आमतौर पर चोर अपनी चोरी से सबको चौंका देता है लेकिन शर्मा परिवार में आए चोर ने तो अपना चेहरा दिखा कर ही सबको चौंका दिया. और तो और दादी और बत्रा आंटी तो इसका नाम भी जानते हैं. लगता है चोर का इस घर से कोई पुराना कनेक्शन है. चलिए हम भी जानते हैं कि ये चोर भाई साहब आखिर हैं कौन..

दादी और बत्रा आंटी ने चोर को पहचान लिया है. सोहम भी उसे देख कर पहचान गया. उसने आरव को फोन कर के बता दिया है कि घर में चोर घुस आया है. जिसके बाद आरव घर के लिए निकल पड़ा. इधर दादी उस चोर की क्लास ले रही हैं.

दादी जी- “ओए हीरा, तू इतना प्यारा बच्चा है तुझे चोरी क्यों करनी पड़ गयी? तुझसे ये उम्मीद नहीं थी.”

दादी की आँखों में खुद के लिए निराशा देख उस चोर का सिर ऐसे झुका जैसे वो अपनी माँ के सामने चोरी करता हुआ पकड़ा गया हो. उसके लिए तो अनीता और बॉस दादी, माँ जैसी ही रही हैं. ये हीरा है, तीन साल पहले तक इसी घर में काम करता था. दस साल काम किया है इसने इस घर में, सबका प्यारा था हीरा. फिर अचानक एक दिन इसके घर से चिट्ठी आई. उसने बताया कि ज़रूरी काम है. 10 दिन की छुट्टी लेकर गया था मगर फिर कभी नहीं लौटा. एक दो बार इधर से फोन भी गया लेकिन उसने उठाया नहीं. महीना इंतज़ार करने के बाद अनीता जी ने sarla को काम पर रख लिया. उसके बाद सीधे आज उसके दर्शन हुए हैं वो भी एक चोर के रूप में.

बत्रा आंटी- “बोल अब, गूंगा तो नहीं हो गया? कितना प्यार करते थे सब यहाँ तुझे तब भी तूने ऐसा किया.”

सोहम- अब पुलिस ही इससे बुलवाएगी. आ रहे हैं आरव bhaiya पुलिस को लेकर.”

दादी- “बेटा बस इतना बता दे कि हमारा विशवास क्यों तोड़ा? तेरे सहारे हम पूरा पूरा दिन घर छोड़ कर जाते थे. कभी एक चीज इधर से उधर नहीं हुई. सामान लेने जाता था, 10 रुपये भी बचते तो तू ला के अनीता को देता था. इतना इमानदार था तू फिर ऐसा kya हो गया. जिस थाली ने तुझे खाना दिया तू उसी में छेड़ करने लग गया.”

हीरा अभी भी कुछ नहीं बोल रहा था. वो बस दादी के आगे हाथ जोड़े सिर jhukaaye ज़मीन पर बैठा था. सोहम ने पीछे से उसके सिर पर ज़ोर से एक थप्पड़ मारा, दुबला पतला सा हीरा मुंह के बल ज़मीन पर गिरा और उसकी नाक से थोडा खून बहने लगा. खून निकलते देख दादी घबरा गयीं. उन्होंने सोहम को डांटा और अपनी चुन्नी से उसका खून रोकने की कोशिश करने लगीं.  

दादी- “ओए सोहम ना मार इसे. देख कैसे खून निकलने लगा”.

दादी का ये प्यार देख कर हीरा फूट फूट कर रोने लगा. उसने दादी के पैर पकड़ लिए.

हीरा- “हमको माफ़ कर दो बड़की अम्मा, हमने जो किया उसके लिए हमको जो सजा देना है दे दो मगर हमको माफ़ कर दो. बहुत मजबूरी में ये काम किए हैं.”

दादी- “वही तो पूछ रही हूँ कि ऐसी क्या मजबूरी आ गयी जो तू अपने ही घर में चोरी करने आ गया. मुझे yakeen है तू चोर नहीं है. मगर जो बात है सच सच बता दे.”

दादी के कहने पर हीरा ने बताया कि उसे घर से चिट्ठी आई थी जिसमें उसके पिता की तबियत खराब होने की बात लिखी थी. उसे लगा कि बड़ी बात नहीं होगी, वो दस दिन में इलाज करा के लौट आएगा. इसीलिए उसने यहाँ किसी से कुछ नहीं बताया. लेकिन वहां जा कर पता चला कि बीमारी ज्यादा खतरनाक है. उसने यहां रह कर जितने पैसे जमा किए थे सब उनके इलाज में लग गए. बाहर से भी कर्ज लेना पड़ा फिर भी वो नहीं बच पाए. गाँव में माँ अकेली रह गयी. उसने कहा भी कि मेरे साथ चल वहां हम अलग कमरा ले लेंगे मगर sai उम्र गाँव में बिता चुकी माँ शहर chalne को नहीं मानी. मजबूरी में उसे गाँव में ही रुकने का फैसला करना पड़ा. वो वहां मजदूरी कर के घर चलाता रहा. पिता के इलाज के लिए लिया कर्ज का ब्याज बढ़ता गया. उसके मुट्ठी भर खेत भी बिक गए. फिर भी जैसे तैसे वो घर का खर्च चला रहा था. बहन की शादी के लिए फिर से कर्ज लेना पडा.

