डिसक्लेमर: "यह केस वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है, लेकिन इसमें प्रस्तुत सभी पात्र और घटनाएं पूरी तरह से काल्पनिक हैं। किसी भी वास्तविक व्यक्ति, स्थान, या घटना से कोई समानता मात्र एक संयोग है।"
अरविंद सिंह और उसकी टीम, जिसमें टोटल 6 लोग है. अभी भी अन्दर खादान में फसे हैं. सुबह हो चुकी है. एक भयानक अंधेरे में फसी पूरी टीम, अंदर से निकलने का रास्ता ढूंढने की कोशिश कर रहे होते हैं. माईन्स का अंधेरा उन्हें घेरे हुए है. अन्दर पूरी टीम को इतनीं गर्मी में भी ठंड महसूस हो रही थी. साथ ही चारों ओर की अजीब आवाज़े उनके दिल की धड़कन को तेज कर रही थी.
ऊपर जब लोगों को पता चला की अरविंद और उनकी टीम अभी तक नहीं आए है. तो उन्होनें खादान के अन्दर जानें का फैसला किया.
अरविंद और उसकी टीम खादान के अंदर फंसी हुई थी. तब ऊपर एक बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया था. खादान के आसपास के गांवों के लोग मिलकर उन्हें बचानें के लिए एक जगह जुट गए थे. एक बड़ी मशीनरी और उपकरणों का इंतज़ाम किया गया, ताकि वे खादान के भीतर तक पहुँच सकें. लोगों का अन्दर जाना खतरे से ख़ाली नहीं था. इसलिए मशीन से रेस्क्यू करना उन्हें सही तरीका लगा.
रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने आपस में चर्चा की. उनका प्लान था की वो हर तरफ़ से खादान में घुसनें की कोशिश करेंगे. अगर के लोगों को बचाना उनका मकसद था. रेस्क्यू टीम को गाँव का ही एक जवान मज़दूर संभल रहा था. बड़े मशीन्स को ऑपरेटर करना उसे बख़ूबी आता था. उसनें अपने अपने लोगों से हर संभव प्रयास करनें को कहा.
वहीं, खादान के मुहानें पर भीड़ इकट्ठी हो गई थी. परिवार वाले अपने प्रियजनों की सलामती की दुआ कर रहे थे. जैसे-जैसे समय बीत रहा था, रेस्क्यू टीम ने अपनी कोशिशें तेज़ कीं. उन्होंने खादान में बड़े-बड़े टनल बनाने शुरू कर दिए. ताकि अरविंद और उसकी टीम तक पहुँचा जा सकें. ऊपर से मशीनों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही थी. लेकिन अंदर के अंधेरे और डर में अरविंद और उसकी टीम को नहीं पता था कि, बाहर क्या चल रहा है. वो भी अन्दर ही अन्दर ख़ुद की लिए रास्ता तलाशनें की नाकाम कोशिश कर रहे थे.
मशीन जहाँ भी टनल बना रहा था. वहां सिर्फ़ कोयला की कोयला दिख रहा था. कई लोगों को तो ये लग रहा था, की इस रेस्क्यू करनें का कोई फ़ायदा नहीं है. फैंटम अभी तक उनको खा चूका होगा. कुछ लोग बोल रहे थे की, इस कोयले के पाताल में हम उनको कैसे ढूँढ पाएँगे. मगर मशीन बिना किसी की सुनें, लगातार अपना काम कर रही थी.
अरविंद, जो इस समय अपने साथी को संभालने की कोशिश कर रहा है, कहता है...
अरविन्द: "हमें कोई रास्ता ढूंढना होगा. हर मिनट काफी महत्वपूर्ण है।"
उसकी आवाज़ में एक दृढ़ता थी, लेकिन उसकी आँखें डर से भरी हुई थी. टीम की वजह से उसने हिम्मत बनाए रखी थी, लेकिन उनका मन तो पहले से ही घबरा रहा था.
मीना , जो एक पेरनॉर्मल इंवेस्टिगेटर है, अपनें मशीन से माहौल को समझने की कोशिश करती है और कहती हैं...
मीना: "यह जगह कुछ अजीब लग रही है, जितनी बार भी हम यहाँ से निकलने की कोशिश करते हैं, मुझे लगता है जैसे कोई अनजान एनर्जी हमें रोकती है"
टीम के सभी लोगों को ऐसा ही महसूस हो रहा था. मीना की बातों ने सबको एहसास दिलाया की बात तो सही है. कुछ देर बाद, अचानक टीम के एक मज़दूर ने चिल्लाते हुए कहा, "मशीन की आवाज़ आ रही है. शायद वो हमें ढूंढ रहे हैं."
यह सुनकर अरविंद और पूरी टीम की आँखों में थोड़ी उम्मीद जाग गई. उन्हें पता चाल गया था की अब वो लोग ज़िन्दा निकल लिए जाएँगे. लेकिन अरविंद को ये नहीं पता था की अब क्या होने वाला है. अंदर की स्थिति तेजी से बिगड़ रही थी.
