पिंकी की कहानी से inspire हो कर मनोज ने अपना पूरा लुक चेंज कर लिया था। अब उन्हें अपना लाइफ़स्टाइल भी बदलना था, इसके लिए सबसे पहले उन्होंने पिंकी की योगा classes join की थीं। पहली क्लास खत्म होने के बाद उन्होंने पिंकी से बात की और फिर अपनी walk पूरी करने लगे लेकिन तभी उन्होंने पिंकी की चीख सुनी। वो उनकी तरफ़ भागे। उनके आने से पहले ही वहां भीड़ जमा हो गई थी। वो भीड़ को हटाते हुए आगे बढ़े। उन्होंने देखा कि उनकी ही उम्र का एक बुजुर्ग ज़मीन पर पड़ा हुआ है। वो पिंकी की योगा क्लास का मेंबर था। पिंकी उन्हें इस हालात में देख कर बेचैन होने लगी थीं। उस बुजुर्ग को देखते ही मनोज समझ गए कि ये Cardiac Arrest अटैक है। वो वहां खड़ी भीड़ को हटाने की कोशिश करने लगे लेकिन भीड़ हट ही नहीं रही थी।
उन्होंने रोती हुई पिंकी को मदद करने के लिए कहा। फिर पिंकी ने भीड़ को हटाया। मनोज उस शख्स को CPR देने लगे। कुछ कोशिशों के बाद उस शख्स को होश आ गया। मनोज ने कहा उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा। तभी भीड़ में से एक शख्स आगे आया और बोला कि वो अपनी गाड़ी निकाल रहा है तब तक सब लोग उन्हें गाड़ी तक लेकर आयें। मनोज और राजू के साथ और लोगों ने मिल कर भी पेशेंट को उठाया और गाड़ी में ले जाकर लिटा दिया। मनोज और पिंकी भी गाड़ी में बैठ गए और फिर उन्हें हॉस्पिटल जे जाया गया। उस आदमी को हॉस्पिटल में एडमिट करा के मनोज वापस लौट आए। उन्हें हॉस्पिटल में घबराहट होने लगी थी।
मनोज वापस आने के बाद भी उस शख्स के बारे में ही सोचे जा रहे थे। वो उन्हीं की उम्र का तो था। मनोज सोच रहे थे कि ये सब होने से थोड़ी देर पहले ही उन्होंने ने उसे वॉक करते देखा था और अचानक ही उसकी ऐसी हालत हो गई। उसे पार्क में Cardiac arrest आया तो सबने उसे बचा लिया लेकिन किसी दिन अगर मनोज के साथ ऐसा कुछ हुआ तो उन्हें कौन बचायेगा? किसी को पता तक नहीं चलेगा कि उनके साथ आख़िर हुआ क्या? वो यही सब बातें सोच रहे थे तब तक किसी ने उनका दरवाज़ा खटखटाया। उन्होंने दरवाज़ा खोला तो सामने पिंकी खड़ी थीं। उन्होंने दरवाज़ा खुलते ही कहा…
पिंकी(एक्साइटेड)- कमाल के इंसान हैं आप भी मनोज जी! किसी को हॉस्पिटल में admit करवाने के बाद वहां रुका भी जाता है, ऐसे भाग नहीं आता। सब मुझे अकेले ही संभलना पड़ा। नरेश जी की फैमिली अभी आई तो फिर मैं वहां से निकली। अब वो ठीक हैं।
मनोज(घबराए हुए)- नहीं पिंकी जी भाग नहीं आया था, वहां से मुझे आना पड़ा, घबराहट होने लगी थी। कुछ देर वहां रह जाता तो शायद मुझे भी भरती करना पड़ता। मैं सोच रहा था नरेश जी के साथ ऐसा पार्क में हुआ तब उन्हें सबने मिलकर बचा लिया मगर हम लोग जो अकेले रहते हैं उनके साथ कभी ऐसा हुआ तो हमें बचाने कौन आयेगा?
