राकेश अपनी जगह पर खड़े हुए और जज साहेब की तरफ देखते हुए बोले”

Rakesh: मुझे यह कहने में कोई शक नहीं है कि, आज इंडिया में सबसे बड़ा बिजनेस एजुकेशन है। हर कोई दावा करता है कि वह बेस्ट एजुकेशन देगा और उसके बाद, इस दावे के नाम पर करोड़ों रुपए, आपसे हर साल चार्ज करता है। पर सवाल यह उठता है कि क्या आपसे एजुकेशन और फैसिलिटी के नाम पर लिया गया पैसा, आपके अच्छे भविष्य के लिए इस्तेमाल हो रहा है, अगर हां ….तो कैसे ? और उसमें कोई पारदर्शिता क्यों नहीं हैं।……. चलिए मैं आपको एक बहुत अच्छी कहानी सुनाता हूं। आज  से 1 साल पहले AJ कॉरपोरेशन नाम की डमी कंपनी खोली गई। और उसी कंपनी को इतनी बड़ी स्कूल ने अपना सबसे बड़ा प्रोजेक्ट दे दिया। एक कंपनी, जिसके बारे में कोई नहीं जानता, और जिसमें सिर्फ 2 लोग ही हैं। यहां कितने लोग काम करते हैं और क्या एक्सपर्टीज है इस कंपनी की, इसके बार में कोई नहीं जानता। इस कंपनी के मालिक कोई और नहीं बल्कि आदित्य जैन और उनकी वाइफ विभा जैन हैं। दोनो पति पत्नी, अपने ही पापा की स्कूल के रिकंस्ट्रक्शन का प्रोजेक्ट टेकओवर करते हैं। और raw material की मार्केट वैल्यू से भी 3 गुना ज्यादा प्राइस पर उनके साथ डील कर लेते हैं। सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात तो ये हैं कि, जो कंप्यूटर उस दिन ब्लास्ट हुए थे और बड़ा हादसा होते होते टला था वह कंप्यूटर, एक लोकल चाइनीज कंपनी से 3 गुना ज्यादा प्राइस पर खरीदा गया था। और उस कंपनी में भी आदित्य की वाइफ विभा 40 पर्सेंट की मालकिन हैं। इसका मतलब ये लोग पेरेंट्स से बच्चों के एजुकेशन के नाम पर इतनी इतनी फीस लेकर उसे, अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है और दोनों हाथों से पैसे छाप रहे हैं। “

मानसी ये सारी बातें सुनकर बीच में ही इंटरप्ट करते हुए बोली”

Mansi: ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड!”

मानसी के ऑब्जेक्शन करने पर जज ने उससे कहा” ऑब्जेक्शन ओवर रूल! मिस्टर माधवानी अपनी बात पूरी कीजिए।”

राकेश ने अपने पास रखे हुए कुछ सैंपल, जो उसी दिन के हैं, जिस दिन कंप्यूटर में ब्लास्ट हुआ था। उन्हें जज के सामने पेश करते हुए कहा”

Rakesh: स्कूल में इन्हीं चीनी और डुप्लीकेट कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जा रहा था। जिसमें इस्तेमाल हुआ सारा सामान बिल्कुल लोकल है। ये सबूत हमे प्रिंसिपल सर के घर की तलाशी लेते वक्त मिला था। और इसमें, कुछ विडियोज भी हैं जिसे मैं सब के सामने पेश करना चाहता हु।” इतना कह कर राकेश ने एक पेन ड्राइव, जमा करवा दी और तभी, उस पेन ड्राइव से कुछ पेपर्स मिले, इन पेपर्स में साफ पता चल रहा था कि, आदित्य की कंपनी एक डमी कंपनी हैं। और उनमें कुछ रियल फिगर और कॉन्ट्रैक्ट की फेक डिटेल भी लिखी हुई थी, जिससे साफ पता चल रहा था कि, आशुतोष और आदित्य ने मिलकर, स्कूल के बच्चों की जिंदगी खतरे में डाली है और कुछ लोकल कंप्यूटर का इस्तेमाल किया है।”

सारे सबूत पेश हो चुके थे पर अभी भी एक सवाल था आखिर, प्रिंसिपल सर कहां थे?

