पल्लो, सोनू और रेशमा घूम कर आ गए हैं, खोली के सामने आते ही उन्होंने दरवाजे का ताला टूटा देखा. जिससे उन्हें अंदाजा हो गया कि घर में कोई चोर घुसा है. सोनू और पल्लो ने अपने हाथ में एक एक ईंट उठा लीं और दरवाज़े की तरफ बढ़े. उन्होंने जैसे ही दरवाजा खोल कर चोर पर ईंट से हमला करना चाहा वैसे ही उन्हें सामने विज्जू खाना खाता दिखा. ऐसे अचानक से सामने पल्लो और सोनू को हाथों में ईंट लिए देख विज्जू भी चौंक गया. उसके हाथों से खाने की प्लेट छूट गयी.
विज्जू- हां हां मुझे मार ही डालो तुम लोग. मैं सबके लिए खाना लाया था और ये लोग ईंट पत्थर से मेरा स्वागत कर रहे. सब इस लड़की की वजह से है. जब से आई है मुझ पर एक के बाद एक आफत आ रही है.
पल्लो- इसमें इसकी क्या गलती है. खोली की चाभी दी thi ना तुझको, फिर ताला क्यों तोडा? अब समझ आ रहा कि उस दिन तेरे सिर पर लाठी क्यों पड़ी थी. ऐसी हरकतें करेगा तो यही होगा.
विज्जू- अच्छा बेटा, इसके आते ही तेरे सुर बदल गए. पहले विज्जू भाई खोली पर क्यों नहीं आते, विज्जू भाई मिलते नहीं और अब जब विज्जू भाई आया है तो उसका ऐसे स्वागत कर रही है. Chaabhi गुम गयी थी इसीलिए ताला तोड़ना पड़ा. कल नया ला दूंगा. और तुझे नहीं अच्छा लगता तो मैं अब नहीं आऊंगा यहाँ.
पल्लो- क्या विज्जू भाई kaisi baat kar rahe ho? हमने ये थोड़े ना कहा है कि मत आओ. चलो ये बताओ लाये क्या हो?
विज्जू को बहुत देर तक मनाना पड़ा फिर वो माना. वो बिरयानी लेकर आया था. रेश्मा ने पहले कभी बिरयानी नहीं खायी थी. तभी तो पेट भरा होने पर भी उसने अपने हिस्से की बिरयानी खा ली. उसने विज्जू के बारे में इतनी बातें सुन ली थी कि वो अब उसी को देखे जा रही थी. उसे अब हर अनजान मर्द से डर लगने लगा था मगर पता नहीं क्यों इतना बवाल होने के बाद भी उसे विज्जू से डर नहीं लग रहा था. उसे विज्जू को देख कर अचानक याद आया कि उसने कहा था ‘सुन्दर है तो कुछ भी करेगी क्या.’ उसे सोच कर अच्छा लगा कि विज्जू ने उसे सुन्दर कहा था. वो वहां बैठी पल्लो और विज्जू की बातें सुने जा रही थी. कुछ देर बाद विज्जू वहां से चला गया.
पल्लो ने बताया कि विज्जू नारद जी की तरह कभी भी प्रकट हो जाता है. उसे कोई ताला नहीं रोक सकता. एक बार तो वो रात के दो बजे दरवाजा पीटने लगा. पल्लो ने कहा कि वो चला जाये उसे नींद आ रही है. तब उसने दरवाजे पर लात मार kar दरवाजा तोड़ दिया. बोला वो उसके लिए चौक से निहारी पाव लाया था, फिर कहीं busy हो गया. इसलिए अभी देने आया है और वो है कि दरवाजा नहीं खोल रही. फिर खुद पूरी रात में दरवाजा सही भी कर के गया. फिर कई दिनों तक गायब हो जाता है कितना भी खोजो नहीं मिलता और जब आना होता है तो बिना बताये कभी भी आ जाता है. पल्लो कहती है मैं रहूंगी तभी आएगा वरना नहीं. पल्लो उसके बारे में कहती है कि वो थोड़ा पागल ज़रूर है मगर दिल का बहुत अच्छा है. विज्जू की कथा पूरी होने के बाद सब सो जाते हैं, अगले दिन से रेश्मा को काम भी सीखना tha.
सुबह होते ही आज सबसे पहले रेशमा उठी है. उसने नल से पानी भर लिया. खुद से जाकर सबसे पहले naha dho आई. पल्लो ने जब आँख खोली तब तक रेशमा एक दम तैयार बैठी थी. उसे काम सीखने की बहुत जल्दबाजी थी. अब वो घर पर नहीं बैठना चाहती थी. पल्लो भी उसकी लगन देख कर बहुत खुश थी. उसने सोनू को उठाना chaaha मगर रेशमा ने बताया कि वो उठ कर टॉयलेट गया है. पल्लो को लगा चलो उसकी एक और बड़ी जिम्मेदारी खत्म हुई. अब रेश्मा ही उसे सुबह उठाया karegi.
