नवाब साहब की गाड़ी के अंदर बैठ कर बल्ली को ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी आलीशान केबिन में बैठा हो। उसने गाड़ी को अच्छे से देखा। गाड़ी की सीट इतनी बड़ी और मखमली थी कि टांगों को फैला कर भी बैठा जा सकता था। बल्ली का तो मन हो रहा था कि वह लेट ही जाए मगर ध्रुव की नज़रो ने उसे ऐसा करने से रोक दिया।

बल्ली खुद पर बहुत control कर रहा था। गाड़ी के अंदर की खूबसूरती को देख कर उससे रहा नहीं गया। उसने नवाब साहब से पूछ ही लिया:

बल्ली: नवाज़ साहब अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं आपसे एक बात पूछ सकता हूँ।

बल्ली ने अपनी बात को पूछने से पहले नवाब साहब से इजाज़त लेना ज़रूरी समझा। उसने सुना था कि नवाबों को गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है। बल्ली की बात पर नवाब साहब ने हाँ में सर हिला दिया। उनकी permission पा कर बल्ली के चेहरे पर smile आ गयी। उसने उसी मुस्कान को बरक़रार रखते हुए कहा:

बल्ली: ये जो आपकी गाड़ी है, वह कितने की होगी?  मेरे कहने का मतलब है इस गाड़ी की कीमत कितनी होगी?

बल्ली ने ये सवाल थोड़ा अटकते हुए पूछा था। उधर ध्रुव ने बल्ली के कोहनी मारी। वह कहना चाह रहा था कि ये कैसा बेहूदा सवाल पूछ लिया। बल्ली की बात सुन कर नवाब साहब के चेहरे पर एक तीखी हंसी आने लगी। उन्होंने रौब जमाते हुए कहा:

नवाब साहब: अगर तुम लोगों ने काम को सही अंजाम दे दिया तो ये गाड़ी तुम्हारी। हाँ ये मैं तुम्हे गिफ्ट  में दे दूंगा।

अभी नवाब साहब ने उसे गाड़ी गिफ्ट में दी नहीं थी बस बोला ही था। उनके अल्फाज़ो ने बल्ली को इतना खुश कर दिया था कि वह उस गाड़ी को खुद की गाड़ी समझने लगा था। मन ही मन वो बहुत खुश हो रहा था। उसके चेहरे के भाव से ऐसा लगा रहा था जैसे वह खुद नवाब हो। फिर भी उसने नवाब साहब की बात को confirm करने के लिए एक बार और पुछा।

बल्ली: नवाब साहब आप अपनी बात से बाद में मुकर तो नहीं जाएंगे।

नवाब साहब: हमारे लिए ज़बान की बहुत कीमत होती है। एक बार हमने ज़बान दे दी तो दे दी, हम नवाब हैं , अपनी ज़बान से कभी पीछे नहीं हटते।

बल्ली ने नवाबों के लिए ये बात पहले भी सुनी थी। आज जब उसके सामने नवाब साहब ने ज़बान दी तो उसे यकीन हो गया। अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी। एक तरफ जहां बल्ली मुंगेरी लाल की तरह सपने देख रहा था। वही दूसरी तरफ चैंग ने उसमान को फ़ोन करने से इसलिए रोका था ताकि वह उसमान को उसकी बीवी और बेटी से रूबरू  करा सके।

उसमान का एक दम सादा फ़ोन था। उसकी समझ में कुछ नहीं आया। उसके कहने पर उसमान रुक तो गया था मगर उसके दिल में ये सवाल घर कर गया था कि सादे फ़ोन पर वह अपनी family से किस तरह रूबरू बात करता। चैंग बिना कुछ कहे उसमान को अपने लैपटॉप के पास ले गया। उसने लेपटॉप खोलते हुए कहा:

चैंग: इस laptop की मदद से तुम अपनी family को देख सकते हो। बस इसमें मुझे program चलाने की देरी है।

अभी भी चैंग की बातें उसमान के सर के ऊपर से जा रही थी। मगर उसे चैंग पर पूरा भरोसा था। वह जानता था कि चैंग ना मुमकिन काम को मुमकिन कर सकता है।

उसमान की नज़र लैपटॉप पर थी। चैंग ने laptop start करने के बाद एक program चलाया। अब उसे किसी का रिमोट लेने के लिए वहां का IP address लेना था। उसने अपनी बात रखते हुए उस्मान से पुछा:

चैंग: क्या तुम मुझे उस hospital का नाम बता सकते हो?

