रेश्मा के लिए ये शहर किसी नयी दुनिया जैसा है. रतौली में जहाँ लड़कियों के थोड़े टाईट सूट सलवार पहनने पर भी घर के मर्दों की भौहें तन जाती थीं और यहाँ वो लड़कियों को स्कर्ट टॉप में देख कर हैरान हैं. उसे हैरानी है कि इनके घर वाले इन्हें घर से निकलने कैसे देते होंगे. उसकी हैरानी देख कर पल्लो को मज़ा आ रहा था. वो उसकी बातों पर हंस रही थी. रेश्मा ये सुन कर और दंग थी कि यहाँ लड़कियां रात के बारह बजे भी बाहर घूमती हैं और कोई कुछ नहीं कहता. रेश्मा को लग रहा था की इस शहर के लोग कितने शरीफ हैं लेकिन भोली रेश्मा ये नहीं जानती कि हैवान हर जगह हैं, वो बस मौके की ताक में रहते हैं. 

इन्हीं सबके बीच उसे कोई पीछे से टोकता है. रेश्मा पीछे मुड़ती है और सामने खड़े शख्स को देखते ही उसकी चीख निकल जाती है. वो शख्स समझ ही नहीं पाता कि उसने किया क्या है. तभी पल्लो आकर मोर्चा सम्भालती है. सामने खड़ा शख्स एक विदेशी गोरा है. रेशमा ने इतना गोरा इंसान पहले नहीं देखा था. उसके गाँव में सुक्खन को चरम रोग हुआ था, उसका पूरा चेहरा सफ़ेद हो गया था लेकिन वो भी इतना गोरा नहीं था जितना ये विदेशी है. गोरे को लग रहा था कि शायद उसने कुछ गलत कर दिया है जिस वजह से रेश्मा चिल्ला रही है. आसपास के लोग भी खड़े हो कर देखने लगे. डर के मारे गोरा सॉरी सॉरी बोल रहा था. 

पल्लो उसे नो प्रॉब्लम कह कर समझाने की कोशिश करती है कि कुछ नहीं हुआ वो शांत हो जाए. पल्लो को अंग्रेजी में नो प्रॉब्लम, थेंक्यू, रुपीज़, वेरी फ्रेश, जैसे चार पांच शब्दों का ज्ञान है. समझने में वो बस इतना समझती है कि हाउ मच का मतलब ये है कि सामने वाला दाम पूछ रहा है. इधर वो रेशमा को समझाती है ये कोई भूत नहीं, दुसरे देश का प्राणी है. अभी तो उसने गोर को देखा तब डर गयी जब किसी अफ्रीकन को देखेगी तो उसकी सांस ही बंद हो जाएगी. वो बहुत शरीफ बन्दा है उससे डरने की ज़रुरत नहीं. उसने बताया कि यहाँ उसे बहुत तरह के विदेशी देखने को मिलेंगे. अलग अलग रंग के, अलग अलग तरह के कपड़े पहने हुए. सबको देख कर डरना नहीं है. वो सब भी हमारी तरह ही इंसान हैं. रेशमा हां में सिर हिलाती है. 

गोरा पल्लो से अंग्रेजी में पूछ रहा है कि वो ठीक है या नहीं? पल्लो के लिए ये इंग्लिश सिलेबस से बाहर है. लेकिन रेश्मा उसके सवाल को समझ कर खुद ही जवाब देती है. 

गोरा- इज़ शी ऑलराइट?

रेश्मा - यस, आय एम फाइन। आय वज़ जस्ट स्केयर्ड टू सी यू इन फ्रंट ऑफ मी।

गोरा- इट्स माय फॉल्ट, आय शुडन्ट हैव इंटरप्टेड यू फ्रॉम बिहाइंड, आय एम रियली सॉरी।

रेश्मा- नो, इट्स ओके, एवरीथिंग इज़ फाइन, वुड यू लाइक समथिंग?

गोरा-यस, आई वांट सम वेजिटेबल्स।

रेश्मा को इस तरह अंग्रेजी बोलते देख पल्लो दंग रह गयी. उसे लगा वो सिर्फ गणित में ही होशियार है लेकिन उसे अब पता चला कि रेश्मा सच में पढ़ी लिखी है. वैसे भी हमारे देश में किसी पढ़े लिखे की पहचान उसके इंग्लिश बोलने से ही तो होती है. वो अभी भी खोई हुई है. रेशमा उसे बताती है कि गोरे को सब्जियां लेनी हैं. जिसके बाद वो उसे उसकी पसंद की सब्जियां देती है और गोरा थेंक्यू बोल कर चला जाता है. पल्लो रेशमा की इंग्लिश सुन कर अभी तक सदमे में है. 

पल्लो- बहन तेरे और कितने राज़ हैं जो धीरे धीरे खुलने वाले हैं? सब एक ही साथ बता दे. मैंने किसी अंग्रेज के बाद तुझे ही इतनी अच्छी अंग्रेजी बोलते सुना है यहाँ. तू सच में 12वीं तक ही पढ़ी है ना?