जैसे ही रेस्क्यू टीम खदान के पास पहुँची. वहाँ अजीब घटनाएं शुरू होने लगीं. मशीनें जो अब बहुत नज़दीक थी. अपने आप रुकने लगीं. अचानक से कुछ तेज़ आवाज़ें सुनाई देने लगीं. अरविंद जो अब तक इन बातों पर विश्वास नहीं कर रहा था कहता है...
अरविन्द: "क्या ये खदान सच में किसी शापित जगह का हिस्सा है?”
इस सब के बीच, टीम को अब अपनी सुरक्षा के लिए और भी ज़्यादा सतर्क रहना पड़ रहा था. उन्हें समझ आ रहा था कि उनके ऊपर संकट बढ़ता ही जा रहा है. उन्हें अब केवल ऊपर के लोगों पर भरोसा करना था, जबकि अंधेरे ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया था.
जैसे जैसे मशीन उनके नज़दीक आ रही थी, अरविंद और उनकी टीम को हर जगह से क्रिपि वाइब्ज़ मिल रही थी. पत्थर कभी ख़ुद से हिलते, और कभी-कभी उन्हें हवा की आवाज़ कानों से पार होती सुनाई देती. जो उन्हें और भी डरा रही थी. रवि शर्मा, जो उनकी टीम का लोकल हिस्टोरीयन है. जगह का मुआयना कर रहा था. उसे कुछ दिखता है. सोचता हुआ वो कहता है...
रवि : "यह जगह पुरानी कहानियों से भरी हुई है. क्या तुमने यहाँ के ट्राइब सिंबल्स के बारे में सुना है? ये देखो. इस जगह हो ज़रूर कोई अभिशाप है. इनका इतिहास इतना बड़ा है जो हमें समझना होगा"
वहां पूरी दीवार जो ट्राइब सिंबल्ससे ही भरी हुई थी. प्राचीन काल में, जब मानव सभ्यताओं का विकास हो रहा था. लोगों नें अपने विश्वासों और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए प्रतीकों का उपयोग किया. ये प्रतीक आदिवासी लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए और उन्हें उनकी पहचान का अहसास कराने में मदद करने लगा. कुछ प्रतीक देवी-देवताओं, आत्माओं और प्रकृति के विभिन्न तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आदिवासी लोग अपने प्रतीकों के माध्यम से प्राकृतिक शक्तियों से जुड़ते हैं और अपनी आस्था प्रकट करते हैं.
आदिवासियों के प्रतीक न केवल ऐतिहासिक महत्व रखते हैं, बल्कि ये मॉडर्न सोसाइटी के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. ये हमें समझने में मदद करते हैं कि कैसे आदिवासी लोग अपने अनुभवों, मान्यताओं और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हैं. इन प्रतीकों के माध्यम से, हम उनकी संस्कृति की समृद्धि और डाइवर्सिटी को संजोने की कोशिश कर सकते हैं.
धनबाद और इसके आस-पास के खादानों का इतिहास स्थानीय लोगों के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है. जब नई नई फैक्ट्रीज़ के डेवलपमेंट के कारण इन जनजातियों को अपने पुराने इलाकों से बेदखल किया गया, तब उनके सांस्कृतिक प्रतीकों और अवशेषों को खदानों के अंदर पाया गया. ये प्रतीक और अवशेष न केवल उस क्षेत्र की पुरानी संस्कृति को दर्शाते हैं, बल्कि एक तरह का शापित होने का सबूत भी देते है. जो इन जनजातियों की आत्माओं के दुख और संघर्ष को चिल्ला चिल्ला कर बयान करता है.
अरविंद ने एक पल के लिए सोचा, और मन ही मन कहा...
अरविन्द: "अगर हमें यह सब कुछ समझना है, तो हमें पहले यहाँ से निकलना होगा. मुझे लगता है यहाँ कुछ अच्छा नहीं है"
वो सब मिलकर एक रास्ता ढूँढने की कोशिश करते हैं. मीना जो नेविगैटर से पता लगा रही है. सिग्नल मिलते ही बोलती हैं...
मीना: "हमें यहाँ से जाना होगा. ये रास्ता किसी दरवाज़े की तरफ जाता है”
सब लोग धीरे धीरे और आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तभी अरविंद ने कहा...
अरविन्द: "हम सबको मिलकर आगे बढ़ना होगा”
इस बार उनका विश्वास देखकर सबको हिम्मत मिलती है. खादान की अंधेरी गहराइयों में अरविंद और उसकी टीम किसी तरह बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रही थी. हर कदम के साथ उनके दिलों की धड़कन तेज़ हो रही थी. चारों तरफ़ एक अजीब सा सन्नाटा फैला हुआ था, जो कभी-कभी हल्की आवाज़ों से गूंज जाता जैसे कोई उनके आसपास चल रहा हो.
