कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक के पीता है. रेशमा तो दूध नहीं नर्क की आग की जली थी. उसके लिए तो अभी हर अनजान आहट डरावनी थी. नहाने जा रही रेश्मा को दरवाजे पर हुई जोरदार दस्तक ने डरा दिया था, उसके दिमाग में अलग अलग तरह के ख्याल घूमने लगे. उसे लगा कि शायद रतौली का भूत उसके पीछे यहाँ तक आ गया है. उसने लाठी उठाई और दरवाजा खुलते ही आंख बंद कर सामने वाले पर दे मारी.
बिना निशाना लगाये ही लाठी ने अपनी जगह खोज ली और सामने वाले के सिर के बीचों बिच लगी. इतनी तगड़ी मार पड़ते ही सामने खड़ा लगभग 6 फुट का शख्स धड़ाम से जमीन पर गिरा. लाठी चलाने के बाद रेश्मा एक कोने में दुबक कर खड़ी हो गयी थी. उसने गिरने वाले का हुलिया गौर से देखा. वो लगभग 27-28 साल का लड़का था. उसने अपने कत्थई रंग की शर्ट की बाजू फोल्ड की हुई थी. नीचे लोअर पहना था. पैरों में चप्पल थी. लग रहा था जैसे जल्बाजी में घर से निकला था. औंधे मुंह गिरे पड़े इस लड़के का चेहरा ठीक से नहीं देख पायी थी रेश्मा. पहनावे और उसकी कद काठी से उसने इतना जान लिया था कि ये उसके गाँव का तो नहीं लग रहा. जिसके बाद उसने खुद को कुछ मिनटों में शांत किया.
लाठी की मार खा कर वो लड़का जबसे ज़मीन पर ही गिरा था, तबसे उसमें कोई हरकत नहीं हुई थी. रेश्मा को अब डर लगने लगा था कि कहीं लखनऊ आते ही उसके हाथों किसी का मर्डर तो नहीं हो गया. वो नीचे बैठी और उसकी नब्ज चेक करने लगी. वो मरा नहीं था बस बेहोश हुआ था. अब रेश्मा घबरा रही थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे. उसने देखा गली में कोई नहीं था. शायद ये सब होते किसी ने नहीं देखा था. थोड़ा सोचने के बाद वो उठी और बगल वाली ताई को बुला लायी. ताई ने उस लड़के को देखते ही कहा..
ताई- अरे ये तो अपना विज्जु है. लड़की तू ने ये क्या कर दिया. बवाल हो जायेगा. बहुत गुस्से वाला लड़का है. पल्लो को बहन मानता है. उसके घर इसका फैमिली जैसा आना जाना है.
रेश्मा- ताई अब मुझे क्या पता था कि ये उसका दोस्त होगा. कोई अनजान आदमी ऐसे दरवाजा पीटेगा तो कोई क्या समझेगा.
रेश्मा ने अपनी बात इतनी मासूमियत से कही कि ताई को भी तरस आ गया.
ताई- अच्छा तू घबरा मत मैं किसी को बुलाती हूँ. इसे उठाकर बिस्तर पर तो रखें.
रेश्मा की घबराहट बढ़ने लगी थी. उसे लगने लगा था कि ये बवाल बढ़ने वाला है. ताई की एक खासियत पल्लो ने अभी उसे बताई नहीं थी कि ताई कोई भी बात पचा नहीं पातीं. बात जितनी छुपाने वाली हो वो उतना ही उसे फैला देती थी. ऐसा ना करे तो उन्हें बदहजमी होने लगती थी. क्या करे बेचारी को पापी पेट को बदहजमी से बचाने के लिए ऐसा करना ही पड़ता था. अभी भी उसने ऐसा ही किया. उसने सोचा घर घर जा कर बताने में बहुत टाइम जाएगा इसलिए उसने चिल्लाना शुरू कर दिया.. ‘ये देखो विज्जू को क्या हो गया, विज्जू को बचाओ’ विज्जू का नाम सुनते ही मिनटों में पूरी बस्ती वहां इकट्ठी हो गयी.
कल्लू नाई ने विज्जू को बेहोश देख हैरानी जताई, जो अकेला दस दस को निपटा देता है वो इस लड़की से मार खा कर कैसे बेहोश हो गया होगा? अमजद ने कहा इस लड़की को तो विज्जु भाई के कहर से अब अल्लाह ही बचाए. भीड़ में से एक ने कहा इस लड़की ने तो आते ही आफत मोल ली. विज्जू से पहले तो पल्लो ही इसकी हालत खराब कर देगी. रेशमा को डराते हुए लोगों ने विज्जू को उठा कर चारपाई पर रख दिया था. कोई उसके मुंह पर छींटे मार रहा था तो कोई उसके सिर में तेल मल रहा था.
