युविका मेन बिल्डिंग से निकलकर सिविल डिपार्टमेंट की तरफ चली गयी। वहां उसे गेट पर ही कुर्सी डाले बैठे एचओडी सर मिल गए और उनके साथ सचान सर और गुप्ता सर भी थे।
युविका वैसे तो गुस्से में कुछ और करने आई थी लेकिन सर को देखकर उसे अपने पहले दिन का हाल याद आ गया और उसके दिमाग में एक आईडिया आया।
युविका को पता था कि पूरे ब्रांच में उसके एचओडी सर से हर कोई डरता है। वो बहुत सख्त थे और अगर कोई बच्चा गलती करता तो उसे अच्छी खासी सजा भी देते थे। जो आमतौर पर इंजीनियरिंग कॉलेज में कम ही होता था।
अब युविका को बस अपनी मासूमियत दिखानी थी।
वह धीरे धीरे चलकर एचओडी सर के पास पहुँची। उनके बगल में जो सर थे युविका उनकी फेवरिट स्टूडेंट थी। उसे तो बस किसी तरह एचओडी सर के सामने मासूम दिखना था।
युविका को वहां देखकर सचान सर ने पूछा, "क्या हुआ? तुम्हारी तो क्लास का टाइम है। तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
युविका ने मासूम बनते हुए कहा- "सर वो क्लास में मैम नही आई तो लड़के बतमीजी कर रहे थे, गालियां दे रहे थे। उन्होंने मुझे भी गाली दी।"
"कौन कौन कर रहा था बतमीजी, किसने गाली दी। नाम बता सकती हो तुम।" इस बार एचओडी सर ने गुस्से में पूछा।
"हाँ सर पता है नाम सबके।"
"ठीक है तुम उनके नाम लिख के दो।" सचान सर बोले।
युविका ने अपने बैग से एक कॉपी निकालकर उसका पेज फाड़ा और तीनों के नाम लिखकर एचओडी सर को दे दिए और चुपचाप ऊपर जाकर क्लास रूम में बैठ गयी जो खाली था, अगली क्लास इंजीनियरिंग ड्राइंग की थी जो उसकी ही ब्रांच में पढ़ाई जाती थी।
दूसरी तरह सारे बच्चे सोच रहे थे कि ये युविका कहाँ गयी और इसके दिमाग मे क्या खिचड़ी पक रही है? सब उसके खुराफाती दिमाग से वाकिफ थे। प्रताप को भी अब टेंशन होने लगी, पता नही इस लड़की ने क्या किया होगा?
क्लास खत्म होने के बाद सारे बच्चे अपने ब्रांच में आ गए और पीएमटी के उन लड़कों ने जाकर प्रताप और उसके दोस्तों की शिकायत प्रिंसिपल से कर दी जिनसे प्रताप ने बत्तमीजी की थी। उनको दो ही नाम पता थे इसलिये उन्होंने केवल प्रताप और विकास का नाम बताया जबकि युविका ने तीनों की शिकायत की थी।
सारे बच्चे जब क्लास में आये तो युविका बैठकर अपना फोन चला रही थी और उसे देखकर ऐसा नही लग रहा था कि अभी यहां कुछ हुआ है। प्रताप भी उसको गौर से देख रहा था और बाकी सारे लड़के भी, और सोच रहे थे कि ये इतनी रिलेक्स क्यों है? लेकिन उन्हें नही पता था कि अभी होने वाला क्या है?