पल्लो तैयार हो गयी. सोनू स्कूल जा चुका है. आज रेश्मा एक नयी जिंदगी की शुरुआत करने जा रही है. उसने अपने माँ बाबा को याद किया और पल्लो के साथ दुकान के लिए निकल पड़ी. उसने रेशमा को बताया कि पहले मंडी से सब्जियां लानी पड़ती थीं लेकिन अब सुबह सुबह ट्रक आ जाता है. Wo log एक दिन पहले सब्जियां लिखवा देते हैं, वो सुबह सुबह यहाँ छोड़ देते हैं. कई बार दुकान खोलने में देरी हो जाये तो किशोरी चाचा सब्जियों के बोरे रख लेते हैं.
अब सब्जियां लगाने की बारी थी. रेशमा पल्लो को काम करता देख सीख रही थी. रेश्मा अपने घर पर ज्यादा काम नहीं करती थी. खाना भी वो तभी banaati जब माँ बाबू दोनों बीमार होते नहीं तो हरिया उसे बस पढने को बोलता था. लेकिन वो काम से जी चुराने वालों में से नहीं थी. रेश्मा के लिए सबसे मुश्किल था इन अजीब सी सब्जियों के नाम याद करना. उनमें से एक सब्जी देख कर तो उसे घिन्न आने लगी. उसके यहाँ ऐसी सब्जी गोबर पर खुद ही उग आती थी. पल्लो को उसकी बातें सुन कर खूब हंसी आ रही थी. उसने रेशमा को बताया कि ये मशरूम है. बहुत महँगी सब्जी है. ऐसे ही वो हरी हरी गोभी देख कर भी परेशान थी कि गोभी का रंग ऐसा क्यों है. तब उसे पता चला कि इसे ब्रोकली कहते हैं.
एक घंटा तो उसे सब्जियों के नाम जानने में लगे, कुछ के नाम तो वो अभी भी नहीं जान पाई थी. उसके बाद पल्लो ने उसे बताया कि हर रोज़ सब्जियों के साथ इसकी रेट लिस्ट भी आती है. शहर भर में उस दिन सब्जियां उसी दाम पर बिकती हैं. दुकानदार अपने हिसाब से थोडा बहुत ऊपर नीचे कर लेते हैं. पल्लो कहती है वो इमानदारी से काम करती है इसलिए ख़राब सब्जियों को छांट लेती है. अगर कोई वही सब्जियां कम दाम में लेना चाहे तो ले जा सकता है. वो उसे समझाती है कि ईमानदारी से काम करना है लेकिन इतना भी ईमानदार नहीं बनना कि सामने वाला लूट कर ले जाए.
रेश्मा इस तरह हां में सिर हिलाती है जैसे उसे सब समझ आ गया हो लेकिन ऐसा है नहीं. कई बातें उसके सिर के ऊपर से निकल गयी हैं. फिलहाल वो पल्लो के बगल में बैठी है और उसको सब्जियां बेचते हुए देख रही है. वो पल्लो की कल की सलाह के बारे में सोच रही है. क्या उसे अपना काम करने के साथ अपने टीचर बनने के सपने को भी पूरा करना चाहिए. क्या उसे बच्चों को पढ़ाना भी शुरू कर देना चाहिए? लेकिन क्या वो इतना सब कुछ संभाल पाएगी? कहीं ऐसा ना हो कि जो विश्वास पल्लो उस पर दिखा रही है उसे वो तोड़ दे.
रेश्मा इसी उधेड़बुन में खोई हुई thi ki तभी देखती है कि एक बंदा खड़ा है जो पल्लो को घूर रहा है. पल्लो ने उसकी तरफ देखा और घबरा गयी. उसने रेश्मा से कहा कि वो ग्राहकों की सब्जी तोल दे वो थोड़ी देर में आती है. वो उस बन्दे को इशारे से आगे बढ़ने के लिए कहती है और उसके पीछे चल देती है. कुछ दूर मोड पर दोनों मिलते हैं, 5 मिनट बात करते हैं और फिर पल्लो लौट आती है. वो थोड़ी परेशान दिख रही है. रेशमा के पूछने पर वो बताती है जहाँ से हम सब्जी mangwaate हैं ये उन्हीं का आदमी है. कुछ हिसाब करने आया था. रेश्मा को पल्लो की बात जमती नहीं लेकिन वो इस बात पर और सोचती इससे पहले ही पल्लो ने बात बदल कर उसे किसी काम में उलझा दिया.
