एक के बाद एक मुसीबतों का सामना करते हुए शर्मा परिवार अब मुस्कुराना भी भूल चुका है. इस समय तो जैसे उनके सभी ग्रह खराब चल रहे हैं. एक साथ कितनी मुसीबतें उन्हें घेरे खड़ी हैं. रात विक्रम की तबियत अचानक से बिगड़ जाने के बाद सभी लोग हॉस्पिटल चले गए. हड़बड़ी में किसी को याद नहीं रहा कि मेन डोर भी लॉक करना है. उधर बॉस दादी कबीर को सुलाते सुलाते खुद भी सो गयी. कॉलोनी के घरों में लोग जगे हुए हैं मगर गलियां सुनसान हैं.
इसी सन्नाटे और खुले मेन डोर का फायदा उठाते हुए कोई दबे पांव शर्माज़ के घर में दाखिल हुआ. ये तो पक्का है कि घुसने वाला चोर है लेकिन शायद वो इस फील्ड का फ्रेशर है. उसके ज़ोर ज़ोर से धड़कते दिल से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसने पहले कभी इतना बड़ा असाइंमेंट नहीं मिला है. हॉल में अंधेरा है मगर मंदिर से आ रही रौशनी की वजह से देखने में दिक्कत नहीं हो रही. ये तो उस चोर की घबराहट है जिस वजह से वो टेबल से टकराया और उस पर रखा स्टील का ग्लास ज़मीन पर गिर गया. गिलास गिरने की आवाज़ पूरे हॉल में गूँज गयी.
चोर की तो एक बार के लिए ये सोच कर धडकनें रुक गयीं कि ‘अब तो गए’. मगर बॉस दादी की नींद मोटी है. वो सुन नहीं पायीं. चोर वहीं सोफे के नीचे छुप गया. लेकिन जब कुछ देर तक कोई नहीं आया तो वो समझ गया कि रास्ता साफ़ है. सबसे पहले उसे मंदिर के पास बने रैक पर रखा मोबाइल दिखा. ये बॉस दादी का मोबाईल था जिसे वो यहाँ रख कर भूल गयी थीं. चोर ने उसे अपने झोले में डालते हुए इसे अपनी बोनी माना. उसके बाद उसने एक एक कर के घर की कीमती चीजें झोले में डालनी शुरू कर दीं. ऐसा लग रहा था मानों उसे इस घर के बारे में सब पता है. जैसे ही उसकी घबराहट दूर हुई वो अँधेरे में भी बड़ी आसानी से चीजें देखने लगा. जैसे वो जनता हो कि कौन सी चीज़ कहाँ रखी हो.
उधर हॉस्पिटल में डॉक्टर्स की टीम विक्रम के ट्रीटमेंट में लगी हुई थी. आरव को डॉक्टर ने बताया था कि पैनिक करने की ज़रुरत नहीं है. ऐसे केस में कई बार सिचुएशन अप एण्ड डाउन होती रहती है. डॉक्टर्स उनके इलाज में लगे हुए हैं. आरव ने सबको विक्रम का हेल्थ अपडेट बताया और कहा कि माया को छोड़ बाकी सब घर जा सकते हैं लेकिन कोई भी तब तक जाने को तैयार नहीं था जबतक कि विक्रम की कंडीशन नार्मल नहीं हो जाती. डॉक्टर ने आरव से विक्रम की पिछली दवाइयों का प्रिस्क्रिप्शन भी मांगा था, जिससे पता चल सके कि उन्हें पहले कौन सी दवाइयों की कितनी डोज़ मिलती थी.