जज और बाकी लोगों को भी यह जानना था तभी राकेश ने, प्रिंसिपल को आवाज दी और बाहर से प्रिंसिपल एक डॉक्टर की हेल्प से अंदर आया। उसके सिर पर चोट लगी हुई थी। प्रिंसिपल को देखकर साफ पता चल रहा था कि उसके साथ, जरूर किसी ने मार पीट की हैं।

तभी राकेश ने, प्रिंसिपल से कहा”

Rakesh: आप जो भी जानते हैं वह सब, सच-सच कोर्ट को बताइए।”

राकेश की इस बात पर प्रिंसिपल ने अपनी दबी हुई आवाज में कहा” 15 साल से मैं इस स्कूल में प्रिंसिपल हु। शुरू शुरू में सब कुछ ठीक था सब कुछ सही जा रहा था। पिछले दो सालों में कई बड़े चेंज, मैनेजमेंट ने एक दम से कर दिए। बच्चों की फीस डेढ़ गुना कर दी गई और स्कूल से कई टीचर्स को भी बिना किसी नोटिस के निकाल दिया गया। डेढ़ गुना फीस होने के बाद भी टीचर्स को निकालना मुझे समझ नहीं आ रहा था। तभी एक दिन मैंने आशुतोष जैन और उनके बेटे की बात सुनी। इन लोगों ने डिसाइड कर लिया था कि यह सिर्फ स्कूल सिस्टम को एजुकेशन बिजनेस में बदलना चाहते हैं। किसी को नहीं पता पर आज से कुछ दिन पहले भी एक बार इस तरह की घटना हुई थी। जब, टीचर्स को प्रोवाइड करवाए गए लैपटॉप में एक के बाद एक कोई दिक्कत है आ रही थी और कुछ तो इसी तरह ब्लास्ट भी हुए थे।

मुझे यह बात तब पता चली जब रात-रात उन टीचर्स को हटा दिया गया क्योंकि वह कंप्लेंट करने की बात कर रही थी। इस वक्त मैं सोच लिया था कि मुझे जल्द से जल्द कुछ करना होगा। मौका मिलते ही मैंने, मैनेजमेंट के ऑफिस जाकर सारी जरूरी डॉक्यूमेंट को कॉपी कर लिया और तब मुझे पता चला कि, A J कॉरपोरेशन का मालिक कोई और नहीं बल्कि आदित्य जैन है। जब मैंने सारी डिटेल निकाली तो रिजल्ट आपके सामने है। मैं यह बात राकेश माधवानी को बताना चाहता था। यहां गवाही देने आना चाहता था। पर उससे पहले ही मुझे आदित्य ने किडनैप करवा दिया। और मेरे ही घर के नीचे बने सीक्रेट बेसमेंट में मुझे छुपा दिया। अगर कल राकेश माधवानी और इंस्पेक्टर विक्रम टाइम पर नहीं पहुंचे होते तो शायद मेरी जान भी जा सकती थी।”

कोर्ट ने जैसे जैसे गवाह की बात सुनी, और प्रूफ देखे तो उन्होंने आशुतोष जैन आदित्य जैन को, किडनैपिंग का फ्रॉड की केस में 15 साल की सजा सुना दी और, ऑर्डर दिया कि मैनेजमेंट घायल हुए सभी बच्चों की पूरी फीस वापस करेगा। साथ ही साथ अब से पूरा मैनेजमेंट प्रिंसिपल सर की देखरेख में ही मैनेज होगा।

जल्दी ही कोर्ट डिसमिस हुआ और गुनहगारों को सजा मिल गई। पेरेंट्स खुश होकर घर चले गए। इंस्पेक्टर विक्रम ने मुजरिमों को तुरंत जेल भेज दिया।

राकेश ये केस जीतकर खुश था। पर तभी अचानक से उसके फोन पर एक मैसेज आया जिसे पढ़ कर, उसकी आंखों से हल्के आंसू आने लगे और वह तुरंत वहां से अपनी गाड़ी लेकर, एक कॉफी शॉप के लिए निकल गया। करीब आधे घंटे बाद जब राकेश उस कॉफी शॉप में पहुंचा तो, सामने बैठी हुई औरत को देखकर जैसे उसकी आंखों को सुकून सा मिल गया। राकेश तेज कदमों के साथ भागते हुए उसके पास गया और धीरे से कहा”

Rakesh: तुम इंडिया कब आई मीनाक्षी ?”

यह कहते वक्त राकेश का गला रुंधा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे बहुत मुश्किल से उसने खुद को रोने से रोक रखा हो।

सामने बैठी औरत कोई और नहीं बल्कि राकेश की पत्नी मीनाक्षी थी जो, काफी साल पहले उस हादसे के बाद, सब कुछ छोड़कर फॉरेन चली गई थी। राकेश के मुंह से अपना नाम सुनने के लिए तो जैसे मीनाक्षी भी तरस गई थी। उसने, लगभग अपने बहते आशुओं को पूछते हुए कहा” ठीक हु राकेश, तुम कैसे हो?.....काफी साल हो गए हम लोगो को मिले हुए।”

मीनाक्षी के पास उनका राकेश ने मुस्कुराते हुए पास की कुर्सी पर बैठे हुए कहा” तुम तो ऐसे रूठ कर गई कि कभी, दोबारा आई ही नहीं। और अब आई भी हो तो इतने सालों बाद।”

