जब हम लाइब्रेरी की बात करते हैं, तो हमारे मन में कई चीज़ें आती हैं। जैसे किताबों की खामोशी, वो पुरानी किताबों की खुशबू, और शांति। हम उस लाइब्रेरी के बारे में सोचते हैं जहां का हर कोना एक नई जानकारी से भरा है।

यही लाइब्रेरी ऐसी हो जो सबकी कल्पना से परे हो तो? वह एक ऐसी जगह हो, जो शांति से दूर हो और जहां कदम रखते ही आपको महसूस हो कि कुछ गलत होने वाला है, तो?

हमारे चारों किरदार आ पहुंचे हैं एक ऐसी ही रहस्यमयी लाइब्रेरी में। जहां हर तरफ अंधेरा छाया हुआ है, जैसे खुद वक्त यहाँ आकार ठहर गया हो।

एक साया जो अभी तक उनकी तरफ बढ़ रहा था वो अब अँधेरे में कहीं खो गया है। वो सब आगे-पीछे देखते हैं, बिलकुल जैसे हॉरर फिल्मों में सामने से आता हुआ भूत जब गायब हो जाऐ, तो सबसे ज़्यादा डर तब ही लगता है क्योंकि अब सवाल ये है की अगर वो आँखों के सामने नहीं तो आखिर है कहाँ?

चारों लोग—अंश,अनीशा, राघव और सक्षम—लाइब्रेरी के अंदर बेचैन हैं। हर कदम के साथ उनकी सांसें तेज़ हो रही हैं।

अनीशा"वो परछाई? कहा गयी? कहीं दिख नहीं रही? क्या और लोग भी हैं हमारे जैसे?”

अंश- “मुझे लगता है राघव जी सही कह रहे थे, वो एक भ्रम था।  हमें आगे बढ़ना चाहिए। ”

ये सुनते हुए भी ऐसा लग रहा है जैसे अंश खुद अपने शब्दों से खुद को हौसला दे रहा हो। जंगल से आते हुए वे अब लाइब्रेरी के एहम हिस्से में पहुंच चुके हैं। जहां तक उनकी आंखें देख सकती हैं, वहां तक सिर्फ शेल्फ़ों की लंबी कतारें और उन पर धूल से ढकी किताबें दिखाई दे रही हैं। 

सक्षम: “यहां का माहौल कुछ ठीक नहीं लग रहा। ऐसा लग रहा है जैसे कोई हमें देख रहा हो।”

अनीशा: “हां, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। ऐसा सब सिर्फ फिल्मों में ही देखा है मैंने।”

चारों के कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। अचानक, अनीशा का हाथ एक भारी किताब से टकराता है और किताब नीचे गिरने की आवाज़ आती है। सभी एक पल के लिए घबरा कर रुक जाते हैं।

अनीशा अपने हाथ को मलते हुए गिरी हुयी किताब की तरफ देखती है, जो देखने में बेहद खूबसूरत लगती है। बिलकुल वैसी, जैसी बचपन में स्टैशनरी की दुकानों पर कार्टून वाली डायरी दिखा करतीं थीं।

देखते ही देखते उसकी खूबसूरती अचानक गायब होने लगती है। सुनहरे रंग की किताब अब बिलकुल खून के गाढ़े लाल रंग में बदल रही है। 

किताबों की इस अजीब दुनिया में कदम रखते ही, उन्हें एहसास हुआ कि ये सिर्फ साधारण किताबें नहीं हैं। हर किताब में एक रहस्य छिपा है, जो उनका सामना करने के लिए इंतजार कर रहा है। लेकिन चारों अभी ये नहीं जानते हैं कि उन्हें किन सब चीज़ों का सामना करना पड़ेगा।

उनके कानों में हल्की फुसफुसाहट सुनाई देने लगती है, ज़ों अब धीरे-धीरे तेज़ हो रही हैं, मानो किसी अनजानी भाषा में उनका नाम पुकारा जा रहा हो। चारों एक-दूसरे की ओर देखते हैं, उनके चेहरों पर डर साफ झलक रहा है।

अंश: क्या तुमने भी सुना? या ये सिर्फ मेरी कल्पना थी?”

राघव: “कुछ नहीं है अंश, तुम्हारा दिमाग बस इसको एक फिल्म की तरह देख रहा है और कुछ नहीं। ज़्यादा सोचो मत जिस काम के लिए आए हैं उसको करके निकलते हैं।”

वो तीनों जैसे राघव की बातों को सुन कर खुद को हौसला दे रहे हैं। आखिर साइंस की तरक्की और सोच के आगे किसी की चल सकती है? 

