इंसान भले ही कितना भी नर्म दिल क्यों ना हो पहली मुलाक़ात में किसी का दर्द नहीं महसूस कर सकता. उसे किसी का दर्द महसूस करने के लिए उसके करीब जाना पड़ता है. जैसे कि मान लीजिये आप कहीं जा रहे हैं, रास्ते में आप देखते हैं कि किसी का एक्सीडेंट हो गया है. उसे बहुत चोट आई है . आप कुछ देर उसे देखते हैं क्यूंकि आपका दिल नर्म है, आप अफ़सोस भी करते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन तभी आपको महसूस होता है कि जिसका एक्सीडेंट हुआ है वो आपका दोस्त या रिश्तेदार है, तब आप सिर्फ अफ़सोस नहीं करेंगे. आप भाग के उसके पास जायेंगे उसकी मदद करेंगे, उसकी चोट, उसके दर्द को महसूस करेंगे.
पल्लो ने भी अभी सिर्फ एक अनजान की तरह रेश्मा की कहानी ही सुनी थी. अभी उसे सिर्फ अफ़सोस है लेकिन जैसे जैसे रेश्मा का पल्लो के साथ लगाव बढेगा, पल्लो उसके दर्द को अपना समझने लगेगी. जिंदगी ऐसे ही काम करती है. इसके नियम इसी तरह काम करते हैं. फिलहाल रेश्मा बड़ी मुसीबत में है. जिस विज्जू के सिर पर उसने लाठी से मारा था उसे अब धीरे धीरे होश आ रहा है.
रेशमा सबकी बातें सुनने के बाद इस अफ़सोस में डूबी थी कि उसके हाथों किसी को बिना मतलब ही दर्द सहना पड़ा. अब उसका अफ़सोस डर में बदल रहा था. सबने बताया था कि विज्जू बहुत गुस्से वाला है. अभी तक सबको हँसते, बातें करते, मज़ाक करते देख रेशमा का डर दबा हुआ था लेकिन विज्जू जैसे जैसे होश में आ रहा था उसे सामने खड़ी बस्ती की भीड़ अपने गाँव की भीड़ नजर आने लगी थी. वो एक कोने में सहमी सी काँप रही थी. उसका पूरा बदन इस सर्दी में भी पसीने से भीगने लगा था. कोई उसकी कंडीशन नहीं जानता था ना अभी किसी का उस पर ध्यान था.
उसे लग रहा था ये भीड़ भी उसका तमाशा देखने को खड़ी है, ये विज्जू जब उठेगा तो उसके साथ फिर से वही होगा जो गाँव में हुआ था. थोड़ी ही देर में विज्जु की आँखें खुल गयीं. उसे कुछ सेकण्ड्स समझने में लगे कि वो कहाँ है और इतने लोग उसके आसपास क्यों खड़े हैं. वो होश में आता है. उठ कर बैठा जाता है, दो तीन बार अपने सिर को हिलाता है. उसे बहुत दर्द हो रहा है. वो नज़रें उठा कर अपने आसपास की भीड़ को देखता है, भीड़ उसे देख रही है. तभी उसकी नज़र रेशमा पर पड़ती है. उसे देखते ही याद आ जाता है कि इसी लड़की ने उसके सिर पर लाठी मारी थी. उसे देख विज्जू गुस्से से लाल हो जाता है. वो उठता है मगर चक्कर आने की वजह से वो फिर बेड पर बैठ जाता है. विज्जु एक टक रेशमा को घूरे जा रहा है, रेशमा डरी सहमी सी खड़ी है.
उधर सब्ज़ी मंडी में पल्लो को घर में मचे बवाल का पता चल गया, वो दुकान छोड़ कर घर की तरफ भागती है. उसे पता है गुस्से में विज्जू पागल हो जाता है. फिर वो किसी की नहीं सुनता. इधर विज्जू फिर से हिम्मत कर के खड़ा होता है और रेशमा की तरफ बढ़ता है.
विज्जू- ये लड़की, तूने विज्जू को मारा? आज तू नहीं बचेगी. तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर लाठी चलाने की? जिस विज्जू के सामने खड़े होने से लोग डरते हैं तूने उसे मारा. सुंदर है तो क्या जो मन सो करेगी? एक तो ये पल्लो के घर में घुसी कैसे तू? किसने तुझे अंदर आने दिया? ये है कौन? आज इसकी सारी हेकड़ी निकलेगी. आज जमना को तेरे से ना भिड़ाया तो मेरा नाम भी विज्जू नहीं. मैं लड़कियों पर हाथ नहीं उठाता वर्ना आज तेरा कचूमर बना देता लेकिन कोई बात नहीं अब जमना मेरा बदला लेगी. कहाँ है जमना, बुलाओ उसको.
