जिस तरह विक्की अपनी पत्नी पारो की यादों के खोया हुआ था। उससे साफ पता चल रहा था कि उसे पारो की बहुत याद आ रही है। थोड़ी सी व्हिस्की के साथ मधुर संगीत ने उसे पारो के दूर होने के एहसास को थोड़ा कम कर दिया था।
उस समय उसके फोन पर जो कॉल आई थी, वो किसी और की नही बल्कि उसकी पत्नी पारो की थी। पारो जानती थी कि दिन भर तो विक्की अपने काम बिज़ी रहते होंगे। बस एक रात के ही समय में विक्की से बात की जा सकती थी। जैसे ही विक्की ने कॉल को रिसीव करने के लिए ग्रीन बटन को swipe किया तो उधर से आवाज़ आई:
“कैसे है आप? ठीक तो है ना? आपने खाना खाया? आपका काम कैसा चल रहा है?
पारो ने एक ही बार में सारे सवाल पूछ डाले थे। विक्की को उसकी आवाज़ सुन कर बहुत अच्छा लगा। अपनी पत्नी से दूर रह कर जितना बेताब विक्की था, उतनी ही परेशान पारो भी। दोनों ने एक दूसरे की आवाज़ सुनी तो दोनों के दिल को सुकून मिला। दोनों एक दूसरे की कमी को महसूस कर रहे थे। दोनों के दिलों में एक दूसरे के साथ रहने की तड़प को महसूस किया जा सकता था। अपने हाल चाल बताने के बाद विक्की ने अपनी पत्नी पारो के बारे में पूछते हुए कहा:
विक्की:
तुमने खाना खाया?? मां और बाबू जी कैसे है?? वो ठीक तो ना??
विक्की की इस बात पर पारो खामोश रही। उसकी खामोशी से विक्की को समझ में आ गया था कि वे अभी भी नाराज़ है। उसने पारो को हिम्मत देते हुए कहा:
विक्की:
आसमान में घटा कितनी भी घनघोर क्यों ना हो, बरसने के बाद छंट ही जाती है।
विक्की के कहने का मतलब था कि भले ही पारो के मां और बाबू जी उनकी शादी को लेकर नाराज़ हो मगर एक दिन उनके दिल में अपनी औलाद के लिए प्यार ज़रूर जागेगा। उन्हें सबसे ज़्यादा गुस्सा इस बात को लेकर था कि उनकी बेटी ने ऐसे आदमी से शादी की, जिसके घर बार का कुछ पता नही था।
पारो ने तो बस विक्की से प्यार किया था। उसने ना विक्की की कास्ट देखी, ना उसके घर वाले। विक्की ने शादी से पहले पारो को अपने बारे से सब बता दिया था। उसके अनाथ होने के बावजूद उसने विक्की से प्यार किया। दोनों को पहली मुलाकात में ही प्यार हो गया। पारो ने अच्छे मूड के साथ कहा:
“तुम्हे याद है हमारी पहली मुलाकात?
विक्की:
मैं उस मुलाकात को कैसे भूल सकता हूं। उस मुलाकात की वजह से ही तो तुम मेरी जिंदगी में हो।
ये बात कहते हुए विक्की के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी। अच्छे पल दिल को सकून देने के साथ साथ चेहरे पर स्माइल भी देते है। विक्की ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा:
विक्की:
शायद उस समय अगर तुमसे मेरी मुलाकात नहीं होती तो तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं होती। अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए विक्की के चेहरे की मुस्कान बढ़ती जा रही थी।
एक तरह जहां विक्की और पारो अपनी पहली मुलाकात को याद करके खुश हो रहे थे। वही दूसरी तरफ उसमान अपनी बीवी की कॉल के डिस्कनेक्ट होने पर बहुत परेशान हो गया था। उसकी बेचैनी उसके चेहरे पर साफ नज़र आ रही थी।
उसने एक बार फिर अपनी बीवी रज़िया को कॉल लगाया मगर बेल जा ही नहीं रही थी। दो तीन बीप के बात कॉल अपने आप कट जाती थी। उसने परेशान होते हुए कहा:
उसमान:
अभी, थोड़ी देर पहले तो अच्छी खासी बात हो रही थी, अचानक से कॉल कट क्यों गई। अब दोबारा कॉल मिल भी नहीं रही।
