“रेबेका, रेबेका!” मेल्विन चिल्लाता हुआ ट्रेन के दरवाजे पर पहुंचा लेकिन तब तक रेबेका अपनी फ्रेंड्स के साथ प्लेटफार्म से दूर निकल गई थी। 

“क्या हुआ मेल्विन, तुम रेबेका को क्यों बुला रहे हो?” पीटर ने मेल्विन को परेशान देखकर पूछा। 

मेल्विन पीटर को कुछ भी कहने से पहले थोड़ी देर के लिए रुका। फिर उसने कहा, “मुझे रेबेका से कुछ बात करनी थी। उसके ट्रेन से उतरने पर मुझे ये बात याद आई।”

“वाह मेल्विन, कितनी देर तक वो तुम्हारे सामने बैठी रही लेकिन तुमने उसे कोई बात नहीं की। लेकिन जब वो चली गई तो तुम्हें बात करनी की सूझी है।” पीटर ने मुस्कुराते हुए कहा, “वैसे बात क्या करनी थी तुम्हें?” 

“थी कुछ बात। जाने दो, ये इतना इंपॉर्टेंट भी नहीं था।” मेल्विन ने कहा और फिर चुपचाप उसने वो लेटर अपने बैग में रख लिया।

“क्या हुआ मेल्विन, तुमने रेबेका से कुछ बात नहीं की?” लक्ष्मण ने उसके पास आते हुए पूछा। 

“आज कोई टॉपिक ही नहीं मिला। मैं चाहता तो था उससे बात करना लेकिन शायद उसे ही मुझसे बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी।” मेल्विन ने उदास होते हुए कहा।

“कोई बात नहीं। मेरे पास एक और धांसू आईडिया है। अगर तुम कहो तो मैं तुमसे शेयर करूं।” लक्ष्मण ने कहा। 

“अब क्या नया पैंतरा बताने वाले हो तुम लक्ष्मण?” वहीं खड़े पीटर ने लक्ष्मण से पूछा।

“ये मेल्विन के काम का है पीटर। तुम्हारे काम का नहीं। तुम्हें वैसे भी मेरी सलाह की जरूरत नहीं है। हम सब ने देखा, तुम डायना को कैसे अपनी बातों में घुमा रहे थे।”

“क्या मतलब मैं उसे अपनी बातों में घुमा रहा था लक्ष्मण? क्या हमारी बातचीत तुमने सुनी थी? तुम इतने दूर बैठे थे और हम काफी धीमी आवाज में बातचीत कर रहे थे।”

“नहीं पीटर, इस तरह की बातें सुनने की जरूरत नहीं पड़ती। बस आपकी आंखों के भाव ही बता देते हैं कि क्या खिचड़ी पक रही है। बाकी तुम दोनों ने क्या बातें की वो तो मेल्विन ही जानता है। ये काफी गौर से तुम दोनों की बातें सुन रहा था।”

पीटर ने जब लक्ष्मण के मुंह से ये सुना तो उसने घूरते हुए मेल्विन को देखा। 

“क्या सचमुच तुम हमारी बातें सुन रहे थे मेल्विन? ये तो बहुत बुरी बात है। किसी की बातें इस तरह सुननी नहीं चाहिए मेल्विन!”

“मैं तुम दोनों की बातें नहीं सुन रहा था पीटर। तुम दोनों जो बातें कर रहे थे वो मेरे कानों तक अपने आप आ रहे थे। अब मैं अपने कान बंद करके तो खड़ा नहीं हो सकता था न। जहां तक मुझे लगता है रेबेका और उसकी दूसरी फ्रेंड भी तुम दोनों की बातें सुन रही थी। हमारी सारी बातें तुम जान लेते हो पीटर लेकिन अपने बारे में तुम हमें कुछ भी नहीं बताते। आखिर तुम दोनों को क्या बातें कर रहे थे?” 

