जिस तरह सभी कमांडो ने एक साथ मिल कर विक्की पर हमला किया था। उसे देख कर सभी लोग घबरा गए थे। उन्हें लगने लगा था कि अब तो विक्की की कहानी ख़तम हो जाएगी। उसमान अपने दोस्त विक्की की इतनी दर्दनाक मौत को देखना नहीं चाहता था। इसलिए उसने अपनी आँखों को बंद कर लिया था। 

  

उधर हंसमुख और चैंग भी थोड़ा निराश हो गए थे। उन कमांडो ने चारो तरफ से विक्की को घेर लिया था। सभी के हाथों ने नंगी तलवारें थी। कुछ सेकंड के लिए विक्की ने अपनी आँखे बंद की और अपने अंदर की शक्ति को इकठ्ठा किया। विक्की ने अपनी आंखें खोली और कहा: 

 

विक्की: 

मैं तुम्हे एक मौका और दे रहा हूँ, जल्दी से बता दो तुम्हे किसने भेजा है। मैं सच कह रहा हूँ, तुम्हारी जान बक्श दूंगा। 

  

 

उन्होंने विक्की की एक बात नहीं सुनी। कमांडोस के लीडर  ने जैसे ही इशारा किया वैसे ही सभी कमांडो विक्की पर टूट पड़े। विक्की ने भी उन्हें मारने में देरी नहीं की। उसने किसी के पेट में मुक्का मारा तो किसी की टाँग ही तोड़ दी। कई कमांडो के हाथ ही तोड़ डाले।  

 

विक्की ने एक कमांडो के तो ऐसे मुक्का मारा कि उसने खून की उलटी कर दी। खून की उलटी के साथ साथ उसके कुछ दांत भी टूट कर बाहर आ गए थे। विक्की ने सभी कमांडो को ज़मीन की धुल चटा दी थी। किसी ने नहीं सोचा था विक्की अकेला ही इतने सारे कमांडो को मार देगा।  

 

अब सिर्फ कमांडोस का लीडर बचा हुआ था। उसके सीने पर भी विक्की का पैर था। विक्की ने गुस्से भरी आवाज़ में कहा: 

 

विक्की: 

मैं कहता हूँ, प्यार से बता दे, किसने तुझे भेजा है। वरना तेरा टेंटुआ यहीं दबा दूंगा।  

 

 

अपनी बात को कह कर विक्की ने अपने पैर को उसके सीने से हटा कर उसके टेंटुए पर रख लिया था। उधर हंसमुख बाहर निकला और कहा: 

 

हंसमुख : 

है कोई और तो बताओ, ये मत सोचना कि विक्की अकेला है, हम सभी दोस्त उसके साथ है। दोस्तों छुपो नहीं, बाहर निकल आओ। 

  

 

हंसमुख के कहने पर सभी बाहर तो आ गए थे। मगर वहां एक भी कमांडो नहीं था। सभी के सभी धराशायी होकर ज़मीन पर पड़े थे। चैंग हंसमुख के सबसे करीब खड़ा था। उसने आहिस्ता से हंसमुख से कहा: 

 

चैंग: 

भाई, यहाँ तो एक भी कमांडो नहीं बचा। तुम किससे लड़ोंगे।  

 

 

हंसमुख की बात सुन कर तो उसमान की हसी ही छूट गयी। उसकी बात किसी चुटकुले से कम नहीं थी। उधर विक्की ने कमांडो लीडर से एक बार फिर पुछा: 

 

विक्की: 

क्यों अपनी जान से हाथ धोना चाहते हो। बता दो किसने तुम्हे भेजा है। मैं तुम्हे अभी छोड़ दूंगा। वरना जो हाल तुम्हारे साथियों का किया है, तुम्हारा तो उससे भी बुरा करूंगा। 

 

 

विक्की के सभी साथी उसके पीछे आकर खड़े हो गए थे। ये कन्डिशन  बिलकुल वैसी ही थी जैसे कुछ समय पहले बहुत सारे कमांडो के सामने विक्की अकेला खड़ा था। हंसमुख ने अपने पास पड़ी तलवार को उठाया और उसे विक्की को पकड़वाते हुए कहा: 

