उस पल ऐसा लगा मानों आसपास सबकुछ रूक गया हो, कमरे में बहती हवा, गेस्‍ट रूम के बाहर आ रही चिड़ियों की चहचहाहट, लोगों की आवाजे, गाड़ी मोटरों की आवाजें, सब कुछ शांति...दर्द भरी शांति....खून को खौलाने वाली शांति...सब कुछ तहस नहस होने के बाद की शांति...एक बहुत बड़ी बरबादी के बाद की शांति...तबाही की शांति। 

कुछ पल मीरा के दिल की धड़कने बंद सी हो गई थी....उसकी सांस उसके हलक में फंसी हुई महसूस हो रही थी। मीरा को अभी तक विश्‍वास नहीं हो रहा था, उसने खुद को किसी तरह से तसल्‍ली दी और स्‍टूल पर रखे अपने फोन को उठा लिया और यामिनी का भेजा हुआ वह फोटो देखा जिसमें चीफ का बदला हुअ चेहरा था, मीरा ने जैसे ही वह फोटो देखा...ऐसा लगा मानो मीरा की छाती से दिल ही निकल जाएगा...यह आर्यन की ही फोटो थी...सर्जरी के बाद चीफ यानी आर्यन देशमुख था। 

मीरा के हाथ से फोन ऐसे छूट गया मानो वह फोन अचानक आग के गोले में बदल गया हो। सामने एक जोड़ी जलती हुई भूरी आंखे उसे घूर रही थी, इन आंखो को ही तो मीरा कब से ढूंढ रही थी...यह तो न जाने कब से मेरे सामने था, मेरे साथ था....मैं एक कातिल से प्‍यार कैसे कर सकती हूं?

मीरा की खोपड़ी बुरी तरह चकराने लगी थी...उसके सामने सैकड़ो लोगों का हत्‍यारा खड़ा था, जिसके लिए किसी की जान लेना केवल एक छोटे मोटे काम के जैसा था…मीरा को अपना दम घुटता हुआ महसूस हुआ। एक ऐसा आदमी जिसके बारे में मीरा अभी बहुत कुछ अच्‍छा सोच रही थी और अच्‍छा महसूस कर रही थी, अगले ही पल उसकी एक नंगी हकीकत मीरा के सामने थी। 

आर्यन मीरा के और करीब आ गया.…मीरा का पूरा शरीर घृणा से भर उठा। उसे खुद से ही घिन्‍न होने लगी...ऐसा आदमी मेरे करीब कैसे आ सकता है जिसका पूरा शरीर मासूमों के खून से रंगा है।

उसने अपने चेहरे पर एक कुटिल मुस्‍कान लाते हुए कहा, ‘तुम मुझे इतने समय से ढूंढ रही थी, लो मैं तो तुम्‍हारे सामने ही आ गया।‘ कहकर आर्यन यानी चीफ ने मीरा के बालों की खुली लट पीछे की ओर कर दी। 

मीरा की सांसे और भी ज्‍यादा तेज हो गई, इस आदमी का एक रूप यह भी है। 

आर्यन मीरा के और करीब आ गया, इतना करीब कि मीरा उसकी सांसो को महसूस कर रही थी, आर्यन की सांसो से उसे घुटन हो रही थी। 

आर्यन ने आगे कहा, ‘’मारिया तो लगभग मेरे पास पहुंच ही गई थी पर करन का मर्डर करके उसने बहुत गलत किया…अगर उसने करन को नहीं मारा होता तो शायद वह जिंदा होती, पर मेरे बॉडीगार्ड वर्ल्‍डक्‍लास खोजी कुत्‍तों से भी दो कदम आगे हैं, उन्‍होंने मारिया की साजिश को सूंघ लिया था…

मीरा के शरीर में ठंडी सिहरन दौड़ गई। 

तुम्‍हें याद है उस दिन जब तुम समुद्र के किनारे वाले मेरे बंगले में थी और मार्निंग में तुम्‍हें न्‍यूज मिली कि मेरे एक बाडीगार्ड का एक्‍सीडेंट हो गया है वह करन ही था जिसे मारिया ने मार डाला था पर मारिया बेचारी क्‍या करती? उसे पता था कि अगर वह मेरे हाथ लग गई तो मैं उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर के उसे नाश्‍ते में चबाकर खा जाऊंगा।

