रातभर मीरा को नींद नहीं आई। वह पूरी रात बस करवट बदलती रही। अर्जुन जी की बातें उसके दिमाग़ में बिना रुके घूम रही थीं कि कैसे उसका स्वतंत्र होना और पैसा कमाना इस तलाक के केस में उसकी हार का कारण बन सकता था। वह अपनी ये परेशानियाँ किसी के साथ साझा भी नहीं कर सकती थी, क्योंकि हर कोई उसके फैसले के खिलाफ था।
सुबह वह तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गई। रातभर नींद न आने की वज़ह से अब उसके सिर में दर्द हो रहा था और निकलते वक़्त उसने नाश्ता भी नहीं किया था। इसीलिए रास्ते में उसने एक कॉफी शॉप के सामने गाड़ी रोक दी। वहाँ से उसने अपने लिए एक कॉफी और सैंडविच खरीदा। दोनों चीजें अपने हाथ में लेकर वह कार की तरफ़ जाने लगी, तभी रास्ते में कोई आकर उससे टकरा गया और उसका सैंडविच और कॉफी उसके हाथ से नीचे गिर गए। मीरा को बहुत गुस्सा आया। अब जिसने भी उसके हाथ से उसकी कॉफी और सैंडविच गिराए थे, उसे सुनाने के इरादे से उसने उस इंसान की तरफ़ देखा और वह हैरान रह गई।
एक बहुत ही हैंडसम-सा लड़का, जिसकी उम्र 30 से 32 साल के बीच होगी, काले रंग का कोट पहने और हाथ में बड़ा-सा ऑफिस बैग लिए हुए जल्दी में कहीं जा रहा था। मीरा को धक्का लगने के बाद उसने जल्दी से "सॉरी" कहा और वैसे ही वहाँ से भागता हुआ चला गया। लेकिन मीरा का गुस्सा एकदम से ठंडा पड़ गया।
मीरा ने निराश होकर अपने सैंडविच और कॉफी के कप को ज़मीन से उठाया और डस्टबिन में डालकर वह कार में बैठ गई। अब वह दोबारा कैफे में जाकर दूसरा सैंडविच और कॉफी नहीं खरीद सकती थी, क्योंकि अब उसे ऑफिस के लिए बहुत देर हो चुकी थी।
उसने कार स्टार्ट ही की थी कि उसे निकिता का कॉल आ गया। मीरा की आवाज़ से उसने पहचान लिया कि मीरा का मूड खराब था।
निकिता:
क्या हुआ? मूड क्यों ऑफ है तुम्हारा?
मीरा:
अरे कुछ नहीं यार। रातभर नींद नहीं आई। सुबह से कुछ खाया नहीं है और अभी कॉफी और सैंडविच लिया तो एक लड़का पता नहीं कहाँ से भागते हुए आया और मुझसे टकरा कर उसने मेरी कॉफी और सैंडविच गिरा दी और तो और बिना वह ज़मीन से उठाए वह वैसे ही भाग गया।
निकिता:
बेचारा जल्दी में होगा। पर, रातभर सोई क्यों नहीं? कुछ हुआ है क्या? और हाँ, कल मीटिंग भी तो थी तुम्हारी लॉयर के साथ? क्या कहा उन्होंने?