“ऐसी बात नहीं है मेल्विन। मैं तुम्हें ये बात बताने वाला था। लेकिन अभी नहीं बल्कि परसों सुबह। मैं चाहता हूं कि ये सब कुछ हो जाने के बाद मैं तुमसे शेयर करूं। ऐसी बातें लीक कर देने से सब गड़बड़ हो जाता है।” पीटर ने कहा। 

“तुम ऐसा क्या कर रहे हो जो इसके लीक होने का तुम्हें डर है?” मेल्विन ने पूछा, “देखो, डायना की फीलिंग्स के साथ तो मत खेलना। वो अभी-अभी मुंबई आई है। अगर तुमने उसे दुख पहुंचाया तो रेबेका को भी दुख पहुंचेगा। रेबेका को दुख पहुंचेगा तो फिर बात मुझ तक भी आएगी पीटर इस बात का तुम ध्यान रखना।”

“मैं ऐसा कुछ भी नहीं कर रहा हूं जिससे डायना को तकलीफ हो। ये मेरा अपना तरीका है किसी लड़की को अपना प्यार जाहिर करने का।” पीटर ने कहा। 

“जरा ये तरीका तुम हमें भी बताओगे पीटर?” लक्ष्मण ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।

“क्यों, मैं तुम्हें अपना तरीका क्यों बताऊं लक्ष्मण?” पीटर ने गुस्से में पूछा।

“अगर तुम्हारा तरीका गलत नहीं है पीटर तो फिर तुम्हें बताने में क्या प्रॉब्लम है?” मेल्विन ने भी पूछा, “आखिर मैं तुम्हें कोई बात बताने से नहीं झिझकता तो तुम क्यों झिझक रहे हो।”

“मेल्विन, तुम इसकी बातों में मत आओ। मुझे कोई भी बात तुमसे शेयर करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है।” पीटर ने कहा, “लेकिन मैं लक्ष्मण के सामने अपनी कोई भी बात नहीं कहना चाहता। वो बात तो बिल्कुल भी नहीं जो भी अधूरी है।”

“तुम्हारा मुझ पर इतना यकीन न करने की वजह क्या है पीटर?” लक्ष्मण ने पूछा, “मैंने कभी भी तुम्हें नीचा दिखाने की कोशिश नहीं की। न ही हमारे बीच ऐसी कोई बहस हुई है जिसका तुम इतना बुरा मानो। हां, मैंने मेल्विन के मामले में हमेशा बोला है। तुम्हारे बारे में तो मैंने कभी कुछ नहीं कहा पीटर। फिर तुम मुझ पर क्यों इतना भड़के हुए हो?”

“मैं आदमी की नियत जानकर उससे बातचीत करता हूं लक्ष्मण। तुम्हारे नियत में मुझे हमेशा खोट दिखाई देता है। तुम्हें लगता है कि तुम्हारी राय हर मामले में सही होती है। ऐसा नहीं है। फिर तुम्हें न जाने क्यों बिना बात के दूसरे से जलन भी होने लगती है। बात करने की तमीज भी तुम भूल जाते हो।” पीटर ने लक्ष्मण की कमियां बनाते हुए उससे कहा। 

“तुम भी कोई दूध के धुले नहीं हो पीटर। अगर होते तो एक छोटे से सवाल का जवाब देने से पहले इतना रायता नहीं फैलाते।” लक्ष्मण ने कहा।

“मुझे तुम्हारे सामने रायता, पालक पनीर, मटर पनीर कुछ भी नहीं फैलाना लक्ष्मण।” पीटर ने चिढ़ते हुए कहा। इससे पहले कि ये टॉपिक और लंबा खींचता डॉक्टर ओझा और रामस्वरूप जी वहां आ गए।

“क्या बात है, तुम लोग किस बात को लेकर इतना बहस कर रहे हो?” डॉक्टर ओझा ने पूछा।

इन दोनों के आते ही उनकी बहस बंद हो गई थी। 

“मेल्विन, राम स्वरूप जी ने तुम्हें खुशखबरी दी कि नहीं?” डॉक्टर ओझा ने मुस्कुराते हुए रामस्वरूप को देखकर पूछा।

“खुशखबरी! कैसी खुशखबरी?” मेल्विन उत्साहित होते हुए पूछा। 

“अगले महीने लक्ष्मण की शादी है। ये कार्ड छपवाना चाहते हैं। मेरी मदद मांग रहे थे। मैंने उन्हें तुम्हारा नाम सजेस्ट किया है। तुम इनकी थोड़ी मदद कर दो।” डॉक्टर ओझा ने कहा।

“अरे, ये तो बहुत अच्छी खबर है। कंग्रॅजुलेशन लक्ष्मण। बताओ, तुम्हारी शादी फिक्स हो गई और तुम यहां पीटर से बहस करने में लगे हुए हो। तुमने हमें पहले क्यों नहीं बताया?” मेल्विन ने पूछा।