मीरा ने चीफ के बारे में सुना तो था कि वह बहुत ही क्रुर और निर्दयी है, इंसान के रूप में एक वहशी दरिंदा है, आज अपनी आंखो से देख रही थी और कानो से उसके वहशीपन से भरे स्‍वभाव के बारे में जान भी रही थी। 

आर्यन ने अपनी नाक मीरा की नाक से सटाकर कहा, ‘’जबसे मैंने तुम्‍हें देखा है तुमने मुझे दीवाना बना दिया है, मैंने सुना था कि तुम मुझसे प्‍यार का नाटक करना चाहती हो, देखो मैं तुम्‍हारे पास हूं तुम्‍हारे एकदम करीब, कुंए को प्‍यासे के पास आने की जरूरत नहीं होती है, प्‍यासे को कुंए के पास आने की जरूरत होती है, देखो मैं जन्‍म जन्‍मांतर का प्‍यासा, तुम्‍हारे पास अपनी प्‍यास बुझाने आ ही गया।  

मीरा को अपने फेफड़े में कुछ जमता हुआ सा महसूस हुआ, आर्यन की सुनहरी आंखे गहराई से चमक रही थी, सामने एक राक्षस खड़ा था। इसे मेरे बारे में सबकुछ पहले से ही पता था, यह जानबूझकर मेरे साथ यह सब खेल खेल रहा था। 

आर्यन ने फिर से कहा, ‘’तुमने जो कुछ सोचा था वह तुम कर सकती हो, मतलब तुमने यह तो सोचा ही होगा ना कि जब चीफ से तुम अकेले में मिलोगी तो क्‍या क्‍या करोगी? मीठी-मीठी बातें, मुझे रिझाने के लिए अपनी मादक अदाओं के जलवे मुझे दिखाओगी तो मैं इस सबके लिए तैयार हूं।‘

मीरा का गला जैसे सूखने लगा था...आर्यन को सबकुछ पहले से ही पता था, यानी जिस दिन से मैंने अपने पापा को फार्महाउस से पकड़ा था उसी दिन से आर्यन यानी चीफ मेरे पीछे पड़ा है, मैं बेवकूफ खूनी से प्‍यार कर बैठी, मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं? इतना बड़ा पागलपन, इतनी बड़ी बेवकूफी, मुझे रत्‍ती भर अंदाजा नहीं हुआ कि यह ही चीफ हो सकता है, आर्यन के इतने सारे हास्‍पिटल हैं, इन सारे हास्‍पिटल में वो सारे इल्‍लीगल काम होते हैं, मानव अंगों को चोरी से निकालना और ऊचे दांम पर बेचना। 

न जाने कैसे आर्यन ने उसके मन की बात ताड़ ली, ‘’मीरा जो कुछ तुम सोच रही हो वह मुझे पता है, मेरी नजर तुम पर न जाने कितने महीनों से थी...चाहता तो तुम्‍हें उसी समय उसी फार्महाउस में मसलकर रख देता....पर मैं अपनी बोरिंग लाइफ में थोड़ा इंटरटेंनमेंट चाहता था। लेकिन अपने फार्म हाउस के कर्मचारियों को विश्‍वास दिलाना भी तो जरूरी था कि तुम मर चुकी हो इसलिए तुम्‍हारी ही जैसी एक लड़की को गोली मरवानी पड़ी, खैर वह मेरे लिए फायदे का सौदा हुआ, वह लड़की और उसके बॉयफ्रेंड को मारकर मैंने करोड़ो कमाएं, उन दोनों के हार्ट, किडनियां, आंखे, लीवर इन सबको अंडरवर्ल्‍ड के जरिए बेच दिया। 

मीरा भय से बुत हो गई, इस आदमी को तो राक्षस कहना भी राक्षसों का अपमान करने जैसा है। 

फिर तुम्‍हारे और मारिया की प्‍लानिंग के बारे में पता चला…उसने तुम्‍हें मुझे ढूंढकर मुझ पर डोरे डालने को आई मीन मुझसे प्‍यार का नाटक करने के लिए कहा। तुम मान भी गई...मैंने सोचा चलो कोई बात नहीं, तुम्‍हारी जैसी भोली भाली लड़की की मदद कर ही देते हैं...वैसे भी तुम इस माफिया और गैंग से भरी दुनिया में एंट्री करने जा रही थी, जहां के बारे में तुम्‍हें कुछ भी नहीं पता था। तुम्‍हारी हर एक हरकत मुझे पता थी...मैं खुद सोच रहा था कि कैसे तुमसे मिलूं, कैसे तुम्‍हें खुद को प्‍यार करने पर मजबूर करूं...क्‍योंकि तुम तो मुझ तक कभी पहुंच ही नहीं सकती थी, इसलिए खुद को ही तुम्‍हारे पास ले आया, तुम्‍हें पहला मौका दिया कि तुम मुझे पहचान लो, पर इस काली दुनिया के बारे में तुम्‍हें पता ही क्‍या था? मैं तुम्‍हें जबरदस्‍ती अपने घर उठाकर ले गया, लेकिन तुम्‍हारी बेवकूफी कहूं या भोलापन तुम मुझे एकदम नहीं पहचान पाई।