मीरा:
कुछ नहीं, वही सब बातें। म्यूचुअल डिवोर्स ले लो। कह रहे थे कि मेरा फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होना मेरे केस को कमजोर बनाता है, जिसकी वज़ह से जो केस मैंने रोहन के ऊपर लगाए हैं, वह हारने के ज़्यादा चांस हैं।
निकिता:
फिर भी तुम्हें अक्ल तो आई नहीं होगी। जैसे कल रात की नींद उड़ी है न तुम्हारी, अब तैयार हो जाओ। आगे और भी रातें तुम्हें ऐसे ही जागते हुए कटनी हैं।
मीरा:
अब तुम शुरू मत हो जाना। चल मैं शाम को बात करती हूँ। ऑफिस पहुँच गई हूँ मैं।
मीरा ने फ़ोन रख दिया और कार पार्क करके वह ऑफिस के अंदर चली गई। ऑफिस में आज उसका मन भी नहीं लग रहा था। पूरे दिन उसका ऐसे ही बर्बाद हो गया। न वह ऑफिस का काम निपटा सकी और इस चक्कर में उसने अपने बॉस की डांट भी खा ली।
अर्जुन जी की बातें, बॉस की डांट और उसकी ज़िंदगी में चल रहा सारा बखेड़ा देखते हुए उसने उस दिन ऐसा कुछ कर दिया, जो उसने पहले कभी करने के बारे में नहीं सोचा था और उस रात वह घर आकर चैन की नींद सोई, जैसे उसके दिल-दिमाग से कोई बोझ उतर गया हो।
सुबह उसने अर्जुन जी को फ़ोन लगाया और उनसे कहा कि उसे उनसे आज ही मिलना है। अर्जुन जी व्यस्त थे, लेकिन मीरा के कहने पर उन्होंने थोड़ा वक़्त निकालकर उससे मिलने के लिए हाँ कहा। उनके बताए हुए वक़्त पर मीरा उनके ऑफिस पहुँच गई। उसने दरवाजे पर नॉक किया और वह अंदर गई। लेकिन अंदर अर्जुन जी के पीछे खड़े लड़के को देखकर वह एकदम से हड़बड़ा गई। ये वही लड़का था, जिसने एक दिन पहले उसके हाथ से कॉफी और सैंडविच गिराया था। लेकिन शायद उस लड़के ने मीरा को नहीं पहचाना। वह तब इतना जल्दी में था कि शायद उसने मीरा को ठीक से देखा ही न हो।
मीरा अंदर गई और कुर्सी पर जाकर बैठी।
अर्जुन:
"नीरज, तुम थोड़ी देर के बाद आना। बाय द वे मीरा, ये नीरज है। तुम्हारे केस में अब अदिति की जगह नीरज सारा काम देखेगा और नीरज, मैं जिस क्लाइंट के बारे में बता रहा था, वह यही हैं, मिसेज़ मीरा कपूर।"
नीरज ने मीरा से हाथ मिलाया और फिर वह वहाँ से चला गया।
अर्जुन:
"अब बताओ मीरा। क्या बात है?"
मीरा:
"उस दिन आपने बताया न कि कैसे मेरा जॉब करना, फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होना मेरे केस पर बुरा असर डाल सकता है..."
अर्जुन:
"हाँ, मैंने कहा तो था ये। लेकिन उसका क्या?"
मीरा:
"तो... मैंने अपनी जॉब से रिजाइन कर दिया है।"
अर्जुन जी शॉक्ड हो गए। एक पल के लिए उन्हें लगा कि उन्होंने कुछ ग़लत सुना है।
अर्जुन:
"क्या? रिजाइन कर दिया? क्यों? किस लिए? क्या मैंने तुम्हें एडवाइस दी थी ऐसा कोई क़दम उठाने की?"
मीरा:
"नहीं, पर..."
अर्जुन:
"तो मुझसे बिना सलाह-मशवरा किए तुमने रिजाइन कैसे कर दिया? वापस ले लो रिजाइन।"
मीरा:
"अब तो वह पॉसिबल नहीं है..."
अर्जुन:
"क्यों पॉसिबल नहीं है?"
मीरा:
"क्योंकि, मेरा रिजाइन... मेरी कंपनी ने, एक्सेप्ट कर लिया है..."
