जिसका सिर युविका से भिड़ा था वह अभी भी चुपचाप खड़ा था। युविका उस लड़के की बात सुने बिना ही वहां से चली गई। 

वह लड़का दूसरे लड़के से बोला, "देखा अवि कितनी बतमीज लड़की है। एक तो गलती करती है ऊपर से सॉरी भी नही बोलती।"

अवि बोला- "छोड़ न यार, अर्जुन हमें क्या करना है? तू चल क्लास में, सर आ गए होंगे। जाने दे उसे।" 

"तू था जो कुछ नही बोला। मैं होता तो बताता उसे कि सीनियर से कैसे बात करते है?"अर्जुन ने कहा। "खुद समझ आ जायेगा। हमे क्या करना सीखा कर।"अवि बोला और क्लास की तरफ चला गया। अर्जुन भी उसके पीछे पीछे चला आया।

दूसरी तरफ रोशनी युविका से बोली," वैसे सारी गलती तो तेरी ही थी यार और तूने सॉरी भी नही बोला।"

"यार गलती थी मानती हूं, लेकिन सारी मेरी थी कोई ये नही कह सकता। मेरे सिर में कितनी जोर की लगी है ये किसी ने नही पूछा। वह भी तो देखकर चल सकता था।" युविका ने कहा। 

रोशनी ने कहा- "वैसे यार सर बहुत सीधे थे। उन्होंने तुझे एक शब्द नही बोला और लगी तो उनके भी सिर में होगी।" 

युविका ने कहा- "हाँ तुझे कहाँ उनकी गलती नजर आएगी, तुझे तो सारे लड़के अच्छे लगते है। तुझे तो प्रताप भी अच्छा लगता है।" 

उसकी बात सुनकर रोशनी बोली- "अब यार प्रताप की बात न करो। बिचारे को इतना पिटवा दिया सारी क्लास के सामने तुमने।" 

"हाँ तो गलती भी उसकी थी।" युविका ने कहा। 

"क्या यार मैं भी किससे बहस कर रही हूं, युविका से, जो अपने अलावा किसी की कहाँ सुनती है। चल छोड़ तू पानी भर। वैसे वो सर तुझे देख भी नही रहे थे।" रोशनी बोली।

"तू फिर शुरू। मुझे भी उनसे कोई लेना देना नही। छोड़ ये सब बातें जल्दी चल, सर ने क्लास लेनी शुरू कर दी होगी। वैसे भी वो खड़ूस मुझसे इतने चिढे रहते है,क्या पता क्लास के अंदर एंट्री भी न दे?" युविका ने कहा और बोतल भरकर जल्दी से अपने ब्रांच की ओर भागी। रोशनी भी पीछे पीछे आयी ।

जब तक वह क्लास पहुँचती सर क्लास में आ चुके थे। युविका का उन सर से पंगा रहता था इसलिए उन्होंने उन दोनो को क्लास से बाहर कर दिया। दोनो बाहर जाकर मेन गेट के पास बैठ गयी। तभी दूसरी तरफ से अर्जुन और अवि आ रहे थे। युविका को देखकर अर्जुन ने अवि की तरफ इशारा किया कि "वो देख वही खड़ूस लड़की। दिखने में तो मासूम लगती है, लेकिन है बहुत खतरनाक।"

उसकी बात सुन अवि बोला- "छोड़ न यार। मुझे नही लेना देना उससे।" और फिर आगे निकल गया।

तभी अर्जुन बोला- "अच्छा सुन, तू समीरा की काल क्यों नही उठा रहा? मेरे पास कॉल आयी थी। बोल रही थी कि तुमने तीन दिन से उससे बात नही की।" "हाँ तो कोई जरूरी थोड़ा है कि मैं हर रोज उससे बात ही करूँ।" अवि ने जवाब दिया। 

अर्जुन ने कहा- "देख यार मुझे लगता है कि वो तुझे पसन्द करने लगी है। बस इसलिए रोज कॉल करती है।" 

अवि ने जवाब दिया-"वो पसन्द करती है या नही मुझे नही पता, लेकिन मेरे लिए वह सिर्फ मेरी दोस्त है।" 

अर्जुन ने पूछा-" कहीं तुझे कोई और तो नही पसन्द।"

"तू ये सवाल कर रहा है मुझसे। जो हमेशा मेरे साथ रहता है। तू जानता है न कि मैं प्यार व्यार से बहुत दूर रहता हूँ।" अवि ने जवाब दिया।