उसमान की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसे लगा उसके फोन में ही कुछ खराबी आ गई है। उसने अपने फोन को दो से तीन बार, अपनी हथेली पर मारा। मगर फिर भी बात नहीं बनी। बड़ी ही बेचैनी के साथ उसने कहा:
उसमान:
शायद, इस फोन में बैटरी में कुछ गड़बड़ होगी, एक बार फोन की बैटरी को निकाल कर देखता हूं।
अपनी बात के साथ साथ उसमान ने अपने हाथ से फोन के पिछले हिस्से को खोला और उसमे से बैटरी को निकाल कर मुंह से फूंक मारने लगा।
उसमान ने वापस से बैटरी को फोन में डाला और उसे ऑन किया। इस बार उसमान को बड़ी उम्मीद थी कि रज़िया की कॉल लग जायेगी। मगर जब इस बार भी कॉल कनेक्ट नहीं हुई तो उसमान ने चिढ़ते हुए कहा:
उसमान:
लगता है अब ये फोन मेरे किसी काम का नही, मुझे इसे फेंक ही देना चाहिए।
वो इतना गुस्से में था कि उसके मन में फोन को फेंकने की बात आ गई थी। उसने फोन को फेंकने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया भी था मगर अचानक रुक गया। उसने अपनी बात की टोन को बदलते हुए कहा:
उसमान:
अगर मैंने इस फोन को तोड़ दिया, या फिर फेंक दिया तो मैं इससे भी जाऊंगा। कुछ भी है, इस फोन से कम से कम घर पर बात तो हो जाती है।
उसमान का फोन भले ही पुराना था मगर वो इस फोन से अपनी बीवी और बेटी से बात तो कर लेता था। उसमान बेचैनी में इधर से उधर और उधर से इधर चलने लगा । तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आया।
एक तरफ जहां उस आइडिया को सोच कर उसमान के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी वही दूसरी तरफ जब ध्रुव और बल्ली ने एक शानदार गाड़ी से महंगी शेरवानी पहने पचास साल की उम्र के आदमी को उतरते देखा तो दोनों चौंक गए। तभी बल्ली के मुंह से निकला:
बल्ली:
ये यहां? मेरा मतलब है, इनसे यहाँ इस तरह मुलाकात होगी।
अभी तक ध्रुव की समझ में भी कुछ नही आया था। उसने बल्ली की बात तो सुनी थी मगर उसने उसकी बात एक कान से सुनी और दूसरे कान से निकाल दी थी। ध्रुव ने उसकी बात पर कोई रिएक्शन भी नहीं दिया। वो तो बस उस महंगी शेरवानी पहने आदमी की तरफ देख रहा था। इससे पहले ध्रुव कुछ कह पाता। एक भारी भरकम आवाज़ आई:
“कैसे हो ध्रुव, तुम्हे यहां आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई”
ये भारी भरकम आवाज़ किसी और की नहीं बल्कि नवाब शमशुद्दीन की थी। ये वही नवाब साहब थे जिन्होंने ध्रुव और बल्ली को अपने काम के लिए बुलाया था। उन्होंने अपनी बात को दोहराते हुए कहा:
नवाब साहब:
क्या बात है ध्रुव, तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। मैने पूछा आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई?
ध्रुव ने अदब के साथ अपने चेहरे पर स्माइल ला दी मगर बल्ली, उसने अपने मन में नवाब साहब के सवाल का जवाब देते हुए खुद से कहा:
बल्ली:
नवाब साहब, आप परेशानी की बात कर रहे है। यहां अभी अपनी जान जाते जाते बची।
नवाब साहब:
कुछ कहा बल्ली तुमने:
एक बार फिर नवाब साहब की बात सुन कर बल्ली चौंक गया। उसे ऐसा लगा जैसे नवाब साहब ने उसके मन की बात सुन ली हो। ध्रुव ने इस बार नवाब साहब की बात का जवाब देते हुए कहा:
ध्रुव:
नही, नवाब साहब, आने में कोई परेशानी नहीं हुई। आपने प्लेन का टिकट भेजा था। मुंबई से लखनऊ तक का सफर काफी अच्छा रहा।
ध्रुव की इस बात पर बल्ली ने उसे तीखी नज़रों से देखा। उसने ध्रुव के कोहनी भी मारी। बड़ी आहिस्ता से बल्ली ने ध्रुव के कान के पास अपने चेहरे को ले जाकर कहा:
बल्ली:
क्यों झूठ बोल रहा है यार, सच सच बताता क्यों नहीं। एयर पोर्ट से यहां तक का सफर कितना खतरनाक रहा।