 

हंसमुख : 

विक्की, मेरे भाई, लो ये तलवार और पंहुचा दो इस हरामज़ादे को यमराज के पास।  

 

 

जिस तरह विक्की ने हंसमुख के हाथ से तलवार ली थी, उससे साफ़ लग रहा था कि आज तो विक्की उस कमांडो लीडर की गर्दन को उसके शरीर से अलग कर देगा। विक्की ने धमकी देते हए कहा: 

 

विक्की: 

देख, अब मेरे हाथ में तलवार भी है। मुझे ज़रा सा भी समय नहीं लगेगा तेरे सर को काटने में।  

 

 

उस कमांडो ने ज़बान से तो कुछ नहीं कहा मगर उसकी गर्दन ना में हिल रही थी। उसके दिल की बात को चैंग ने अपनी ज़बान पर लाते हुए कहा: 

 

चैंग: 

तुम लोगो ने हमारे ऊपर हमला करने से पहले सोचा था जो अब हम सोचे। अब तो तुझे मरना ही पड़ेगा। 

 

 

सभी की आँखों में उस कमांडो के लिए गुस्सा था। हंसमुख ने चैंग की बात में अपनी बात मिलाते हुए कहा: 

 

हंसमुख : 

विक्की, ये हमारे लिए खतरा हो सकता है, इसे तुरंत मार दो। ऐसा ना हो इसके और साथी आ जाए। 

 

 

इस बार हंसमुख की आवाज़ थोड़ी ऊंची थी। अपने साथी हंसमुख के कहने पर विक्की ने उसकी गर्दन को काटने के लिए तलवार को ऊपर उठा लिया था। तभी एक आवाज़ आयी।  

 

“रुक जाओ, इसे मत मारो”। 

 

एक तरफ जहां विक्की उस आवाज़ पर रुक गया था, वहीं दूसरी तरफ बल्ली कॉफ़ी के आने का वेट कर रहा था। कॉफ़ी को लेकर बल्ली की उत्सुकता बढ़ रही थी। उसने कई बार अपनी सीट से मुड़ कर क्रू के कैबिन की तरफ देखा। उसे ऐसा लग रहा था कि मेरी अब कॉफ़ी लेकर आएगी। उसने खुद से बात करते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

क्या हो गया, इतनी देर हो गयी। वैसे जहां तक मुझे मालूम है कॉफ़ी बनाने में इतना समय थोड़ा ही लगता है।  

 

 

अपनी बात के साथ साथ जैसे ही वह क्रू कैबिन की तरफ जाने के लिए उठा, तो उसने मेरी को अपनी तरफ आते हुए देख लिया। उसे आता देख, बल्ली वापस अपनी सीट पर बैठ गया। मेरी के पास आने पर बल्ली ने उसके हाथ से कॉफ़ी लेते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

आपने आने में बड़ी देर लगा दी। मैं कब से इंतज़ार कर रहा था।  

 

 

मेरी ने ऐसे रिएक्शन दिया कि जैसे उसने कुछ सुना ना हो। इससे पहले वह कुछ कह पाती, बल्ली ने अपने मिजाज़ को बदल दिया। अगली आवाज़ मेरी की थी। उसने कहा: सर आपने कुछ कहा।  

 

मेरी के इस सवाल पर बल्ली थोड़ा घबरा रहा था। उसने सोचा अगर यही बात उसने दोबारा पूछी और मेरी ने उसका गलत मतलब निकाल लिया तो बनती हुई बात बिगड़ सकती है। उसने अपनी बात को बदलते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

मैं कह रहा था कि आपने कॉफ़ी लाने में बहुत देरी कर दी। मैं काफी देर से कॉफ़ी का इंतज़ार कर रहा था।  

 

 