इतनी रात में आरव किसी को अकेले नहीं भेजना चाहता था इसलिए उसने नीलेश को फोन किया. दो बार फोन करने के बाद भी जब नीलेश का फोन नहीं लगा तो आरव ने उसकी मम्मी मिसेज बत्रा को फोन किया. नीलेश मिसेज बत्रा का सबसे छोटा बेटा है. बत्रा आंटी ने बताया कि नीलेश कॉलेज ट्रिप पर गया है. उसने बताया था कि उस एरिया में नेटवर्क इशु रहेगा. बत्रा आंटी ने थोड़ी इसनियत दिखाते हुए कहा कि अगर कोई ज़रूरी काम है तो वो उसे बताएं. आरव ने उन्हें बताया कि पापा के रूम में उनकी मेडिसिन्स पड़ी हैं उन्हीं की फोटो खिंच के भेजनी हैं. उसने कहा कि दादी घर पर ही हैं.
आरव इस हड़बड़ी में ये बाताना भूल गया कि दादी को ये पता ही नहीं कि सभी लोग हॉस्पिटल आये हैं. बत्रा आंटी हमेशा से शर्मा फैमिली के क्लोज आने की कोशिश करती रही हैं. वो कोई भी ऐसा मौक़ा नहीं छोड़तीं जिससे उन्हें शर्मा फैमिली की वाह वाही मिले. वो चाहतीं तो अपने दूसरे बेटे को भेज सकती थीं लेकिन उन्होंने खुद उनके घर जाने का फैसला किया. मिसेज बत्रा ने फोन टेबल पर रखा और वॉशरूम चली गयीं. वहां से लौटने के बाद उन्होंने दुपट्टा लिया और शर्माज़ के घर चली गयीं. मगर वो अपना फोन वहीं टेबल पर भूल गयीं.
इधर घर में घुसा चोर कई कीमती चीज़ों पर हाथ साफ़ कर चुका था. उसकी हिम्मत बढ़ गयी थी. अब वो बड़े आराम से पूरे हॉल में घूम घूम कर चीज़ें उठा रहा था. चोर अपनी मस्ती में चोरी कर रहा था तभी उसने दादी के कमरे से क़दमों की आहट सुनी. शायद दादी वॉशरूम जाने लिए उठी थीं. इसके बाद चोर बिना देरी के सीढियां चढ़ के ऊपर वाले कमरे में चला गया. ये माया का कमरा था. यहाँ भी कोई लॉक नहीं लगा था. असल में इतने बड़े परिवार में हमेशा दो तीन लोग मौजूद ही रहते थे जिस वजह से किसी को कभी लॉक लगाने की आदत ही नहीं थी.
बत्रा आंटी शर्माज़ के घर पहुंच चुकी थी, वो ये देख कर हैरान थीं कि इतनी रात को मेन गेट खुला हुआ है. उन्होंने धीमे धीमे से घर में एंटर किया. चोर ने ऐसा कुछ भी नहीं फैलाया था जिसे देख कर चोरी का अंदेशा हो सके. वो बस घर वालों को ही पता लग सकता था कि उनके कई कीमती सामान गायब हैं. बत्रा आंटी आगे बढ़ती जा रही थीं. तभी पीछे से किसी ने उनकी पीठ पर छड़ी मारी.
बत्रा आंटी- “हाए मर गयी.”
बॉस दादी- “ओये बत्रा? तू हमारे घर में चोरी करने आई है? तुझे शर्म ना आई.”
बत्रा एंटी- “ओए चाची जी मैं कोई चोर लगती हूँ आपको. मुझे तो आरव ने फोन किया था.”
बॉस दादी- “हाय हाय आरव तुझे क्यों फोन करने लगा. मेरा पोता ऐसा नहीं है.”
बत्रा आंटी- “छी छी कैसी बातें कर रहे हो आप. आरव हॉस्पिटल में है. उसने बताया कि विक्रम भाई साहब की तबियत फिर से बिगड़ गयी है. उसे उनकी दवाइयों की फोटो चाहिए. मैं वही लेने आई थी. इधर देखा तो मेन गेट खुला हुआ था. मुझे लगा कोई चोर ना घुस आया हो इसलिए धीरे धीरे अंदर आ रही थी. लेकिन आप ने तो जान निकाल दी छड़ी मार के.”