जमना का नाम सुनते ही सबके चेहरे पर रेश्मा के लिए हमदर्दी झलकने लगी. जमना इस बस्ती की सबसे स्वस्थ महिला है, जिसे मोटी कहे जाने पर इतना गुस्सा आता है कि वो सामने वाले को पटक कर उसके ऊपर बैठ जाती है और कहती है, देख, मैं इतनी भी मोटी नहीं. वो फिर तब तक नहीं उठती जब तक सामने वाले की सांसें ना उखड़ने लगे. एक बार वो किसी पर गिर गई थी, सामने वाला हफ्ते भर उठ नहीं पाया था. वो विज्जू की पक्की चेली थी. विज्जू के कहने पर वो बुलडोजर को रोकने के लिए उसके सामने भी खड़ी हो सकती थी. ऐसे में वो रेश्मा का क्या हाल करेगी, ये सोच कर सब परेशान थे. थोड़ी राहत की बात ये थी कि इस समय जमना के सोने का टाइम था और उसे सोते से जगाने की हिम्मत यमराज में भी नहीं थी.
विज्जू बहुत गुस्से में था, उसने जमना को जगाने के लिए कल्लू नाई को भेजा. तभी पल्लो एक बार फिर से रेश्मा के लिए मसीहा बन कर सामने आ जाती है. रेश्मा उसे देखते ही उससे लिपट जाती है. पल्लो महसूस करती है कि वो बुरी तरह काँप रही थी. उसे पता लग जाता है कि रेश्मा भीड़ को देख कर डर गयी थी. वो सबसे पहले वहां खड़े लोगों पर भड़कती है…
पल्लो- सालों देश में बढ़ रही गरीबी का सबसे पहला कारण तुम लोग ही हो. जहां मैटर देखा नहीं वहां भीड़ लगा के खड़े हो गए तमाशा देखने. ये 4 घंटे से जो यहाँ खड़े हो, तुम्हारा काम कौन कर रहा होगा, तुम्हारा बाप? चलो फुटो यहाँ से.
विज्जू- कोई कहीं नहीं जाएगा. आज तो सब देखेंगे कि विज्जू को मारने का क्या अंजाम हो सकता है.
पल्लो- अरे यार जैसा है नहीं वैसा बनता क्यों है? इसे एक चोट लगेगी तो तू ही इसे हॉस्पिटल भिजवाएगा. चुपचाप बैठ वहां. हम मरहम लगा देते हैं. मौसी की बेटी है मेरी, नई आई है. अभी अभी एक्सीडेंट में बाल बाल बची है इसलिए थोड़ा डर गयी थी. उसे सपना थोड़े ना आएगा कि विज्जू जी आने वाले हैं. हो गयी गलती, सॉरी बोल देगी, तू भी गुस्सा थूक दे. मैटर क्लोज़ कर.
विज्जू- ऐसे कैसे मैटर क्लोज़ कर दूं. मैं तो..
पल्लो- मैं तो क्या? क्या करेगा? दादा है तू? गुंडा है तू? मारेगा? मार, चल हिम्मत है तो मार, नहीं अब तू मार के दिखा.”
विज्जू से सब डरते थे लेकिन विज्जू पल्लो के गुस्से से डरता था. पल्लो ने जैसे ही उसे आंखें दिखाई वो शांत हो गया. उसने एक बार फिर से वहां खड़ी भीड़ को चार गालियाँ सुनायीं. सब ये कहते हुए वहां से जाने लगे, हम तो विज्जू की मदद करने आये थे. पल्लो ने कहा, अब वो ठीक हो गया ना अब खिसको यहाँ से. धीरे धीरे खोली में सिर्फ विज्जू, सोनू, पल्लो और रेश्मा ही बचे. पल्लो ने विज्जू को बैठाया और उसके सिर पर दवाई लगाने लगी. रेश्मा एक कोने में चटाई बिछा कर बैठी हुई है. विज्जू को अभी भी रेश्मा पर गुस्सा आ रहा है. पल्लो उसे दवाई लगाते हुए कहती है.
पल्लो- उसे गुस्से से घूरना बंद कर विज्जू. बेचारी ने अभी अभी अपने माँ बाप खोये हैं. खुद भी एक्सीडेंट में बड़ी मुश्किल से बची है. उसे नहीं पता था तू कौन है. पता होता तो ऐसा करती क्या? हमारे लिए उसको माफ़ कर दे. करेगा ना माफ़?
