ज़िंदगी कभी सीधी रेखा में नहीं चलती।
कभी-कभी, हमारी बीती हुई यादें हमारी आज की राहों को उलझा देती हैं।
पुराने जज़्बात, जो हम भूलने की कोशिश करते हैं, वो किसी मोड़ पर फिर सामने आ जाते हैं।
आज, श्रेया और संकेत अपने-अपने रास्तों पर लौट चुके हैं।
लेकिन उनके दिलों में वो एक मुलाकात अब भी गूंज रही है।

श्रेया लंदन वापिस या चुकी थी।

लंदन की सुबह हल्की ठंड और कोहरे से भरी थी।
श्रेया ने कॉफी का कप उठाया और अपनी खिड़की से बाहर देखा।
बाहर की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी को देखकर वो खुद को याद दिला रही थी कि यहाँ आने का उसका एक बड़ा मकसद है।
लेकिन उसके दिल के किसी कोने में संकेत से हुई मुलाकात अब भी बसी हुई थी।
कैफे में बिताई गई वो शाम, उनकी मुस्कानें, और कॉलेज के दिनों की बातें... सबकुछ जैसे किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने चल रहा था।

"श्रेया ने वो सबकुछ पाया था, जिसके लिए उसने अपने रिश्तों और जड़ों से खुद को दूर किया था।
लेकिन क्या वो वाकई खुश थी?
या उसकी ये खुशी एक अधूरी तलाश बन चुकी थी?"

तभी, अदिति कमरे में आई।
उसने श्रेया को खिड़की पर बैठे देखा।

उसने caring अंदाज़ में श्रेया से कहा कि ये खिड़की से बाहर देखना बंद करे।
उसे प्रेजेंटेशन पर काम करना है।
लोग सोच रहे हैं कि श्रेया की मेहनत का कोई मुकाबला नहीं।
और वो यहाँ सपनों में खोई हुई है!

तब श्रेया ने सफाई देते हुए कहा:

Shreya (forcing a smile): “मैं ठीक हूँ, अदिति। बस... थोड़ा थक गई हूँ।”

तब अदिति ने acknowledge किया कि थकान तो सबको होती है।
लेकिन उसे लग रहा था कि श्रेया और छिपा रही थी।
वो तीन दिनों से परेशान लग रही थी।
अदिति ने सब कुछ जानने की ज़िद की।  

श्रेया ने अदिति की तरफ देखा।
वो सोच रही थी कि क्या उसे अपने दिल की बात कहनी चाहिए।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने कहा:

Shreya (hesitant): "कुछ नहीं, बस... एक पुराना दोस्त मिला था।
बहुत दिनों बाद।
और उससे मिलकर बहुत कुछ याद आ गया।
ऐसा लगा जैसे मैं अपने आज में नहीं, अपने अतीत में जी रही थी।"

तब अदिति ने कहा कि यही पुरानी दोस्तियाँ ही तो दिल को उलझा देती हैं।
लेकिन उसने श्रेया को याद दिलाया, कि उसने एक फैसला लिया था।
उसने अपने सपनों को चुना था।
और अदिति जानती थी, वो फैसला आसान नहीं था।
लेकिन अगर श्रेया वही रास्ता चुना है, तो उसे खुद को हर समय सवालों में नहीं डालना चाहिए! 
दिल के कुछ सवालों के जवाब वक्त के साथ ही मिलते हैं।

अदिति की बातों ने श्रेया को थोड़ा सुकून दिया।
लेकिन संकेत की यादें अब भी उसके दिल में एक अनसुलझी गुत्थी की तरह उलझी हुई थीं।
क्या उसने सही किया था?
क्या वो सही रास्ते पर थी?"

इधर इंडिया वापस आकर, संकेत अपने ऑफिस में बैठा था।
उसकी कंपनी ने हाल ही में एक बड़ा प्रोजेक्ट पूरा किया था।
बिज़नेस अब धीरे-धीरे संभलने लगा था।
लेकिन इस सक्सेस के बावजूद, संकेत के दिल में एक अजीब-सा खालीपन था।
उसे महसूस हो रहा था कि वो सबकुछ पाकर भी कुछ खो रहा है।
उसका दिमाग बार-बार श्रेया की तरफ खिंच रहा था।

संकेत ने उस मुलाकात के बाद खुद को कई बार ये सवाल किया था—
क्या उनकी कहानी अब भी अधूरी थी?
क्या उनके रास्ते फिर से जुड़ सकते थे?