बल्ली ने पहले जब सवाल किया था तो उसमें कॉफ़ी शब्द को ऐड नहीं किया था। इस बार मेरी ने बल्ली के सवाल का जवाब देते हुए कहा: सर, वो क्या है ना, हमें और भी पैसेंजर्स को देखना पड़ता है। बस इसलिए कभी कभी देरी हो जाती है।  

 

 

बल्ली उसकी बात को समझ गया था। वह चाहता था कि मेरी उसके पास खड़ी रहे। अब फालतू में तो कोई खड़ा नहीं रह सकता था। कुछ ना कुछ तो बात करने के लिए होनी चाहिए। मेरी उसके पास से जाने ही वाली थी कि बल्ली ने कहा: 

 

बल्ली: 

आप मुझे बल्ली कह कर बुलाएंगी, तो मुझे अच्छा लगेगा, वो क्या है ना, सर बोलने में अपनापन सा नहीं लगता। 

 

 

मेरी ने कहा जी सर, आई विल कॉल यू एज़ बल्ली सर… इस बार भी मेरी के चेहरे पर मुस्कान थी। उसने अपनी बात कहा और वहां से चली गयी। बल्ली भी उसे जाते हुए देख मुस्कुरा रहा था। उसने तो मेरी के साथ सपने तक देख डाले थे। मेरी के बारे में सोचते सोचते कब उसे नींद आ गयी उसे पता ही नहीं चला। ध्रुव ने उसे आकर जगाया।  

 

बल्ली की जैसे ही आँखे खुली उसने मेरी के बारे में पुछा मगर मेरी अपना काम पूरा करके अपने साथियों के साथ जा चुकी थी। ध्रुव और बल्ली जैसे ही लखनऊ air port से बाहर निकले। उन्होंने देखा एक आदमी जिसके हाथ में एक बोर्ड था। उस बोर्ड पर ध्रुव का नाम लिखा था। 

 

सबसे पहले उस बोर्ड पर बल्ली की नज़र गई। उसने तुरंत कहा: 

 

बल्ली: 

नवाब साहब ने ये ठीक नहीं किया। जब receive करने हम दोनों को भेजा हैं तो बोर्ड पर नाम भी हम दोनों का ही होना चाहिए था। 

 

ध्रुव: 

हम बड़े काम के लिए जा रहे है। इतनी छोटी छोटी चीजों को दिल पर लेंगे तो आगे कैसे बढ़ेंगे। और रही बात पर बोर्ड पर लिखे नाम की। अगली बार नवाब साहब को बोलूंगा कि बोर्ड पर तेरा नाम लिखे। 

 

 

ध्रुव ने ये बात बल्ली का दिल रखने के लिए कही थी। वो जानता था कि ऐसा दुबारा नहीं होने वाला। दोनों बोर्ड वाले आदमी के पास गए। वो आदमी नवाब साहब के लिए काम करता था। वो दोनों को अपने साथ ले गया और एक शानदार गाड़ी में बैठने को कहा। बल्ली जैसे ही गाड़ी में बैठा, उसने खुश होते हुए कहा:  

 

बल्ली: 

गाड़ी तो बहुत बढ़िया है।  

 

 

बल्ली की बात सुन कर उस आदमी ने स्माइल दी। उसने बल्ली को बताया कि नवाब साहब के पास इससे भी बेहतरीन गाडियां है। नवाब साहब के पास गाड़ियों का एक अच्छा खासा कलेक्शन है। उन्हें गाड़ियों का बहुत शौक़ है। बल्ली ने अपनी बात रखते हुए कहा: 

 

बल्ली: 

वाह, पैसे वाले के लिए शौक़ भी बड़ी चीज़ है। 

 

रास्ते में बल्ली ने कई मशहूर इमारतें देखी। कुछ इमारतें इतनी ख़ूबसूरत लग रही थी कि ध्रुव और बल्ली की उन पर से नज़र ही नही हट रही थी। एक इमारत को देखते हुए बल्ली ने सवाल किया: 

 

बल्ली: 

ये इमारत तो बहुत बड़ी और खूबसूरत है। क्या नाम है इस इमारत का? 