उसने बताया कि गाँव के आधे गरीबों का घर कर्ज के पैसे से ही चलता है और उनकी जिंदगी कर्ज चुकाने में कट जाती है. वो भी ऐसे ही जिंदगी काट लेता लेकिन भगवान लगातार उसकी परीक्षा लेते रहे. कुछ महीने पहले उसकी माँ ko कैंसर ne जकड़ लिया. गाँव के सरपंच ने बड़ा दिल दिखाते हुए एक ऐसे हॉस्पिटल में उसकी माँ को एडमिट करवाया जहाँ कैंसर का इलाज फ्री में होता है लेकिन बाकी के दवा का खर्च उठाना पड़ता है. Mehangi दवाई है. हीरा कर्ज लेकर 80 हजार लगा चुका था लेकिन अभी और पैसों की जरूरत थी. अब कोई कर्ज देने को भी तैयार नहीं था. उसने सबके आगे हाथ पैर जोड़े मगर किसी ने उसकी मदद नहीं की.

जब वो सब से मदद मांग कर थक गया तब उसके एक दोस्त ने उसे सलाह दी कि जिस घर में काम करता था उसी में जा कर चोरी कर ले. अगर पकड़ा गया तो माफ़ी मांग लेना. पहले हीरा ने उस दोस्त को बहुत सुनाया लेकिन जब उसने माँ के बारे में सोचा तो उसने खुद को ये नीच काम करने के लिये मना लिया. वो पिछले दस दिन से घर पर नजर रखे हुआ था. उसे पता चला कि साहब हॉस्पिटल में हैं तो वो बहुत रोया, चोरी का इरादा भी बदला मगर फिर से माँ के बारे में सोच कर उसे ये करना pada. सोहम और बत्रा आंटी को उसकी बातें कोरी झूठ लगीं मगर दादी उसके आँखों की सच्चाई पढ़ पा रही थीं.

दादी- “तो तूने सीधा हमसे मदद क्यों नहीं मांगी?”

Heera ne kaha ki उसे इतने लोगों ने मदद देने से इनकार किया कि उसे विश्वास होगया कि यहाँ भी तीन साल पहले काम छोड़ कर गए नौकर को मदद नहीं मिलेगी. इसीलिए उसने यहाँ आने की हिम्मत नहीं की. हीरा bola उसे अब इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है कि वो लौट कर अपनी माँ से भी नजरें नहीं मिला पाएगा. उसे भले ही पुलिस में दे दिया जाए, उसे कोई परवाह नहीं बस दादी उसे माफ़ कर दें.

आरव भी घर पहुंच गया था. उसने देखा हीरा ज़मीन पर घुटनों के बल बैठा है और उसके नाक पर खून जमा हुआ है. दादी ने सारी बात उसे बताई. आरव का कहना था भले ही कोई भी मजबूरी हो मगर हीरा का घर में चोरी करना सही नहीं है. उसकी माँ के इलाज के लिए जो भी मदद चाहिए वो देंगे मगर हीरा को अपने किए के लिए जेल जाना ही पड़ेगा. हीरा ने बताया कि उसे उसके किए के लिए जेल जाना मंज़ूर है मगर उसे अभी माँ के पास जाने दिया जाए. वो उनका इलाज करा के लौट आएगा फिर उसे चाहे जो भी सजा मिले मंजूर होगी. उसका कहना था कि उसके अलावा उसकी maa ki देखभाल के लिए कोई नहीं है. वो बड़ी मुश्किल से अपनी बहन को 15 दिन के लिए उनके पास छोड़ कर आया है. उसके ससुराल वाले इससे ज्यादा उसे नहीं रुकने देंगे. आरव को लगा कि वो बहाने बना रहा है, सोहम ने भी उसके कान भरे. आरव को लगा कि पुलिस को बताना ही ठीक रहेगा. उसने पुलिस को फोन करने के लिए मोबाइल निकाला. तभी कोई हीरा से आ कर लिपट गया.

कबीर- हीरा अंकल, कहाँ चले गए थे आप. कितना मिस किया आपको.”