रेशमा ये सब देख कर इतना तो समझ ही गयी थी कि विज्जू कोई बहुत ख़ास बंदा है. जो ये सारे लोग उसे देख कर परेशान हैं. उसे अब सच में डर लगने लगा था. विज्जू को अभी तक होश नहीं आया था.
उधर गांव में छुन्नू सेठ घर लौट आया था. उसे उसके एक चमचे ने बता दिया था कि आज टेकराम और उसकी बेटी का मिलना हुआ है. छुन्नू को पसंद नहीं था कि वो दोनों मिलें. वो ऊपर उन्नति के कमरे में गया और जाते ही एक ज़ोरदार थप्पड़ उसे मारा. उन्नति के चेहरे पर कोई भाव नहीं था. जैसे कि उसे इस थप्पड़ के बारे में पहले से ही पता हो. शादी के शुरुआती दिनों में छुन्नू ने उन्नति के साथ प्यार का बहुत दिखावा किया. एक वक्त तो उन्नति को भी लगने लगा था कि उसकी सहेलियां झूठी थीं. लेकिन जिस दिन उसके पिता की मदद से छुन्नू पहली बार सरपंच बना उसी दिन से धीरे धीरे उसके तेवर बदलने लगे. उस दिन पहली बार उन्नति को पता चला कि उसका राम जैसा लगने वाला पति शराब भी पीता है. फिर तो जैसे जैसे टेकराम की संपत्ति उसके हाथ में आने लगी वैसे वैसे वो अपने असली रंग में भी आने लगा. उसने उन्नति को मारना पीटना शुरू किया. शुरुआत में उन्नति की चीखों से हवेली गूँज जाती थी. वो मदद के लिए बार बार अपने पिता को पुकारती लेकिन धीरे धीरे उसे पता चल गया कि उसकी मदद के लिए कोई नहीं आने वाला. अब अगर छुन्नू उसका गला भी काट दे तो वो एक आवाज़ तक नहीं निकालेगी. वो पूरी तरह पत्थर की तरह हो गयी थी. वो ना अब रोती थी और ना उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आती थी.
छुन्नू- तुझे कितनी बार कहा है कि उस बुड्ढे से नहीं मिलेगी. लगता है तू मेरे हाथों की मार का स्वाद भूल गयी है. आज तुझे वो स्वाद फिर से याद दिलाता हूँ.
छुन्नू ने अपना हंटर मंगाया और उन्नति पर बरसाने लगा. उन्नत्ति चुप चाप खड़ी रही. ये हंटर भी उन्नति के जिस्म को अच्छे से पहचान गया था. इसकी चोट भी अब उन्नति को कुछ नहीं कहती थी. हंटर जहाँ पड़ता वहां पहले से ही पुराना निशान मौजूद होता. उसका पूरा शरीर इस हंटर की मार से छिल चुका था. इतना सब सहने के बाद भी उन्नति ने कभी ये प्रार्थना नहीं की थी कि उसे मौत आ जाए. उसे तो अभी जीना था, तब तक जब तक वो छुन्नू का वो हश्र ना देख ले जिसकी उसने मन्नत मांगी हैं. आज भी छुन्नू अपना गुस्सा उतार के चला गया. उन्नति उठती है और मरहम लेकर खुद से ही पूरे शरीर पर मलने लगी.
इधर लखनऊ में विज्जू को अभी तक होश नहीं आया. सब परेशान हैं. उसे हॉस्पिटल भी नहीं ले जा रहे क्योंकि वो कभी हॉस्पिटल नहीं जाना चाहता था. लोग मज़ाक में कहते हैं कि विज्जू इंजेक्शन से डरता है इसीलिए हॉस्पिटल नहीं जाता. बात चाहे जो भी हो लेकिन उसे हॉस्पिटल जाने के नाम से ही कुछ अजीब होने लगता था. उसे हॉस्पिटल ले गए तो होश आने पर वो उसे ही कूट देगा जो उसे वहां ले गया होगा. एक बार बाज़ार वाले लफड़े में उसे किसी ने चाकू मारा था. कंधे पर गहरा घाव हो गया था. उसने खुद से ही मरहम पट्टी की मगर हॉस्पिटल नहीं गया.
