वरुण के आँखों के सामने, वान्या खाई में गिर गयी! उसे एक पल के लिए समझ नहीं आया कि यह हो क्या रहा था! वह बहुत डर गया था| ऐसा लग रहा था कि उसका दिल उसके शरीर से बाहर आने वाला हो| अंधेरे में, वह खाई के उसी हिस्से में वान्या को ढूंढते हुए उसे आवाज़ लगाने लगा,
वरुण – वान्या? वान्या कहाँ हो तुम? मेरी आवाज आ रही है? वान्या... !!
वरुण के काफी देर तक आवाज लगाने के बाद भी वान्या का कोई जवाब नहीं आया। अंधेरे की वजह से उसे नीचे की तरफ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था| उसे समझ नहीं आ रहा था कि अगर वान्या नहीं मिली तो वो Mister Raizada को क्या जवाब देगा? आसपास वहाँ कोई भी नहीं था उनकी मदद के लिए। Tension की वजह से उसकी आँखों से आंसू बहने लगे थे| ऊपर से अचानक बारिश भी शुरू हो गयी| वरुण बारिश में भीगते हुए वान्या को आवाज़ लगा रहा था। जब काफी देर तक वान्या की आवाज नहीं आयी तो वरुण ने लौटकर किसी की मदद लेने का फैसला किया। घर से निकलते वक्त वो अपना फ़ोन लाना भूल गया था, वरना किसी को हेल्प के लिए बुला लिया होता। तभी उसे पहाड़ों में गूँजता हुआ अपना नाम सुनाई दिया| ये आवाज वान्या की थी।
वान्या (दर्द में) – वरुण, बचाओ.. बचाओ मुझे। मैं यहाँ फंस गईं हूँ। वरुण.. हेल्प मी प्लीज़!
आवाज से लग रहा था कि वान्या ज्यादा नीचे नहीं है लेकिन वो दर्द में है। वरुण आवाज को फॉलो करते हुए सड़क के किनारे ढलान पर धीरे धीरे उतारने लगा। आसपास ज़्यादा रोशनी तो नहीं थी लेकिन जितनी भी थी, वरुण ने उसी रोशनी में हिम्मत कर के नीचे उतरने की कोशिश की। उसने वान्या को आवाज लगायी,
वरुण – वान्या डरना मत, मैं यहीं पर हूँ| मैं बस आ रहा हूँ नीचे। तुम हिलना मत… stay there!
वान्या (दर्द में) – वरुण, मैं यहां झाड़ियों में फंसी हूँ। आई कांट सी एनीथिंग। प्लीज़ जल्दी आ जाओ, मुझे बहुत डर लग रहा है।
वरुण अपनी जान की परवाह किये बिना आगे बढ़ रहा था। तभी उसे अपनी येलो जैकिट नज़र आई जो उसने वान्या को पहनाई थी। गौर से देखने पर वरुण को नज़र आया कि वान्या झाड़ियों के बीच फंसी हुई थी। उन झाड़ियों की वजह से शायद वान्या बच गयी। वरुण ने हिम्मत कर के वान्या को अपना हाथ पकड़ाया और उसे अपने पास खींच लिया। वान्या इतनी बुरी तरह से डरी हुई थी कि उसने वरुण को हग कर लिया और काफी देर तक वो वैसे ही रही।
वरुण – It’s ok! चुप हो जाओ वान्या| देखो मैं आ गया हूँ ना| अब तुम्हें कुछ भी नहीं होगा| रोना बंद करो।
वान्या इतना ज्यादा डरी हुई थी कि वो वरुण को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी| वरुण ने जैसे तैसे उसको खुद से दूर किया| अब समस्या ये थी कि बारिश तेज़ हो गई और उन दोनों को ढलान चढ़कर सड़क तक पहुंचना था, और वह भी रात के गहरे अंधेरे में! वरुण ने दिमाग लगाया और वान्या से कुछ देर वहीं वेट करने के लिए कहा क्योंकि अगर वो दोनों सड़क पर वापस लौटने की कोशिश करते तो बारिश की वजह से फिसलकर खाईं में गिर सकते थे। वरुण और वान्या वहीं झाड़ियों के पास ही बैठ गए।