तुम्‍हें सोचना चाहिए था कि चीफ का एक नाम भी होगा, वह नाम जिसे दुनिया आर्यन देशमुख के नाम से जानता है। पर ऊपरवाला कहीं ना कहीं तुम्‍हारे साथ है, तुमने मुझे अपने दिल में भी बसा लिया और चीफ को भी ढूंढने का काम करती रही, फाइनली कामयाब रही, अगर तुम नेहा के घर जाकर मेरी फोटो न खोजती और डाक्‍टर यामिनी को न देती तो शायद मेरी असलियत तुम्‍हारे सामने नहीं आती। 

मीरा खुद को ही कोस रही थी, कितनी बड़ी बेवकूफी की थी मैंने..शुरू से ही मैंने चीफ की ताकत को कम आक लिया था। सोचना चाहिए था कि जो इतना बड़ा माफिया है, बिजनेस मैंन के रूप में अंडरवर्ल्‍ड डॉन है, न जाने कितने ही गैंग का लीडर है, उससे मैं भिड़ने चली थी। 

मीरा को अपनी पूरी लाइफ खत्‍म होती दिखाई दे रही थी। बचने का कोई रास्‍ता ही नहीं नजर आ रहा था। 

इधर होटल में अभिजीत मुस्‍कुराते हुए मकरंद को देख रहा था और सोफे पर बैठे जतिन और युग सिगरेट का कश ले रहे थे। मकरंद ने इन तीनों को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए कहा, ‘’ओह अब मैं समझा कि हमारे बॉस की कई सारी डील पुलिस को कैसे पता चल जाती थी, दो-तीन बार हमारी दवाइयों की कन्‍साइनमेंट भी पकड़े गए हैं...तो इसके जिम्‍मेदार तुम हो, चीफ ने बॉडीगार्ड के नाम पर अपने आस्‍तीन में सांप पाल रखे थे। 

अभिजीत ने टेबल पर रखे एक वाइन से भरे गिलास को उठाकर मकरंद से कहा, ‘’चिल्‍ल ब्रो...आस्‍तीन का सांप तो बहुत छोटा सा वर्ड है, मैं और युग तो उससे भी ज्‍यादा कमीने हैं, चीफ के तो दो ही विश्‍वसनीय बॉडीगार्ड हैं, एक तुम और एक वो करन... परमात्‍मा उसकी आत्‍मा को शांति दे।‘’ ऊपर की ओर देखकर अभिजीत ने कहा, और एक ही सांस में वाइन से भरा गिलास को खाली कर दिया। 

मकदंर का चेहरा लाल हो गया....वह युग और अभिजीत से बोला, ‘’तुम दोनों को पता भी है कि तुम क्‍या कर रहे हो? इस पुलिस कमिशनर के साथ मिलकर हमारे चीफ को खत्‍म करना चाहते हो, चीफ को पता चला तो शायद तुम दोनों को इस दुनिया की सबसे खौंफनाक मौत मिले, वे किस हद तक तुम्‍हें तड़पाकर मारेंगे शायद तुम्‍हें पता नहीं।‘’

अभिजीत सोफे पर एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर बैठते हुए बोला, ‘’तुम्‍हें क्‍या लगता है कि इन सबकी प्‍लानिंग आज से चल रही है, वैसे भी अब चीफ के भी दिन आ गए है, मेरा मतलब है कि उनके पाप का घड़ा भर चुका है।‘’

मकरंद फिर से इन दोनों पर चीख उठा....’’क्‍यों किया तुम दोनों ने ऐसा? अपने उस चीफ के साथ दगाबाजी जिसने हमें दुनिया के सारे सुख दिए।‘’