शायद बल्ली की बात को नवाब साहब भी सुनना चाहते थे। नवाब साहब बहुत अदब वाले इंसान थे। वो महफिल का ख़्याल रखना बखूबी जानते थे। उन्होंने बल्ली के सामने अपनी बात रखते हुए कहा:
नवाब साहब:
इस तरह महफिल के बीचों बीच किसी के कान में कुछ कहना अदब के खिलाफ है। ये अच्छी बात नहीं। जो भी कहना है सब के सामने कहो।
नवाब साहब ने ये बात अपने हाथों से चारो तरफ मौजूद लोगों की तरफ इशारा करते हुए कही थी। जितने भी लोगों को ध्रुव ने पीटा था वो सभी ज़मीन से उठे और नवाब साहब के पास आकर खड़े हो गए।
जिस तरह वो नवाब साहब के पास आकर खड़े हुए थे। उससे साफ पता चल रहा था कि ये सभी उन्ही के आदमी थे। एक बार तो बल्ली के मन में आया कि वो नवाब साहब से इस बारे में सवाल करे मगर नवाब साहब के मन की बात जानने के बारे में सोच कर वो चुप रहा। नवाब साहब ने अपने पिटे हुए आदमी की तरफ देखते हुए कहा:
नवाब साहब:
लगता हैं इनकी पिटाई बड़ी फुरसत से की है। इन्हे देख कर साफ लग रहा हैं कि तुम्हारे अंदर पहले जैसे ताकत अभी भी मौजूद है।
जिस तरह ध्रुव ने नवाब साहब के साथियों के हाथ पैर तोड़े थे, कोई भी होता तो नवाब साहब की तरह ही बोलता। नवाब साहब ने जिस तरह ध्रुव की तारीफ की थी। उसे सुन कर ध्रुव के चेहरे पर स्माइल आ गई थी। ध्रुव ने भी अदबी अंदाज़ में कहा:
ध्रुव:
नवाब साहब ये तो आपकी नज़रे इनायत है। वरना हम आपके सामने क्या चीज़ है।
नवाब साहब भी अपनी तारीफ सुन कर खुश हो गए थे। अब अगर वहां कोई खुश नहीं था तो वो था बल्ली। बल्ली ने मन ही मन में सोचा कि दोनों एक दूसरे की तारीफ करने में खुश है। मेरे बारे में कोई नहीं सोच रहा। वो सोच रहा था कि कब तक यहां खड़े रहेंगे। तभी नवाब साहब की आवाज़ आई:
नवाब साहब:
आप लोग गाड़ी में चल कर बैठिए, बाकी की बात हवेली में पहुंच कर करेंगे।
नवाब साहब की बात सुन कर बल्ली को विश्वास होने लगा था कि पक्का नवाब साहब मन की बात सुन लेते है। नवाब साहब ने अपने एक साथी से बाकी साथियों की मलहम पट्टी के लिए कहा।
एक तरफ ध्रुव और बल्ली नवाब साहब की शानदार गाड़ी में बैठने की लिए चल दिए थे, तो दूसरी तरफ उसमान के दिमाग में जो आइडिया आया था वो था अपनी फैमिली से बात करने के लिए चैंग की मदद लेने का आइडिया। उसने अपने मन की बात को ज़बान पर लाते हुए कहा:
उसमान:
चैंग मेरी मदद ज़रूर करेेंगा, उसे फोन की अच्छी खासी जानकारी है। अगर फोन खराब हो गया होगा तो वो इसे ठीक कर देगा।
अपनी बात को कहने के साथ ही वो अपने कमरे से चैंग के पास जाने के लिए चल पड़ा। एक बार फिर उसके कदम अपने कमरे के दरवाज़े को खोलने से पहले रुक गए थे। उसने खुद से बात करते हुए कहा:
उसमान:
वो सो तो नही गया होगा, नहीं अभी वो जाग रहा होगा, वैसे भी अभी इतनी रात कहां हुई है।
अपनी बात को कह कर उसने दरवाज़ा खोला और चैंग के कमरे की तरफ चला गया। उसने चैंग के दरवाज़े को खटखटाया।
एक तरफ उसमान चैंग के कमरे का दरवाज़े का खुलने का इंतजार कर रहा था तो दूसरी तरफ रोज़ी रणविजय के कमरे में उसे खुश करने के लिए अपने जलवे बिखेरने के लिए तैयार थी।
आखिर इस बार रोज़ी अपने बॉस को खुश करने के लिए क्या जलवा दिखाएंगी? क्या चैंग उसमान का फोन ठीक करने में उसकी मदद करेगा? गाड़ी में बैठ कर नवाब साहब ध्रुव और बल्ली से क्या बातें करेंगे?
जानने के लिए इस कहानी का अगला एपिसोड पढ़ना ना भूले।
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