उसी शाम, राज संकेत के ऑफिस आया। दोनों ने कुछ टाइम पहले आपस में खटास मिटाने का फैसला किया था।
राज हमेशा की तरह चहकते हुए अंदर आया, लेकिन संकेत उसकी आँखों में एक अजीब-सी गंभीरता देख सकता था।

Sanket (smiling faintly): "राज!
तू यहाँ?
बिज़ी आदमी को आज वक्त कैसे मिल गया?"

Raj (shrugging): "अरे, तेरे जैसा बड़ा आदमी बनने के लिए मैं भी बिज़ी हो गया हूँ।
पर तुझसे मिलने का वक्त तो हमेशा निकल ही आता है।"

दोनों एक-दूसरे के साथ बैठ गए।
कॉफी की चुस्कियों के बीच हल्की-फुल्की बातें शुरू हुईं।
लेकिन राज का चेहरा धीरे-धीरे गंभीर होने लगा।
संकेत ने ये तुरंत भांप लिया।

Sanket (curiously): "क्या हुआ, राज?
तू कुछ परेशान लग रहा है।
क्या बात है?"

Raj (hesitant): "संकेत, तुझसे एक बात करनी है।
पर पता नहीं, कैसे कहूँ।
बहुत दिनों से दिल में दबा रखा है।"

Sanket (leaning forward): "राज, हम बचपन के दोस्त हैं।
जो भी है, खुलकर कह दे।"

संकेत जानता था की राज का इशारा किस तरफ है

Raj (after a pause, softly): “संकेत, बात श्रेया के बारे में है।”

संकेत ने श्रेया का नाम सुनते ही एक अजीब-सी बेचैनी महसूस की।
उसका दिल थोड़ा तेज़ धड़कने लगा।

Sanket (carefully): "श्रेया?
उसके बारे में क्या बात है?"

Raj (avoiding eye contact): "संकेत, मैंने हमेशा तेरी और श्रेया की दोस्ती को admire किया है।
लेकिन... जब तू और श्रेया दूर हो गए, तो मैं उसके थोड़ा करीब आ गया।
वो एक अच्छी इंसान है, और... शायद मैंने उसके लिए feelings डेवलप कर ली हैं।"

राज के ये शब्द सुनकर, संकेत का दिल एक पल के लिए थम गया।
वो समझ नहीं पा रहा था कि उसे इस बात का जवाब कैसे देना चाहिए।

Sanket (calmly, but with a hint of tension): "तो?
क्या तूने उसे बताया?"

Raj (nervously): "नहीं।
क्योंकि मुझे पता है कि वो तुझे कभी भूली नहीं।
उसकी बातों में, उसकी आँखों में, मैं हमेशा तेरा ही अक्स देखता हूँ।
पर संकेत, मैं अपनी feelings को ignore नहीं कर सकता।
मुझे नहीं पता कि ये सही है या गलत।
लेकिन मैंने सोचा, तुझे बताना ज़रूरी है।"

दोस्ती और प्यार के बीच का ये जज़्बाती पुल कभी-कभी सबसे मजबूत रिश्तों को भी हिला देता है।
संकेत ने राज की बातों को सुना, लेकिन उसके दिल में फिर से सवाल उठने लगे।
क्या श्रेया के दिल में अब भी उसके लिए जगह थी?
या क्या उसने सच में उससे आगे बढ़ने की कोशिश की थी?

राज के जाने के बाद, संकेत ऑफिस में अकेला बैठा था।
उसके चारों तरफ़ फाइलों और कागज़ों का ढेर था, लेकिन उसकी आँखें शून्य में देख रही थीं।
उसका दिमाग अतीत, वर्तमान, और भविष्य के बीच किसी उलझी हुई गुत्थी की तरह भटक रहा था।
श्रेया की यादें और राज के शब्द बार-बार उसके मन में गूंज रहे थे।
क्या उसने अभी-अभी अपने सबसे करीबी दोस्त से ये सुना था, कि वो भी श्रेया के लिए कुछ महसूस करता है?

संकेत का दिल सवालों के तूफ़ान में फँस चुका था।
क्या राज के शब्दों में सच्चाई थी?
क्या श्रेया ने राज को कोई ऐसे hints दिए थे, जो उसे ये सोचने पर मजबूर कर रहे थे?
या ये सिर्फ राज का एकतरफा प्यार था?

