कई बार आसान फैसले लेना भी मुश्किल हो जाता है. उस जज के बारे में सोचिये जिसे अपने किसी दोस्त या फैमिली मेंबर को सजा सुनानी पड़ती होगी. सामने वाले का एक बड़ा एहसान है, जज को ये भी पता है कि उसने मजबूरी में जुर्म किया है, उसका मन कहता है कि माफ़ कर देते हैं लेकिन न्याय को सबसे ऊपर रखने वाले जज को हार्ड decision तो लेना ही होगा. यही तो उसका काम है.

आरव के सामने भी कुछ ऐसी ही सिचुएशन है. एक तरफ एक चोर है जिसने उसके घर पर 10 दिन नजर रखी और मौक़ा देख कर चोरी करने की कोशिश की. उसकी जगह कोई खतरनाक लुटेरा हो सकता था. दादी और कबीर को नुकसान पहुंचा सकता था. वहीं दूसरी तरफ एक बेटा है जो अपनी माँ के इलाज के लिए कुछ भी करने को तैयार है. एक ईमानदार और नेकदिल इंसान है जिसने इस घर की सालों तक सेवा की, कबीर की जान बचा कर बड़ा एहसान किया. कबीर अब उस चोर को सज़ा दे या उस एहसान करने वाले हीरा की मदद कर उसे जाने दे?

आरव की दादा जी से इस बारे में बात हुई है. उन्होंने सारी बात सुनने के बाद यही कहा कि माना हीरा ने गलत किया है लेकिन उसने 10 साल में हमारे लिए जो भी किया उसे भी याद रखना चाहिए. दादा जी ने आरव से कहा कि बच्चे को जब ज़रुरत होती है और उसे कहीं से पैसे नहीं मिलते तो वो सबसे पहले अपने घर में ही चोरी करता है. उसे पता है कि बाहर चोरी करेगा तो चोर कहलायेगा मगर घर में वो ये बता सकता है कि उसे क्यों चोरी करनी पड़ी. उन्होंने आरव को याद दिलाया कि उसने भी तो अपनी मम्मी को गिफ्ट देने के लिए उनके पर्स से 100 रुपये चुराए थे. पकड़े जाने पर दादा जी से रो रो कर कहने लगा था अब नहीं करूँगा. तब दादा जी ने इस बात को samjha था कि आरव का तरीका गलत हो सकता है मगर इरादा नहीं. उन्होंने आरव को इस मामले पर सोच समझ कर फैसला लेने की सलाह दी.

हीरा अभी भी रो रहा था. दादा जी का फोन काटने के बाद आरव ने कुछ देर हीरा को गौर से देखा उसे याद आया कि हीरा के साथ वो दोस्तों जैसा था. जब भी लेट नाईट पार्टी के लिए जाना होता वो हीरा को गेट खोलने के लिए मनाता. जब अपने दोस्तों के कहने पर आरव ने सिगरेट ट्राई की थी तो हीरा ने उसे देख लिया था. आरव की ये सोच कर हालत खराब हो गयी थी कि वो सीधा मम्मी को जा कर बताएगा. डरा हुआ घर पहुंचा था, हीरा को देख घबरा गया. तब हीरा ने कहा था, अम्मा को नहीं बताये हैं, बताएँगे भी नहीं. बस अगली बार से मत पीना नहीं तो अम्मा से पहले छोटे बाबू जी को बता देंगे. आरव ने उस दिन उसे गले लगा लिया था.

आरव पुराने दिनों को याद कर मुस्कुरा उठा. उसने हीरा के पास जा कर उसे ज़मीन से उठाया और सोफे पर बिठाया. उसके लिए खुद पानी लेकर आया. उसे पानी पिलाया और कहा कि उसे घबराने की ज़रुरत नहीं. उसे जेल नहीं जाना पड़ेगा. बस वो वादा करे कि आज के बाद चोरी नहीं करेगा. आरव ने उसे ये भी कहा कि उसे वैसा ही वादा करना होगा जैसा उसने किया था. उसने भी कभी उस दिन के बाद सिगरेट नहीं पी. हीरा ने कहा वो अब भी ऐसा नहीं करता लेकिन मजबूरी में करना पड़ा. अब के बाद वो मजबूरी में भी ऐसा नहीं करेगा. सोहम और MRs. Batra समझ गए कि अब यहाँ कोई थ्रिल नहीं बचा इसलिए उन्होंने वहां से विदा ली. जाते जाते सोहम ने आरव को सलाह दी कि ऐसे लोग कभी नहीं सुधारते, जो फैसला लेना सोच समझ कर लेना. जिसके बाद दोनों चले गए.

आरव ने हीरा से कहा कि वो अपनी माँ को यहाँ ले आये. यहाँ उनका बहुत अच्छे से इलाज कराएँगे. मगर हीरा ने बताया कि उनका वहीं अच्छा इलाज हो रहा है बस पैसों की दिक्कत है. आरव ने उसकी पूरी मदद करने का वादा किया.

