नोर्मल एम्प्लॉय नहीं लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसके और माहिर के बीच कुछ तो कनेक्शन है वो भी तगड़ा…..” सार्थक बोल रहा था साक्षी उसकी बात काट कर बेड से उठ गयी - ”नो ऐसा नहीं हो सकता सार्थक।”
सार्थक भी बेड से उठा और उसने साक्षी को अपनी तरफ घुमाया - ”ऐसा ही है…मैं मिलकर आ रहा हूं उस लड़की से। तुम भी मिलती उस लड़की से, उसकी बातें सुनती तो तुम्हें भी वहीं लगता जो मुझे लग रहा है।”
साक्षी हैरानी से - ”क्या?”
सार्थक खुश होते - ”यही कि हमारे माही की जिंदगी में वो लड़की आ चुकी है जो उसके लिए बनी है।”
साक्षी - ”तुम्हें ऐसा क्यों लगता है। हो सकता है बात कुछ और हो सार्थक और जिस तरह तुम मुझे उस लड़की के बारें में बता रहे हो, वो जो बोल रही थी अपने माही के बारे में…उससे तो यही लग रहा है वो माही पर गुस्सा थी…भड़की हुई थी माही पर।”
सार्थक - ”हां तो अब देखना तुम वो भड़की हुई लड़की माहिर खन्ना के दिल में अपने प्रति मोहब्बत की आग को कैसे भड़काती है और उसे पत्थर दिल से कैसे दीवाना बनाती है। बहुत लड़कियां गुजरी है साक्षी आजतक माही के पास से…सनाया लूथरा को ही ले लो कितना मरती है माहिर पर, पर वो उसकी हवा भी खुद को नहीं लगने देता है और यहां उस लड़की का माहिर पर इतना असर हुआ कि उस असर से ना तो वो लड़की अछूती रही ना ही अपना माहिर। अब माहिर खन्ना माहिर खन्ना नहीं रहेगा”
साक्षी उसके सामने आ खड़ी हुई - ”सच में?”
सार्थक साक्षी के कंधो पर हाथ रखते - ”बिल्कुल, किस्मत ले आई है उस लड़की को माहिर की जिंदगी में जो उसके लिए बनी है। मुलाकात चाहे उनकी जैसी भी हुई हो, कहानी मजेदार होगी। शुरूआत चाहे जैसी भी हो अंजाम खूबसूरत होगा। पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं अपने माही को प्यार भी होगा और प्यार पर यकीन भी जो उसे वो लड़की दिलाएगी और हां किस्मत अब जो भी खेल खेलेगी ना उनके साथ, उनके हक में जो भी फैसला लेगी उसे स्वीकार करना पड़ेगा उन्हें भी और हमें भी।”
साक्षी - ”नाम क्या है उस लड़की का?”
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“अयाना मिश्रा नाम है हमारा अयाना मिश्रा, मैं वहीं लड़की हूं जिसे कुछ घंटे पहले आपने यहां से भगा दिया था। याद हूं न? भूल तो नहीं गये? अब रोकेगें
नहीं आप मुझे?”अयाना मुस्कुराते गार्ड से बोली।
अयाना वापस मेहरा इंडस्ट्रीज के ऑफिस आई थी। आई क्या था माहिर खन्ना ने उसे फिर बुला लिया था और उसे आना भी पड़ा बिकोज मजबूरी का नाम माहिर खन्ना जो था।
गार्ड - ”अब रोकने का ऑर्डर नहीं है। अब कहा गया है जैसे ही आप आए आपको अंदर जाने दूं।”
अयाना - ”थैंक्यू तो जाये हम अंदर?”