विज्जू ने हां में सिर हिलाया. इसके बाद पल्लो उसे बताने लगी कि कैसे उसने गुंडों को भगाया. जब उसने कुड़िया घाट का नाम लिया तो सब दुम दबा के भाग निकले. कंडक्टर की भी हवा निकल गयी जब उसने कहा बस तो कुड़िया घाट हो कर ही जाएगी. उसकी बातें सुन कर विज्जू ने अपनी गर्दन उसकी तरफ मोड़ते हुए उसे घूरा. जिस पर पल्लो ने हँसते हुए कहा…हां यार जानते हैं ये सब तुम्हारा ही कमाल है. सबको पता है कुड़िया घाट में विज्जू दादा है जो सबकी बजा देता है. पल्लो के बारे में ये बात जानना बहुत ज़रूरी है कि वो फिल्मों और मुंबई नगरी की बड़ी दीवानी है. वो कभी कभी फ्लो फ्लो में मुंबई पहुंच जाती है, फिर उसे याद कराना पड़ता है कि बहन ये लखनऊ है.
विज्जू अब जाने ही वाला था कि इतने में जमना पहुंच गई. अपनी धीमी चाल में झूमती हुई वो पल्लो की खोली की तरफ ही आ रही थी. उसे उठते ही पता चला था कि विज्जू भाई उसे याद कर रहे थे इसलिए वो तेजी में चल रही है लेकिन उसकी तेज चाल कछुए से थोड़ी ही ज्यादा है.
जमना- किसकी शामत आई है जिसने विज्जू भाई पर हमला किया? आप बताओ उसका नाम मैं अभी उसका दम निकाल दूंगी।
विज्जू- बड़ी जल्दी नहीं आ गयी? मेरा जनाज़ा उठने तक इंतज़ार कर लेती. मैटर क्लोज हो गया, अब जा आराम कर और ये बता, कल्लू तुझे जगाने गया था?
जमना- उसके बाप की भी मजाल नहीं कि मुझे सोते से जगा दे. वो तो मेरी खोली के बाहर बीड़ी फूँक रहा था.
उसकी बात पर पल्लो हंसी. जमना के पूछने पर उसने रेशमा के बारे में उसे भी अपनी बनायी कहानी चिपका दी. विज्जू और जमना वहां से चले गए. इस बवाल के बीच सोनू बेचारा भूखा रह गया. पल्लो ने उसे कुछ खाने के लिए बाहर भेज दिया. उसने रेशमा को शांत किया और तैयार होने के लिए कहा. रेश्मा भी कुछ ही देर में नहा कर और पल्लो के कपड़े पहन कर रेडी हो गयी.
वो दोनों दुकान के लिए निकल पड़े. रास्ते में दोनों ने देखा कि विज्जू बात ना मानने के लिए कल्लू की क्लास लगा रहा था. ये सब देख कर थोड़ी सी हंसी रेश्मा के चेहरे पर भी आई थी. पल्लो को उसे हँसते देख थोड़ी राहत मिली. उसने उसे समझाया कि किसी भी चीज़ से वो जितना डरेगी वो उसे उतना ही डराएगी. उसे इस डर को अपने अंदर से बाहर निकालना होगा.
पल्लो ने उसे बताया कि वो आज रात को उसे ऐसी जगह ले जायेगी जहाँ वो अपने सारे डर को कहीं दूर भेज सकती है. इसके बाद दोनों सब्ज़ी मंडी पर पहुंच गए. पल्लो के पीछे से कुछ सब्जियां बिकी थीं, किशोरी चाचा उसे उसी का हिसाब समझा रहे थे. इधर रेशमा दुकान को देख रही थी. वो भी अब काम करना चाहती थी. वो तरीके से रखी सब्जियों को देखने लगी. उसने गाँव में रहते हुए दो चार सब्जियां ही हर मौसम में देखी थीं लेकिन यहाँ तो ऐसी-ऐसी सब्जियां भी थीं जिसका नाम भी उसे नहीं पता था. एक दिक्कत ये भी थी कि उसने कभी खरीदारी नहीं की थी. बाबा ही सारा सामान लाते थे. उसे पता ही नहीं था कि किस सब्जी का क्या दाम है और ये दाम रोज़ घटते बढ़ते रहते हैं. हालांकि उसने फिलहाल इस बारे में नहीं सोचा था. अभी तो बस उसे काम करना था.
पल्लो ने उसे बताया कि उसकी दुकान पर तरह तरह के ग्राहक आते हैं. ये लखनऊ का एक चलता फिरता बाज़ार है. रेशमा यहाँ लड़कियों का पहनावा देख कर भी हैरान है. वो अभी सबको देख ही रही थी की तभी उसके सामने एक आदमी आ कर खड़ा होता है. जिसे देख वो लगभग चीख पड़ती है..
कौन है ये आदमी जिसे देख रेशमा की चीख निकल गयी?
क्या इतना सब होने के बाद विज्जू और रेश्मा की दोस्ती हो पाएगी?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
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