उसमान: hospital का नाम city hospital है।

चैंग ने तुरंत internet पर शहर के नाम के साथ hospital का नाम डाला और उसका IP address find कर लिया। अभी तक सब कुछ चैंग के हिसाब से सही चल रहा था। उसने खुश होते हुए कहा:

चैंग: लो हो गया connect। अब तुम laptop के सामने आ जाओ।

उसमान जैसे ही laptop के सामने आया तो उसने देखा, उसकी बीवी रज़िया उसकी बेटी शानू को सुलाने की कोशिश कर रही थी। चैंग ने program की मदद से hospital का CCTV को hack कर लिया था। उस CCTV camera से अपनी family को देख कर उसमान खुश हो गया।

उसके चेहरे की smile को देख कर चैंग भी खुश हो गया था। उसमान ने देखा उसकी बेटी रज़िया को परेशान कर रही थी। CCTV camera में देख कर उसमान ने कहा:

उसमान: अरे बेटा, अम्मी को परेशान क्यों कर रही है। अभी रात ज़्यादा हो गयी, तुम अभी सो जाओ।

उसमान की बात सुन कर चैंग के चेहरे पर हंसी आ गयी। उसमान ने चैंग को हँसते हुए देखा तो कुछ समझ नहीं पाया। उसने अपनी नज़रों को laptop के सामने से हटाया और चैंग की तरफ देखने लगा। चैंग समझ गया था कि उसमान के दिल में कुछ सवाल है। उसने जवाब देते हुए कहा:

चैंग: उसमान भाई, आप उनकी activity को सिर्फ देख सकते हो। उनसे बात करने के लिए आपको अपने फ़ोन का सहारा लेना पड़ेगा।

उसमान चैंग की बात को समझ गया था। उसके लिए इतना ही काफी था कि वह अपनी बीवी और बच्चों को देख पा रहा था। चैंग ने तुरंत उसका फ़ोन उठाया और recent number की list पर latest number को redial कर दिया। इस बार शायद उसमान की किस्मत अच्छी थी, फ़ोन connect हो गया। एक ही bell में उसमान की बीवी ने फ़ोन को उठा लिया था। उसमान ने तुरंत कहा:

उसमान: हैलो , तुम लोग ठीक तो हो ना।

अब उसमान उन्हें देखने के साथ साथ उसने बात भी कर सकता था। तभी फ़ोन की दूसरी तरफ से आवाज़ आयी:

रज़िया: देखो, तुम्हारे अब्बू का फ़ोन आ गया। अब मैं तुम्हारी शिकायत लगाती हूँ।

रज़िया ने ये बात शानू से उसे सुलाने के लिए कही थी। उधर शानू ज़िद किये हुए थी कि जब तक वह अपने अब्बू उसमान से बात नहीं करेगी तो सोयेगी नहीं। जिस तरह वह ज़िद करके उसमान को याद कर रही थी, उसमान का दिल हो रहा था कि उड़ कर उसके पास पहुंच जाये। उसमान ने अपनी बीवी से फ़ोन पर कहा:

उसमान: तुम फ़ोन शानू को दो, मैं उसे समझाता हूँ।

शानू ने अपनी अम्मी से फ़ोन तो ले लिया था मगर वह अपने अब्बू से मिलने की ज़िद कर रही थी। जिस तरह वह ज़िद करके अपने हाथ और पैर को hospital के bed पर मार रही थी उसे उसमान साफ देख पा रहा था। उसने फ़ोन पर बात करते हुए कहा:

उसमान: बेटा, रात ज़्यादा हो गयी थी। अब तुम सो जाओ, तुम्हे ठीक होने के लिए सोना पड़ेगा।

उसमान की बेटी ने उसके कहाँ होने का सवाल किया तो उसने अपनी बेटी को बताया कि वह उसके सामने है। वह उसे देख सकता है। जब शानू को अपने अब्बू की बात पर यकीन नहीं हुआ तो उसमान ने hospital के कमरे की एक एक चीज़ के बारे में बताया।

वह अपनी बेटी को ये यकीन दिलाने में कामियाब हो गया था कि वह अपनी बेटी के साथ हमेशा रहेगा। शानू के हाथ में फ़ोन देने से पहले रज़िया ने फ़ोन को speaker पर डाल दिया था। पहले तो रज़िया को लगा कि वो अपनी बेटी को सुलाने के लिए ये सारे बहाने कर रहा है मगर जब उसमान की बताई हुयी बातें सही निकली तो उसके मन में इस चमत्कार को लेकर सवाल पैदा हो गया।