सारे बच्चे अपनी अपनी ड्राइंग शीट लगाकर ड्राइंग बनाने लगे। युविका ने भी शीट सेट कर ली और वह भी अपना काम करने लगी। सब उससे पूछ रहे थे कि तुमने किया क्या है लेकिन वह चुपचाप अपने काम मे मस्त थी।
थोड़ी देर के बाद एचओडी के आफिस में प्रिंसिपल आफिस से बुलावा आया और प्रिंसिपल सर ने उनसे दोनो लड़को की शिकायत की।
एचओडी सर को ये बिल्कुल भी नही पसन्द था कि उनके ब्रांच के किसी भी स्टूडेंट की शिकायत प्रिंसिपल तक पहुँचे। प्रिंसिपल को तो दो नाम ही पता थे लेकिन युविका ने एचओडी सर को तीनों लड़को के नाम बताये थे।
एचओडी सर गुस्से से प्रिंसिपल आफिस से आये और सीधे क्लास रूम में आ गए। उन्होंने तीनो के नाम बुलाये और आगे आने के लिए कहा।
तीनो जैसे ही आगे आये एचओडी सर ने तीनो को बहुत मारा, चप्पल से, हाथ और डंडे से। जब मारमार कर थक गए तो गार्डियन को बुलाने के लिए कहकर चले गए। युविका को तीनों को ऐसा मार खाते देखकर बहुत सुकून मिल रहा था और सबको लग रहा था कि ये सब युविका का ही किया धरा है।
लेकिन सच तो ये था कि युविका कोई भी रिस्क ऐसे नही लेती थी कि उसे कोई भी प्रॉब्लम हो। युविका ने एचओडी सर को बोला था कि वह उसकी कंप्लेन पर एक्शन आज न लेकर दो तीन दिन बाद लें। लेकिन ये तो प्रिंसिपल के पास की गई शिकायत की वजह से हुआ था। बस तीनो नाम बताने का श्रेय युविका को जाता है।
एचओडी के जाने के बाद विकास युविका के पास आया और बोला-"प्रिंसिपल के पास शिकायत तुमने की है न।"
युविका ने मस्तमौला होकर जवाब दिया- 'नही मैंने नही की , मुझे तो पता भी नही प्रिंसिपल ऑफिस कहाँ है?"
ये बात सच थी कि युविका को अभी तक प्रिंसिपल ऑफिस का पता नही था।
विकास बोला- "मुझे पता है तुमने ही की है।"
"बोला न मैंने नही की, और जाओ यहां से मेरा दिमाग मत खाओ।" युविका ने जवाब दिया और फिर अपनी ड्राइंग बनाने लगी।
तभी प्रताप विकास से बोला- "छोड़ो यार उसने नही की है, ये सब उन पीएमटी के लड़कों ने किया है।"
युविका प्रताप की बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा दी क्योंकि वो कहावत पूरी हो गयी, "सांप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी" उसका काम भी हो गया और उसका नाम भी नही आया, युविका की मुस्कुराहट देखकर सिद्धार्थ और अक्षरा को समझ आ गया कि कहीं न कहीं तो इसमें युविका का हाथ भी है। लेकिन वो खुश थे क्योंकि वो दोनो भी उन्हें सबक सिखाना चाहते थे।
उस दिन के बाद से युविका पूरे हॉस्टल के लड़कों में फेमस हो गयी। एक हॉस्टलर न होते हुए भी उसने सबको लाइन पर ला दिया।
अब अगर गलती से भी कोई लड़का रास्ते चलते युविका पर कमेंट करता तो युविका उसे अपनी चप्पल उतारकर दिखा देती। पूरे कॉलेज में युविका एक आजाद पंछी की तरह थी। जिसे किसी से डर नही, कोई फिक्र नही बस अपने मे ही मस्त रहती।
क्लासेज भी अच्छे से चलने लगी। युविका, सिद्धार्थ और अक्षरा अब बेस्ट फ़्रेंड थे। उन तीनों की दोस्ती पूरे क्लास में फेमस थी। तीनो अक्सर यही गाना गाते―
"तेरे जैसा यार कहाँ कहाँ ऐसा याराना,याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना।"
सिद्धार्थ की लड़कों से ज्यादा लड़कियों से दोस्ती थी। युविका और अक्षरा का दोस्त होने की वजह से बाकी सारी लड़कियां भी उससे अच्छे से बात करती। वह मस्त मौला था बिल्कुल युविका की तरह, युविका ने उसके न जाने कितने नाम रखे थे कार्टून, कबाड़ी, बन्दर,छछुंदर उसे जो भी समझ आता वही बुलाती। अक्षरा युविका को युवी कहती। सिद्धार्थ भी उसको अलग अलग नाम से बुलाता।
