रोज़ी के रूम के अंदर आने से पहले ही रणविजय ने whiskey  के कई peg लगा लिये था। इस बार रोज़ी ने बिना रणविजय के कहे अपने कपड़ों को बदल लिया था। उसने जो नाईटी पहनी हुयी थी, वो ब्लैक कलर की थी। उस ब्लैक कलर की नाईटी में वह क़ातिल हसीना लग रही थी। उसके हाथ में जो ग्लास था वो वाइन से आधा भरा हुआ था। उसने रणविजय के पास आकर कहा:

रोज़ी : आज मैं कैसे लग रही हूँ?

रणविजय : जैसी रोज़ लगती हो आज भी वैसे ही लग रही हो।

रोज़ी को रणविजय की ये बात अच्छी नहीं लगी। वो जल्दी समझ गयी थी कि रणविजय ने थोड़ी ज़्यादा शराब पी ली है इसलिए वह ऐसी बातें कर रहा है। कमरे के एक तरफ बने बार काउंटर पर बैठा रणविजय पेग पर पेग पिए जा रहा था। रोज़ी उसके पास गयी और अपने हाथ के ग्लास को काउंटर पर रखा और कहा:

रोज़ी : अब शराब पीना बहुत हुआ। अब वक्त है कुछ अलग करने का।

अपनी बात को कहते हुए रोज़ी ने रणविजय के हाथ में शराब के ग्लास को ले लिया। रणविजय भले ही नशे में था मगर उसे ये मालूम चल रहा था कि रोज़ी उसके साथ क्या कर रही है। उसने रोज़ी से कहा:

रणविजय : ये आखिरी पेग है, इसके बाद नहीं पियूँगा।

रणविजय ने ये बात रोज़ी के हाथ से गिलास लेने के लिए कही थी। रोज़ी अपनी अदाएं बिखेरते हुए थोड़ा पीछे की तरफ गयी। व्हिस्की का ग्लास अभी भी रोज़ी के हाथ में था। उसने रणविजय से कहा:

रोज़ी : अगर तुम्हे ये गिलास चाहिए तो आकर ले लो।

रोज़ी बड़े ही romantic अंदाज़ में दूसरे हाथ की ऊँगली से रणविजय को अपनी तरफ बुला रही थी। रणविजय के शरीर के भाव को देख कर रोज़ी को लग रहा था कि वह उठेगा और उसकी तरफ आएगा। एक बार फिर रोज़ी ने अपना जलवा दिखाते हुए कहा:

रोज़ी: आओ ना डार्लिंग मेरे पास, ये ग्लास तुम्हारे लिए ही है।

रोज़ी ने रणविजय को रिझाने की बहुत कोशिश की मगर रणविजय अपनी जगह से हिला नहीं। वह थोड़ी देर तक रोज़ी की तरफ देखता रहा। उसने ग्लास को पाने के लिए रोज़ी से कहा:

रणविजय : तुम मुझे ये गिलास दे रही हो या नहीं। फाइनल बताओ।

रणविजय की इस बात से रोज़ी को लगा कि वह अपनी जगह से उठेगा और उसके पास आयेगा। एक बार रणविजय उसके पास आया तो उससे लिपट जाएगी मगर ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। जब रणविजय के कहने पर रोज़ी ने गिलास नहीं दिया तो उसे गुस्सा आ गया। उसने अपने पास रखी व्हिस्की की बोतल को ही अपने मुँह से लगा लिया।

ये देख कर रोज़ी का मन खट्टा हो गया। वह तुरंत उसके पास गयी और उसके हाथ से बोतल को छीन लिया। साथ ही उसके हाथ में जो व्हिस्की का ग्लास था, उसे रणविजय को पकड़वा दिया। वह जानती थी कि अगर उसने ग्लास नहीं दिया तो वह बची हुयी व्हिस्की की बोतल भी पी जायेगा। रणविजय ने रोज़ी के हाथ से ग्लास लिया और कहा:

रणविजय : You are such a beautiful girl, darling। तुमसे अच्छा कोई नहीं है।

अपनी तारीफ सुन कर रोज़ी खुश हो गयी। उसके सामने जो व्हिस्की की बोतल रखी थी, वो अभी आधी थी। उसने बड़ी चालाकी के साथ उस बोतल को छिपा दिया। ऐसा करते हुए रणविजय ने रोज़ी को देख लिया था।

एक तरफ भले ही रोज़ी ने अच्छा काम किया था मगर रणविजय ने उसकी चोरी को पकड़ लिया था। रणविजय ने जब उसे बड़ी अजीब नज़र से देखा तो वह डर गयी। उसे लगने लगा था कि रणविजय उसे डांट सकता है। वही दूसरी तरफ उसमान के दरवाज़ा खट खटाने पर चैंग ने दरवाज़े को खोला और कहा:

चैंग : उसमान भाई, आप यहाँ, इस वक्त, सब ठीक तो है ना?