अरविंद, मीना , रवि, और बाकी टीम के सदस्य समझ नहीं पा रहे थे कि जो कुछ हो रहा है, वो असलियत है या महज़ उनका भ्रम. हर तरफ उन्हें जनजातीय प्रतीक और अजीबो-गरीब चित्र दिख रहे थे. यह प्रतीक, मानो किसी प्राचीन शाप की कहानी कह रहे थे. अरविंद डरते हुए कहता है...
अरविन्द: "हमें जल्द से जल्द यहां से बाहर निकलना होगा...ये जगह...ये जगह सुरक्षित नहीं है"
मीना जैसे ही पीछे देखती है, रवि वहां नहीं है. मीना को डाउट होता है, वो पूछती है...
मीना: "रवि कहाँ है? हमने उसे कब से नहीं देखा?
सभी लोग अपने आस पास देखते है. रवि किसी को नज़र नहीं आ रहा. भोलू ने रवि को आवाज़ भी मारी, मगर कोई जवाब नहीं आया. भोलू की नज़र जैसे ही ज़मीन की तरफ पड़ी, उसनें चौंकते हुए कहा… “ये चमकते हुए पदचिन्ह...ये कैसे...ये कोई साधारण बात नहीं हो रही है"
सबकी नज़रें रवि के पीछे छोड़े गए चमकते हुए पदचिन्हों पर जा टिकती हैं. जैसे किसी नें काली स्लेट पर चमकदार सोनें का पानी डाल दिया हो. एक डरावनी सिहरन सबके शरीर में दौड़ जाती है. रवि , जो कुछ समय पहले तक उनके साथ था, अब बिना किसी निशान के गायब हो चुका था. केवल वो चमकते पदचिन्ह उस खौफनाक अंधेरे की ओर जा रहे थे, जहाँ से शायद कोई वापस नहीं आया. अरविंद डर चूका था. घबराहट में उसनें कहा...
अरविन्द: "ये सब...ये सब क्या हो रहा है? रवि कहां चला गया? हम सब को एक साथ रहना होगा... इस खदान में कुछ बहुत अजीब है"
जैसे-जैसे टीम आगे बढ़ती है, उन्हें और ज़्यादा सिंबल्स दीवारों पर दिखाई देने लगते हैं. वो प्रतीक जिनके बारे में रवि ने कुछ बताया था. क्या ये प्रतीक सच में किसी शाप की ओर इशारा कर रहे थे? क्या यह खादानें एक प्राचीन बदले की जगह थी? अब मीना का भी कान्फिडन्स लूज़ होने लगता है. वो उन सिंबल्स को देखती हुई कहती है...
मीना : "यहां हर चीज़ में कोई न कोई संकेत है...ये पुरानें सिंबल्स...ये खदानें शायद उन्हीं की हैं. हम यहां फंस गए हैं, अरविंद"
टीम की मानसिक स्थिति धीरे-धीरे बिखरने लगी थी. हर किसी के मन में सवाल था. क्या वे लोग किसी शाप का शिकार हो रहे हैं? क्या ravi की गुमशुदगी सिर्फ एक शुरुआत थी? खदान की गहराई में छुपी ये अजीब घटनाएँ और जनजातीय प्रतीक उन्हें लगातार डर और में डाल रहे थे. अरविंद ने फिर से हिम्मत बांधते हुए कहा...
अरविन्द: "हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए...हम ये सब समझेंगे...लेकिन सबसे पहले, हमें यहां से निकलना होगा"
हिम्मत के साथ अरविंद ने टीम को आगे बढ़ाना चालू किया. जैसे ही टीम आगे बढ़ने की कोशिश करती है, उन्हें अचानक एक छिपी हुई गुफ़ा दिखाई देती है. एक बार तो सबके चेहरे शॉक्ड हो जाते हैं. गुफ़ा के अन्दर जाना तो सभी चाहते थे. वो ख़ुद को ज़्यादा देर तक रोक नहीं पाए. उन्होंने उस गुफा के अंदर वो चीजें देखी थी जो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोची थीं. प्राचीन जनजातीय प्रतीक, औज़ार, और कुछ अजीब से चमकते अवशेष.
इन प्रतीकों के माध्यम से, खदानों का वातावरण एक रहस्यमय और प्रेतात्मा से भरा हुआ अनुभव उत्पन्न करता है. जो न केवल खदान के अंदर की घटनाओं को दिलचस्प बनाता है, बल्कि इसे स्थानीय मिथकों और मान्यताओं से भी जोड़ता है. क्या ये वही शाप था, जिसके बारे में सदियों से कहानियां सुनाई जाती थी? या ये सब किसी और रहस्य की ओर इशारा कर रहा था?
क्या ये सब सिर्फ़ फैंटम का गेम है? या कोई और मिस्टिरियस फोर्सेस का काम? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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