Ep 8 – Condition
व्योला खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी, इसी चक्कर में तविष का टॉवेल नीचे गिर गया। जिससे दोनों ही हैरान हो गए। उसने तविष को ज़ोर से धक्का दिया और वहां से सीधा भाग गई। भागते हुए ही वो शान्विक से टकरा गई।
शान्विक ने उसे देखा तो उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। भागते-भागते corridor में वो full speed में शान्विक से टकरा गई। Impact इतना जोरदार था कि दोनों लड़खड़ा गए। शान्विक ने देखा तो व्योला का पूरा चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था, सांसें hurricane की तरह तेज़ थीं।
"व्योला... क्या हुआ है तुम्हें? तुम इस तरह से भाग क्यों रही हो?"
व्योला ने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन words ही नहीं निकल रहे थे। बस हकलाते हुए बोली, "वो... वो... मैं......"
"क्या हुआ?" शान्विक की आवाज में गुस्सा था।
इससे पहले व्योला कुछ और कह पाती, तविष भी वहां पहुंच गया। अब उसने कपड़े पहने हुए थे लेकिन चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था।
उसने पूछा, “क्या इस लड़की को आप लेकर आए हैं?”
उसने बहुत ही arrogantly कहा, “भाई प्लीज़, इस तरह की लड़कियों को आप घर मत लाया कीजिए, इससे आपकी image खराब होगी। यह लड़की मेरे room में बिना permission घुस गई थी। बहुत disrespectful है!”
शान्विक ने व्योला को देखा, फिर तविष को। उसने मन में सोचा, "व्योला, तुम तविष के room में क्यों गईं?”
उसने अपने गुस्से पर काबू किया और coldly जवाब दिया, “व्योला is my girl! और मैं उसकी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं करूँगा। तो तुम उसके साथ तमीज़ से बात करो।”
"भाई, आपके कहने का क्या मतलब है? और आप कब से लड़कियों को घर लाने लगे?" तविष ने eyebrows raise किए।
शान्विक ने कुछ नहीं कहा और व्योला का हाथ पकड़ कर वहां से जाने लगा। जिसे देखकर तविष का गुस्सा और भी बढ़ गया। उसने चिल्लाकर कहा,
"Fine. लेकिन अगली बार मेरे room के या मेरे आसपास भी नज़र मत आना।”
शान्विक, व्योला का हाथ पकड़े हुए उसे कमरे के अंदर लाया। शान्विक ने दरवाज़ा तेज़ी से बंद किया। उसकी आँखों में एक अजीब-सी आग थी।
“क्या मैं तुम्हारे लिए काफी नहीं था,” उसने ज़हर उगलते लहज़े में कहा, “जो अब तुम मेरे भाई को टारगेट करने लगी हो?”
व्योला जैसे कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गई। उसकी साँसें थम सी गईं।
“क्या?” उसने कांपती आवाज़ में कहा, “You actually think that about me?”
शान्विक आगे बढ़ा, उसकी आँखें अब तल्ख़ी से चमक रही थीं।
“तुम्हारी चालें कामयाब नहीं होंगी। मेरे भाई ने तुम्हारे जाल में फँसने से इनकार कर दिया। He hates girls like you.”
एक पल के लिए कमरा जैसे थम गया।
“चटाक!”
एक करारा थप्पड़ शान्विक के गाल पर पड़ा। उसका चेहरा एक तरफ झुक गया, लेकिन व्योला की आँखों से बहते आँसू उसकी ताक़त को और उभार रहे थे।
“तुम्हारी सोच इतनी गंदी कैसे हो सकती है?” उसकी आवाज़ गूंज रही थी,
“How dare you accuse me of this crap?”
शान्विक ने जैसे कुछ कहना चाहा, लेकिन व्योला ने उसे काटते हुए कहा,
“मेरा दिमाग खराब हो गया था जो तुमसे मदद माँगी, तुम जैसे आदमी पर भरोसा किया। I was wrong. You're not even worth my tears.”
वो अब तक कांप रही थी, लेकिन उसके शब्दों में लोहे जैसी मज़बूती थी।
“कुछ देर पहले जब तुमने मेरे लिए stand लिया था, मुझे लगा शायद तुम अलग हो। शायद तुम्हारे सीने में भी कोई दिल है… लेकिन नहीं, वो सब बस एक दिखावा था। मुझे नहीं चाहिए तुम्हारे पैसे या तुम्हारी sympathy.”