उसमान : सब ठीक नहीं है, तभी तो तुम्हारे पास आया हूँ। एक तुम्ही हो जो मेरी परेशानी को दूर कर सकते हो।

चैंग : आप अंदर आईये और बताईये कि आखिर माजरा क्या है?

कमरे में अंदर आने के बाद चैंग ने उसमान को ग्लास में पानी निकाल कर दिया। उसमान ने पानी पिया और राहत की सांस ली। पानी पीने के बाद ग्लास को वापस चैंग को देते हुए उसमान ने कहा:

उसमान : भाई, देखो ना, शायद फ़ोन ख़राब हो गया।

चैंग ने उसमान के हाथ से फ़ोन लिया और चेक करने लगा। फ़ोन को अच्छे से चेक करने के बाद चैंग ने कहा:

चैंग : फ़ोन तो तुम्हारा बिल्कुल ठीक है। वह क्या है ना, आज कल network के बहुत issue आते है, शायद उसी की वजह से फ़ोन काम नहीं कर रहा होगा।

चैंग की बात सुन कर उसकी जान में जान आयी। रणविजय उसके लिए पहले ही बहुत कुछ कर चूका था। अब ऐसे हालात में रणविजय से फ़ोन के लिए पैसे माँगना या एक नया फ़ोन मांगना, सही नहीं था। उसमान ने अपनी बात को रखते हुए कहा:

उसमान : तो अब मैं अपनी बेटी से, यानि hospital फ़ोन कर सकता हूँ।

उसमान के सवाल पर चैंग ने हाँ में अपना सर हिला दिया था मगर जैसे ही उसमान ने फ़ोन के redial option में जाकर अपनी बीवी का number डायल किया तो चैंग ने उसे रोक दिया था।

एक तरफ चैंग के रोकने पर उसमान चौंक गया था वही दूसरी तरह रोज़ी ने जब रणविजय की व्हिस्की की बोतल को छिपाया तो वह रोज़ी पर गुस्सा नहीं हुआ बल्कि एक smile के साथ कहा:

रणविजय : रोज़ी डार्लिंग, तुम बहुत अच्छी हो। तुम मेरे बारे में कितना अच्छा सोचती हो। I love you very much।

रणविजय की इन बातों को सुन कर रोज़ी को ऐसा लग रहा था जैसे ख़ुशी की मारे उसके ऊपर फूल झड़ रहे हो। अपनी बात के साथ ही रणविजय ने रोज़ी को एक फ्लाइंग किस भी दी। बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ था कि रणविजय ने शराब पीने के बात रोज़ी के लिए अच्छे शब्दों का इस्तेमाल किया। रोज़ी ने खुश होते हुए कहा:

रोज़ी : Thank you darling, आज देखो मैं ये नाईटी तुम्हारे लिए पहनी है। तुम्हे black color बहुत पसंद है ना।

रोज़ी ने रणविजय से ये बात अपनी नाईटी की तरफ इशारा करते हुए कही थी। रणविजय के चेहरे से लग रहा था कि उसे थोड़ा थोड़ा नशा होने लगा है। वह अपनी जगह से उठा और रोज़ी के पास चला गया। रोज़ी के करीब पहुंच कर रणविजय ने कहा:

रणविजय : Rozi darling, आज की रात को हसीन बना दो। मैं चाहता हूँ, ये रात मेरे लिए यादगार रात बन जाये।

रणविजय ने जिस हिसाब से व्हिस्की के पेग पिए थे, अब उसका नशा चढ़ना शुरू हो रहा था। रणविजय की बात सुन कर रोज़ी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी। उसके चेहरे के भाव से ऐसा महसूस हो रहा था जैसे रणविजय ने उसके दिल की बात कह दी हो। वह सिर्फ रणविजय के लिए हसीन बनी थी।

उसकी अपनी भी कुछ ख्वाहिशें थीं । उसके अपने भी कुछ अरमान थे। कई बार उसने उन्हें पूरा करने की कोशिश की  मगर हर बार नाकाम हो गयी। वजह यही थी कि सेक्स के दौरान रणविजय ने उसका साथ नहीं दिया था। आज एक बार फिर मौका उसके हाथ में था। रोज़ी ने अपने चेहरे को रणविजय के एक दम करीब ले जाकर कहा:

रोज़ी : Darling, तुम फ़िक्र ना करो, इस रात को मैं ऐसा हसीन बना दूँगी कि मरते दम तक तुम याद रखोगे।

रोज़ी अपनी बात को कह कर थोड़ी दूर टेबल पर रखे ग्रामोफ़ोन की तरफ गयी। उसने वहां टेबल के नीचे बनी अलमारी के नीचे वाली दराज़ से एक ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड निकाला और उसे प्लेयर पर रख कर चालू कर दिया।