वरुण (डांटते हुए) - तुम्हें क्या जरूरत थी भागने की? मैं तुमको कितनी बार मना कर रहा था लेकिन तुम्हें तो छोटे बच्चे की तरह मस्ती सूझ रही थी| अब देखो उस मस्ती का क्या अंजाम मिला तुमको? अभी नीचे खाई में गिर जाती तो? वान्या, तुम इतनी समझदार होकर इतनी बड़ी बेवकूफी कैसे कर सकती हो? हमें पहाड़ी रास्तों पर सावधानी बरतनी चाहिए| यहाँ पर रात के वक्त जंगली जानवर भी आते है| अब जब तक बारिश बंद नहीं हो जाती हम कहीं नहीं जा सकते|
वान्या (कंपकंपाते हुए) – Sorry वरुण| मेरी वजह से तुम्हें तकलीफ उठानी पड़ रही है| मुझे तो पापा की tension हो रही है।
वान्या ने कांपते हुए कहा| वरुण ने देखा कि वान्या ठंड की वजह से कांप रही है| वो सोचने लगा कि अगर वान्या इसी तरह बारिश में भीगती रही तो बीमर पड़ जाएगी| वान्या के बाल बिखरे पड़े थे| वरुण उसके बालों को पीछे करने लगा| जैसे ही वरुण की उँगलियाँ वान्या के चेहरे को टच हुई उसके बदन में एक करंट सा दौड़ने लगा| वरुण उसके बाल बांधने लगा| बाल बांधते वक्त वान्या वरुण की साँसों की गर्माहट अपनी गर्दन पर महसूस कर पा रही थी| वान्या ने अपनी आँखें बंद कर ली और एक अलग ही दुनिया में खो गयी| ऐसी दुनिया जहाँ सिर्फ वो और वरुण ही थे| वरुण ने फिर वान्या का मुंह अपने हाथों से पोंछा और उसके आगे बैठ गया ताकि वान्या ज्यादा ना भीगे| वान्या सिर्फ उसे देखे जा रही थी और सोच रही थी कि वरुण खुद भीग कर उसे बारिश के पानी से बचा रहा है| अचानक से वान्या छींकने लगी| वरुण ने उसका हाथ पकड़ा जो काफी ठंडा था|
वरुण (परेशान होकर) – वान्या तुम्हारे हाथ कितने ठंडे पड़ गए हैं| ऐसे तो तुम बीमार पड़ जाओगी। तुम इतनी ज़िद्दी क्यों हो? दूसरे की बात भी कभी कभी मान लिया करो।
वान्या के शरीर में गर्माहट लाने के लिए वरुण उसे डांटते हुए, उसके हाथ को अपने हाथ से रगड़ने लगा। ऐसा करने से वान्या बेहतर महसूस कर रही थी। वान्या को सेफ रखने के लिए वरुण हर मुमकिन कोशिश कर रहा था। इस समय वो उसकी जिम्मेदारी थी। वान्या जब गिरी तो वह काफी डर गई थी, लेकिन अब वरुण के साथ होने से उसके मन से डर चला गया था। उसे वरुण पर पूरा भरोसा था कि वह किसी भी तरह उसे बचा ही लेगा।
वान्या, वरुण पर से अपनी नजर हटा ही नहीं पा रही थी। उसके मन में वरुण के लिए एक अलग feeling थी, लेकिन वह खुद भी समझ नहीं पा रही थी कि यह कैसी फीलिंग है? आज से पहले उसने किसी लड़के के लिए कुछ भी फील नहीं किया था।
वान्या अपनी फीलिंग्स को समझ तो नहीं पा रही थी, लेकिन उसे वरुण के आसपास रहकर अच्छा लग रहा था। बारिश रुकने के बाद वरुण ने घड़ी में समय देखा, तो रात के तीन बज गए थे। ठंड बढ़ने लगी थी, और दोनों को जल्द ही वहां से निकलना था। वरुण ने वान्या को अपने कंधे पर बिठाया और उसे ऊपर चढ़ने में मदद करने लगा।