कॉलेज लाइफ अच्छी चल रही थी। नए नए दोस्त बन गए। प्रताप भी अब कायदे से बात करने लगा। बाकी लड़के युविका से दूर ही रहते। फिर अचानक बीच मे ही उनके सब्जेक्टस चेंज हो गए। सेमेस्टर एग्जाम को केवल दो महीने बाकी थे।पीसीयम की जगह ब्रांच सब्जेक्ट मिल गए ,जिसकी वजह से अब मेन बिल्डिंग जाना बंद हो गया। सब अपनी अपनी पढ़ाई में लग गए । एग्जाम में केवल दो महीने का टाइम बचा था।
अचानक सब्जेक्ट बीच मे चेंज होने से सारे क्लास की पढ़ाई डिस्टर्ब हो गयी, दो महीने का टाइम था और पढ़ना बहुत था, लेकिन वो कहावत है न इंजीनियर की पढ़ाई एक रात ही होती है। वही हाल उन सबका भी था। सब्जेक्ट बदलने से पहले प्रैक्टिकल सब्जेक्ट नही थे लेकिन इस बार उन सबको प्रैक्टिकल सब्जेक्ट मिले थे। जिसमें उनके साथ कुछ सीनियर भी पढ़ने वाले थे। सीनियर साथ मे क्लास लेते थे इसलिए अब ज्यादातर बच्चे क्लास में शांत रहते थे,लेकिन युविका को कोई फर्क नही पड़ता था उसका तो साफ कहना था-"काहे के सीनियर जब हमारे साथ ही क्लास लेते है।" वो बस अपने आप में मस्त रहती।
एक दिन सर्वे का प्रैक्टिकल था। सभी फील्ड में सर्वे कर रहे थे। सीनियर भी साथ मे थे। सर को अचानक कुछ काम आ गया और वह चले गए। अब सीनियर्स को मौका मिल गया जूनियर्स की क्लास लगाने का। उन्होंने सारे लड़कों को एक लाइन में और लड़कियों को दूसरी लाइन में खड़े होने के लिए कहा। सारे बच्चे खड़े हो गए युविका अभी भी बैठी थी। फिर सीनियर ने उससे बोला-"तुम्हे स्पेशल कहना पड़ेगा क्या?" इतना सुनकर वह चुपचाप उठकर सबसे पीछे खड़ी हो गयी। सीनियर्स सबको समझा रहे थे कि कैसे कॉलेज आना है, क्या करना है, क्या नही करना,लड़कियों को जीन्स नही पहननी है,लड़को को फॉर्मल कपड़ो में आना है, बेल्ट नही लगानी है, सीनियर्स को गुड मॉर्निंग विश करना है। सबको सब कुछ समझाने के बाद वो सबसे उनका इंट्रो लेने लगे। एक एक करने सब अपना नाम बता रहे थे। सबसे लास्ट में युविका का नम्बर आया।
जैसे ही युविका अपना नाम बताने लगी, एक सीनियर बोले- "युविका मिश्रा, 2012 बैच, फर्स्ट शिफ्ट...राइट ! "
"यस सर " युविका ने जवाब दिया। सीनियर आगे बोले "काफी पॉपुलर हो गयी हो कॉलेज में। दूर रहा करो लड़को से।"
युविका ने थोड़ा मुस्कुराकर जवाब दिया- "सर वो मेरी गलती नही थी। कोई मुझे गाली देगा तो मैं बर्दास्त नही करूँगी।"
सीनियर ने कहा- "ठीक है लेकिन अगली बार से अपने गुस्से पर कंट्रोल रखना और हो सके तो इन सब चीजों से थोड़ा दूर ही रहना। यहां पढ़ने आयी हो तो पढ़ने में ध्यान दो।"
युविका बोली- "ओके सर।" और फिर वहां से चली गयी।
सच ये था कि प्रताप के साथ हुए उस झगड़े का पता पूरे कॉलेज को था इसीलिए युविका को सीनियर-जूनियर सारे लड़के जानने लगे थे। अवि को भी पता चला था कि फर्स्ट ईयर में कोई लड़की आयी है, युविका मिश्रा। जिसने एक लड़के की शिकायत की जिसकी वजह से उसे बहुत मार भी पड़ी लेकिन उसने उसके बारे में जानना इतना जरूरी नही समझा। एक दिन कॉलेज में युविका,अक्षरा और सिद्धार्थ बैठकर कुछ बात कर रहे थे तभी उनके पास एक लड़की आयी जो उनके ही क्लास की थी।
रोशनी, रोशनी पढ़ती तो युविका की क्लास में थी लेकिन रहती दूसरी ब्रांच में, क्योंकि उसमें उसकी बेस्ट फ्रेंड पढ़ती थी। उसकी वहां की लड़कियों से दोस्ती ज्यादा थी। वह पास आई और बोली, "हेलो गाइज ! क्या कर रहे हो?"