 

 

उस आदमी ने इमारत का नाम इमामबाड़ा बताया। जो देखने में अपने आप में अदभुत थी। लखनऊ का मौसम भी बहुत अच्छा था। बल्ली ने गाड़ी की खिड़की के शीशे को खोला तो ठंडी ठंडी हवा ने उसके मन को खुश गवार बना दिया। उसने तुरंत कहा: 

 

बल्ली: 

इतने अच्छे मौसम में अगर कोई प्यारा सा गाना बजा दो तो और मज़ा आ जाए। 

 

 

बल्ली की फरमाईश पर ड्राइवर ने तुरंत रेडियो को ऑन कर दिया। रेडियो पर सदाबहार गाने प्रोग्राम चल रहा था। तभी "सुहाना सफर और ये मौसम हसी" गाने की आवाज़ आती है।  

 

 

ध्रुव: 

मौसम के हिसाब से गाना एक दम सूट कर रहा है। इसके बोल मौसम पर एक दम फिट बैठ रहे हैं। 

 

 

ये बात ध्रुव ने अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए कही थी। बल्ली भी रेडियो में बज रहे गाने के साथ गुन गुनाने लगा। गाने के साथ साथ गाड़ी कब शहर से बाहर निकल आयी किसी को पता ही नही चला। गाड़ी ने जैसे शहर को पार किया, बल्ली की नज़र एक नदी पर गई। नदी में बहते हुए पानी को देख कर बल्ली का उसमे नहाने का मन हुआ। उसने तुरंत कहा: 

 

बल्ली:  

इस नदी का पानी तो बहुत साफ है। थोड़ी देर के लिए गाड़ी को रोक दो।  

 

  

बल्ली सफर को मज़े से गुज़ारना चाहता था। उसके कहने पर ड्राइवर ने गाड़ी को रोक दिया। बल्ली ने गाड़ी का गेट खोला और बाहर आ गया। ध्रुव ने उसे समझाते हुए कहा: 

 

ध्रुव: 

बल्ली नदी में नहाने की कोई ज़रुरत नहीं है। हाँ, अगर मुँह हाथ धोना है तो वो धो लो।  

 

 

बल्ली ने ध्रुव की बात पर अपना सर हाँ में हिला दिया। नदी के पास जाने से पहले उसने अपने हाथो की आस्तीनों को ऊपर चढ़ा लिया था। उसने नदी के पानी से अपने हाथ और मुँह को अच्छे से धोया। नदी का पानी पीने में भी बहुत ठंडा था। उसे पीने के बाद बल्ली को बड़ी राहत मिली। ध्रुव नहीं चाहता था कि बल्ली वहां पर ज़्यादा समय लगाए। उसने तुरंत कहा: 

 

ध्रुव: 

बल्ली, वैसे ही हम लेट हो रहे है। अपने मज़े के चक्कर में और लेट मत करो भाई। जल्दी से आ जा, नवाब साहब हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे।  

 

 

ध्रुव के कहने पर बल्ली जल्दी से आकर गाड़ी में बैठ गया। नवाब साहब की हवेली शहर के बाहर एक खामोश जगह बनी हुयी थी। गाड़ी अपनी नार्मल स्पीड में सुनसान रास्ते को चीरती हुयी आगे बढ़ रही थी। कुछ दूर चलने के बाद गाड़ी अचानक रुक गयी।  

 

ध्रुव और बल्ली ने गाड़ी के सामने वाले शीशे के उस पार कुछ लोगों को देखा। उनके हाथों में उन्ही के साइज़ के डंडे थे। इससे पहले वो कुछ समझ पाते, ड्राइवर गाड़ी से उतरा और भाग गया। आखिर वह लोग कौन थे? गाड़ी का ड्राइवर उन्हें देख कर क्यों भाग गया? वो किसकी आवाज़ थी जिसे सुन कर विक्की ने अपनी तलवार को रोक लिया था?  

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड ।  

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