राज और श्रेया... ये दो नाम, जो संकेत की ज़िंदगी के सबसे भरोसेमंद रिश्तों में थे।
लेकिन आज, इन दोनों नामों के बीच एक ऐसा तनाव पैदा हो गया था, जिसे वो नजरअंदाज़ नहीं कर सकता था।

संकेत ने एक गहरी सांस ली।
'राज को श्रेया पसंद है।' यह बात उसे पता थी पर आज उसके मुह से सुन कर उसे अजीब लगा। 
उसके सीने में चुभ रही थी यह बात ।
श्रेया ऐसी ही थी।
वो लड़की, जो अपनी सादगी और आत्मविश्वास से किसी को भी अपना बना सकती थी।
वो लड़की, जिसकी आँखों में दुनिया के लिए सपने थे, और दिल में अपने लोगों के लिए प्यार।
अगर कोई उसके प्यार में पड़ जाए, तो इसमें चौंकने की बात नहीं थी।
लेकिन... राज?
राज, जो उसका सबसे करीबी दोस्त था।
जिसने उसकी हर मुश्किल घड़ी में साथ दिया।
जिसने उसे समझा, जब किसी और ने नहीं समझा।
क्या राज और श्रेया के बीच ऐसा कुछ हो सकता है?
संकेत ने सोचा—अगर ऐसा हुआ तो?


संकेत का दिल एक बार के लिए राज पर शक करने लगा।
लेकिन तुरंत ही, उसने खुद को रोका।
राज ऐसा इंसान नहीं था।
वो श्रेया के लिए कोई कदम उठाने से पहले खुद को रोक लेता।
वो उसके बिना कुछ कहे ही श्रेया की फीलिंग्स का आदर करता।
लेकिन फिर, संकेत को याद आया कि प्यार इंसान को बदल देता है।
क्या राज के अंदर वो बदलाव आ चुका था?
क्या वो श्रेया के लिए वो सबकुछ करने को तैयार था, जिसे संकेत ने कभी किया था?


और श्रेया...
संकेत को याद आया कि श्रेया हमेशा से एक खुली किताब की तरह थी।
वो अपनी फीलिंग्स छुपाने में कभी अच्छी नहीं थी।
अगर उसे राज के लिए कुछ महसूस होता, तो क्या वो संकेत को बता नहीं देती?

"संकेत ने अपना सिर कुर्सी की पीठ पर टिका लिया और आँखें बंद कर लीं।
वो कोशिश कर रहा था कि अपने भीतर की उलझन को शांत करे।
लेकिन एक अजीब-सी बेचैनी अब उसके साथ थी।
उसने सोचा—क्या मुझे श्रेया से बात करनी चाहिए?
क्या मुझे उससे पूछना चाहिए कि उसके और राज के बीच कुछ है या नहीं?
लेकिन फिर, उसने खुद को रोका।

Sanket: 'नहीं, ये मेरा हक़ नहीं है।
श्रेया ने अपनी ज़िंदगी का रास्ता चुना है।
और अगर उसने उस रास्ते पर किसी और का हाथ थाम लिया है, तो मैं उसे रोकने वाला कौन होता हूँ?'

लेकिन इस लॉजिक ने संकेत के दिल को सुकून नहीं दिया।
उसने महसूस किया कि श्रेया का नाम उसके दिल में अब भी उसी गहराई से बसा हुआ है, जैसे पहले था।
अगर श्रेया के दिल में अब भी संकेत के लिए कोई जगह बची थी, तो क्या वो उससे छूट जाएगी?
और अगर नहीं, तो क्या संकेत इस सच को स्वीकार कर पाएगा कि उसकी कहानी हमेशा के लिए खत्म हो चुकी है?

दोस्त और प्यार के बीच की ये complexity शायद दुनिया का सबसे मुश्किल सवाल है।
संकेत के लिए, ये सवाल उसके हर फैसले पर भारी पड़ रहा था।
क्या वो अपने दोस्ती के रिश्ते को बचा पाएगा?
क्या वो अपने दिल की आवाज़ सुन पाएगा?
या वो खुद को इस उलझन में हमेशा के लिए खो देगा?


या वो इस दूरी को हमेशा के लिए गले लगाना सीख लेगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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