रेश्मा- हां, लेकिन हमको इंग्लिश पढ़ने और बोलने का हमेशा से शौक रहा है. गाँव में ऐसा मौका मिला नहीं कभी कि इंग्लिश बोलें. हमारा सपना था कि हम इंग्लिश टीचर बनें. 

पल्लो- तो उसे पूरा कर ना. बच्चों को पढ़ा, जिससे तेरी प्रेक्टिस होती रहेगी और खुद तू यहाँ नाईट क्लास कर ले. दिन में काम कर रात में कुछ टाइम निकाल के खुद पढ़ ले. तुझमें बहुत हिम्मत है तू कर लेगी. तेरी वजह से यहाँ के बच्चों का भी भविष्य सुधर जायेगा. नहीं तो ये बच्चे यहाँ के माहौल में ही ढल जायेंगे. छोटी छोटी उम्र में यहाँ बच्चे गालियाँ सीख जाते हैं. यहाँ के स्कूलों के मास्टर महीने में दो चार दिन ही दिखते हैं. तू पढ़ाएगी तो इन बच्चों का भी भला हो जायेगा. 

रेश्मा पल्लो की बात पर कुछ नहीं बोलती. पल्लो समझ गयी है कि जब तक ये अपने बीते कल के डर को बाहर नहीं निकालेगी तब तक आगे नहीं बढ़ पाएगी. पल्लो उसे कहती है कि वो लोग अब कल दुकान का काम देखेंगे. अभी एक बढ़िया मस्त सी जगह घूमने चलते हैं. तब तक सोनू और किशोर चाचा की पोती नीलू भी आ जाती है. चारों घूमने निकल चलते हैं. वो सभी गोमती रिवर फ्रंट पहुँचते हैं. शाम के समय बहुत से लोग यहाँ टहलने आये हैं. गोमती के किनारे मेला जैसा लगा हुआ है. रेश्मा पूछती है क्या आज कुछ है जो यहाँ मेला लगा है. इस बात पर पल्लो हंसती है और बताती है कि नहीं यहाँ रोज़ शाम को ऐसा ही माहौल रहता है. सोनू और नीलू कुछ खाने के लिए लेने गए हैं. पल्लो रेशमा को समझाती है..

पल्लो कहती है, रेश्मा के साथ जो भी हुआ वो इतना बड़ा नुक्सान है जिसकी भरपाई दुनिया की कोई ख़ुशी नहीं कर सकती. उसके साथ हुई जबरदस्ती हो या उसके माँ बाबा की मौत, इन बातों को भुलाया नहीं जा सकता लेकिन इन्हें पकड़ कर भी नहीं बैठा जा सकता. इस तरह जिंदगी आगे कैसे बढ़ेगी. किस्मत उससे कुछ बड़ा करवाना चाहती है इसलिए ही तो वो अपने गाँव से बच कर निकल पायी ना, नहीं तो वो दरिन्दे तो उसे उसी आग में जला देते जिसमें उसके माँ बाबा जल गए. उसे अब आगे बढना होगा और इसका एक ही तरीका है कि अपने अंदर से रतौली के भूत को निकाल फेंके. पल्लो ने बताया कि जब उसके माँ बाबा से उसका साथ छूटा तो वो अकेली हो गयी. सोनू बहुत छोटा था और कोई था नहीं जिससे वो अपने मन का डर बताये. 

अकेली लड़की को सब मौके की तरह देखते हैं. उसे भी देखा गया. उसे घूरती नजरें डराया करती थी लेकिन जब भी वो डरती इसी गोमती के किनारे आ कर बैठ जाती और अपना सारा डर इसमें बहा देती. वो जब भी यहाँ से लौटती उसके अंदर एक अलग ही जूनून और हिम्मत होती. पल्लो ने अपना एक पुराना किस्सा बताया. यहाँ एक मन्नू टुंडा है. उसका एक हाथ नहीं है. जब पल्लो ने नया नया ठेला लगाना शुरू किया था, तब वो फेरी का काम करता था. उस वक्त वो 30 साल का रहा होगा. वो आते जाते पल्लो को घूरता. उसके बारे में सब कहते थे कि वो लड़कियों के साथ जबरदस्ती करता है. 

एक दिन तो उसने उसका रास्ता रोकने की भी कोशिश की थी. घबरा कर पल्लो ने सबसे ये बताया लेकिन कोई उसकी कितनी मदद करता. वो इतनी डर गयी थी कि रात को भी चौंक कर उठ जाया करती, रात को दरवाजे पर कोई आवाज़ होती तो वो सहम जाती. तब एक दिन वो यहीं आ कर बैठ गयी. उसने बहुत देर बैठने के बाद अपना सारा डर इसी गोमती के पानी में बहा दिया. यहाँ से जाते हुए उसने एक तेज़ धारदार छूरी खरीदी. वो उस छूरी को हमेशा अपने पास रखने लगी. 

