अगले दिन कोर्ट में जैसे ही राकेश माधवानी का मानसी राणा से सामना हुआ तो, उनके चेहरे की चमक देखकर राकेश कुछ पल के लिए हैरान रह गए। मानसी के चेहरे की मुस्कान कुछ अलग ही बयान कर रही थी। दोनो पक्ष अभी तक कोर्ट में आ गए थे। और जज विभु अग्रवाल भी अभी तक कोर्ट में आ चुके थे। उनके आते ही करवाई शुरू हो गई। मानसी ने अपने कुछ पेपर्स को जज के सामने सबमिट करते हुए कहा”

मानसी: मी लॉर्ड, जैसा कि आपने अपनी आखिरी सुनवाई में कहा था, मेरे क्लाइंट मिस्टर आशुतोष जैन ने अपने फाइनेंशियल ईयर 2023 - 2024 के सभी जरूरी डॉक्यूमेंट सबमिट कर दिए हैं। आप उन्हें चेक कर सकते हैं। इनमें साफ साफ मेंशन हैं कि, स्कूल में गार्डन एरिया को डेवलप करने के लिए, और बच्चों को प्लेग्राउंड सर्विस देने के साथ साथ, बाकी सर्विसेज के लिए भी, और क्लासरूम को टेक्निकली मॉडिफाई करने के लिए, लास्ट ईयर 50 लाख का कॉन्ट्रैक्ट एक कंपनी को दिया गया था। और जल्दी ही ये काम शुरू होने वाला हैं। ये सारे डॉक्यूमेंट CA से सर्टिफाइड हैं। आप चाहे तो चेक करवा सकते हैं।…..मैं कोर्ट को बताना चाहती हु कि, हमने सभी तरह से बेस्ट मैटेरियल और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया हैं। और किसी भी बच्चे की जिंदगी के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया गया हैं। मैं कोर्ट से दरख्वास्त करती हु कि, मेरे क्लाइंट मिस्टर आशुतोष पर लगे सभी इल्जामों को हटाया जाए और उन्हें इस केस से बा इज्जत बरी किया जाए।

इतना कहकर मानसी अपनी जगह पर आकर बैठ गई। तभी जब सब ने राकेश की तरफ देखते हुए कहा” हां जी माधवानी साहब आपके पास कोई सबूत है? कुछ कहना चाहेंगे आप इस केस में ?”

जैसा आपका सवाल सुनकर राकेश ने एक नजर पीछे बैठे हुए लोगों को देखा और वहां कहीं भी दूर-दूर तक स्कूल का प्रिंसिपल दिखाई नहीं दे रहा था। एक तो राकेश के लिए यह जान बन मुश्किल था कि वह प्रिंसिपल सच कह भी रहा था या नहीं ? कही उसने राकेश को गुमराह करने के लिए तो, यह सारी चाल नहीं चली थी ?

राकेश अपनी जगह से खड़ा होते हुए जज साहेब की तरफ देखते हुए बोला”

राकेश: मी लॉर्ड, मैं आपके सामने कुछ पेश करना चाहता हूं। और उसी का इंतजार कर रहा हूं।”

राकेश माधवानी की बात सुनकर जज विभु अग्रवाल थोड़े नाराज होते हुए बोले” इंतजार कर रहे हैं से आपको क्या मतलब है ? अगर कोई गवाह है तो उसे पेश कीजिए वरना, कोर्ट आगे की कार्रवाई शुरू करेगा। आप इस तरह से कोर्ट का वक्त बर्बाद नहीं कर सकते हैं।”

जज की डांट सुनकर राकेश, इशारे से अपने दोस्त विक्रम की तरफ देखने लगा जो, किसी और केस की सुनवाई के लिए कोर्ट आया था। मगर उसने भी मजबूर होकर ना में अपना सिर हिला दिया, जैसे कह रहा हो कि, उसने सब जगह पता करवा लिया, मगर प्रिंसिपल कही नहीं मिला।

राकेश को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? उसकी टेंशन बढ़ती जा रही थी। पूरे कोर्ट में घड़ी के टक टक की आवाज उसके कानो में गूंज रही थी। मगर, फिर भी कोर्ट के अंदर की खामोशी उसे चुभ रही थी। राकेश ने एक नजर मानसी और आशुतोष की तरफ देखा, जो लगातार चेहरे पर मुस्कान लिए उसे ही देख रहे थे। पर राकेश को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ?