बॉस दादी- “ओहो, मुझे माफ़ कर दे. मुझे भी लगा कोई चोर है.”
बत्रा आंटी- “अच्छा अब लाईट तो जला लो.”
दादी ने जैसे ही लाईट जलाई, तो हॉल का हाल देख कर चौंक गयी. सोने के डायल वाली दीवार घड़ी, कीमती मूर्तियां, और बाकी बहुत कुछ गायब था हॉल से. दादी समझ गयी कि घर में कोई चोर घुस आया है. उसने ये बात बत्रा आंटी को बताई. उन्होंने आरव को फोन कर बताना चाहा कि घर में चोर घुस आया है मगर उन्होंने जब फोन खोजा तब याद आया कि उन्होंने घर पर ही फोन छोड़ दिया था. बटर आंटी ने दादी से कहा कि आप अपने फोन से आरव का नंबर मिलाओ मगर जब दादी का फोन खोजने पर नहीं मिला तो दोनों समझ गयीं कि उस पर भी चोर ने हाथ साफ कर दिया है, बत्रा आंटी ने कहा कि वो घर से अपने बेटे को बुला कर ले आती है लेकिन दादी उसे कहने लगी कि वो उन्हें छोड़ कर ना जाए क्योंकि उन्हें अकेले डर लगेगा.
अब दोनों के पास एक ही रास्ता था कि वो दोनों चोर का सामना करें. बत्रा आंटी को डर तो लग रहा था लेकिन उन्होंने सोचा कि ये शर्मा फैमिली के सामने हीरो बन्ने का अच्छा मौक़ा है. उनहोंने हिम्मत दिखाई और हॉल के एक कोने में पड़ी कबीर की हॉकी उठा ली. दादी जी तो सीधे अपने कमरे से पिस्तौल ही ले आयीं. हालांकि ये भी कबीर की टॉय गन ही थी.
बत्रा आंटी- “ये बच्चों वाली बन्दूक से क्या होगा.”
बॉस दादी- “चोर को क्या पता कि नकली बन्दूक है. क्या पता डर जाए. वैसे इससे बड़ी चोट लगती है. मार के दिखाऊँ?”
दादी ने बत्रा आंटी पर ही पिस्तौल तान दी. जिस पर उनहोंने हाथ जोड़ दिए. वो छड़ी की मार ही अभी तक नहीं भूल पायी थी. दोनों ऐसे धीरे धीरे बात कर रही थीं जैसे किसी ख़ुफ़िया मिशन पर हों. जबकि हॉल की लाईट जलने और बत्रा आंटी के छड़ी पड़ने पर चिल्लाने से चोर पहले ही समझ गया था कि उसे घेर लिया गया है.
इधर हॉस्पिटल में आरव फ़ोटोज़ का इंतज़ार कर रहा था. उसने दो बार बत्रा आंटी को कॉल किया था लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ. आरव ने सोचा की आंटी उसकी बात को इग्नोर कर सो गयी हैं. उसे गुस्सा आया मगर अभी वो कुछ नहीं कर सकता था. उसे लगा कि उसे ही घर जा कर ये काम कर लेना चाहिए. इसी बीच माया अपने पर्स में लगातार कुछ खोज रही थी. उसे याद आ रहा था कि लास्ट टाइम वो पापा की दवाइयां लेने गयी थी और डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन उसके बैग में ही होनी चाहिए. आरव घर के लिए निकलने ही वाला था कि माया को बैग से प्रिस्क्रिप्शन मिल गया. अब ना तो उसे घर जाने की ज़रुरत पड़ी और ना फ़ोटोज़ की. उसने मन ही मन सोचा कि इस बत्रा आंटी को तो कल बताता हूँ. मगर आरव को क्या पता था कि बेचारी बत्रा आंटी पहली बार किसी का घर बचाने की कोशिशों में लगी है.