“अब मैं यहाँ एक पल भी नहीं रुक सकती। मैं जा रही हूँ।”
वो मुड़ी और दरवाज़े की तरफ बढ़ी, लेकिन तभी शान्विक ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा,
“कहाँ जाओगी तुम? तुम्हारे पास तो रहने के लिए भी घर नहीं है।”
व्योला ने एक झटका देकर अपना हाथ छुड़ाया।
“That's none of your business. Let me go. मैं यहाँ एक पल भी और नहीं रह सकती।”
शान्विक ने अचानक उसे बाँहों में जकड़ लिया।
“मैं तुम्हें जाने नहीं दूँगा…” उसकी आवाज़ कुछ अलग थी।
व्योला ने उसे धक्का दिया और पीछे हट गई।
“अब तुम्हें क्या चाहिए?” उसकी आँखें अब नफरत से जल रही थीं,
“You were the one who insulted me like that. और अब तुम ये कहते हो की मैं तुम्हारे साथ यहीं रहूं? Leave me, I don't want to stay with you.”
इतना कहते ही उसने अपनी पूरी ताकत से शान्विक को धक्का दिया और वहां से चली गई।
इससे पहले कि वो उसके पास जाता, उसका फोन बजा। यह एक emergency call था जिसे अटेंड करना बहुत ही ज़रूरी था। उसने कॉल पिक किया, पूरी बात सुनने के बाद कहा,
“ठीक है! मैं अभी आता हूँ।”
और वो तुरंत वहां से निकल गया।
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“कुछ कह नहीं पाते, बस सह जाते हैं,
भीड़ में भी अक्सर हम तन्हा रह जाते हैं।
जिनसे उम्मीद थी साथ निभाने की,
वो भी वक्त पर छूट जाते हैं।
पर चलना है, क्योंकि रुकना मुमकिन नहीं,
आँखें भीग जाएँ, तो क्या—दिल तो टूटा नहीं।
कुछ सफर अकेले ही सही,
लेकिन जीने के लिए ये भी सही।”
व्योला काफी उदास लग रही थी जब वह मेंसन से बाहर आयी। वहां से निकलते ही वह सड़क के किनारे पर खड़ी हो गयी थी। गाड़ियों से भरी सड़क को वो बिना कुछ सोचे ही बस देखे जा रही थी। लेकिन इस शोर शराबे वाली सड़क पर भी वह गुमसुम सी दिखाई दे रही थी। और व्योला फिर से एक बार जो उसके साथ हुआ था उसके बारे में सोचने लगी। 1 हफ्ते पहले तक वो इस दुनिया की सबसे खुसनसीब लड़की थी। लेकिन अचानक ही ये सब हो गया।
शाम के लगभग 6 बज रहे थे। वो बेसुध होकर रोड पर चलने लगी। उसे ऐसे बेसुध होकर चलते देख लिनीमा उसके पास आयी और उससे पूछा, “क्या हुआ तुम्हे?”
लिनीमा के २-३ बार पूछने पर भी जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तब लिनीमा ने उसे पकड़ कर हिलाया तब जाकर उसे होश आया और वो बोली, “तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
लिनीमा ने कहा, “मैं तो कब से तुम्हे ही ढूंढ रही थी। लेकिन तुझे क्या हुआ हैं? तू ऐसे क्यों घूम रही हैं। तुझे तो हॉस्पिटल में होना चाहिए था न ?”
व्योला ने कहा, “लेकिन क्यों?”