चैंग ने पहले ही मना कर दिया था कि इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं चलना चाहिए। अपना वादा निभाते हुए उसमान ने रज़िया से इस मसले पर बात करने को मना कर दिया था। शानू ने भी जब उसमान से बात की तो उसे सुकून मिला। फ़ोन को रखने के बाद रज़िया ने उसे सुलाने के लिए उसके सीने को हलके हलके से थप थपथपया। उसमान ने चैंग को अपने गले से लगाते हुए कहा:

उसमान: बहुत बहुत शुक्रिया भाई, जिस तरह आपने आज मेरी मदद की है, मैं आपका ये एहसान कभी नहीं भूल पाउँगा।

अपनी बात को कहते हुए उसमान इतना भावुक हो गया था कि उसकी आँखों से आंसू निकलने ही वाले थे कि चैंग ने उसे सँभालने के लिए उसकी कमर को थपथपाया। चैंग ने उसे हिम्मत देते हुए कहा:

चैंग : आपने मुझे अपना भाई माना है। वैसे भी ये काम मेरे लिए मामूली सा था। अभी तो हमें और भी बड़े बड़े काम करने है।

एक बाप के लिए उसके बच्चे सबसे अहम् होते है। वह अपने बच्चों की खातिर किसी हद तक जा सकता है। उस दिन उसमान ने भी यही किया। एक तरफ उसमान अपनी family से बात करके अपने कमरे में आ गया था तो वही दूसरी तरफ रणविजय इतना नशे में हो गया था कि रोज़ी के ऊपर गिरने के बाद उसे कुछ पता ही नहीं चला।

रणविजय का सारा वज़न रोज़ी के ऊपर था। रोज़ी को ऐसा लग रहा था जैसे सौ किलो की बोरी किसी ने उसके ऊपर डाल दी हो। बड़ी मुशिकल से उसने रणविजय को अपने ऊपर से हटाया। उसे रणविजय को इस हालत में देख कर बहुत गुस्सा आ रहा है। वह उठी और रणविजय के ऊपर जाकर बैठ गयी।

इतना ही नहीं, उसने रणविजय को होश में लाने के लिए हर वो काम किया जिससे वह होश में आ जाये और उसकी ख्वाहिश को पूरा करे। रोज़ी ने उसके ऊपर बैठ कर रणविजय के गाल पर कई चांटे भी मारे। उसने रणविजय को हिलाते हुए कहा:

रोज़ी: डार्लिंग, उठो, तुमने कहा था कि इस बार मज़बूती से खड़े रहोगे। तुम इस तरह मुझे धोखा नहीं दे सकते।

रणविजय होश में होता तो उसकी बातें सुना। वह नशे में ऐसा धुत था कि उसे खुद की कुछ खबर ही नहीं थी। जब रोज़ी को पक्का यकीन हो गया कि कुछ भी कर लो, रणविजय को होश नहीं आने वाला, तो उसने अपने तेवर को बदलते हुए कहा:

रोज़ी: साले, कुत्ते, हरामज़ादे, मुझे लगता है तू मर्द ही नहीं है। जब तेरे बस की कुछ है नहीं तो क्यों सेक्स की चाह रखता है?

जिस तरह रणविजय रोज़ी की प्यास बुझाये बिना बेहोश हो गया था, रोज़ी के दिल में रणविजय के लिए जो जो गालियां थी, वह सब उसकी ज़बान पर आ रही थी। उसे रणविजय पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसका दिल कर रहा था कि वह रणविजय का मुँह नोच ले मगर वह ऐसा कर नहीं सकती थी।

अगर उसने ऐसा कर भी दिया और जब रणविजय को होश आएगा और वो अपने चेहरे पर निशान देखेगा तो सीधे शक की सुई रोज़ी के ऊपर ही जाएगी। रोज़ी कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहती थी जिससे रणविजय का साथ छूटे। उसे हर चीज़ का आराम था मगर उसकी सेक्स लाइफ एक दम बर्बाद थी। उसने गुस्से में खुद से बात करते हुए कहा:

रोज़ी: इस जवानी को मैं ऐसी ही ख़राब होने नहीं दे सकती। मुझे रणविजय को ठीक करना होगा या फिर मुझे एक ऐसा मर्द ढूंढ़ना होगा जो बिना किसी को बताये मेरी भूख मिटा सके। तभी उसने कुछ सोचते हुए कहा:

रोज़ी: एक आदमी है जो मेरी भूख को मिटा सकता है।

जिस तरह की मंशा रोज़ी के दिमाग में चल रही थी। क्या वो पूरी हो पायेगी? आखिर किस आदमी को वो अपनी भूख मिटाने के लिए इस्तेमाल करने वाली है? उधर नवाब शमशुद्दीन, ध्रुव और बल्ली की किस तरह मेहमान नवाज़ी करेंगे?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

 

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