उसने एक गहरी लंबी सांस ली और जज साहेब से कहा”

राकेश: मी लॉर्ड, मैं जिस गवाह की बात कर रहा हूं, वह कोई और नहीं बल्कि उसी स्कूल का प्रिंसिपल है, जिस पर यहां केस चल रहा हैं। कल रात को प्रिंसिपल सर का मेरे पास फोन आया और उन्होंने कहा कि स्कूल में कोई बहुत बड़ा स्कैम चल रहा है जिसके बारे में मुझसे बात करना चाहते थे और, अचानक उनका फोन कट हो गया और आज सुबह से वो गायब हैं। मुझे लगता है कि जरूर प्रिंसिपल सर के साथ कुछ गलत हुआ है। मैं कोर्ट से रिक्वेस्ट करता हूं कि, प्रिंसिपल सर को ढूंढने में मदद करवाए ताकि हकीकत सबके सामने आ सके।”

राकेश ने अपनी बात का तो दी थी पर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसने किस बेसिक पर यह सब बातें कही है ? जरूर जब सब उसकी यह दलील नकार देंगे।

राकेश यह सोच रहा था कि तभी डिफेंस लॉयर मानसी राणा ऑब्जेक्ट करते हुए बोली”

मानसी: अब्जेक्शन मी लॉर्ड, मुझे लगता हैं कि मिस्टर माधवानी को कहानीया सुनाने का बहुत शौक है। इसीलिए तो इस तरह की झूठी कहानी सुना रहे हैं। पर मैं याद दिला देना चाहती हूं कि यह कोर्ट है, स्टैंड अप कॉमेडी का कोई शो नहीं। जहां यह जो चाहे वह बोलेंगे और लोग तालियां बजाएंगे। मैं कोर्ट से रिक्वेस्ट करती हूं कि, मिस्टर माधवानी की दलील को नकारा जाए और हम सब का वक्त बचाते हुए, रिस्पेक्टेड कोर्ट अपना फैसला सुनाए। थैंक्स यू!”

इतना कह कर मानसी पूरे एटीट्यूड के साथ अपनी जगह पर बैठ गई। उसे देखकर साफ पता चल रहा था कि उसे अपनी जीत साफ-साफ दिखाई दे रही है। और इस बात का पूरा विश्वास है कि आज चाहे जो हो जाए, उसे यह केस जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

वही दूसरी तरफ जज साहेब ने राकेश माधवानी की तरफ देखते हुए उससे पूछा” मिस्टर माधवानी, आप जो कह रहे हैं क्या उसके लिए आपके पास कोई सबूत है ? हो सकते हैं आपकी कहीं बात सच हो पर कोर्ट सबूत मांगता है। या तो आप सबूत पेश कीजिए या फिर कोर्ट, अपना एक तरफा फैसला सुनाएगा।”

जैसा की आवाज सुनकर पूरे कोर्ट में आवाज होनी शुरू हो गई। सारे पेरेंट्स एक दूसरे से बातें करने लगे। हर कोई परेशान था पर तभी, जज साहेब ने टेबल पर हथौड़ा बजाते हुए सबको शांत रहने के लिए कहा।

जज साहेब आगे कुछ बोल पाते की तभी, राकेश ने अपना फोन निकलते हुए उसमें कुछ ओपन किया और उसे सामने जज साहब के असिस्टेंट को देते हुए बोला” इसे ब्लूटूथ से कनेक्ट कर दीजिए। “ राकेश का ऐसा एक्शन देखकर, मानसी और उसके क्लाइंट आशुतोष तो एकदम हैरान रह गए। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि राकेश कोर्ट में क्या पेश करने वाला है? तभी, राकेश ने कल रात प्रिंसिपल सर के साथ हुई रिकॉर्डिंग को प्ले कर दिया। प्रिंसिपल सर कह रहे थे कि स्कूल में कोई स्कीम चल रहा है और वह जल्द से जल्द इस दुनिया के सामने लाना चाहते हैं ताकि किसी भी बच्चे की जान खतरे में ना पड़े। और इसके लिए वह कल सुबह गवाही देने आने को तैयार है। “ इतना कहते कहते एकदम से आवाज बंद हो गई। और एक तेज बीप के साथ फोन कट हो गया।