Udhar gaon mein इरावती छुन्नू की हवेली पर उससे मदद मांगने पहुंच गयी. छुन्नू कहीं बाहर जाने के लिए तैयार है. उसे पता लग चुका है कि मामा ने उससे क्या कहा है लेकिन वो अनजान बन रहा है. इरावती उसे सारी बात बता कर उससे मदद की उम्मीद करती है. वो कहती है ki छुन्नू सेठ अब wo hi usey इस मुसीबत से बचा सकते हैं. Chhunnu seth kehta hai ki वैसे किरोड़ी ने ये काम ठीक तो नहीं किया लेकिन वो iraawati ko एक लाख भी तो दे रहा है ना? रेश्मा के लिए भी तो usne इतनी रकम तय की थी? वैसे भी इतने अमीर परिवार में जाएगी, राज करेगी uski बेटी. Itna sun kar iraawati kehti hai, छुन्नू सेठ, उस कुलछनी से मेरी बेटी की तुलना क्यों कर रहे हैं. उसके लिए तो 5 लाख भी कम थे. जानते ही हैं उसकी इज्जत खराब थी. और जहाँ खसम ही बुड्ढा शराबी हो वहां ऐश भी सजा लगती है. इससे अच्छा wo उसका ब्याह किसी साधारण से घर में करा de.Chhunnu seth bola ki मामला तो गंभीर है. Wo किरोड़ी को सम्भाल तो lega मगर उसकी कीमत लगेगी.
Irawati ne chhunnu se kaha, मालिक आपको क्या ही कमी है. आप तो खुद राजा है, हम गरीब आपको क्या ही दे सकते हैं. फिर भी कहिये जो होगा हम उसका उपाय कर के देंगे आपको.
Chhunnu turant bola ki usey पैसे की कमी है क्या जो irawati उपाय करेगी? Wo तो बस इतना keh raha hai कि irawati ki बेटी को मामा से खतरा है तो wo उसे chhunnu ki सुरक्षा में छोड़ jaaye. जब तक उसके लिए कोई अच्छा रिश्ता नहीं मिल जाता तब तक यहीं rahegi uski beti. खाए पिए मौज करे.
छुन्नू की बात सुनते ही इरावती के पैरों तले जमीन खिसक गयी. उसे उस लालची की कहानी याद आ गयी जिसे एक आदमखोर जिन्न मिला था. जिन्न ने उससे कहा कि वो उसकी हर इच्छा पूरी करेगा, बस वो उसका पेट भरने के लिए जिंदा इंसान लाता रहे. लालची इस लालच में लोगों को फुसला कर उस जिन्न तक लाने लगा. वो पेट भरने के लिए जिन्न को इंसान देता रहा, जिन्न उसकी इच्छाएं पूरी करता रहा. लालची के पास धन दौलत महल मीनार सब हो गए लेकिन उसका लोभ नहीं मिटा. वो चाहता तो उसे फिर से बोतल में बंद कर देता लेकिन उसकी इच्छाएं बढ़ती रहीं. धीरे धीरे गाँव के सारे इंसान खत्म हो गए. सिर्फ लालची और उसका परिवार बचा. ये समस्या लेकर जब वो जिन्न के पास पहुंचा तो जिन्न ने कहा मुझे अपनी भूख के आगे कुछ नहीं दिखता, मेरा मालिक भी नहीं. इतना कह कर जिन्न ने उस लालची और उसके परिवार को भी खा लिया.
आज इरावती की हालत भी उस लालची जैसी हो गयी थी. जिस छुन्नू नाम के जिन्न के लिए इरावती ने इतने लोगों को बर्बाद किया वो आज उसी के घर पर नजर गड़ाए बैठा था. इरावती ने छुन्नू के लिए बहुत सी लड़कियों को बहलाया था. छुन्नू के लड़कियों के साथ गलत करने पर जब वो सच बताने की बात कहतीं तो इरावती ही उन्हें लालच से या डरा धमका कर शांत कराती. आज छुन्नू ने उसी के घर पर आँख रख ली थी.
Idhar lucknow mein रेशमा काफी देर से पल्लो के फ्री होने का इंतज़ार कर रही है. वो उसे कुछ कहना चाहती है. लेकिन उसे लग रहा है कि कहीं ये जल्दबाजी ना हो. वो इसी उलझन में है. दोपहर के टाइम दुकान पर ग्राहक नहीं the. पल्लो रेशमा से कहती है ki chalo कुछ खा लेते हैं. इस बीच रेश्मा अपनी बात कहना शुरू करती है लेकिन तभी…
क्या इरावती छुन्नू की बुरी नजर से अपनी बेटी को बचा पाएगी? आखिर ऐसा क्या है जो रेशमा पल्लो से नहीं कह पा रही है? ऐसे कई सवालों के जवाब
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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