मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों.. आप सबकी जिंदगी में खुशी के कई यादगार पल होंगे और कुछ दुःख के भी यादगार पल होंगे। जब मौत नजदीक होती है तब इंसान को सिर्फ अपने काण्ड ही याद आते हैं।  खुशी और ग़म तो आप भूल सकते हैं पर काण्ड भुलाए नहीं भूलते क्योंकि काण्ड ही तो जिंदगी के सबसे हसीन पलों की निशानी बनते हैं। आपको अपनी स्कूल की मार्कशीट याद हो ना हो पर आपने किस क्लास में कौन सी डेट को कौन से क्लासरूम में आलू बम फोड़ा था, वो आपको टाइम के साथ याद होगा। आप अपनी किस गर्लफ्रेंड के साथ किस रेस्टोरेंट पे डेट पे गए थे आपको याद हो ना हो पर आप किस दिन अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मूवी देखते हुए अपने पिताजी के हाथों पकड़े गए थे और पिताजी आपको पूरा रास्ता सोटते हुए घर लेकर गए थे यह आपको सिनेमा हॉल की सीट नंबर समेत याद होगा। हमारे घरों में तो त्यौहार भी कलह के नाम से ही याद रखे जाते हैं कि दिवाली पर शराब पीकर मामा जी ने पिताजी की नई कार पर अपने स्कूटर से डेंट मार दिया था और होली पे अम्मा ने भांग पीकर दादी को ही रगड़ दिया था। हमारे गाँव में तो आज भी ऐसे कई लोग हैं जिनका जन्मदिन गाँव वालों को क्या उन्हें खुद को नहीं पता। बस यह याद है कि जिस दिन भैंस का दूध निकालते निकालते दूधवाला भैंस के नीचे आकर मर गया था उसी दिन वो पैदा हुए थे। ऐसे मजेदार काण्डों से ही तो जिंदगी के यादगार पल बनते हैं और आज गाँव में रखी रवि की यह पाल्टी भी यादगार बन गई है क्योंकि पाल्टी की रौनक बढ़ाने के लिए रवि और उसके दोस्तों ने जो पतली सी कमर पे घाघरा चोली पहने चेहरे पे घूंघट लिए एक आइटम वाली दीदी बुलाई थी उनके घूंघट के अंदर उनका चेहरा देखकर शौर्य शॉक के मारे बेहोश हो गया है। शौर्य को बेहोश देखकर रवि और उसके सारे दोस्त घबराए गए।​

​​Ravi : शौर्य भईया ! शौर्य भईया ! अरे इनको क्या हो गया?​

रवि का दोस्त बोला, “कहीं महुआ का असर तो नहीं! लगता है इस बार महुआ लेट रिएक्शन दे गई!”​

​​Ravi : अरे नहीं नहीं। फिर खाली शौर्य भईया  ही क्या बेहोश होते? हम सब भी तो ज़मीन पे गिरे पड़े होते। पक्का कुछ और बात है! एक काम करो मोजा सुंघाओ इन्हें! हम पिक्चरों में देखे हैं कि मोजे की बदबू से आदमी होश में आ जाता है। लाओ मोजा लाओ!​

रवि के सारे दोस्तों ने पहले एक दूसरे की शक्लों की ओर देखा और फिर एक दूसरे के पैरों की ओर देखा। उन सबने चप्पल पहनी थी। यहाँ तक कि रवि ने भी चप्पल ही पहनी थी।​

​​Ravi : बताओ गाँव की गरीबी इंसान को बेहोश ही मार देगी। इसीलिए हम शहर जाना चाहते हैं। वहाँ सब लोग जूता पहनते हैं। औरत लोग भी!​

रवि के दोस्त ने हैरानी से पूछा, “औरत लोग भी जूता पहनते हैं! तो मतलब शहर में कोई चप्पल ही नहीं पहनता? घर में भी जूता पहनके घूमते हैं क्या सब?”​

​​Ravi : अरे वहाँ घर में मॉडर्न चप्पल पहनाया जाता है। कॉक कहते हैं उसको! छेद होता है उसमें!​

दोस्तों रवि क्रोक्स की बात कर रहा है! उसकी अंग्रेजी साफ नहीं है पर आप अपना मन साफ रखिएगा। 
रवि के अलल टप्पू दोस्त ने पूछा, “छेद वाला चप्पल? हम छेद वाला बनियान पहन लेते हैं तो तुम हमको गंदा सा मुंह बनाकर छीः कहकर डर्टी फेलो बुलाते हो और तुम्हारा शहर वाला लोग छेद वाला फटा हुआ चप्पल पहनके घूमता है?”​

​​Ravi : बुड़बक, उसे फैशन कहते हैं। तुम तीसरी फेल क्या जानो फैशन के बारे में!​


रवि के दोस्त को बुरा लग गया, “तुम ज्यादा तुर्रम खान मत बनो रवि। पता है हमको भी फैशन के बारे में! प्रियंका चोपड़ा की फिल्म हम 15 बार देख चुके हैं!”​