जैसे ही कोर्ट में बैठे हुए सब लोगों ने यह बात सुनी तो, हर कोई अपनी सांसे थाम कर सामने की तरफ देखने लगा। पूरे कोर्ट में एकदम शांति छा गई थी। कुछ पल के लिए मानसी और उनके क्लाइंट हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे। उनका खेल हुआ पासा उन्ही पर उल्टा पड़ गया है।

कुछ देर की खामोशी के बाद जज साहेब ने अपनी नाक पर आ रही चश्मे को ठीक करते हुए, हल्का गला साफ करने की एक्टिंग की और उसके बाद सब की तरफ देखते हुए कहा” पूरी रिकॉर्डिंग सुनने के बाद, मुझे ऐसा लगता है कि शायद प्रिंसिपल की जान खतरे में है और ये मामला शायद, जितना छोटा लग रहा हैं उससे कई ज्यादा बड़ा हैं। कोर्ट वैसे तो इस तरह के सबूत को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देती है किंतु, इस कोर्ट का जज होने के नाते मैं चाहता हूं कि पुलिस तुरंत प्रिंसिपल को ढूंढने की कोशिश करें और अगर किसी पर शक है या कोई कोर्ट के दिए हुए फैसले में किसी भी तरह की अड़चन पैदा करें तो उसे, जेल में डाल दिया जाए। और इन सब में पुलिस की मदद राकेश माधवानी करेंगे क्योंकि गवाह ने आखिरी बार बात राकेश माधवानी से ही की थी।”

कोर्ट का फैसला सुनकर जहां एक तरफ मानसी और उनके क्लाइंट आशुतोष जैन गुस्से से लाल होकर वहां से चले गए थे तो वहीं दूसरी तरफ, जितने भी पेरेंट्स वहां बैठे हुए थे सबके चेहरे पर एक मुस्कान थी और एक उम्मीद थी कि शायद, अब कुछ बेहतर हो पाए। राकेश को भी कहीं ना कहीं संतुष्टि थी कि, उसे एक आखरी बार मौका मिल गया।

जल्दी ही राकेश वहां से अपने घर चला गया। वहीं दूसरी तरफ इंस्पेक्टर विक्रम, लगातार अपनी टीम से कांटेक्ट करके, प्रिंसिपल के फोन की लास्ट लोकेशन का पता करने की कोशिश कर रहे थे।

जहां एक तरफ यह सब हो रहा था तो नहीं दूसरी तरफ स्कूल के, ऑफिस में बैठकर आशुतोष जैन अपने बेटे आदित्य पर गुस्सा कर रहे थे। आशुतोष ने गुस्से से आदित्य से कहा” एक के बाद एक तुम मेरे काम का बिगाड़ रहे हो आदित्य। कितना छोटा सा मामला था जो बच्चे घायल हुए थे हम उन्हें पैसे देकर उनके मां-बाप का मुंह बंद करवा सकते थे। पर अगर, उस प्रिंसिपल ने अपना मुंह खोल दिया तो हम सब, पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। उसके बाद भूल जाओ तुम अपना वह सपना जिसके लिए हमने यह सारे घोटाले किए हैं।”

अपने पापा की बात सुनकर आदित्य ने पास में रखी हुई बियर की बोतल अपने होठों से लगाते हुए कहा” रिलैक्स डैड, ऐसा कुछ नहीं होगा। प्रिंसिपल किसी को मिलेगा तब कुछ होगा ना। मैंने उसे ऐसी जगह छुपाया है जहां कोई भी उस तक नहीं पहुंच सकता। 2 दिन बाद जो कोर्ट ने तारीख दी हैं, उसमें हम यह प्रूफ कर देंगे की, प्रिंसिपल की असली गुनहगार है और उसने ही सॉरी घोटाले किए हैं। सारी हेर फेर की है। और जब यह मामला कोर्ट में गया तो उसने, जानबूझकर राकेश माधवानी को फोन किया और हमारे खिलाफ यह सारी बातें कहीं। और बाद में इस तरह की एक्टिंग की जैसे, उसके साथ कुछ हो गया है और उसके बाद खुद ही कहीं जाकर छुप गया। खुद को बचाने के लिए उसने, हम सब को फंसा दिया। वह जानता था कि अगर वह टाइम पर नहीं पहुंचेगा तो कोर्ट हम पर ही शक करेगी।”