राकेश की बातों में एक पीड़ा एक दर्द था जिसे, मीनाक्षी भी महसूस कर पा रही थी। आखिर राकेश दुखी हो भी क्यों न ? जब उसे सबसे ज्यादा, अपनी वाइफ की जरूरत थी उसी वक्त, मीनाक्षी कमजोर पड़ गई और सब कुछ छोड़कर फॉरेन चली गई। और कभी पीछे मुड़कर यह तक देखना जरूरी नहीं समझा कि राकेश किस हाल में है।

राकेश ने एक गहरी लंबी सांस ली और वेटर को आर्डर देते हुए कहा” 2 ब्लैक कॉफी।”  जल्दी ही उनका ऑर्डर भी आ गया। इस दौरान दोनों में से किसी ने भी कुछ नहीं कहा बस कभी एक दूसरे को देख लेते तो कभी, नज़रे नीचे कर लेते। ब्लैक कॉफी की एक सीप लेते हुए मीनाक्षी ने कहा” तुम्हें याद है कॉलेज का वह टाइम जब हम दोनों पहली बार मिले थे। कितना ज्यादा झगड़ा हुआ था हम दोनों में।”

मीनाक्षी की बात सुनकर राकेश ने हंसते हुए कहा”

Rakesh: हां उस दिन गलती से मैंने तुम्हारी गाड़ी डैमेज कर दी थी, और तुम इतना गुस्सा हो गई कि तुमने प्रिंसिपल से मेरी कंप्लेन ही कर दी। और पहले ही दिन मुझे एक हफ्ते के लिए सस्पेंड होना पड़ा।”

इतना कहकर दोनों जोर-जोर से हंसने लगे।

मीनाक्षी ने आगे अपनी बात जारी रखते हुए कहा” कितने अच्छे दिन थे ना वो राकेश ? हमारा लड़कपन, मस्ती मजाक, दोस्तों के साथ घूमना फिरना और क्लासेज बंक मार कर, फिल्म देखने जाना…..सब कुछ कितना अच्छा था। सब कुछ कितना सही चल रहा था। तुम्हारे और मेरे दोनों के फ्रेंड्स कॉमन थे इसीलिए, जल्दी ही हम दोनों के भी अच्छी दोस्ती हो गई। “

मीनाक्षी अपने ही धुन में कहे जा रही थी और राकेश इन सब यादों के झरोखों में कहीं खो सा गया था। जैसे ही मीनाक्षी अपनी बात पूरी करके चुप हुई तो बीच में ही राकेश ने कहीं कोई हुए कहा”और कब हमारी यह दोस्ती प्यार में बदल गई हम दोनों को भी पता नहीं चला। तुम्हें याद है फाइनल ईयर में मैंने तुम्हें पूरी कॉलेज के सामने प्रपोज किया था? और उस वक्त ये बात किसी ने प्रिंसिपल को जाकर बता दी, जिसके बाद हम दोनो के पेरेंट्स को बुलाया गया। और तुम्हारे पापा ने उस वक्त प्रिंसिपल की बात सुनकर हंसते हुए कहा था कि, इस उम्र में ये सब नहीं करेंगे तो कब करेंगे ?”

तभी मीनाक्षी ने हंसते हुए कहा” हां….और पापा की बात सुनकर प्रिंसिपल मैडम हम सब को कैसे खा जाने वाली नजरों से देख रही थी। ….पर तुम….तुम्हे तो जैसे फर्क ही नहीं पड़ता था। प्रिंसिपल के ऑफिस से बाहर आते ही तुमने मेरे पापा के सामने ही मेरा रिश्ता मांग लिया था। और तुम्हारी हिम्मत देखकर मेरे पापा काफी ज्यादा इंप्रेस हुए थे। “

राकेश ने भी खुश होकर उन पलो को याद कर के कहा”

Rakesh: हां…. कॉलेज खत्म होने के 1 साल बाद ही, मैं जॉब करने लग गया था और हम दोनों ने शादी कर ली थी। सब लोग कितना खुश थे। मेरे पेरेंट्स, तुम्हारे पेरेंट्स, तुम, मैं, हमारे दोस्त… हर कोई हमें एक आइडियल कपल की तरह देख रहा था। हर कोई हमारी तरह बनना चाहता था। …. और जब मैं जब छोड़कर अपना बिजनेस शुरू करना चाहता था तो उसे वक्त भी तुमने मेरा कितना साथ दिया था और मेरे बिजनेस के लिए अपने कहाँ तक गिरवी रख दिए थे।”