विज्जू बेहोश पड़ा था और सब उसके आजू बाजू बैठे रेश्मा को उसके किस्से सुना रहे थे. ताई ने उसे बताया कि वो इस बस्ती के लिए मसीहा की तरह है. पूरा लखनऊ जिससे डरता है वो इस बस्ती के हर घर के लिए बेटे जैसा है. उसके होते हुए किसी की हिम्मत नहीं कि इधर आँख उठा कर देख ले. वो बस्ती के एक बच्चे के लिए भी किसी से अकेला ही भिड़ जाता है. अभी पिछले ही दिनों बस्ती खाली करने का नोटिस आया था. बुलडोजर भी तैयार थे मकान तोड़ने के लिए मगर अपना विज्जू अकेला ही खड़ा रहा वहां. दो चार फोन घुमाए और अफसर लोग अपने बुलडोजर के साथ वहां से कट लिए. पता नहीं क्या करता है लेकिन इसकी जान पहचान इतनी है कि किसी से भी पंगा ले लेता है.
वो कहते हैं ना दोस्तों का दोस्त दुश्मनों का दुश्मन, वही है अपना विज्जू. पल्लो ने एक बार इसकी जान बचाई थी उसके बाद से तो उसके लिए जान देने के लिए तैयार रहता है. वो जितना सोनू से नहीं लड़ती उतना इससे लड़ती है. इसी की वजह से तो उसको कुड़िया घाट की गुंडी नाम मिला है. ऐसे शख्स पर बस्ती वाले भला कैसे ना अपनी जान छिड़कें. वो तो रेश्मा ही है जो विज्जू को बेहोश करने के बाद भी ऐसे आराम से है. कोई और होता तो अब तक उसका परलोक टिकट कट गया होता.
उधर पल्लो अपने घर में हुए बवाल से अनजान अपनी दुकान में मस्त थी. वो फल वाले किशोरी चाचा से रेशमा की खूब तारीफ कर रही थी. वो उन्हें बता रही थी कि वो पढ़ने में बहुत होशियार है. 10वीं का मैथ्स भी पढ़ा लेती है. अब वो बस्ती के बच्चों को भी पढ़ाना शुरू करेगी. किशोरी चाचा उससे कहते हैं कि वो उसकी पोती को भी पढ़ा दिया करे. इसी तरह वो और लोगों से भी ट्यूशन की बात कर रही थी. सब अपने बच्चों को रेश्मा के पास पढ़ने भेजने के लिए राज़ी थे.
इधर सोनू स्कूल से लौट आया. उसके घर के बाहर भीड़ लगी है जिसे देख कर वो घबरा गया. उसे लगा कि कहीं रेश्मा को कुछ हो तो नहीं गया. भीड़ इतनी ज्यादा है कि वो अपने ही घर में नहीं घुस पा रहा. जैसे तैसे कर के वो दरवाज़े तक पहुंच पाया. उसने देखा रेश्मा एक कोने में बैठी हुई है और चारपाई पर कोई लेटा है, जिसके इर्द गिर्द लोग गोला बना कर बैठे हैं. उसके मन में आया कि कहीं उसकी बहन को तो कुछ नहीं हो गया. वो दीदी दीदी चिल्लाते हुए अंदर घुसता है. सब उसे घूरने लगते हैं. सब उसको बताते हैं कि ये पल्लो नहीं है. वो देखता है विज्जू भाई बेहोश पड़े हैं. अब वो विज्जू का नाम लेकर रोने लगता है. सब उसे डांट कर चुप कराते हैं. फिर उसे बैठा कर पूरी कहानी सुनाते हैं.
सब सुनने के बाद अभी कुछ देर पहले तक रोने वाला सोनू खूब जोर जोर से हंसने लगता है. सब उससे पूछते हैं कि वो पागलों की तरह क्यों हंस रहा है. जिस पर वो कहता है कि वो ये सोच कर हंस रहा है कि रोज जिम जा कर अपनी बॉडी बनाने वाले विज्जू भाई को जब पता चलेगा कि एक लड़की ने लाठी मार कर उसे बेहोश कर दिया तब उसका चेहरा कैसे बन जाएगा. उसकी बात पर कल्लू नाई भी हँसता है और कहता है उसने भी ये बात सोची थी. एक साथ कई लोग हँसते हैं.
इसी बीच ताई बताती है कि विज्जू को होश आ रहा है. विज्जू धीरे धीरे अपनी आंखें खोलने की कोशिश करता है. उसके सिर में हो रहे भयंकर दर्द की वजह से उसकी आंखें नहीं खुल पा रहीं. वो जैसे जैसे आंखें खोलने की कोशिश कर रहा है वैसे वैसे रेश्मा की हालत खराब होती जा रही है क्यूंकि बस्ती वालों ने उसे बहुत डरा दिया था.
होश में आने के बाद विज्जू रेशमा का क्या हाल करेगा?
क्या पल्लो रेशमा को विज्जू के गुस्से से बचा पाएगी?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
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