वान्या एक बड़े से पत्थर को पकड़कर चढ़ने की कोशिश करने लगी। किसी तरह वह रोड पर चढ़ गई, लेकिन वरुण के लिए ऊपर चढ़ना बहुत मुश्किल हो रहा था। वान्या अपने चारों ओर मदद के लिए देखने लगी, लेकिन आसपास कोई नहीं था।
वान्या को खुद ही कुछ करना था। तभी उसे वरुण की जैकेट का ख्याल आया। उसने तुरंत जैकेट निकाला और उसका एक हिस्सा वरुण की ओर फेंका।
वान्या – वरुण, जैकेट पकड़कर ऊपर आ जाओ। मैंने यहां से जैकेट की दूसरी साइड पकड़ी हुई है।
वरुण – नहीं वान्या, अगर मैंने जैकेट पकड़ा, तो तुम भी नीचे आ जाओगी। हमें कुछ और सोचना होगा।
वरुण ने वान्या के idea को नकार दिया। वह सोचने लगी कि वह किस तरह से वरुण को ऊपर ला सकती है। तभी उसे एक नया तरीका सूझा। उसने जैकेट को एक पत्थर से बांध दिया, ताकि वह मजबूत पकड़ बना सके।
वरुण को डर लग रहा था कि अगर जैकेट खुल गया, तो वह वापस नीचे गिर सकता है, लेकिन उसके पास और कोई option नहीं था। वह सुबह तक वहां नहीं बैठ सकता था। उसके घुटने में लगी चोट का दर्द बढ़ता जा रहा था, और खड़ा रहना भी मुश्किल हो रहा था।
वरुण ने आखिरकार जैकेट पकड़ा और ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा। उसे काफी जोर लगाना पड़ रहा था। कुछ देर बाद, वरुण बड़ी मुश्किल से रोड पर आ गया। उसे सामने देखकर वान्या ने चैन की सांस ली और दौड़कर वरुण के गले लग गई।
वरुण (डांटते हुए) – वान्या, ये क्या बेवकूफी है? तुम इतनी बड़ी लापरवाह कैसे हो सकती हो? अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो?
वान्या को वरुण की डांट का बिल्कुल भी बुरा नहीं लग रहा था। वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि उन दोनों के सिर से मुसीबत हट चुकी थी| वो दोनों वापस घर की ओर निकल पड़े। वापसी में उन्हें समझ आया कि वो काफी दूर निकल आए थे। वरुण के घुटनों में चोट की वजह से दर्द हो रहा था।
वरुण (दर्द में) – वान्या, मुझ से बिलकुल चला नहीं जा रहा|
वान्या वरुण को दर्द में देख कर पैनिक करने लगी। वान्या सोचने लगी कि वरुण को वापस घर कैसे ले जाए| अगर Mister Raizada उठ गए तो वो भी उन दोनों को अपने पास ना देखकर परेशान होने लगेंगे| वरुण की तबीयत अचानक ही बिगड़ने लगी। ठंड की वजह से वो कांप रहा था और देखते ही देखते वो बेहोश हो गया। वान्या के तो होश ही उड़ गए। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वो अकेले उस सुनसान रास्ते पर वरुण की हेल्प कैसे करे?
क्या वान्या वरुण को सही सलामत वापस घर ले जा पाएगी? क्या वान्या वरुण के लिए अपनी फीलिंग्स कभी एक्सेप्ट करेगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
No reviews available for this chapter.