इधर घर में दादी और बत्रा आंटी दोनों सोफे के पीछे छुपे हुए चोर के सामने आने का इंतज़ार कर रहे थे. तभी उन्होंने दरवाजे की तरफ से तेज क़दमों की आहट सुनी. उन्हें लगा ये चोर या उसका कोई साथी हो सकता है. दोनों अपनी पोजीशन पर तैयार खड़े थे. दादी ने दरवाजे की तरफ पिस्तौल कर रखी है. बत्रा आंटी हॉकी लेकर दरवाजे के पीछे तैनात थी. जैसे ही सामने वाला दरवाजे से अंदर आया. दोनों ने उस पर हमला कर दिया. दादी ने बिना चश्मे के ही सामने वाले के चेहरे पर निशाना लगा दिया और बत्रा आंटी ने उसकी कमर पर हॉकी दे मारी. इसके साथ ही पूरे घर में चीख की एक आवाज़ गूंज गयी. “मम्मी यार मारा क्यों?”
ये बत्रा आंटी का बेटा सोहम था. काफी देर तक जब बत्रा आंटी घर नहीं लौटी और उनका फोन भी टेबल पर पडा था तो सोहम उन्हें खोजने निकला था. उसे लगा इतनी रात में वो सिर्फ अनीता आंटी के घर ही जा सकती हैं. मगर यहाँ आते ही उसे अच्छी मार पड़ गयी थी. खिलौने वाली गन से निकली रबर की गोली ने उसके चेहरे को जख्मी किया और माँ की हॉकी की मार ने उसकी कमर हिला दी.
बत्रा आंटी- “सोहम, तू क्या कर रहा है यहाँ.”
सोहम- “आपको खोजने आया था और आपने मुझे ही मार दिया. वैसे आप लोग हथियार लेकर कौन से मिशन पर निकले हो?”
इसके बाद दोनों ने उसे सॉरी बोलते हुए पूरी बात बताई. सोहम जिम जाने वाला लड़का था, इसीलिए उसे इतनी मार से भी ज्यादा कुछ नहीं हुआ. वो बहुत स्ट्रांग है, ऐसा उसका मानना था. उसने अपनी मम्मी से हॉकी ली और सभी कमरों में जा कर चोर को खोजने लगा. इधर बत्रा आंटी को ये सोचकर अब और डर लगने लगा था कि कहीं चोर के पास कोई असली हथियार ना और वो कहीं उनके बेटे को कोई नुकसान ना पहुंचा दे. दादी भी ऐसा ही कुछ सोच रही थीं. दोनों ने सोहम को रोकने की कोशिश की लेकिन सोहम को विश्वास था कि वो अकेला ही ऐसे 10 चोरों से निपट सकता है.
सभी कमरों में खोजने के बाद भी उसे जब चोर नहीं मिला तो वो सीढियों की तरफ बढ़ा. उसने पहले निशा का कमरा चेक किया. वहां किसी के ना होने पर वो माया के कमरे में चला गया. कुछ ही देर बाद कमरे से ज़ोरदार चीख आई. जिसे सुन कर दादी और बत्रा आंटी बुरी तरह घबरा गयीं. वो सीढियों की तरफ बढीं तब तक सोहम कमरे से निकल आया. उसके साथ चोर था, जिसे उसने कॉलर से पकड़ा हुआ था.
वो उसे नीचे लाया और ज़मीन पर पटक दिया. देखने में वो 40 साल तक का लग रहा था. उसने मंकी कैप से चेहरा ढका हुआ था. सोहम ने उसकी टोपी निकली. उसका चेहरा सामने आते ही दादी और मिसेज बत्रा चिल्लाई “ओए हीरा तू?”
कौन है वो चोर जिसके सामने आते ही दादी और बत्रा आंटी हैरान रह गयीं?
चोर के साथ कैसा सुलूक करेगी शर्मा फैमिली?
जानेंगे अगले चलपटेर में!
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