​​Ravi : ए गोबरचट्टा उसमें तो गंदा गंदा सीन है रे! भाभी को पता है तुम ऐसा अश्लील फिल्में देखते हो?​

रवि के दोस्त की हवा tight हो गई वो बोला, “अरे नहीं वो शादी से पहले देखी थी। अब तो ई सब सिनेमा विनेमा छोड़ दिए हैं। कभी-कभार दूरदर्शन पे जय सोनातोशी माँ आ जाती है तो वो देख लेते हैं तुम्हारी भाभी के साथ। वो भी दोनों हाथ जोड़के। तुम हमपे फोकस करने की जगह ई शौर्य भईया पे फोकस करो ना! इन्हें होश में लाओ!”​

​​Ravi : कैसे लाएं? मोजा तो है नहीं?​


रवि के दोस्त ने एक नई ट्रिक सुझाई, “अरे तुमको मोजे से मतलब है कि बदबू से? बदबू से वो होश में आएंगे ना तो हम सबका चप्पल ट्राई करलो!”​

​​रवि और उसके दोस्तों ने अपनी अपनी बदबूदार चप्पल से शौर्य को होश में लाने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ। फिर उन्होंने मुट्ठी से प्याज तोड़ा और उसकी बदबू से शौर्य को होश में लाने की कोशिश की पर उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ।​

​​Ravi : लगता है कुछ दमदार बदबू वाला लाना पड़ेगा तभी शौर्य भईया को होश आएगा।​

रवि के दोस्त ने कहा, “ऐसी तो बस फिर एक ही चीज़ है।” 
रवि और उसके दोस्तों ने भैंस को भर-भर के चारा खिलाना शुरू किया और खाने के बाद जब भैंस ने ताज़ा ताज़ा गोबर किया तो उसकी बदबू से फाइनली शौर्य होश में आया। शौर्य के होश में आते ही रवि और उसके दोस्तों ने चैन की सांस ली और उन्होंने पार्टी रेज़्यूम करने का फैसला लिया। इससे पहले कि वो म्यूजिक स्टार्ट करते शौर्य जोर से चिल्लाने लगा…​

Shaurya (chillate huye) : ​​फ्रॉड! फ्रॉड! फ्रॉड!​

​​रवि और उसके दोस्त शौर्य को कन्फ्यूजन भरी नजरों से घूरने लगे क्योंकि उनमें से किसी को भी फ्रॉड का मतलब नहीं पता था।​

​​सब आपस में पूछने लगे, “ई का कह रहे हैं? फ्रॉड? फ्रॉड? फ्रॉड?”​

Ravi  : पता नहीं। हमें तो अंग्रेजी में एक ही F शब्द पता है.. फैमिली!​

​​रवि के दोस्त ने कहा, “तो पूछो शौर्य भईया  से.. हमारे भी शब्दकोश में कोई इज़ाफा हो!”​

Ravi  : ​​शौर्य भईया ई फ्रॉड.. माने?​

Shaurya  : ​​फ्रॉड मतलब धोखा! धोखा हुआ है!​

​​रवि के अलल टप्पू दोस्त ने कहा, “अरे ऐसे कैसे कोई धोखा कर देगा हमारे साथ! रवि के पिताजी सरपंच हैं। सरपंच के लौंडे के दोस्त के साथ ही धोखा! रवि तुम कसाई से चाकू पकड़ लो, हम घर से बंदूक लाते हैं! छोड़ेंगे नहीं! गंगा मइया की कसम खून की नदियाँ बहा देंगे। आप नाम बताइए भईया  कौन किया है धोखा आपके साथ!”​

Shaurya  : ​​मेरा साथ नहीं। धोखा तुम लोगों के साथ हुआ है। वो भी इस डांसर ने किया है। ये डांसर लड़की नहीं लड़का है! जो लड़की के कपड़े पहनके नाच रहा है! देखो इसकी टांगों पे भी बाल हैं और मैंने इसका घूंघट उठाकर देखा.. अंदर लड़का ही है वो भी दाढ़ी मूंछ वाला।​

​​रवि और उसके दोस्त गुस्से से उस डांसर को घूरने लगे। उन्हें देखकर लग रहा था कि आज तो पक्का खून की नदियाँ बहेंगी और फिर वो सब जोर जोर से हंसने लगे। डांसर भी हंसने लगी और उसकी मर्दाना हंसी ने साबित कर दिया कि वो घूंघट के नीचे मर्द ही है। शौर्य बहुत कंफ्यूज़ था।​

Shaurya  : या तो मुझे महुआ ज्यादा चढ़ गई है या फिर तुम लोग पागल हो गए हो! तुम लोगों के साथ इतना बड़ा धोखा हुआ है और तुम लोग हंस रहे हो?​

Ravi  : शौर्य भईया कोई धोखा नहीं हुआ है। हम जानते हैं कि घूंघट के नीचे औरत नहीं आदमी है। ये आदमी हमारा दोस्त लल्लन है। ए लल्लन घूंघट तो हटाओ ज़रा!​

​​लल्लन ने हंसते हंसते अपना घूंघट उतारा। उसके दाढ़ी मूंछों वाला चेहरा सबके सामने आया।​