गार्ड - ”जी मैम।”
और अयाना ऑफिस बिल्डिंग के अंदर चली आई। इधर-उधर देखते वो आगे बढ़ रही थी कि तभी सब लोग उसकी ओर देखने लगे आईमीन वहां पर काम
करने वाले। वैसे तो तीसरी बार आई थी - पहली बार अनुज साथ था, दूसरी बार तुफान की तरह आई और चली गयी, आज तीसरी बार और इस बार वो थोड़ा अनकम्फर्टेबल फील कर रही थी। क्योकि उसका ध्यान आज कहीं और नहीं ऑफिस, वहां के लोगों पर था जिन्हें वो बड़े गौर से देख रही थी। माहिर के ऑफिस में काम करने वाले लोग बड़े ही हाईफाई लोग थे। उनकी ड्रेस उनका स्टाइल नोर्मल न था। मेहरा इंडस्ट्रीज का मैन ऑफिस था तो वहां काम करने वाले नोर्मल लोग कैसे हो सकते थे। वो अयाना की ओर देखते खुसर पुसर करने लगे। जो उनके स्टेंडर्ड की तो बिल्कुल न लग रही थी और लगती भी कैसे मिडिल कलास फैमिली से जो थी।
अयाना मन ही मन खुद से बोली - ”ये सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे है…हूं तो इंसान ही। ये लोग हाईफाई है तो हम कम थोड़ी है। वैसे ये सब देखकर लग रहा है माहिर खन्ना यहां हाईफाई वालों को ही जॉब पर रखते है तभी तो यहां नेहा भी नहीं है। पता नहीं मुझे क्यों इस ऑफिस में बुलाया है? क्यों यहां पर जॉब दे रहे? कितना अच्छा होता मातारानी दूसरी कंपनी होती और मुझे रोज माहिर खन्ना नाम के दानव की शक्ल न देखनी पड़ती। सामने से कर सके परेशान और मजे भी ले सके वो अच्छे से…तभी तो यहां बुलाया है। वो मेरी इंसल्ट कर सके, पर ऐसा नहीं होने देना है। कॉन्फिडेंस अयाना कॉन्फिडेंस…पता नहीं चलना चाहिए किसी को भी। माहिर खन्ना को भी कि तुझे अजीब सा लग रहा है यहां आकर।”
तभी अनुज की आवाज उसके कानों में पड़ी - ”मिस अयाना।”
अयाना ने आवाज की दिशा में देखा तो अनुज उसकी तरफ आ रहा था। अयाना कॉन्फिडेंस के साथ आगे बढ़ी। अनुज ने पास आते ही ”वेलकम” कहा।
ये सुन अयाना इधर उधर देखते हुए थोड़ा जोर से बोली - ”आप वेलकम कर रहे है मेरा? मिस्टर खन्ना कहां है उन्हें बुलाईऐ न? जिन्होनें मुझे बुलाया है वो वेलकम करे मेरा तो (मुस्कुराते) ज्यादा अच्छा रहेगा। मैं उनकी खास एम्प्लॉय हू न जिसको यहां लाने के लिए माहिर खन्ना को कितने पापड़ बेलने पड़े। आप
तो जानते ही है राईट?”
ये सुनकर वहां एम्प्लॉय के बीच और खुसर पुसर होने लगी। ये देख अनुज ने सबकी ओर देखा और सबको सख्ती भरे लहजे में “काम करो अपना” का ऑर्डर दे डाला। जिस तरह अनुज ने सबसे कहा उसे देख तो अयाना कि भौहें चढ़ गयी।
अनुज - ”आप थोड़ा धीरे बोलेगी?”
अयाना - ”क्यों, जोर से बोलना मना है यहां?”
अनुज - ”जी, ऑफिस है शोर नहीं होना चाहिए।”
अयाना - ”कमाल है, हमारी जिंदगी में तुफान मचा डाला हम शोर भी न करे, एनीवेज बुलाईऐ न उन्हें”
अनुज - ”आप सच में चाहती है बॉस आपका वेलकम करें?”
अयाना - ”हां क्यों नहीं? स्वागत तो बनता है।”
अनुज - ”मिस अयाना…” आगे अनुज बोलता कि अयाना बोल पड़ी - ”पहले ये बताइए, पहले बुलाया फिर भगाया फिर बुलाया? आखिर चल क्या रहा है आपके बॉस के दिमाग में?”
अनुज “पता नहीं” कहते कंधे उचका देता है। ये देख अयाना हंस दी - ”सिरियसली मैनैजर अनुज, थोड़ी सी तो भनक होगी आपको भी आखिर साये की तरह
माहिर खन्ना के साथ रहते है आप? उनके कदमों पर चलते है।”
अनुज - ”आप गुस्से में है।”
अयाना - ”बिल्कुल नहीं, हम गुस्से की आग में उसी इंसान को भस्म करते है जिसकी वजह से हमें गुस्सा आता है, दूसरो को नुकसान नहीं पहुंचाती सो टेंशन मत लीजिए आपको तो गुस्से की आग की चिंगारी भी नहीं छूएगी।”
अनुज - ”और मेरे बॉस को?”
अयाना - ”राख बना देगें।”
अनुज - ”वो खुद आग है।”
अयाना - ”हम घी या फिर तेल।”
अनुज - ”पानी या फिर रेत भी हो सकती है।”
अयाना - ”उम्मीद मत कीजिए।”
अनुज - ”फिर तो तबाही मचना तय है।”
अयाना - ”चांस तो है।”
अनुज - ”चलो देखते है कौन होता है तबाह और कौन होता है यहां आबाद, बेस्ट ऑफ लक”...बोलते उसने अयाना की तरफ हाथ बढ़ा दिया।
अयाना हाथ की ओर देखते - ”टीम बदलने का इरादा है क्या? सोचना भी मत बेमौत मारे जाएगें। गद्दारी शोभा न देगी आपको?”