उस दिन जब मन्नू टुंडा फेरी लगा कर वापस आ रहा था तो उसने पल्लो को घूरा. इस बार पल्लो घबराई नहीं, उसने भी उसकी आँखों में आंखें डाल दीं. उसने तय कर लिया था कि अगर टुंडे ने उसे कुछ कहा तो वो ये छूरी उसके सीने में उतार देगी. लेकिन कहते हैं ना जब आप हिम्मत करते हैं तो आपकी किस्मत भी आपका साथ देती है. अगले ही दिन टुंडे का एक्सीडेंट हुआ और उसका एक हाथ ही कट गया तभी से सब उसे टुंडा बुलाने लगे. उसे उसके कर्मों की सज़ा मिली, अब वो भीख मांगता है. पल्लो कहती है कि वो अब जब भी उसे देखती है तो सोचती है ये वही डर है जिसने उसे कई रातों तक सोने नहीं दिया. आज उसका डर कैसे एक एक पैसे की भीख मांग रहा है. 

पल्लो ने उससे कहा कि वो अकेली नहीं है जिसके साथ गलत हुआ है. इस बस्ती का हर इंसान कुछ ना कुछ गलत सहने के बाद ही यहाँ आया है. उसके साथ जो हुआ उसका क्या फैसला होना चाहिए ये किस्मत पर छोड़ दे और आज यहाँ अपने अंदर का सारा डर बहा दे. पल्लो की कहानी ने रेशमा को बहुत हिम्मत दी. उसने भी अपनी आंखें बंद की और गोमती से कहा कि उसका सारा डर अपने अंदर भर ले और दूर कहीं फेंक आये. रेश्मा को ऐसा करने के बाद सच में अच्छा लग रहा था. 

उसने पल्लो से कहा कि वो अब एक दम बढ़िया महसूस कर रही है. वो कभी किसी से नहीं डरेगी. अब उसे घूमना है. पल्लो ने उठ कर उसे गले लगाया और दोनों सोनू को ढूँढने लगे. सोनू और नीलू गोलगप्पे खा रहे थे. रेश्मा ने बड़े दिनों बाद गोलगप्पे देखे थे इसलिए वो उन पर टूट पड़ी. वो ऐसे खा रही थी जैसे जन्मों की भूखी हो. तीखे की वजह से उसकी आँखों से पानी आ रहा था लेकिन वो रुकने का नाम नहीं ले रही थी. सब उसे देख कर खूब हंस रहे थे. 

उधर गाँव में इरावती को मामा की बातें खाए जा रही थीं. मामा ने फैसला कर लिया था कि वो अपने शराबी बेटे की शादी इरावती की बेटी से ही करवाएगा. कभी पैसों के लिए रेश्मा का सौदा करने पर तुली इरावती आज अपनी बेटी की चिंता में मरी जा रही है. उसे अब वो इनाम भी नहीं दिख रहा जो मामा ने उसकी बेटी के बदले देने की बात कही. उसका मन कर रहा है वो ये गाँव छोड़ कर अपनी बेटी के साथ कहीं दूर चली जाए. लेकिन तभी उसे ख्याल आया कि छुन्नू सेठ की उसने बहुत मदद की है अब छुन्नू सेठ ही उसकी मदद कर सकता है. वो अगर चाहे तो उसके मामा को सबक सिखा सकता है. जिसके बाद उसका मामा अपना फैसला बदल देगा. यही सब सोच कर वो एक दो दिनों में छुन्नू सेठ से उसकी हवेली पर जाकर मिलने का फैसला करती है.  

इधर पल्लो, रेश्मा, सोनू और नीलू घूम कर वापस खोली में लौट रहे हैं. आज सबने बाहर ही कबाब पराठे खाए थे इसलिए खाना बनाने की भी टेंशन नहीं. नीलू को उसके घर छोड़कर चारों हंसी मजाक करते हुए खोली की तरफ बढ़ रहे थे. खोली के सामने आते ही तीनों के होश उड़ जाते हैं. उनकी खोली का ताला टूटा हुआ है और अंदर से किसी की आवाज़ आ रही है. तीनों डर जाते हैं उन्हें लगता है कि उनकी खोली में चोर घुस आया है. अभी गोमती में अपना डर बहा कर आई रेश्मा पल्लो के पीछे छुप जाती है. सोनू और पल्लो दोनों गली में पड़ी ईंट उठा लेते हैं. दोनों अब चोर का सामना करने के लिए तैयार हैं.

क्या छुन्नू इरावती को मुसीबत से निकालने के लिए मान जायेगा? 

क्या रेश्मा का डर पूरी तरह से खत्म हो पायेगा? 

जानेंगे अगले चैप्टर में!

Continue to next

No reviews available for this chapter.