युविका ने जवाब दिया-"कुछ नही यार, आज सर नही आये थे तो बस अगली क्लास का वेट कर रहे है।"
रोशनी ने पूछा- "अच्छा मैं भी बैठ जाऊं।"
अक्षरा ने कहा- "हाँ हाँ बैठ जाओ, रोका किसने है?" "वैसे ये बताओ तुम आज यहां कैसे आ गयी? मुझे तो लगता है तुमने ब्रांच ही गलत चुन ली है।" युविका ने रोशनी को देखकर हँसते हुए कहा।"अरे यार, बस वहां पिया की वजह से मेरे काफी दोस्त बन गए और यहां कोई दोस्त नही है, यहां अच्छा नही लगता।" रोशनी ने कहा।
"दोस्त बनाने से बनते है।" इस बार ये आवाज सिद्धार्थ की थी। रोशनी ने उदास होते हुए कहा- "अरे यार, अब क्या बताये? तुम लोग देखो कितने अच्छे फ्रेंड्स हो, अब मुझे तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नही।"
तभी युविका बोली- "वैसे तुम चाहो तो हम दोस्त बन सकते है। तुम हमारे ग्रुप में आ सकती हो।"
उसकी बात सुनकर रोशनी हंसते हुए बोली- "यार युविका वैसे मैं भी सोच रही हूं कि तुम्हारा ग्रुप जॉइन कर लूं । वैसे तुम्हारे साथ रहूंगी तो मुझे भी थोड़ा मजा आता रहेगा। तुम इतनी डेरिंग जो हो।" "ठीक है डर लगता है मुझे दोस्त बनाने में, तो रहने दो।" युविका ने कहा।
अक्षरा ने युविका की तरफ देखते हुए कहा- "अरे मेरी युवी का दोस्त कोई जल्दी जल्दी नही बन सकता। पहले मुझे भी लगता था कि ये कितनी अजीब लड़की है,कितना घमंड और एटटीटूड है इसमें, लेकिन जब दोस्त बनी तो पता चला कि इससे बेहतर दोस्त तो कोई मिल ही नही सकता।"
सिद्धार्थ ने कहा, "हाँ पहले मुझे भी यही लगा था लेकिन अब यही लड़की मेरी कॉलेज की पहली फ्रेंड है जो हमेशा मेरा साथ देती है।"
और फिर तीनो मुस्कुराने लगे।"चलो ठीक है फिर आज से मुझे भी अपने ग्रुप में शामिल कर लो।" रोशनी ने कहा।"फ्रेंड्स" अक्षरा ने हाथ बढ़ाया और फिर सबने साथ मे ही हाथ मिलाये। तभी दूर किसी के मोबाइल पर गाना बज रहा था―
"ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे,
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे।"
अब युविका के ग्रुप में तीन की जगह चार लोग हो गए थे। चारो की दोस्ती पूरे क्लास में फेमस थी। बहुत मस्त लाइफ चल रही थी सबकी। फर्स्ट सेमेस्टर एग्जाम का केवल एक हफ्ता ही बचा था। हर कोई अपनी पढ़ाई में बिजी था। एक दिन युविका और रोशनी पानी की बोतल भरने जा रहे थे। उनके ब्रांच का फ्रीजर खराब हो गया था तो उन्हें दूसरी ब्रांच से पानी लाना पड़ता था। युविका की एक आदत थी वो हमेशा पानी की बोतल लेकर अपने साथ चलती। दोनो जल्दी जल्दी जा रहीं थी क्योंकि क्लास में सर के आने का टाइम हो गया था तभी युविका सामने से आते हुए एक लड़के से टकरा गई। उस लड़के के हाथ की बुक वही गिर गयी। युविका की बोतल भी गिर गयी। वह उसे उठाने लगी तो उसका सिर उस लड़के के सिर से टकरा गया। युविका ने गुस्से में कहा- "अंधे हो क्या?देखकर नही चल सकते?" उस लड़के के साथ खड़ा दूसरा लड़का बोला- "ओ हेलो! गलती तुम्हारी थी। तुम ही सुपरफास्ट एक्सप्रेस बनी थी।"
"हाँ तो तुम देख सकते थे न।" युविका ने जवाब दिया।
वह लड़का फिर बोला, "तुम्हें पता नही क्या? सीनियर से कैसे बात करते है?"
क्या मोड लेगी अविका की यह टक्कर? क्या दुबारा इस सीनियर से होंगे पंगे या दोनों के बीच पनपेगा इश्क? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ और पढ़ते रहिए इस कहानी को...
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