आरव- “ठीक है हम माँ के इलाज का खर्च और तुम्हारा पूरा कर्ज उतारने में तुम्हारी मदद करेंगे लेकिन उसके बदले एक शर्त माननी होगी?”

हीरा ने डरते हुए पूछा कैसी शर्त?

आरव- “तुम्हें वापस लौट कर आना होगा. चाहो तो माँ को भी यहीं ले आना. हम उन्हें समझायेंगे तो वो यहाँ आने से मना नहीं करेंगी. बाहर तुम्हारा कमरा आज भी तुम्हारे इंतज़ार में है. माँ के साथ वहीं रहना.”

हीरा ख़ुशी ख़ुशी इस शर्त को मान गया.

आरव- “यार माँ वो अब नारियल वाली मिठाई नहीं बनाती क्या? बहुत दिन हो गए खाए.”

हीरा आरव की बात सुन कर इमोशनल हो गया. उसे लगा नहीं था कि आरव को उसके बारे में अब भी इतना कुछ याद होगा. हीरा शर्मा परिवार में नौकरी लगने के बाद जब पहली बार घर गया था तो लौटते हुए उसकी माँ ने उसके लिए नारियल के लड्डू बना कर दिए थे. वापस आने के बाद वो एक दिन वो लड्डू खा रहा था जब आरव ने उसे देख लिया. वो पूछने लगा कि ये क्या है. तब हीरा ने उसे एक लड्डू खाने के लिए दिया. आरव को वो इतने टेस्टी लगे कि वो सारे लड्डू चट कर गया. अगली बार घर जाने पर उसने ये बात अपनी माँ को बताई. उसके बाद वो हर बार आरव के लिए अलग से लड्डू बना कर देने लगी. आरव को आज भी उन लड्डुओं का स्वाद याद है.

आरव को अब हॉस्पिटल निकलना था. उसने हीरा से उसका अकाउंट नंबर और बाकी डिटेल ले ली थी और कहा था उसके घर पहुँचने से पहले उसके अकाउंट में पैसे पहुंच जायेंगे. हीरा ये सुन कर बहुत खुश हुआ. उसने आरव से कहा कि वो विक्रम को एक बार देखना चाहता है. जिसके बाद आरव ने अच्छी तरह से घर को लॉक किया और दादी को बता कर हीरा के साथ हॉस्पिटल निकल गया. विक्रम की कंडीशन अब स्टेबल थी. जिसके बाद सब relaxed महसूस कर रहे थे. हीरा ने baahar से ही विक्रम को देखा और हाथ जोड़ कर रोने लगा.

आरव पापा के पास ही रुक गया और बाकी लोग नीचे कैफे में आ गए. वहां किसी ने भी उसको ये अहसास नहीं होने दिया कि वो अभी अभी उनके घर में चोरी करते पकड़ा गया है. हीरा ka घर के हर मेंबर के साथ कोई ना कोई किस्सा है. हर कोई अपने किस्से सुना रहा है. ऐसा लग रहा था जैसे शर्मा परिवार एक बार फिर से अपनी वो खुशियों वाली दुनिया में पहुंच गया था. हीरा अभी भी मन ही मन ये सोच कर पछता रहा था कि उससे कितना बड़ा पाप हो गया. सुबह वो फिर से घर गया और जो सामान उसने जहाँ से उठाया था सब उसी जगह पर सेट कर के अपने गाँव के लिए निकल गया.

अगली शाम तक उसके अकाउंट में 5 लाख रुपये आ गए थे. उसके साथ एक मैसेज भी आया “जल्दी लौटना और माँ को कहना उनके लड्डू मिस करता हूँ.” ये मैसेज आरव ने भेजा था. हीरा ख़ुशी के मारे रो पड़ा.

इधर जब सब लोग घर पहुंचे तो दादी ने सबकी जमकर क्लास लगायी. उन्होंने कहा कि वो सब उन्हें बिना बताये क्यों गए और मेन डोर क्यों खुला छोड़ा. सबने उनसे माफ़ी मांगी और कहा कि ऐसा dobara नहीं होगा. बीती रात शर्मा परिवार पर मुसीबत तो आई लेकिन उसके साथ साथ कुछ देर की मुस्कुराहटें भी लेकर आई.