अपने बेटे की चार की देखकर एक बार के लिए तो आशुतोष खुश हो गए पर फिर कुछ सोचते उन्होंने अपने बेटे को इशारे से मुंह पर उंगली रखते हुए कहा” चुप रहो!  दीवारों के भी कान होते हैं आदित्य। कहीं ऐसा ना हो कि हम सब फस जाए।”

जहां एक तरफ ये सारी प्लानिंग चल रही थी तो वही दूसरी तरफ, विक्रम ने जहां-जहां पॉसिबल था वह सब जगह, अभी तक तलाश कर ली थी। चाहे वह प्रिंसिपल का घर हो या वो गार्डन, जहां शाम को प्रिंसिपल रोज वॉक करने जाता था। विक्रम को कहीं से भी कुछ पता नहीं चल रहा था। राकेश से कल उसने आखिरी बार बात की थी। और उसमें भी, उसके कॉल की लास्ट लोकेशन उसका घर दिखा रहे थे।

राकेश के कहने पर विक्रम ने एक बार फिर से पूरे घर की अच्छे से छानबीन की। इस बार राकेश भी इसके साथ ही था। पूरे घर में सारा सामान वैसे के वैसे रखा था। कपड़े,ज्वेलरी, पैसा, सब कुछ वैसे के वैसे ही था। ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था की प्रिंसिपल यहां से कहीं और जाने की तैयारी में हो। तभी अचानक से राकेश की नजर, सोफे के नीचे एक फोन पर गई, और राकेश ने तुरंत विक्रम को इशारा किया और, विक्रम ने बहुत ही सावधानी के साथ ग्लव्स पहनकर उसे फोन को उठा लिया और एक सील पॉलिथीन में डाल दिया। राकेश की उम्मीद थोड़ी बढ़ गई थी उसे लग रहा था कि शायद, आसपास और भी कोई सबूत मिल सकता है। तभी, विक्रम का ध्यान वहां लगी एक पिक्चर पर गया। उस पिक्चर में राकेश और विक्रम दोनों को ही कुछ अजीब सा लगा। और अगले ही पल दोनों ने एक दूसरे को देखा।

कोर्ट का दिया हुआ 2 दिन का समय बीत गया था। सब लोग कोर्ट में इकट्ठा हो गए थे। दोनो पक्ष पूरी तैयारी के साथ आए थे। राकेश किसी गहरी सोच में खोया हुआ लगातार सामने ही देख रहा था। आशुतोष के साथ आदित्य भी आज वहां आया था और ध्यान से राकेश के चेहरे को देख रहा था जैसे उसके चेहरे के इमोशन पढ़ने की कोशिश कर रहा हो। हालांकि आदित्य को कुछ समझ नहीं आ रहा था। अपने कोर्ट के बटन को खोल और अपने गले की टाई को थोड़ा लूज करते हुए, सामने देखने लगा। जल्दी ही जज साहब वहां आ गए और कार्यवाही शुरू हो गई।

जज साहेब ने पहले मानसी से पूछा” क्या डिफेंस लॉयर का कोई सवाल है ?” इस पर मानसी ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया।  तभी, जज साहेब ने राकेश माधवानी से पूछा” क्या आप कुछ कहना चाहते हैं मिस्टर माधवानी ? “

इस पर राकेश अपनी जगह से खड़े होते हुए वहा कुछ ऐसा बोला जिसे सुन जज साहेब भी हैरान रह गए।

आखिर, ऐसा क्या कहा था राकेश ने जज साहेब से कोर्ट में ? क्या राकेश प्रिंसिपल की किडनैपिंग की इस गुत्थी को सुलझा पाएगा ? और ऐस क्या पता चलने वाला हैं कोर्ट में सबको ?

जानने के लिए पढ़ते रहिए। 

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