अनुज मुस्कुरा दिया - ”ना टीम बदली, न गद्दारी करने वाला हूं। मुझे मेरी जिंदगी बड़ी प्यारी है, मैं तो आपको शुभकामनाएं दे रहा था आगामी जिंदगी के लिए जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है एंड होप सो अच्छा ही हो।”
अयाना खुद से बड़बड़ाई - ”होप सो….हम्म वरना जिस शख्स से पाला पड़ा है पता नहीं उसे कब कौन सा दौरा पड़ जाए, किसी के साथ क्या कर दे कोई भरोसा नहीं।”
अनुज ने अयाना के सामने हाथ हिलाया - ”क्या हुआ? मिलाइए न हाथ”
अयाना “कुछ नहीं” कहते अनुज के हाथ की ओर देखती है। वो उससे हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाने को हुई तभी माहिर की आवाज से वो जगह गूंज उठी - ”मुझसे नहीं मिलोगी?”
ये सुनते ही अनुज का हाथ नीचे की तरफ झटक गया और भौहें चढ़ गयी। वहीं अयाना ने थोड़ा सा साईड में झुककर देखा तो अपने कैबिन के डोर के आगे माहिर खड़ा था जो अपने फोन को हाथों में स्पीनर की तरफ घुमा रहा था।
अयाना उसे बिना किसी हाव भाव के देख, सबकी तरफ देख, अनुज की ओर देखती है जो माहिर की तरफ मुड़ चुका था और एकदम नोर्मल हो गया।
”क्या खौफ है” अयाना मन ही मन खुद से बोली।
तभी माहिर अनुज से - ”इसे मेरे कैबिन में लेकर आओ”
अनुज - ”ओके सर।”
माहिर वापस कैबिन में चला गया। अनुज ने अयाना की तरफ देखा - ”चले?”
अयाना - ”मन तो नहीं है, फिर भी चलिए।”
और दोनों माहिर के कैबिन की तरफ बढ़ गये। जाते-जाते वो अनुज से कहती है - ”किसी को इतना भी नहीं डरना और डराना चाहिए”
अनुज - ”सब आपके जैसे निडर नहीं होते। वैसे आप तो नहीं डर रही ना?”
अयाना हंस दी - ”नहीं तो…बिल्कुल नहीं। मैं क्यों डरूंगी, डरता तो वो है ना जो पाप करता है और हम ने पाप थोड़ी करें है।”
अनुज - ”पर अब करेगी आप पाप?”
अयाना - ”अब अगर किसी इंसान को सही तरीके से समझ नहीं आता है तो फिर वो तरीका तो अपनाना पड़ता है न जो उसे समझ आता हो। सीधी अंगुली से घी न निकले तो अंगुली टेढी करनी पड़ती है सुना तो होगा न आपने? पर यहां हम डिब्बा ही उल्टा टेढ़ा कर देगें। यूं तो पंगे लेते नहीं और जो लेता है उसे छोड़ते नहीं। आपके बॉस युद्ध चाहते है अपनी इगो और मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट के बीच, चुनौती भी तो दे दी है उन्होनें और हम चुनौती स्वीकार कर मैदान में आ चुके है। अब वो जीतने और हमें हराने के लिए साम दाम दंड भेद सबकुछ आजमा रहे है तो हम थोड़ी न पीछे रहेगें। बिना लड़े हारेगें नहीं और आसानी से उन्हें जीतने नहीं देगें।
अनुज - ”सीधा-सीधा कहिए, आपकी जीत और बॉस की हार होगी।”
अयाना - ”अभी ऐसा कहा मैनैं तो आपको बुरा लग जाएगा। वो आपके प्यारे बॉस जो ठहरे, जिनकी हर बात मानना आपका धर्म है। सबकुछ आपके सामने ही तो होगा…पता चल जाएगा आपको, हम फिलहाल समय पर छोड़ देते है।”
अयाना - ”पर हां हम उनके जितना गिरेगें नहीं…हमें घंमड नहीं मिस्टर खन्ना जैसे पर विश्वास जरूर है, मातारानी के आशीर्वाद, सच, अच्छाई की जीत होगी। जिसके गवाह भी आप ही होगें मैनेजर अनुज।
अनुज - ”वैसे कुछ भी हो सकता है।”
अयाना - ”हम्म ये तो है, कुछ भी हो सकता है।”
कैसी रहेगी माहिर-अयाना की ये मुलाकात?
अब किसकी होगी जीत किसकी होगी हार?
क्या करेगा माहिर खन्ना?
आगे जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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