“इसमें बताने वाली वो कौन सी बात है मेल्विन? वैसे भी कार्ड मिलने पर सबको मालूम चल ही जाता।” लक्ष्मण ने कहा। 

“तुम क्या इस शादी को लेकर खुश नहीं हो?” मेल्विन ने पूछा तो रामस्वरूप जी लक्ष्मण का जवाब सुनने के लिए उसकी ओर देखने लगे। लक्ष्मण ने जब इसका को जवाब नहीं दिया तो रामस्वरूप जी ने कहा —

“ये सवाल मत पूछो मेल्विन। लड़की लक्ष्मण की पसंद की ही है। दोनों कॉलेज के समय के फ्रेंड है। लव अरेंज है ये शादी।” राम स्वरूप जी ने बताया तो मेल्विन ने लक्ष्मण को गले लगा लिया।

“तुम तो गजब छुपे रुस्तम निकले लक्ष्मण। तुम कॉलेज के समय से प्यार में हो और तुमने हमें इसकी भनक भी नहीं लगने दी। तुमने तो पीटर और मुझे भी मात दे दी।”

“अब ये ट्रेन में डिस्कस करने वाली बात तो है नहीं मेल्विन, जो मैं तुम सबको बताता। हर चीज के जानने का एक वक्त होता है। जब मेरी लव स्टोरी के बारे में जानने का वक्त आया तो देखो, तुम्हें अपने आप मालूम चल गया।”

“अब समझ में आया लक्ष्मण की किसी के बारे में जानने के लिए इतना उतावला नहीं होना चाहिए।” पीटर ने मुस्कुराते हुए लक्ष्मण को ताना मारा, “बेकार में तुम मुझसे बहस कर रहे थे। जबकि मैं अभी अपने दिल की बात किसी को नहीं बताना चाहता। सबकी अपनी प्राइवेसी और सोच होती है लक्ष्मण। उसमें किसी को सेंध नहीं लगाना चाहिए।”

“इसका मतलब यहां मैं ही हूं जो अपनी प्राइवेसी की कदर नहीं करता। मैं हर चीज तुमसे शेयर करता हूं पीटर। शायद इसलिए मैं इस रेस में सबसे पीछे हूं।”

“ये तुम्हारा सोचने का नजरिया है मेल्विन। जिससे मैं बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखता। तुम अपनी बातें इसलिए शेयर करते हो क्योंकि तुम्हें मदद की दरकार होती है। मैं अपनी बात इसलिए शेयर नहीं कर रहा हूं क्योंकि मुझे लगता है कि मैं इसे अकेले हैंडल कर सकता हूं। जब मुझे मदद की जरूरत होगी तो मैं जरूर अपनी बात शेयर करूंगा। लेकिन लक्ष्मण को तो सबसे पहले हमें अपनी शादी की बात बतानी चाहिए थी।” 

“अब तुम लोग ये बहस करो मेरा स्टेशन आने वाला है। मैं तो चलता हूं।” डॉक्टर ओझा ने अपना बैग संभालते हुए कहा तो रामस्वरूप जी मुस्कुराने लगे।

“मुझे इस टॉपिक पर कोई बहस नहीं करनी।” लक्ष्मण ने कहा। 

“हां हां, तुम अपने टॉपिक पर क्यों बहस करने लगे लक्ष्मण। तुम अगर अपने मामले में बहस करने लगो तो लक्ष्मण क्यों कहलाओगे।” पीटर ने तंज किया तो लक्ष्मण पर गुस्सा करने लगा। वो बोला, “क्यों तुम मेरे पीछे हाथ धोकर पड़े हो पीटर। मैं यहां मेल्विन से बात करने आया था लेकिन तुम हमेशा बीच में टांग अड़ा देते हो।”

“टांग मैं नहीं, तुमने अड़ाया है लक्ष्मण। मैं मेल्विन से कुछ सवाल कर रहा था लेकिन बीच में तुम आ गए।” पीटर ने कहा, फिर मेल्विन से मुखातिब होते हुए बोला, “रेबेका को आवाज दे रहे थे तुम। जरूर कोई खास बात होगी मेल्विन। तुमने भी ये बात न बात कर एक तरीके से अपनी प्राइवेसी ही रखी है।”

“क्यों, मुझे इसका हक नहीं है क्या पीटर?” मेल्विन ने पूछा, जब डॉक्टर ओझा ट्रेन के रुकने पर नीचे उतर रहे थे।