ये कबीर था जो इतने शोर की वजह से जाग गया था. उसने हीरा को देखते ही पहचान लिया और जा कर उसके गले लग गया. हीरा भी उसे देख बाकी सब भूल गया और उसका माथा चूमने लगा. ये देख आरव कबीर को उससे अलग करने के लिए आगे बढ़ा मगर दादी ने उसे रोक लिया.

दादी- “रुक जा आरव, ये उसका हक है..तू भूल गया.”

दादी की बात से आरव को वो याद आया जिसके बदले हीरा की ऐसी सौ चोरियां माफ़ की जा सकती थीं. Kabir तब पांच साल का था. सा दिन इधर उधर भागता रहता था. उन्हीं दिनों इस कॉलोनी में एक पागल कुत्ते का आतंक था. उसने कितने लोगों को काट लिया था. उस दिन घर में सिर्फ अनीता और boss दादी थीं. हीरा बाजार से कुछ लाने गया था, अनीता खाना बना रही थी और दादी सोयी हुई थी. माया और आरव अपनी जॉब पर थे. कबीर खेलता हुआ कब बाहर चला गया किसी को पता नहीं चला. उसके सामने वो पागल कुत्ता था. कबीर डॉगी डॉगी करता हुआ उसकी तरफ भागा. उसे देख कुत्ता गुर्राने लगा. वो कबीर की तरफ झपटा ही था कि हीरा वहां पहुंच गया. वो उस पागल कुत्ते से bhid गया. उसने कई जगह से उसको नोच लिया लेकिन आखिर में हीरा ने उसे भगा ही दिया. पागल कुत्ते के काटने से हीरा बेहोश हो गया था. अनीता ने जल्दी से आ कर कबीर को उठाया. हीरा को हॉस्पिटल ले जाया गया. उसे जब होश आया तो उसने सबसे पहले कबीर के बारे में पूछा. उस दिन से तो सब उसपर जान छिड़कते थे. वो कबीर को बहुत प्यार करता था. सारा दिन उसके साथ खेलता रहता. उसके जाने के बाद महीने भर तक कबीर ने ठीक से खाना नहीं खाया था क्योंकि उसे हीरा के हाथों खाने की आदत थी.

कबीर- “आप अब तो कहीं नहीं जाओगे ना? मुझे कहानियां सुना कर खाना खिलाओगे ना?”  

दादी- “बता इसे जेल भेजेगा तू?”

दादी ने आरव से पूछा. आरव भी सोच में पड़ गया. उसने ही उसे कहा था कि तुम्हारा मुझ पर एहसान रहा जब मन जो मन सो मांग लेना. सोहम ने उसके थैले से सारा चोरी का सामान निकल कर बाहर रख दिया था. उसमें ना तो पैसे थे ना कोई गहना था. बस वही सामान था जिसके बारे में उसने सूना था कि ये कीमती है.

आरव- “जब चुराना ही था तो पैसे गहने क्यों नहीं चुराए? तुम्हें तो सब पता है कि कौन कहाँ अपना सामान रखता है और ये भी जानते हो कि इस घर में कोई भी अपनी अलमारी को लॉक नहीं करता.”

हीरा- “आरव बाबू हम जो चुराए वो सब सजाने का सामान है. इसके खो जाने से उतना दुःख नहीं लगता. फिर से आ जाता लेकिन पैसा गहना से आदमी का लगाव होता है. हम इस घर से ऐसा कुछ नहीं चुरा सकते थे. एक घंटा माया दीदी के रूम में छुपे रहे लेकिन अलमारी को छुआ तक नहीं. हमको उतना ही चाहिए था जितने से माँ का दवाई का खर्चा पूरा हो जाए. आपने ही बताया था कि इस घड़ी में सोना का सुई लगा है, वो बुद्धा का मूर्ति ये सब का दाम हम जानते थे तो सोचे इससे हमारा काम हो जायेगा.”

आरव समझ नहीं पा रहा था कि उसके साथ क्या करे. दादी कबीर को सुलाने ले गयी थी. उसने जिद की कि वो हीरा के साथ रहेगा मगर दादी ने उसे समझाया कि पापा और हीरा को कुछ बात करनी है. तुम उससे सुबह मिल लेना. सोहम अभी भी कह रहा था कि पुलिस बुला लेनी चाहिए. चोरी की बात सुन कर हॉस्पिटल से भी फोन आ रहे थे. आरव ने दादा जी को सब बता दिया था. उधर से उन्होंने बताया था कि इसके साथ क्या किया जाना चाहिए. अब हीरा के साथ क्या होगा इसका फैसला आरव करने वाला था.

क्या हीरा को जेल जाना पड़ेगा? क्या उसकी बातों में सच्चाई है या फिर वो झूठ बोल रहा है? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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