"हाँ मैं जानता हूँ और ये भी जानता हूँ तुझे जिस दिन प्यार होगा, तब तुझे पता चलेगा कि प्यार क्या होता है?"अर्जुन ने जवाब दिया।

"अच्छा तुझे बड़ा पता है कि प्यार क्या होता है? कहीं तुझे ही तो किसी से प्यार नही हो गया?" अवि ने सवाल किया।

"अरे नही यार, मैं तो बस ऐसे ही बता रहा था। बहुत सुना है न प्यार के बारे में।" अर्जुन बोला।

"मेरे लिए तो कोई लड़की बनी ही नही भाई, जिससे मैं प्यार कर सकूँ।" अवि ने कहा।

"नही यार ऐसा नही हो सकता। कोई तो जरूर होगी जो सिर्फ तुम्हारे लिए बनी होगी। वैसे ये मिस खड़ूस कैसी रहेगी। तू बिल्कुल शांत और वह मिस बकबक। अच्छी जोड़ी रहेगी तुम दोनो की।" अर्जुन ने हंसते हुए कहा।

 

"अरे मेरे भाई माफ कर। उस तूफान एक्सप्रेस से मुझे दूर ही रहने दे। अब जल्दी चल सर ने हमे जल्दी वापस आने के लिए बोला है।" अवि ने कहा और दोनो मेन बिल्डिंग की तरफ बढ़ गए।

युविका और रोशनी भी अवि के पीछे पीछे चल दी। तभी उन्हें सामने से दो लड़कियां आती दिखाई दी जो शायद अवि और अर्जुन की तरफ आ रही थी। वह दोनो अर्जुन के पास आई और उन्होंने हाथ मिलाया। फिर एक लड़की जिसका नाम समीरा था अवि से बोली, "क्या बात है, आजकल आप मेरी कॉल नही उठा रहे।" 

"कुछ नही बस मैं बिजी था इसलिए कॉल नही उठा पाया और कोई बात नही है।" अवि ने जवाब दिया।

" मुझे तो लग रहा कोई और बात है। आप मुझे इग्नोर कर रहे है।" समीरा बोली।

" नही ऐसा कुछ भी नही है। मैं बिजी हूँ। यकीन न हो तो अर्जुन से पूछ लो।" अवि ने कहा।

" अर्जुन से मैं पूछ चुकी हूं। इसलिए कह रही, वैसे एक बात बतानी थी इस संडे हम सारे फ्रेंड्स घूमने जा रहे है। अगर कोई बात नही है तो आप भी चलिए हमारे साथ।" समीरा ने कहा।

" ठीक है लेकिन अर्जुन से पूछो पहले वो चलेगा तो मैं भी चलूंगा।" अवि ने कहा। उसने ऐसा इसलिए बोला था क्योंकि उसे लगता था कि अर्जुन शायद मना कर देगा। क्योंकि वो नही जाना चाहता था। अर्जुन ने कहा- "मैं तो फ्री ही हूँ संडे को। ठीक है फिर चलते है सब संडे को।" 

और फिर अवि के तरफ देखा। अवि कुछ परेशान हो गया। "ओके बाए।हम लोग चलते है।" 

इतना कहकर वो दोनों लड़कियां चली गयी। उनके जाने के बाद अवि ने अर्जुन से कहा- "तू मना नही कर सकता था।" 

अर्जुन ने कहा-"देख भाई अगर मैं मना कर देता तो उन्हें बुरा लगता, चलते है यार। इसी बहाने घूमने को मिलेगा।" और फिर दोनों अंदर चले गए। 

इधर कुछ दूरी पर ही युविका और रोशनी खडी उन लोगों को बात करते देख रहीं थी। उनके जाते ही रोशनी युविका से बोली, "लगता है सर की गर्ल फ्रेंड थी। लेकिन सर उसकी अपेक्षा ज्यादा अच्छे लगते है। वो मुझे अच्छी नही लगी। उससे अच्छी तो तू है यार। तेरी और सर की जोड़ी मस्त लगेगी।" 

रोशनी की सुनकर युविका मुँह बनाते हुए बोली- "तू चुप बैठेगी या मैं तेरा सर फोड़ू। मैं यहां गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड बनाने नही आई हूं। यहां सब ऐसे ही है। ऊपर से कुछ और अंदर से कुछ और। मैं तुम लोगों की दोस्ती में ही खुश हूं।" 

रोशनी फिर बोली- "नही यार उन सर को देखकर ऐसा नही लगता। वो दूसरे लड़कों की तरह नही है। सुबह देखा नही था तूने, उन्होंने तुझे एक शब्द भी नही बोला।"