लाइब्रेरी के गहरे, धुंधले कोने में कुछ हलचल होती है। एक बार फिर से एक हल्की परछाई वहां से उभरने लगती है—पहले तो वह धुंधली थी, लेकिन जैसे-जैसे वो परछाई हिलती है, उसका आकार बदलने और साफ़ होने लगता है।

कमरे का टेम्परेचर अचानक गिरने लगता है। अंश के पैर अनजाने में पीछे की ओर खिसकने लगते हैं, और सक्षम का दिल तेजी से धड़क रहा है। 

परछाई अब धीरे-धीरे और स्पष्ट होने लगी है। ये कोई साधारण आकृति नहीं है। 

ये लाइब्रेरियन है—एक रहस्यमयी व्यक्ति, जैसे किसी दूसरी दुनिया से आई हुयी कोई रहस्यमयी आत्मा। उसने कदम बढ़ाए, हर चाल में एक अनोखी स्थिरता है, जो आसपास की हवा को और भी भारी बना रही है।

लाइब्रेरियन का रूप अब साफ दिख रहा है, लेकिन फिर भी उसकी सूरत पूरी तरह से दिखाई नहीं दे रही है। उसकी छाया ने चारों को घेर लिया है, और उसकी ठंडी, गूंजती हुई आवाज़ हवा में तैरने लगती है।

लाइब्रेरियन: “तुम्हें यहां इसलिए बुलाया गया है, क्योंकि यहां हर एक का सबसे बड़ा पछतावा छिपा है।”

चारों किरदार अब पूरी तरह से चौकन्ने हो गए हैं। वो एक-दूसरे की ओर देख रहे हैं, और Librarian की बातें उन्हें और भी उलझन में डाल रही हैं।

सक्षम: “तुम कौन हो?”

लाइब्रेरियन की परछाई अब और घनी हो चुकी है।

लाइब्रेरियन: “मैं... इस लाइब्रेरी की लाइब्रेरियन हूँ और तुम यहां इसलिए हो, क्योंकि अतीत का हिसाब किताब यहां इस लाइब्रेरी में होगा।”

चारों किरदार उस परछाई को ध्यान से देख रहे हैं, लेकिन उसकी सूरत अब भी धुंधली और रहस्यमयी है। उनके दिमाग में अनगिनत सवाल उमड़ रहे हैं, लेकिन वो डर के मारे कुछ भी बोलने से डर रहे हैं।

अनिशा: “तो हमें... अपने अतीत का सामना करना होगा? लेकिन कैसे?”

लाइब्रेरियन: “यहाँ की कुछ किताबों में तुम्हारी ज़िंदगी का सबसे बड़ा पछतावा लिखा है। तुम्हें उसे पढ़ना होगा, उसे समझना होगा। फिर तुम्हारे सामने कुछ चुनौतियां रखी जाएंगी अगर तुम उनमें सफल हुए तो तुम अपने अतीत से पीछा छुड़ा पाओगे।लेकिन याद रखना... अगर तुम अपनी गलतियों का सामना नहीं कर पाए...”

राघव: “तो?”

लाइब्रेरियन: “तो ये लाइब्रेरी तुम्हें हमेशा के लिए अपने अंदर कैद कर लेगी।”

लाइब्रेरियन की बात खत्म होते ही, उसकी परछाई धीरे-धीरे अंधेरे में घुलने लगती है। उसकी गूंजती हुई आवाज़ अब भी चारों के कानों में बज रही है। 

लाइब्रेरियन अब गायब हो चुकी है, लेकिन उसकी चेतावनी अभी भी हवा में गूंज रही है। चारों एक-दूसरे की ओर देख रहे हैं, उनकी आँखों में डर और उलझन साफ झलक रही है। हर एक की सांसें थमी हुई हैं, जैसे सब कुछ रुक गया हो। उनके दिल और तेज़ी से धड़कने लगे।

अंश: "क्यों डॉक्टर साहब? आपकी बायोलॉजी क्या कहती है?"

राघव चुप है उसके पास कोई जवाब नहीं।

यहां मौजूद किताबों में उन चारों की ज़िंदगी की कुछ ऐसी यादें छिपी हैं, जिनको वो हमेशा अपने मन के सबसे गहरे कोने में दफन कर देना चाहते थे। अब वही यादें उनके सामने जीवित होने वाली हैं।

राघव: “मुझे लगा था लाइब्रेरियन आदमी होगा। मतलब वो फ़ोन की आवाज़ से”

अनीशा उसकी बात सुनकर एक अजीब सा मुह बनाती है जैसे उसने पता नहीं क्या सुन लिया हो। ये कोई नयी बात तो नहीं थी – आदमी का ये सोचना की ऐसी लाइब्रेरी का लाइब्रेरियन कोई आदमी ही होगा, लेकिन उसके जैसा पढ़ा लिखा आदमी ये सोचता है, शायद उससे अनिशा को दिक्कत हुई।