पिंकी(नार्मल)- पहली बात तो ऐसा सोचना ही नहीं चाहिए। आपके साथ क्यों ही होगा ऐसा? और दूसरी बात जैसे नरेश को बचाने आप आ गए वैसे ही आपको बचाने भगवान किसी ना किसी को भेज ही देंगे।
मनोज ने कहा कि उन्होंने किसी को नहीं बचाया। उन्होंने तो बस वही किया जो उस situation में करना चाहिए। पिंकी ने बताया कि डॉक्टर ने ख़ुद कहा कि अगर नरेश को सही समय पर सीपीआर नहीं मिलता तो शायद वो बच नहीं पाते। ये सुनकर मनोज को ख़ुशी हुई कि वो ज़िंदगी में पहली बार किसी के काम आए हैं। पिंकी ने उनसे पूछा कि ये उन्होंने सीखा कहाँ से? मनोज ने बताया कि उनकी जॉब में उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी गयी थी। वो लोग स्टेशन जैसी भीड़ भाड़ वाली जगह पर रहते हैं, अगर वहां किसी के साथ ऐसी situation हो जाये तो पेशेंट को हॉस्पिटल पहुंचने तक का वक्त मिल जाता है। इसलिए उन सबको ये सिखाया जाता था। पिंकी बोली कि, चलिए उनकी नौकरी ने उन्हें कुछ तो ऐसा दिया है जो दूसरों के काम आ सके। मनोज ने थोड़ा तैश में कहा ऐसी बात नहीं है, उनकी नौकरी ने और भी बहुत कुछ सिखाया है उन्हें। पिंकी ने पूछा जैसे कि? मनोज ने अपने अंदाज़ में कहा जैसे कि ‘यात्रीगण कृपया ध्यान दें, गाड़ी संख्या…” इतना सुन दोनों हँसने लगे।
कुछ देर बाद पिंकी चली गईं। मनोज अब कुछ बेहतर महसूस कर रहे थे। शाम को राजू भी घर आया था दोनों ने बैठ कर खूब बातें की। दो दिन से मनोज के मन में शराब का ख्याल भी नहीं आया था। अब राजू जब भी आता वो गिल्लू के लिए बिस्किट का पैकेट ज़रूर लाता था और गिल्लू भी उसे देख उसके आसपास घूमने लगता था। दोनों में दोस्ती हो गई थी। राजू के कपड़े देख मनोज ने कहा कि जब उसने नए कपड़े लिए हैं तो ये पुराने क्यों पहने हैं? नए कपड़े किस function के लिए रखें हैं? राजू ने उनके मज़े लेते हुए कहा उनकी शादी के लिए। इस पर मनोज ने हौले से उसे मुक्का मारा और कहा इस उम्र में लोगों का क्रिया कर्म होता है, शादी नहीं। राजू ने कहा ये उनका वहम है, वो अभी भी 40 से ज़्यादा के नहीं लगते। वो चाहें तो अभी उनसे शादी करने वालियों की लाइन लग जाएगी। मनोज इस बात पर शर्मा गए। उन्होंने बात बदलते हुए कहा कि वो पहले ये बताये नए कपड़े क्यों नहीं पहने उसने? राजू ने कहा कि इतने महंगे कपड़े पहन कर चाय बेचते वो कैसा लगेगा? उसने वो कपड़े खास मौकों पर पहनने के लिए रखें हैं। मनोज ने कहा कि वो ऐसा कैसे कह सकता है कि अच्छे कपड़े पहन कर चाय नहीं बेची जा सकती? उन्हें लगता है अगर वो ऐसा करे तो उसके ग्राहक और बढ़ेंगे, चाय तो हर जगह मिल जाती है लेकिन स्टाइलिश चाय वाला हर जगह नहीं मिलता। वो उनके कहने पर एक बार ये ट्राई कर के देखे।
राजू ने कहा लेकिन चाय बनाने में वो कपड़े गंदे हो जायेंगे। मनोज ने कहा कि कोई बात नहीं वो उसे नए कपड़े खरीद देंगे लेकिन कुछ दिन वो अपने स्टाइलिश कपड़े पहन कर चाय बेच कर देखे। राजू ने कहा लोग हसेंगे। मनोज ने जवाब दिया कि उसी ने तो उन्हें सिखाया था कि लोगों की परवाह क्यों करनी। राजू ने सोचा बात तो ठीक है उसे एक बार ऐसा करना चाहिए। इसके बाद राजू चला गया। मनोज भी खाना खा कर सो गए।
सुबह मनोज जब पार्क पहुंचे तो वहां का नज़ारा ही अलग था। कोई exercise या walk नहीं कर रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे सब मिलकर किसी का इंतज़ार कर रहे हों। उन्होंने देखा राजू ने उनकी बात मान ली थी। वो नए कपड़ों और जूतों में पहचाना ही नहीं जा रहा था। वो जैसे ही पार्क के पास पहुँचे और राजू के पास जाना चाहा वैसे ही हर कोई तालियां बजाने लगा और उनका नाम पुकारने लगा। आज सबको पता था कि मनोज देसाई कौन है। आज वो रेलवे वाले भाई साहब नहीं बल्कि मनोज थे। मनोज हैरान रह गए कि ये सब को क्या रहा है। उन्होंने राजू की तरफ़ देखा और राजू ने आँखों से इशारा किया कि उन्हें पार्क के अंदर जाना चाहिए। वो पार्क में गए, वहां पिंकी पहले से उनका इंतज़ार कर रही थीं। वो आईं और उनका हाथ पकड़ कर पार्क के बीचों बीच ले गईं। उनके इशारा करने पर एक लड़का एक छोटा सा माइक और स्पीकर ले आया। पिंकी माइक में बोलने लगीं..