गाने के बोल को गुनगुनाते हुए रोज़ी अपने सामने खड़े रणविजय के पास आयी। दोनों एक दूसरे को बड़े ही प्यार भरी नज़रो से देख रहे थे। जैसे जैसे गाना आगे बढ़ रहा था, दोनों बड़े ही romantic होते जा रहे थे। रोज़ी ने रणविजय का कोट उतारते हुए कहा:

रोज़ी : डार्लिंग, आज मैं कुछ नहीं सुनने वाली, तुम्हे आखिर तक मेरा साथ देना होगा।

रणविजय : तुम चिंता ना करो, आज मैं बहुत देर तक टिकने वाला हूँ।

रोज़ी ने रणविजय के शरीर से कोट को उतार कर कमरे में पड़े सोफे पर फ़ेंक दिया था। जिस तरह झूम कर रणविजय बातें कर रहा था, उससे साफ़ पता चल रहा था कि उस के सर पर नशे के रूप में व्हिस्की का असर धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है। उधर थोड़े music के बाद गाने के बोल आये:

गाने के बोल और रोज़ी के रणविजय को रिझाने की अदा बिल्कुल सेम थी। रोज़ी ने इस गाने के साथ साथ अपने हाथो को रणविजय के सीने में रख लिया था। जिस तरीके से रोज़ी ने रणविजय की शर्ट के बटन को खोला, रोज़ी की ये अदा रणविजय को बहुत अच्छी लग रही थी। तभी रणविजय की आवाज़ आयी:

रणविजय : आज तुम्हारी ख्वाहिश को मैं पूरा कर दूंगा, तुम्हे वो परम सुख दूंगा कि तुम ख़ुशी के मारे झूमने लगोगी।

झूम तो इस समय रणविजय रहा था। उसके सर पर नशा चढ़ कर बोल रहा था। रोज़ी को उसकी बात इतनी अच्छी लगी कि उसने रणविजय के दोनों हाथों को पकड़ लिया और धीमे धीमे कदमों से उसे बेड के पास ले आयी। ग्रामोफ़ोन में गाना अपने मधुर संगीत से रात को और सुहाना बना रहा था।

इस बार बेड के पास पहुंचने पर रणविजय ने रोज़ी को धक्का दे दिया। वह अपनी कमीज़ के बटन खोलने लगा। रणविजय को देख कर रोज़ी के मन में लड्डू फूटने लगे। वह चाह रही थी कि रणविजय जल्दी से उसके पास आ जाये। बेड पर लेटे हुए रोज़ी ने सोचा:

रोज़ी : लगता है आज बॉस फूल मूड में है।

रोज़ी ने बेड पर ऐसे मचलना शुरू कर दिया जैसे ज़मीन पर बिन पानी के मछली होती है। रणविजय ने अपनी कमीज़ को निकाल कर दूर फ़ेंक दिया था। मछली की तरह मचलती हुयी रोज़ी ने कहा:

रोज़ी : मैं तो कब से इंतज़ार कर रही हूँ। आज तुम मेरी प्यास को बुझा दो., मेरी ख्वाहिश को पूरा कर दो। ..

रणविजय के पेंट उतारने के साथ ही गाना भी ख़त्म हो गया था। रणविजय ने रोज़ी से ग्रामोफ़ोन की तरफ इशारा करते हुए कहा:

रणविजय : गाना ख़त्म हो गया, अब क्या करे?

रोज़ी : अब आप जल्दी से मेरे पास आओ और एक नया गाना गाना शुरू करो।

अपने सारे कपडे उतारने के बाद रणविजय बेड पर लेटी रोज़ी के ऊपर इस ज़ोर से गिरा कि एक बार को उसका दम ही निकल गया था। रोज़ी को लगा आज तो रणविजय सारी हदें तोड़ देगा। अगर बेड पर मोटा गद्दा ना होता तो शायद रोज़ी की कमर ही टूट जाती। उसने बड़े प्यार से कहा:

रोज़ी : Darling, मेरे ऊपर से तो हटो। मेरी सांस रुक रही है, मेरा दम निकल रहा है।

रोज़ी ने अपने ऊपर से रणविजय को हटने के लिए कई बार कहा। मगर रणविजय होश में होता तो रोज़ी की बात सुनता। रोज़ी के कई बार आवाज़ देने के बाद रणविजय उसके ऊपर से नहीं उठा..

उधर ध्रुव और बल्ली जिस गाड़ी में बैठे थे वो पूरी दुनिया में सिर्फ चंद लोगो के पास ही थी। उन खास लोगों में नवाब साहब का नाम भी आता था। नवाब साहब खास तौर पर अपने मेहमानों के लिए इस गाड़ी का इस्तेमाल करते है। ध्रुव और बल्ली तो वैसे भी उनके खास मेहमान थे ।

नवाब शमशुद्दीन किस तरह दोनों की मेहमान नवाज़ी करेगें?

इस बार भी रोज़ी की ख्वाहिश अधूरी रह गयी, अपनी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए रोज़ी क्या कदम उठाएगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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