Shaurya  : इसका मतलब तुम लोग पार्टी के नाम पे आदमियों को लड़कियों वाले कपड़े पहना कर डांस करवाते हो?​

Ravi  : ​​भईया ई गांव बखेड़ा है। यहाँ का लड़की लोग ऐसे पार्टी में डांस करने नहीं आता। यहाँ ये सब काम भी मर्दों को ही करना पड़ता है। हमारे गांव की रामलीला में भी सूर्पनखा और सीता सब आदमी लोग ही बनते हैं! अब औरतों से नाटक डांस गाना करवाना शोभा नहीं देता ना!​

Shaurya  : ​​तो तुम लोग गांव के बाहर से कोई लड़की क्यों नहीं बुला लेते? मैंने तो सुना है यहाँ ऑर्केस्ट्रा वाली बहुत लड़कियां हैं जो ऐसे प्राइवेट पार्टियों में भी डांस करती हैं!​

Ravi  : ​​भईया मरवाओगे का! हमारे पिताजी.. सरपंच रामु सिंह जी को अगर पता चल गया कि हम ऐसे गैर लड़की को गांव में इतनी रात बुला के उससे पार्टी में डांस करवा रहे हैं.. पहले तो वो हमको ब्लाउज़ पहनाके पूरे गांव में ऑर्केस्ट्रा निकालेंगे और फिर खेतों के पार जो आपको बरगद का पेड़ हमने दिखाया था न उस दिन.. उसी पे हमारा लाश लटका के सारे गांव के सामने हमारा उदाहरण सेट कर देंगे। इसलिए भईया हम अपने दोस्त लल्लन को ही घूंघट और घाघरा पहनाके अपने मनोरंजन का शौक पूरा कर लेते हैं।​

Shaurya  : पर ये तो गलत बात है! तुम लोग दोस्ती के नाम पे इस बेचारे लल्लन को ब्लाउज़ पहनाके नचवा रहे हो!​

​​शौर्य की बात सुनकर घाघरे वाला लल्ला बोल पड़ा, “अरे भईया  काहे हमारे पेट पे लात मार रहे हो? हमारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं हुआ है। हम तो अपनी मर्जी से घाघरा पहनके नाचते हैं। इन लोगों का मनोरंजन हो जाता है और हमारी दो पैसे की कमाई हो जाती है और ई बात इस तबेले से बाहर भी नहीं जाती। हमारी इज्जत भी बनी रहती है। बस आपसे भी यही रिक्वेस्ट है कि आप भी ये बात तबेले के अंदर ही रखिएगा वरना गांव में मुँह दिखाना मुश्किल हो जाएगा हमारा।”​

​​शौर्य को समझ नहीं आ रहा था कि वह इस सिचुएशन में कैसे रिएक्ट करे? रवि और उसके दोस्त लल्लन के साथ जो कर रहे थे वो उसे गलत लग रहा था पर उनकी मजबूरी थी और उनके इरादे भी गलत नहीं थे। वहीं लल्लन पैसों और अपने दोस्तों के मनोरंजन के लिए लड़की बनकर डांस भी अपनी मर्जी से कर रहा था। थोड़ा सोचने के बाद शौर्य को रियलाइज हुआ कि इसमें उसे कुछ गलत नहीं लग रहा, बस उसे ये अजीब लग रहा था क्योंकि शहर में उसे क्लब्स में सुंदर लड़कियों के साथ नाचने की आदत है और वो तो विदेशों के वो वाले क्लब्स में लड़कियों के ऊपर नोटों की बर्सात भी कर चुका है। इसलिए उसने रवि और उसके दोस्तों की सिचुएशन को समझा और वादा किया कि लल्लन का ये राज इस तबेले से बाहर कभी नहीं जाएगा।​

Shaurya  : तो पार्टी कंटिन्यू करे?​

​​रवि और उसके दोस्तों ने महुआ का पेग उठाया और शौर्य के साथ Cheers किया। फिर तड़कते भड़कते भोजपुरी गानों पर शौर्य ने रवि और उसके दोस्तों के साथ डांस किया और लल्लन लड़की बनके उनके साथ नाचा। शौर्य को कभी इतना मज़ा शहर के क्लब में हॉट लड़कियों के साथ नाचके नहीं आया जितना उसे आज इस तबेले में एक लड़की बने लड़के के साथ नाचके आया। शौर्य ने रवि और उसके दोस्तों को थैंक यू बोला और नशे में झूमता हुआ वापस अपने घर पहुँच गया। जैसे ही उसने घर में कदम रखा, सामने उसके दादा जी गुस्से में बैठे उसका इंतजार कर रहे थे। क्या होगा जब हरिश दद्दा शौर्य को नशे की हालत में देखेंगे? क्या हरिश दद्दा शहर से शौर्य के लिए कोई अच्छी खबर लाए हैं? औरत बन के एक रात में कितना कमा लेता है लल्लन? सब कुछ बताएंगे महाराज.. गांववालों के अगले भाग में।​

 

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