पिंकी(एक्साइटेड)- दोस्तों असली हीरो वही होता है जो दूसरों के लिए अच्छा करता है और ऐसे हीरोज़ किसी भी उम्र के हो सकते हैं। जैसे कि कल हमने अपने बीच एक हीरो को देखा। हमारे हीरो मनोज देसाई जी के लिए पहले तो ज़ोरदार तालियां। जो इस बात से बेखबर हैं उन्हें पूरी कहानी नरेश जी के बेटे अतुल सुनायेंगे।
इतना कह कर पिंकी ने अपना माइक पास खड़े एक शख्स को पकड़ा दिया। ये सब सुन कर मनोज को बहुत शर्म आ रही थी। इतने लोगों के बीच उन्हें हीरो कहा जा रहा था लेकिन उनके लिए ये नया अनुभव था इसलिए उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे रिएक्ट करें? फिर भी वो हिम्मत कर के मुस्कुराते रहे। अतुल ने सबको बताया कि वो अपने पापा से बहुत प्यार करता है। वो उनके लिए कुछ भी कर सकता है। कल जब उन्हें फ़ोन आया कि उन्हें cardiac arrest हुआ है तो वो घबरा गया। जल्दी से हॉस्पिटल पहुँचा लेकिन डॉक्टर्स ने कहा कि वो खतरे से बाहर हैं। डॉक्टर्स ने बताया कि ये सब उस शख्स की वजह से हो पाया है जिसने टाइम पर उन्हें सीपीआर दिया अगर ऐसा ना होता तो नरेश बच नहीं पाते।
अतुल ने कहा कि उसे समझ नहीं आ रहा कि वो कैसे मनोज सर का शुक्रिया अदा करे। वो बस उनके पैर छू कर धन्यवाद ही दे सकते हैं। इतना कहते हुए अतुल ने मनोज के पैर छू लिए और पूरे पार्क में खड़े लोग उनके लिए तालियाँ बजाने लगे। मनोज आज इन सबके हीरो थे। उन्हें पहली बार उनकी आवाज़ से नहीं उनके चेहरे और नाम से पहचाना जा रहा था। वो बहुत खुश थे। दूर खड़ा राजू उनके लिए सबसे ज्याद तालियाँ बजा रहा था। उसका बस चलता तो वो नाचने लगता। पिंकी ने उनसे हाथ मिलाते हुए कहा कि वो ऐसे ही दूसरों के काम आते रहें। पिंकी के बाद बहुत से लोगों ने उसने हाथ मिलाया। आज वहां मौजूद सभी लोग मनोज को पहचान गए थे।
मनोज योगा क्लास और walk के बाद थोड़ी देर के लिए राजू से मिले। राजू ने उन्हें बधाई दी और मनोज ने उसकी तारीफ़ कर दी। उसके बाद मनोज वापस अपने घर लौट आए। वो बहुत ज़्यादा खुश थे लेकिन जैसे ही वो घर पहुँचे उनकी ख़ुशी एक टेंशन में बदल गई। उन्हें एक लेटर मिला था जिसे पढ़ने के बाद उन्हें बहुत ज़्यादा चिंता होने लगी थी हालांकि फिर भी वो अपने रोज़ के काम में लग गए। आज उन्होंने गिल्लू से भी कोई बात नहीं की थी। वो सोचने लगे कि उन्हें इस आने वाली मुसीबत से भला कौन और कैसे बचा सकता है? वो क्या करेंगे आगे? यही सब सोचते हुए रात हो गई थी। उन्होंने सोचा था राजू के आने पर वो इस बारे में उससे बात करेंगे लेकिन आज राजू भी नहीं आया था।
वो काफ़ी देर तक इंतज़ार करते रहे लेकिन वो नहीं आया। देखते देखते रात हो गई थी। थक हार कर मनोज ने खाना खा लिया और सोने चले गए। उन्हें नींद भी नहीं आ रही थी। तभी उनका फ़ोन बजने लगा। ये पिंकी का नंबर था, जिस दिन उनकी तबीयत ख़राब थी उसी दिन पिंकी ने उन्हें अपना नंबर देते हुए कहा था कि अगर कोई ज़रूरत हो तो उन्हें कॉल कर लें।
मनोज ने टाइम देखा तो घबरा गए कि रात के बारह बजे भला पिंकी ने उन्हें क्यों फ़ोन किया? उन्होंने फ़ोन उठाया तो उधर से पिंकी घबराते हुए बोलीं कि उनके घर में कुछ लोग घुस आए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करें। मनोज जी ये सुनकर डर गए।
क्या मनोज पिंकी को बचा पाएंगे? वो कौनसी नई मुसीबत है जो मनोज को परेशान कर रही है?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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