अर्जुन जी ने अपना सर हाथ में पकड़ लिया।
अर्जुन:
"मीरा, मीरा... क्या तुम एक भी डिसीजन सोच-समझकर नहीं ले सकती हो? पहले ही तुम्हारा ये कोर्ट में रोहन पर लगाए केस पीछे न लेने का फ़ैसला ग़लत है, उसमें तुमने अब जॉब से भी रिजाइन कर दिया? क्या तुम सच में आगे नहीं बढ़ना चाहती हो? बिना अपनी जॉब के तुम कैसे सर्वाइव करने वाली हो? क्या तुमने अपने मम्मी-पापा को बताई ये बात?"
मीरा:
"अभी तक तो नहीं। आज बताऊँगी।"
अर्जुन: "तो फिर पहले उनको जाकर बताओ ये सब और फिर मुझसे आकर बात करना। देखते हैं अब आगे क्या और कैसे करना है।"
अर्जुन जी को मीरा का यह क़दम बिल्कुल सही नहीं लगा था। उनकी नाराजगी साफ-साफ उनकी बातों में नज़र आ रही थी।
मीरा वहाँ से निकलकर सीधे अपने मम्मी-पापा के घर आ गई। उसे अचानक से घर आया हुआ देखकर वे दोनों खुश थे।
मम्मी:
अरे मीरा बेटा, आज ऐसे कैसे आना हुआ? ऑफिस नहीं था आज? छुट्टी ले ली?
पापा:
आजकल काम को लेकर ध्यान कम होता जा रहा है तुम्हारा। तुम्हारा बॉस कहीं काम से ना निकाल दे तुम्हें?
और मीरा के पापा हंसने लगे।
मीरा:
वो नौबत नहीं आएगी, पापा क्योंकि... मैंने रिजाइन कर दिया है।
पापा :
अच्छा मज़ाक कर लेती हो। पर सच में बताओ, आज किस बात की छुट्टी है? ऑफिस क्यों नहीं गई आज तुम?
मीरा:
पापा, मैं सच कह रही हूँ। मैंने सच में नौकरी छोड़ दी है। नोटिस पीरियड बाक़ी है, जो कल से शुरू होगा।
मम्मी:
हे भगवान! क्या करूं मैं इस लड़की का? नौकरी क्यों छोड़ दी तुमने? अब क्या तुम्हारा घर पर बैठने का इरादा है?
मीरा:
नहीं, मम्मी। दरअसल, मैं अभी अर्जुन अंकल के ऑफिस से ही होते हुए आ रही हूँ। उन्हें भी मैंने अभी बताया इसके बारे में।
पापा:
क्या ये अर्जुन के कहने पर किया है तुमने?
मीरा:
नहीं, पापा। परसों जब मेरी उनसे बात हुई थी, तो उन्होंने कहा था कि मेरा फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होना मुझे केस में हरा सकता है, तो मैंने यह फ़ैसला लिया।
पापा:
फिर से तुमने एक और फ़ैसला ले लिया और फिर से हम में से किसी की राय लेना तुमने ज़रूरी नहीं समझा। क्यों मीरा, क्यों बदले की आग में तुम ख़ुद को बर्बाद कर रही हो?