युविका ने कहा- "हाँ तो गलती उनकी थी तो क्या बोलते।"  और फिर अपने मोबाइल में लग गयी।

रोशनी वही बैठ किसी सोच में गुम हो गयी। क्लास खत्म होने के बाद सारे बच्चे बाहर आये तो सिद्धार्थ और अक्षरा, युविका और रोशनी को ढूंढने लगे। गेट के बाहर आने के बाद वो दोनों उन्हें एक पेड़ के नीचे बैठी मिली। उन्हें देखकर अक्षरा बोली -"तुम दोनों यहां बैठी हो और हम तुम्हे दूसरी क्लास में ढूंढ रहे थे।" 

युविका ने मुँह बनाते हुए कहा- "तो क्या करे, सर ने हमे बाहर कर दिया। सर भी प्रताप की साइड ज्यादा लेते है। इसलिए उन्हें मुझसे प्रॉब्लम रहती है।" 

सिद्धार्थ बोला- "वैसे अच्छा हुआ आज तुम लोग क्लास में नही थी।" 

"क्योंऐसा क्या हुआ?" रोशनी ने पूछा। "अरे तुम लोग भी हमारी तरह बोर हो जाती और क्या।"अक्षरा ने कहा और फिर चारो एक साथ हंस दिए।

"अच्छा चलो यार बाहर चलकर कुछ खाते है बहुत भूख लगी है।" युविका ने कहा। "तुम लोग चलो मैं आता हूँ मुझे कुछ काम है।" सिद्धार्थ ने आयशा की तरफ देखते हुए कहा, जो उनकी ही क्लास में पढ़ती थी।

"बेटा तुम जो सोच रहे हो वैसा कुछ होने वाला नही है। अभी हम लोग जिंदा है।" युविका ने अक्षरा को ताली देते हुए कहा। "हाँ पता है मेरी मां, तुम कभी किसी लड़की को नही पटने दोगी ।" 

सिद्धार्थ ने कहा,तो युविका बोल पड़ी-" हाँ हम जानते है न,गर्ल फ्रेंड बनने के बाद हमारा दोस्त हमसे दूर हो जाएगा इसलिये हम ये शुभ काम कभी होने ही नही देंगे। अब चलें बेटा।" "हाँ चलो" फिर सब कैंटीन की तरफ जाने लगे। कैंटीन पहुँच कर सबने समोसा आर्डर किया और बैठ कर इंतजार करने लगे।

तभी वहां शायरा आयी। उसको देखते ही युविका ने इतना बुरा मुँह बनाया की सब हंस पड़े। उनको हंसता देख वो उनके पास आई और बोली, "मुझे पता है कि तुम लोग मुझ पर ही हंस रहे हो।" "क्यों तुम कोई जोक हो क्या?" युविका ने हंसते हुए कहा। 

उसकी बात सुनकर शायरा मुँह बनाकर बोली-"तुम कभी मुझसे सही से बात नही कर सकती क्या।" "मैं तुमसे बात करने थोड़ी आयी थी। तुम ही हमारे पास आई हो।" युविका ने जवाब दिया। तभी शायरा ने कहा-"तुम्हे पता नही मुझसे क्या प्रॉब्लम है?"

"मुझे तुमसे नही तुम्हारी .... " जब तक युविका कुछ और बोलती अक्षरा ने उसका मुंह बंद कर दिया। 

"छोड़ो गाइज, झगड़ा खत्म करो।"रोशनी बोली तभी सिड ने शायरा से पूछा-"और बताओ शायरा आज अकेले, तुम्हारे मुईन भैया कहा गए?"" वो रहे.." शायरा ने गेट की तरफ इशारा किया। वहां मुईन खड़ा था। शायरा उठकर उसके पास चली गयी।

"हमारे सामने भैया और वैसे सईंया। इसे लगता है हमे कुछ पता नही है। इसे ये नही पता मैं उड़ती चिड़िया के पर गिन लेती हूं।" युविका ने कहा। "छोड़ न यार क्या करना हमे।"अक्षरा ने कहा। "हमे तो कुछ नही करना। लेकिन कम से कम भाई बहन के रिश्ते को तो बदनाम न करे।" युविका ने कहा।