“है, बिल्कुल है।” पीटर ने मुस्कुराते हुए कहा।

ऑफिस पहुंचने पर भी मेल्विन के दिमाग में वही लेटर घूम रहा था। लिफाफे के ऊपर लिखे नाम को भी मेल्विन ने पढ़ना ठीक नहीं समझा। प्राइवेसी शब्द अब भी उसके दिमाग में ताजा थी। 

“हेलो मेल्विन, कैसे हो तुम?” महेश ने उसे देखते ही पूछा। 

“हेलो महेश, मैं ठीक हूं। तुम कैसे हो?” मेल्विन ने लेटर के ख्यालों से बाहर आते हुए महेश से पूछा। 

“बढ़िया चल रहा है सब। आज बॉस आने में जरा लेट है।” महेश ने बताया फिर मेल्विन से सवाल करते हुए पूछा, “बॉस को पुलिस अरेस्ट करके क्यों ले गई थी मेल्विन? तुम्हें इस बारे में कुछ पता है?”

“हां महेश, पुलिस स्टेशन तो मैं गया ही था। बिना वजह जाने कैसे वापस आ जाता।ज़ मेल्विन ने कहा, “दरअसल केस ही कुछ ऐसा था कि मिस्टर कपूर ने पूछने पर भी यहां किसी को कुछ नहीं बताया। शहर में दो हत्याएं हो चुकी हैं। दोनों हत्याएं बेहद सस्पेंसफुल हैं। एक हत्या का तो पता ही नहीं है कि वो नेचुरल डेथ थी या फिर मर्डर। दूसरा फ्लैट की खिड़की से नीचे गिरने पर घनश्याम की मौत हुई है। पुलिस इन दोनों मौतों की छानबीन कर रही है। उनका शक है कि इन मर्डर्स में मिस्टर कपूर का हाथ हो सकता है। कुछ रूपए पैसे का भी मामला है। केस अभी ओपन है तो कुछ कह नहीं सकते। फिलहाल अभी मैं कुछ और ही मसले में उलझा हुआ हूं।”

“कैसा मसला?” महेश ने पूछा। 

“मेरे हाथ एक लेटर लगा है महेश?” मेल्विन ने बताया, “रेबेका का लेटर। मैंने उस लेटर के एक शब्द भी नहीं पढ़े हैं। ये लेटर किसे लिखा गया है और किस पते पर इसे जाना है ये भी मुझे नहीं मालूम। हां, हैंड रिटेन है ये मैंने देख लिया है। शायद रेबेका ने इसे खुद अपने हाथों से लिखा है। मैंने इस लेटर को लौटाने के लिए उसे आवाज दी थी लेकिन उसने मेरी आवाज नहीं सुनी।”

“तो तुम्हें लगता है कि ये लेटर रेबेका ने तुम्हें लिखा है?” महेश ने पूछा, “या फिर अपने किसी छुपे हुए प्रेमी के लिए?”

“मैं यही सोच–सोच कर परेशान हूं। अपने हाथ से लेटर अपने किसी खास कोई लिखा जाता है। रेबेका ने ये लेटर किसे लिखा है ये मेरे लिए बहुत अहम सवाल बन गया है।” मेल्विन ने कहा। 

“इसमें इतना सोचने वाली बात क्या है मेल्विन? लेटर बाहर निकालो और उसे पर लिखा नाम और पता पढ़ लो। तुम्हें खुद-ब-खुद मालूम चल जाएगा।”

“और प्राइवेसी का क्या महेश? किसी का लेटर हम इस तरह कैसे पढ़ सकते हैं?” मेल्विन ने पूछा तो महेश ने कहा, “हम रेबेका ये पता ही नहीं चलने देंगे कि हमने ये लेटर खोलकर पढ़ लिया है। हम इसे दोबारा से सील बंद कर देंगे।”

“है तो ये भी गलत ही।” मेल्विन ने कहा, “मैं रेबेका को धोखा नहीं दे सकता महेश। ये लेटर रेबेका ने चाहे जिसके लिए भी लिखा हो, मुझे ये जानने का हक नहीं है जब तक की रेबेका न चाहे।”

क्या मेल्विन उसे लेटर को खोलकर पढ़ने पर मजबूर होगा? या फिर वो संयम से काम लगा और 1 लीटर बिना पड़ेगी रविका को वापस लौटा देगा? अगर पीटर दान का साथ कौन सा खेल खेल रहा है? क्या वो डायना को अपने दिल की बात बताने का कोई तरीका सोच चुका है?

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