कुछ दिनों तक घर में हीरा की बातें ही चलती रहीं. बत्रा आंटी की बहादुरी की तारीफ भी हुई जिसके बाद वो बड़े हक़ से घर आती हैं. एक दो बार उन्होंने अनीता को ताना maarte हुए भी कहा कि ऐसा घर तो हर चोर को मिले जहाँ चोरी कर ली तो भी फायदा और पकड़े गए तो डबल फायदा. अनीता  इस बात पर मुस्कुरा दी थी. हीरा ने वहां जाते ही माँ की sari रिपोर्ट्स आरव को भेज दी थीं. एक दिन उसने वीडियो कॉल पर सबकी बात भी करवा दी थी. जिसके बाद उसके प्रति रहा सहा शक भी खत्म हो गया था. हीरा के जाने के कुछ दिनों तक कबीर ने भी बार बार उसके बारे में पूछा था. तब हीरा ने ही फोन कर के उसे प्रॉमिस किया कि वो जल्दी ही लौटेगा.

इसी तरह कुछ दिन बीते. अब शर्मा परिवार फिर से अपनी उलझनों में लौट आया है. हीरा के साथ आरव ने जो किया उसके लिए माया उस par प्राउड फील कर रही थी मगर एक दो din बाद ही उसका फिर से वही रूटीन शुरू हो गया था. अब तो वो हॉस्पिटल भी कम ही जाता था. साथ वक्त ना बिता पाने को लेकर दोनों में दो तीन बार बहस भी हुई, जिसके दौरान आरव माया पर चिल्लाया भी था. उसका चिल्लाना सुन कर कबीर घबरा कर उठ गया था. माया अब जब भी अकेली होती वो यही सोचती कि अब उसका और आरव का रिश्ता नहीं चलने वाला. अगर इस रिश्ते को ज्यादा खींचने की कोशिश की गयी तो इसका कबीर पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. आज से पहले माया ने ऐसा कभी नहीं सोचा था मगर अब वो इस रिश्ते से आज़ाद होने की बातें सोचने लगी थी.

विक्रम अब खतरे से बाहर थे. डॉक्टर्स का कहना था कि अगर रिकवरी इसी स्पीड से होती रही तो वो कुछ ही दिनों में घर जा सकते हैं. ये सुन कर घर में सभी खुश थे. मगर माया चाह कर भी खुश नहीं हो पा रही थी. उसे तो अपनी सास से शाबाशी मिलने की भी ख़ुशी नहीं हुई थी. निशा अभी भी इसी सोच में थी कि वो मुंबई जाने के लिए अनीता को कैसे मनाये. उसे बस पापा के ठीक होने का इंतजार था.  

इस बीच दादा जी को राजेश कहीं नहीं दिखा था, ना उसने कोई फोन किया था और ना वो घर आया था. दादा जी को लगा कि शायद खतरा टल गया है मगर वो इस बात से bekhabar थे कि राजेश ऐसी चल चल रहा है जो अगर कामयाब हुई तो शर्मा परिवार के टुकड़े हो जायेंगे. जिसके बाद फैमिली बिजनेस पर उसका कंट्रोल होगा. अपने प्लान के मुताबिक वो बहाने से आरव के साथ अपनी मीटिंग्स badhaane लगा. उसने ऐसा जाल फैलाया कि आरव उस पर पूरा यकीन करने लगा.

जब आरव ने राजेश को अपने family बिजनेस के बारे में बताया तो राजेश ने उसे ये कह कर भड़काया कि फैमिली बिजनेस में फंसे तो इसी शहर तक रह जाओगे जबकि टेक बिजनेस तुम्हें ऊँचाइयों तक ले जायेगा. आरव को ये सुन कर अच्छा लगा. पहली बार किसी ने उसकी सोच की तारीफ की थी. आरव और विक्रम के beech फासले बढ़ रहे थे. आरव तब हॉस्पिटल जाता था जब विक्रम आराम कर रहा होता. उनके उठते ही वो वहां से चल देता. उसे डर था कि विक्रम कहीं अपनी हेल्थ कंडीशन को आगे रख कर उससे कुछ ऐसा ना मांग ले जो वो कर नहीं सकता. उसे अब उस टेक बिजनस पर bhi फोकस करना था जिसका आइडिया उसे राजेश ने दिया था.

कबीर अब पहले की तरह एक्टिव नहीं है. उसका इस तरह से गुमसुम रहना माया को और भी ज्यादा डरा रहा है. उसे लग रहा है कि आरव और उसके रिश्ते के बीच आई दूरियों का बुरा असर अब कबीर पर भी हो रहा है. उसने अब फैसला कर लिया है कि वो आरव से ये रिश्ता खतम करने के बारे में बात करेगी. बॉस दादी चुप चाप पूरे घर के मेम्बर्स पर नजर रखे हुए हैं. उन्हें अब डर लग रहा है कि कहीं ये  परिवार बिखर ना जाए.


क्या माया आरव के साथ अपना रिश्ता खत्म कर लेगी? क्या बॉस दादी का मैजिक शर्मा परिवार के टूटे रिश्तों को बचा पायेगा? क्या राजेश का प्लान आरव को अपने परिवार के खिलाफ कर देगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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