" वो उसका काम वही जाने हमे क्या करना। तू समोसे पर ध्यान दे, ठंडा हो रहा है।" अक्षरा ने कहा और फिर सब बैठकर समोसा खाने लगे। समोसा खाकर सब अपने अपने घर चले गए। एग्जाम में पांच दिन बाकी थे। इसलिए अब केवल एडमिट कार्ड लेने आना था। दूसरे दिन सब कॉलेज आकर अपना अपना एडमिट कार्ड ले गए। एग्जाम के बाद एक महीने की छुट्टियां थी। सब दोस्त अपने अपने घर रहने वाले थे। युविका भी घर चली आयी। हर एग्जाम के बीच एक हफ्ते का गैप था। इसलिए उसने घर से एग्जाम देने का फैसला किया।

सेमेस्टर एग्जाम खत्म हो चुके थे और साथ मे छुट्टियां भी खत्म हो चुकी थी। कॉलेज दोबारा से खुल गया था सारे बच्चे अपने अपने घरों से वापस आ गए थे। युविका भी घर से वापस आ चुकी थी। वैलेंटाइन वीक शुरू होने वाला था। सबको पता था अब कॉलेज में कुछ नए कपल बनेंगे। युविका और उसके दोस्तों को इससे मतलब नही था। वेलेंटाइन डे के पहले दिन मतलब रोज डे वाले दिन एक लड़के ने युविका को रोज देने की कोशिश की लेकिन  युविका ने उस रोज को उसके ही मुहँ पर फेंक कर मारा। सारे लड़के शॉकड थे। युविका के क्लास के लड़के तो पहले से ही युविका का नेचर जानते थे इसलिए उनकी क्लास की किसी भी लड़कीं को रोज देने की हिम्मत नहीं हुई।

 युविका, सिद्धार्थ और अक्षरा तीनो मेन गेट के पास चेयर पर बैठ कर बातें कर रहे थे। सिद्धार्थ बोला, "यार तुम लोगों का अच्छा है खुद तो किसी लड़के को भाव नही देते हो और अगर मैं किसी लड़की को पसन्द करने लगूँ तो तुम लोग उससे झगड़ा कर लेते है और वो मुझसे भी बात करना बन्द कर देती है।" युविका उसकी बात सुनकर-" अगर तुझे हम लोगों के होने के बावजूद भी गर्ल फ्रेंड चाहिए तो जा बना ले हमने मना नही किया लेकिन याद रखना जब वो दिल तोड़े तो रोते हुए हमारे पास लौटकर मत आना।" 

तभी अक्षरा बोली- हाँ सिद्धार्थ, ये प्यार, गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड सिर्फ टाइम पास की चीजें है। सब अपना मतलब निकालते है। मतलब खत्म,प्यार खत्म रिश्ता भी खत्म। किसी और को ढूढ़ना शुरू, बस इसलिए हम तुझे समझाते है।" 

सिद्धार्थ ने जवाब दिया-" हाँ यार तुम लोग कह तो सही रहे हो लेकिन मेरा भी मन किसी को रोज देने का कर रहा सबको देखकर।" 

युविका थोड़ा गुस्से में- "तू बेटा अपने मन को कंट्रोल कर वरना अभी पिटेगा। पता है साले कमीनों को बीस रुपये का गुलाब लाये नही हुआ। कॉलेज ग्राउंड के सारे गुलाब आज इन्ही लोगों ने तोड़े है। उधर देखो एक भी फूल नही दिख रहा। वैसे रोज कितना अच्छा लगता था। अगर तुझे देने का इतना ही शौक है तो परसो चॉकलेट डे है तू मुझे और अक्षरा को बड़ी सी चॉकलेट गिफ्ट कर देना, हम ले लेंगे।"

सिद्धार्थ थोड़ा तुनककर- "अरे हटो, गांव बसा नही, भिखारी पहले आ गए। तुम लोगों को मैं एक टॉफी न दूँ, जब देखो तब मांगते रहते हो।" 

अक्षरा ने कहा-"तो क्या, तुम्हे शौक है न खर्चा करने का तो दोस्तों पर करो। जो हमेशा साथ रहेंगे। गर्लफ्रैंड तो आती जाती रहती है।" 

सिद्धार्थ चिढ़कर- "हाँ हाँ ठीक है मेरी माँ तुम लोगों का गर्लफ्रैंड प्रवचन हो गया हो तो अब क्लास में चले वरना सर बाहर कर देंगे।" 

"ठीक है " इतना कहकर सब क्लास की तरफ चले गए।

क्या सिद्धार्थ के दिमाग में कुछ और खिचड़ी पाक रही थी? अगर हाँ तो ऐसा क्या करने वाला था वो जिससे अविका की ज़िंदगी में आने वाला था बहुत बड़ा बदलाव? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ... 

Continue to next

No reviews available for this chapter.