‘’कौन सा सुख.?’’ युग खड़े होकर चीख उठा, ये बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमना....शानदार होटलों में रूकना.. बिजनेस क्‍लास प्‍लेन में सफर करना...मंहगी से मंहगी शराब पीना..यह सुख है तुम्‍हारी नजरों में, तुम्‍हें लगता होगा यह हमारी लाइफ का सुख है पर मुझे घुटन होती है इन सब चीजों से, अरे सबसे बड़ा सुख तो परिवार होता है, वही चीफ ने मुझसे छीन लिया था। आज से करीब बीस साल पहले, मेरे ही सामने मेरे पूरे परिवार को उस चीफ के बाप ने उजाड़ दिया था और वह चीफ जो कि उस समय मेरे ही जैसा एक बच्‍चा था, उसके सामने मेरा पूरा परिवार रो रहा था…बिलख रहा था..अपने जान की भीख मांग रहा था, यह सब देखकर वह हंस रहा था, जैसे कोई कामेडी चल रही हो, मेरे परिवार के दर्द से उसे सूकुन मिल रहा था।‘’ 

मकरंद ने कहा, ‘’अच्‍छा होता कि चीफ के पापा तुझे भी मार देते...’’

युग के माथे की नसें खिंच गई, वह मकरंद के एकदम करीब आ गया और उसकी आंखो में आंखे डालकर बोला, ‘’हां नहीं मारा, क्‍योंकि उसके बेटे की मौत मेरे हाथों लिखी थी।‘’ 

‘’तुम चीफ को मारोगे, इतने साल उनके साथ रहकर भी उन्‍हें नहीं जान पाए।‘’

‘इतने साल रहकर ही तो जाना है कि उन्‍हें मारना कैसे है?‘

‘’क्‍या मतलब?'' मकरंद की आवाज कांपी। ‘तुम्‍हें नहीं पता है युग, तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो, अभी भी मौका है, इस पुलिस कमिशनर को गोलियों से भूनकर इसी होटल में कहीं गाड़ देते हैं, वैसे भी इस पूरे होटल को चीफ ने बुक करा लिया है, केवल हमारा स्‍टाफ है, इसलिए किसी को शक नहीं होगा, और मैं तुम दोनों को सुधरने का एक मौका देता हूं, चीफ को अपनी जान समर्पित कर दो उसी में तुम दोनों की भलाई है।‘’

अभिजीत ने कहा, ‘’जिस मौके को आने में बीस साल लग गए उसे हम यूं ही गंवा दे, ऐसे भी बेवकूफ नहीं है हम, हां इस होटल के लॉन में एक डेडबाडी दफनाई जाएगी, पर वह हमारे प्‍यारे पुलिस कमिशनर जी की नहीं होगी।‘’ 

‘’क क क्‍या मतलब....? मकरंद की सांसे तेज हो गई, दिल की धड़कने दुगनी हो गई। 

जतिन मकरंद के पास आकर बोला, ‘’सॉरी दोस्‍त, कानून का रखवाला ही कानून से खिलवाड़ कर रहा है, क्‍या करूं तुम्‍हारे चीफ के खिलाफ मेरे पास इतने सारे सबूत हैं कि मैं उन्‍हें इसी समय अरेस्‍ट कर सकता हूं पर अगले चौबीस घंटे के अंदर-अंदर वे बाहर आ जाएंगे और फिर से वही सब शुरू हो जाएगा, उनके तार तो न जाने कितने कंट्री से जुड़े हैं और मैं बेवहजह मारा जाउंगा...इसलिए पहले तुम जाओ और उसके बाद तुम्‍हारे पीछे-पीछे तुम्‍हारे चीफ ऊर्फ आर्यन देशमुख भी आ जाएंगे...वैसे तुम मरने से पहले यह जरूर जानना चाहोगे कि अभिजीत के पास क्‍या कारण था जो उसने चीफ से गददारी कि...’’

मकरंद ने सवालिया निगाहों से अभिजीत को देखा...

अभिजीत ने जतिन की ओर इशारा किया, ‘’यह मेरा भाई है, सगा भाई।‘’ 

यह सुनते ही मकरंद सुन हो गया, युग ने मकरंद के सीने में रिवालवर की नोक चिपका दी, इससे पहले की मकरंद कुछ करता, धांय...धांय की आवाज से वह कमरा हिल उठा, रिवाल्‍वर की सारी गोलियां मकरंद की सीने को भेद गई थी। 

 

अब आर्यन मीरा के साथ क्‍या करेगा? 

क्‍या आर्यन को अपने दोनों विश्‍वासघाती बॉडीगार्ड के बारे में पता चल पाएगा?

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!

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