अनीशा: “वाह डॉक्टर! इसका मतलब आपने अभी तक सिर्फ मेल नर्सेस और डॉक्टर्स के साथ ही काम किया है अपनी लाइफ में।

राघव शर्म के मारे कोई जवाब नहीं देता। 

अब चारों के सामने दो ही रास्ते बचे हैं—या तो वे अपनी सबसे गहरी, सबसे छुपी हुई गलतियों का सामना करें, या फिर इस अजीब और रहस्यमयी लाइब्रेरी में हमेशा के लिए फंस जाएं। यह फैसला लेना इतना आसान नहीं है। 

यह किसी साधारण डर का सामना नहीं है, बल्कि उन भयानक पलों से दोबारा गुजरने जैसा है, जिनसे वे भागते-भागते थक चुके हैं।

वे अलग-अलग दिशाओं में किताबों की शेल्फ़ों की ओर बढ़ने लगते हैं, लेकिन उनकी चाल में एक झिझक है, जैसे हर कदम उन्हें किसी अनजानी गहराई की ओर खींच रहा हो।

सक्षम ने घबराते हुए एक किताब को उठाने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन उसकी उंगलियों के छूते ही, किताब का कवर झटके से खुल जाता है, और अंदर के पन्ने एक बवंडर की तरह पलटने लगते हैं, मानो उन्हें रोक पाना अब मुमकिन नहीं है।

राघव भी कुछ ऐसे ही अपनी किताब की तलाश में है, उसे महसूस होता है की उसे किसी ने बुलाया।राघव ने अचानक तेज़ी से मुड़कर पीछे देखा, जैसे किसी ने उसे पुकारा हो, लेकिन वहाँ सिर्फ हवा की फुसफुसाहट और हिलती हुई शेल्फ़ें हैं।

अनीशा ने अपने हाथों से एक किताब को उठाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने छुआ, उसकी उँगलियों के नीचे एक हल्का सा कंपन महसूस हुआ, मानो किताब में कोई अदृश्य ताकत हो।

अनीशा: “अगर हमें अपनी गलतियों का सामना करना है, तो हमें तैयार रहना होगा। लेकिन क्या मैं सच में उस दिन का सामना कर पाऊंगी?”

अनीशा एक पुरानी, धूल भरी किताब उठाती है, और उसकी सांसें तेज़ हो रही हैं। अनीशा के लिए, वो किताब उस दिन को लेकर आने वाली है, जब उसने अपनी बेटी को छोड़ने का फैसला किया था।

राघव के लिए वो किताब वो भयानक दिन लेकर आने वाली है , जब उसकी एक छोटी सी गलती ने एक मासूम बच्चे की जान ले ली थी।

अंश, जो कभी अपने नशों और अहंकार में डूबा हुआ था, आज अपने टूटे हुए करिअर और बिखरी हुई जिंदगी की दास्तान पढ़ने से डर रहा है।

सक्षम की किताब में वो गलत निर्णय बंद है, जिस दिन वो करप्शन में पकड़ा गया था।

हर एक किताब में सिर्फ कहानियां नहीं , बल्कि उनकी ज़िंदगी की असलियत है।

वो सब जैसे ही किताबें उठाने लगते हैं वैसे ही अचानक दीवारों पर लगी शेल्फ़्स से एक तेज़ आवाज़ आती है, और एक हल्की परछाई फिर से दिखाई देती है।

अंश: “ये... ये आवाज़ फिर से आ रही है। क्या तुमने भी सुना?”

सक्षम: “हां, शायद ये लाइब्रेरी हमें कुछ बताने की कोशिश कर रही है।”

अचानक, कमरे में एक और आवाज़ गूंजती है—एक धुंधली फुसफुसाहट, जो दीवारों से टकराकर लौटती है।

लाइब्रेरियन: “तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है। अगर तुमने अपनी गलतियों का सामना नहीं किया, तो ये लाइब्रेरी तुम्हें हमेशा के लिए अपनी कैद में ले लेगी।”

चारों किरदार एक पल के लिए ठिठक जाते हैं। लाइब्रेरियन की परछाई पूरी तरह से गायब हो चुकी है, लेकिन उसकी चेतावनी अब भी सब जगह गूंज रही है।

लाइब्रेरियन की आखिरी चेतावनी ने चारों के दिलों में डर को और गहरा कर दिया है। वो अब समझ चुके हैं कि उन्हें जल्द से जल्द अपनी गलतियों का सामना करना होगा, वरना वो इस लाइब्रेरी में हमेशा के लिए फंसे रह जाएंगे।

क्या ये सब इस लाइब्रेरी में अपने सबसे बड़े पछतावे का, गलतियों का सामना कर पाएंगे?

 या लाइब्रेरियन की दी हुई वार्निंग सच हो जाएगी? 

आगे क्या होने वाला है जानेंगे अगले चैप्टर में!

Continue to next

No reviews available for this chapter.