मीरा:
नौकरी ही तो है, पापा। एक चली गई तो दूसरी मिल जाएगी।
मम्मी:
बेटा, बात सिर्फ़ एक नौकरी की नहीं है। लेकिन जिस तरीके से तुम एक के बाद एक ग़लत फैसले लेती जा रही हो, हमें फ़िक्र हो रही है तुम्हारी। आज तुमने नौकरी छोड़ दी, कल तुम और कुछ ऐसा कर दोगी जिससे तुम्हारा और नुक़सान हो जाएगा।
मीरा:
मुझे लगा था, यहाँ आकर मुझे दो पल की शांति नसीब होगी। लेकिन नहीं... मैं भूल कैसे गई थी कि यहाँ भी मुझे बस यही सुनने मिलेगा कि मैं कैसे ग़लत हूँ।
इतना कहकर वह वहाँ से जाने लगी और उसके मम्मी के रोकने पर भी नहीं रुकी।
पापा:
जाने दो उसे। थोड़े धक्के खाएगी, तब जाकर अक्ल आएगी उसमें। उसको जानती हो ना तुम। वह कभी किसी की नहीं सुनती, बस अपने मन की करती है।
मीरा के मम्मी-पापा दूर से ही मीरा को गुस्से में कार में बैठकर वहाँ से जाते हुए देख रहे थे।
मीरा वहाँ से निकलकर सीधे निकिता के ऑफिस चली गई। उसे पता था कि निकिता से भी उसे डांट ही पड़ने वाली है।
निकिता चाय के ब्रेक का बहाना बनाकर ऑफिस से बाहर निकली और फिर एक कैफे में चाय पीते-पीते मीरा ने उसे अपने रिज़ाइन की ख़बर सुनाई।
निकिता :
तुम सच में पागल हो चुकी हो, मीरा। मुझे actuallyमें अब इस बारे में तुमसे बात ही नहीं करनी है। तुम्हें जो सही लग रहा है, तुम करो। आगे से हमें बताया भी मत करो कि तुम क्या कर रही हो और क्या नहीं। अगर सारे फैसले तुम्हें अकेले ही लेने हैं तो हमें बताने का कष्ट भी क्यों करती हो?
मीरा:
प्लीज यार, निकिता। तुम तो कम से कम डांटना बंद कर दो। मैं पहले ही सबसे बहुत सुन चुकी हूँ। मैं चाहती हूँ कि कोई तो मुझे समझे और मेरा साथ दे। क्या कोई नहीं है जो आँख मूंदकर मेरे फैसले पर और मुझ पर भरोसा रखकर मेरा साथ देगा?
निकिता:
साथ तो तेरे, ऑफ कोर्स, हम सब हैं, चाहे तू फैसले ग़लत ले या सही। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि तुम ग़लत पर ग़लत फैसले लेती जाओ। खैर, अब तुमने रिज़ाइन कर ही दिया है, तो आगे का क्या प्लान है, वह बताओ।
मीरा:
आगे का प्लान तो खैर मुझे भी नहीं पता। देखते हैं, क्या होता है।
मीरा के फैसले को ग़लत ठहराकर सब उसके फैसले के खिलाफ खड़े थे।
मीरा को अब कोई आइडिया नहीं था कि आगे वह कैसे अपना सर्वाइवल मैनेज करने वाली है।
नौकरी तो उसने छोड़ दी थी, मगर अगले महीने से घर ख़र्च वह कहाँ से लाने वाली थी, ये तो उसे भी नहीं पता था।
इस दौरान, रोहन की ज़िन्दगी में क्या चल रहा था, किसी को कुछ नहीं पता था।
मीरा के म्यूचुअल डिवोर्स न लेने के फैसले के बाद न वह किसी से मिला था, न उसने किसी का फ़ोन उठाया था।
रोहन का दोस्त, राजन, उसके घर जाकर देखता है तो वह वहाँ भी नहीं था।
ऑफिस जाने पर पता चला कि वह कुछ दिन की छुट्टी पर था। अब उसके दोस्तों को उसकी चिंता होने लगी थी।
राजन ने उसके मम्मी-पापा को फ़ोन लगाकर जब उसके बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि उनकी रोहन के साथ आखिरी बार बात दो दिन पहले हुई थी।
और उसने उनसे कहा था कि कुछ दिन वह ऑफिस के काम से बेंगलुरु जा रहा है, तो उनसे फ़ोन पर बात नहीं कर पाएगा।
राजन और समीर को अपने दोस्त की टेंशन होने लगी थी।
क्योंकि वह अच्छे से जानते थे कि रोहन ऑफिस के किसी काम से कहीं नहीं गया है। लेकिन फिर वह था कहाँ?
ऐसे हवा की तरह वह अचानक से गायब कैसे हो गया था?
क्या वह किसी खतरे में फंसा हुआ था या ख़ुद ही उसने अपने ऊपर कोई ख़तरा मोल ले लिया था?
जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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