लिनीमा ने कहा, “ पापा की तबियत ख़राब है और उन्हें सिटी हॉस्पिटल में एडमिट किया हैं।”
यह सुनते ही व्योला हैरान हो गयी उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की उसके साथ हो क्या रहा था। उसने कहा, “क्या? उन्हें क्या हुआ है।”
लिनीमा ने कहा, “मुझे भी नहीं पता। ये तो हॉस्पिटल जाकर ही पता चलेगा। चल जल्दी बैठ।”
व्योला जल्दी से गाड़ी में बैठ गयी और दोनों हॉस्पिटल के लिए निकल गए।
हॉस्पिटल पहुंचते ही लिनीमा का फ़ोन बजा उसने देखा की ये उसकी माँ का कॉल था। उसने कॉल पिक किया तो उसकी कहने उससे कहने लगी, “जल्दी से घर आओ और दोबारा तुमने उस लड़की से मिलने की कोशिश की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।”
लिनीमा ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन उसकी माँ ने उसकी एक न सुनी। थक हार कर उसने व्योला से कहा, “सॉरी यार! लेकिन मुझे अभी जाना होगा। तू तो जानती है न माँ को उसकी बातों का तू बुरा न मानना प्लीस। उनके तरफ से मैं तुम्हे सॉरी कहती हूँ।
व्योला ने कहा, “कोई बात नहीं लिनी ! मैं समझती हूँ। तू चिंता मत कर मुझे उनकी बातों का बिलकुल भी बुरा नहीं। अच्छा तू जा मैं भी अंदर जाती हूँ। ”
व्योला अंदर जाने लगी तभी लिनी ने उसे आवाज लगाई, “ व्यो रुक ! उस दिन तुम ऐसे ही वहां से निकल गयी थी। तेरा बैग और मोबाइल वही रह गया था। मुझे मिला तो मैं उसे ले आयी ये ले रख इसे। और हां कुछ भी चीज़ की जरुरत हो तो मुझे कॉल कर लेना। मैं सुबह आती हूँ तुझसे मिलने। ठीक है। अंकल जल्दी ठीक हो जायेंगे तू चिंता मत कर।”
यह सुनते ही उसने लिनीमा को अपने गले से लगा लिया। फिर वो हॉस्पिटल के अंदर आने लगी तभी एक इंस्पेक्ट उसके पास आये और बोले, “तुम राजेंद्र की बेटी हो ना?
“हाँ ! क्या हुआ हैं मेरे पापा को?”
इंस्पेक्टर ने कहा, “उन्हें हार्ट अटैक आया हैं। और अभी वो 6th फ्लोर के ICU में हैं”
यह सुनते ही वो हॉस्पिटल के अंदर जल्दी से भागते हुए गयी। अंदर जाकर उसने देखा की लिफ्ट टॉप फ्लोर में था तब उसने सीढ़ियों को देखा और सीढ़ियों से उपर चढ़ने लगी। सीढ़ियां चढ़ते हुए कई बार गिरते-गिरते भी बची थी लेकिन फिर भी उसने अपनी स्पीड कम नहीं की थी।
व्योला जब वहां पहुंची, तब उसने देखा की कुछ इंस्पेक्टर icu के बाहर ही खड़े है और राजेंद्र जी ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर्स की ऑब्जर्वेशन में रखा गया था।
व्योला बाहर ही अपने पापा को देखने के लिए वेट करने लगी। और उसे बहुत बेचैनी भी हो रही थी। लगभग 2 घंटे के इंतजार के बाद आखिरकार ऑपरेशन थिएटर का दरवाज़ा खुला। व्योला ने दरवाजे की तरफ देखा जहाँ से, डॉक्टर्स की टीम बाहर आ रही थी।
व्योला जल्दी से भागते हुए दरवाजे के पास गयी, और सबसे पहले बाहर आने वाले डॉक्टर को उसने रोक लिया। और उसने डॉक्टर से पूछा, "डॉक्टर, मेरे डैड वो अब कैसे हैं?"
डॉक्टर ने अपना मास्क निकाला और व्योला से कहा, "पेशेंट की हालत अभी स्टेबल है और लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है।"
यह सुनकर व्योला की आंखों से आँसू बहने लगे। और उसने धीरे से उस डॉक्टर को फिर से पूछा, "उनकी जान को खतरा हैं? क्या हुआ हैं उन्हें डॉक्टर?"
डॉक्टर ने गंभीरता से जवाब दिया, “हम अभी कुछ कह नहीं सकते। कुछ टेस्ट के सैंपल भेज है कल तक रिपोट्स आ जायेंगे। उसके बाद ही हम आपको कुछ बता पाएंगे।”
ये सुनते ही व्योला को ऐसा लगा जैसे उसके ऊपर पहाड़ टूट पड़ा। उसके आखों से आंसू बहने लगे। जिसकी वजह से उसकी आँखे लाल हो गयी थी।
उसने जल्दी से डॉक्टर से पूछा, "इसका कोई तो इलाज होगा न डॉक्टर! वो ठीक तो हो जायेंगे न? इस दुनिया में उनके अलावा मेरा और कोई नहीं हैं।"
डॉक्टर ने कहा, “ हम आपकी बात को समझते है लेकिन आपको कल तक का वेट करना पड़ेगा। कुछ देर बाद उन्हें जनरल वार्ड में सिफ्ट कर दिया जायेगा तब आप उनसे मिल सकती हैं। उन्हें २-3 घण्टे में होश आ जायेगा। ”
इतना बोलकर वो डॉक्टर वहा से चला गया। वहीँ व्योला बाहर ही वेट कर रही थी।
3 घंटे बाद.....