राकेश की यह बात सुनकर मीनाक्षी ने उसे टोकते हुए कहा” हां और बिजनेस शुरू होने के बाद तुमने, उन गहनों के साथ-साथ मुझे और भी कितने सारे नए-नए गहने बनवा दिए थे।….. मुझे सब याद है तुमने कैसे, तुम्हारी जिंदगी सिर्फ मेरे और अंशुल तक ही सीमित थी। तुम रोज ऑफिस से घर आते और उसके लिए कोई ना कोई सरप्राइज गिफ्ट लेकर आते हैं। शाम को अपने दोस्तों के पास जाने की वजह मेरे और अंशु के साथ टाइम स्पेंड करते। और अंशु उससे तो तुम कितना ज्यादा प्यार करते थे उसे एक छींक भी आ जाती तो पूरा घर उठा देते थे। रात रात भर ना खुद सोते थे और ना मुझे सोने देते थे। कैसे अंशुल को जब रात को नींद नहीं आती थी, तो अपने बिजनेस के किस्से सुनाते थे, जिससे बेचारा बोर होकर खुद ही सो जाता था। “ ये कहते कहते मीनाक्षी के चेहरे की मुस्कान कहीं गायब हो गई और उसकी आंखों से लगातार आंसू बहने लगे। उसे इस तरह देखकर राकेश ने खुद को मजबूत बनाया अपनी आंखों से बहते आंसू को पलकों पर ही रोक लिया और मीनाक्षी के आंसू साफ करते हुए बोला” जो होना था वह हो गया मीनाक्षी। ना ही किसी को किस्मत को तुम बदल सकती हो और ना ही मैं। शायद हम दोनों की किस्मत में इसी तरह जिंदगी भर, अपने बेटे की याद में रोना लिखा था।”

राकेश की बात सुनकर मीनाक्षी ने खुद को संभाला और राकेश का हाथ अपने हाथ से हटाते हुए बोली” मैं जानती हूं कि उस वक्त अंशुल के साथ जो भी हुआ उसमें, तुम्हारी कोई गलती थी नहीं थी, उर ना ही मेरी कोई गलती थी। मैं आज भी उस हादसे को भुला नहीं पाई हु। आज भी यह शहर मुझे खाने को दौड़ता है जैसे 10 साल पहले दौड़ता था।। मैं भले ही आज तुमसे मिलने आई हु, पर इसका ये मतलब नबी की मैं फिर से तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा बन जाऊंगी राकेश। मैं यहां किसी काम से आई थी इसलिए सोचा तुमसे भी मिल लू। मैं नहीं चाहती कि तुम किसी भी गलतफहमी में रहो या कोई उम्मीद बांध लो।”

जैसे जैसे राकेश मीनाक्षी की बात सुन रहा था वैसे-वैसे उसका दिल कमजोर सा पड़ रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे, वो कोई जिंदा लाश बनकर यहां बैठा हो। उसने अपनी आंखों में ठहरे हुए आंसुओं को बहने दिया और कुछ देर तक इसी तरह मीनाक्षी को देखने के बाद कहा”  पता है 5 दिन पहले मेरे दोस्त विक्रम ने मुझसे कहा कि उसने तुम्हें इस शहर में देखा है मुंबई में देखा है, तो मुझे उसकी बातों पर विश्वास ही नहीं हुआ। मुझे लगा कि शायद उसे कोई गलतफहमी हुई है। पर आज जब कोर्ट में तुम्हारा मैसेज आया कि तुम मुझसे मिलना चाहती हो तो यह देखकर मैं, एक पल के लिए हैरान रह गया। तुम विश्वास नहीं करोगी पर मुझे पहले से यह बात पता थी कि तुम मेरे पास वापस लौटने के लिए नहीं आ रही हो। मुंबई में आने के बाद भी तुमने 5 दिन लगा दिए मुझसे मिलने के लिए, इस बात ने मुझे पहले ही समझा दिया था कि तुम मेरे बिना रहने की आदत डाल चुकी हो। ……. खैर, जिस काम के लिए तुम यहां आई थी, उम्मीद है वह काम पूरा हो गया होगा।”

राकेश की ये बात सुनकर मीनाक्षी जो, सदमे में थी।, उसने होश में आते हुए कहा “ हां…आज शाम की फ्लाइट हैं। वापसी की। ….. यह देखकर खुशी हुई की तुम, अपने काम को सीरियसली ले रहे हो। और तुम्हें पता है तुम्हारे सारे केसेस की खबर मुझे होती है। खास कर के  वह कमला देवी वाला केस, जिसमें तुमने उन बच्चियों को इंसाफ दिलाया था। “

मीनाक्षी की बात सुनकर राकेश के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसे यह जानकर की खुशी हो रही थी कि मीनाक्षी आज भी उसकी हार जीत का हिस्सा बनती है भले ही दूर से सही पर उसकी हार जीत पर खुश होती है।

 

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