एक नर्स ने कहा, “पेसेंट को होश आ गया है आप उनसे मिल सकते है।”
यह सुनते ही व्योला वार्ड तरफ गयी। एक इंस्पेक्टर ने उसे लोग लिया और कहा, “सॉरी मिस ! लेकिन अभी आप उनसे नहीं मिल सकती। आपको परमिशन लेनी पड़ेगी।”
व्योला बोली, “लेकिन वो मेरे पापा हैं। मुझे बस उन्हें थोड़ी देर के लिए ही मिलने दीजिये प्लीज।”
उसे इन्स्सिट करते देख उस इंस्पेक्टर ने कहा, “नहीं ! हम भी अपना फर्ज निभा रहे है।”
यह सुनते ही व्योला के आखों से आसूं बहने लगे। उसने कहा, “प्लीज सर ! बस थोड़ी देर के लिए।”
तभी उस इंपेक्टर को किसी ने कॉल किया। कॉल पिक करते ही सामने से कुछ कहा गया। वो बोला, “जी सर !”
फिर उसने व्योला से कहा, “आप उनसे मिल सकती हैं।”
यह सुनते ही उसने उस इंस्पेक्टर को “थैंक यू” कहा और अंदर चली गयी।
जैसे ही अंदर आयी उसने अपने पापा को देखा उनका चेहरा पीला पढ़ गया था और वो काफी कमजोर हो गए थे। जिसे देखर उसने घबराते हुए कहा, "पापा ! पापा अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं? क्या मैं डॉक्टर को चेकअप के लिए बुला कर लाऊँ?"
राजेंद्र ने अपनी व्योला को जब इतना परेशान देखा तो उसने कहा , "बेटा, मैं ठीक हूं।"
व्योला ने कहा, “आप ठीक कैसे हैं पापा? ठीक होते तो हॉस्पिटल में नहीं होते।”
राजेंद्र ने अपनी भारी और कर्कश आवाज़ में कहा, " बेटा ! आपको मेरे बारे में चिंता करने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है। मैं एकदम ठीक हूँ। "
व्योला ने अपने होठों को कसकर दबा लिया। और सोचा , “मैं कैसे परेशान नहीं होउंगी इस दुनिया में आप ही एकमात्र सहारा हैं। और अगर आपको भी कुछ हो जायेगा तो मेरा क्या होगा? आप मेरे डैड हो। इस दुनिया में आपके आलावा और कोई नहीं है जिसे उसकी इतनी फिकर हो!”
राजेंद्र ने देखा व्योला बहुत परेशान लग रही थी। उसके अपने सूखे होठो से एक हल्की सी मुस्कान दी। अपने हाथ को आगे बढ़ाया और अपनी प्रिन्सेस की पीठ को थपथपाने लगा। और हसते हुए ही कहने लगे, "मैं सच में ठीक हूं।”
व्योला ने राजेंद्र की ओर देखा और कहा , "पापा ! पापा आप ....."
व्योला की आंखें रोने के कारण पूरी लाल हो गयी थीं। जैसे ही वह आगे कुछ कहने ही वाली थी कि तभी अचानक से किसी ने वार्ड के दरवाजे को धक्का देकर खोल दिया था ।
दरवाजे के खुलते ही व्योला ने देखा की डॉक्टर्स और नर्सों की एक टीम ने उस वॉर्ड के अंदर एंटर किया था । उस ने जब उन लोगो को अचानक से अपने पास आते देखा तो वो थोड़ी डर गई। और अपने सर को थोड़ा झुका लिया और फिर धीरे से झिझकते उसने कहा, "आप लोग यहाँ ......"
इससे पहले की वो आगे कुछ और कह पाती एक Inspector आगे आये और एक आदमी का परिचय देते हुए उसने कहा, “व्योला ! ये यहाँ के Chief In charge हैं। ”
यह सुनते ही वो हैरान हो गयी उसने उस आदमी को देखा .
Chief In charge एक प्रोफेशनल दिखने वाले अधेड़ उम्र के व्यक्ति थे। उसने पूछा, “आप यहाँ किस लिए आये हैं?”
Chief In charge ने गंभीर स्वर में कहा: “Miss व्योला, हम यहां Mr. Rajendra का ward बदलने के लिए आए हैं।”
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राजेंद्र का वार्ड क्यों बदला जा रहा था? आखिर क्या हुआ था राजेंद्र को? क्या व्योला उन्हें बचा पाएंगी? जानने के लिए बने रहिये मेरे यानि मनचली के साथ।
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