गलती चाहे कितनी भी बड़ी हो, समय रहते उसे फैमिली के साथ शेयर कर लेना चाहिए नहीं तो लम्बे वक्त बाद ये गलतियाँ बड़े raaaz बन जाती हैं. फिर आपकी आने वाली पीढ़ी उसे किसी भी नजरिये से देख सकती है. आप जो सालों से उनके लिए हीरो हैं एक दिन अचानक विलेन बन जाएंगे. फिर आप कितनी भी सफाई दे लें आपकी बात नहीं मानी जाएगी. विक्रम ने भी ऐसी ही एक गलती की, राजेश को desh छोड़ने के लिए उकसा कर. ये raaz जब आरव के सामने आएगा तो वो शायद खुद को राजेश की जगह रख सोचे. आरव का इस raaz के खुलने के बाद क्या रिएक्शन होता है, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि उसे ये raaaz बताएगा कौन. क्योंकि एक कहानी में हर किरदार के पास अपनी अलग अलग कहानी होती hai. 

फ़िलहाल इस फैमिली की तरफ एक बड़ी मुसीबत चुपके से बढ़ रही है. इस बरगद जैसे बड़े पेड़ की टहनियां पेड़ से अलग होने का मन बना रही हैं. माया आरव और अपने रिश्ते को लेकर lambe waqt se बहुत परेशान है. वो उसे छोड़ने के लिए खुद को तैयार कर रही है. उसे फिलहाल यही रास्ता दिख रहा है. अगर कोई उसे दूसरा आसन रास्ता दिखा दे तो शायद वो अपना मन बदल दे. क्योंकि अगर उसने आरव को छोड़ा तो वो अपने साथ कबीर को भी इस परिवार से दूर ले जाएगी. क्या शर्मा परिवार इस सदमे को सह पाएगा? 

शर्मा परिवार अगर एक बड़ा पेड़ है तो कबीर उस पर घोंसला बना कर बैठा वो पंछी है जिसकी मीठी चहचाहट के बिना इस पेड़ की सुबह नहीं होती. वो ही तो है जो अपनी मासूम शैतानियों से इस परिवार के कितने दुःख दूर कर देता है. शर्मा परिवार अपने इस प्यारे बच्चे को किसी भी हाल में नहीं दूर जाने देना चाहेगा. तो कौन आएगा माया के दिमाग से इस ख्याल को निकालने?

माया किचन में काम करते हुए अपनी ही सोच में खोई हुई है. अनीता उसे काम करते देख कहती है कि वो सारा दिन काम ही करती रहती है. घर का काम करने के बाद वो हॉस्पिटल भी जाती है विक्रम की देखभाल भी करती है. ऐसे उसकी तबियत खराब हो जाएगी. वो उसे आराम करने के लिए कहती है और खुद किचन का काम सम्भालने लगती है. माया को अनीता से यही प्यार तो चाहिए था और अनीता को माया से परिवार के लिए ऐसी ही डेडिकेशन. इंसान को सब कुछ मिलता है लेकिन उसकी कुछ कीमत चुकानी पड़ती है. माया ने भी परिवार के लिए अपना प्रोजेक्ट छोड़ कर कीमत ही चुकाई है. बदले में अब उसे अनीता का प्यार भी मिल रहा है लेकिन उसे ख़ुशी नहीं हो रही. अनीता के बार बार कहने पर वो अपने कमरे में jaa kar let jaati hai. 

उसकी आँखों से लगातार आंसू बह रहे हैं. तभी वो दरवाजे पर देखती है, सामने बॉस दादी खड़ी हैं. माया भागते हुए जाती है और उनके गले लगते हुए कहती है…

माया- “आप हर बार कैसे जान जाती हो कि मुझे आपकी ज़रुरत है.” 

बॉस दादी उससे उसके रोने की वजह पूछती हैं और माया अपने मन की एक एक बात बता देती है. आरव को छोड़ने के उसके फैसले के बारे में sun kar बॉस दादी को सबसे पहले कबीर का ही ख़याल आता है जिसे सोच कर ही वो घबरा जाती हैं. लेकिन वो अपनी घबराहट जाहिर नहीं करतीं. उन्हें माया को अभी सिर्फ इसलिए नहीं समझाना क्योंकि उसके फैसले से कबीर उनसे दूर चला जायेगा. बल्कि वो उसे एक औरत के नाते समझाना चाहती हैं. वो अपने पुराने दिनों को याद करते हुए माया को बताना शुरू करती हैं…

बॉस दादी- “माया, तू और तेरा पति दुनिया से अलग नहीं हैं. पति पत्नी का रिश्ता ही ऐसा है जहाँ बहस, झगडे, एक दूसरे पर ताने kasna, शिकायतें करना ये सब चलता रहता है. जहाँ ये सब नहीं उस रिश्ते को फीका माना जाता है. चाय पत्ती कडवी और चीनी मीठी होती है ना? मगर दोनों के मिलने पर ही कड़क चाय बनती है. सोच एक चाय में पत्ती नहीं एक में चीनी नहीं, दोनों चाय peene पर कैसा लगेगा? पति पत्नी का रिश्ता भी इसी चाय जैसा है. प्यार की चीनी और शिकायतों की चायपत्ती का बराबर मेल ज़रूरी है. दोनों में से एक भी कम ज्यादा हुई तो चाय बेकार.  

माया को उनका दिया चाय का example samajh आता है मगर इस बार वो सिर्फ example से मानने वाली नहीं है. उसके पास बहुत सवाल हैं. वो कहती है…

माया- “मैं आपकी बात समझती हूँ. मैंने भी बहुत कोशिश की मगर अब नहीं हो रहा. इसका असर कबीर पर भी पड़ रहा है. वो पहले की तरह एक्टिव नहीं रहा. मैं एडजेस्ट कर सकती हूँ मगर kabir के लिए कैसे ना सोचूं?” 

दादी कुछ देर माया को देखने के बाद kehti hain..

बॉस दादी- “ये नहीं हो रहा वाला बहाना बच्चे होने से पहले सही लगता है. बच्चे होने के बाद हम औरतें हार maan ही नहीं सकतीं. तू कबीर के लिए परेशान है, pareshaan होना बनता भी है लेकिन सोच यहाँ उसका ये हाल है तो जब वो इस परिवार से अलग होगा तब कैसा हाल होगा? उसकी प्रॉब्लम सिर्फ तुम दोनों नहीं उसकी प्रोब्लम फैमिली में हो रहे भेदभाव हैं. वो सबको देख कर परेशान है. उसके बाद विक्रम के साथ जो हुआ उसका भी उसके दिमाग पर असर है. उसे अभी तक नहीं पता कि उसके दादू को क्या हुआ है वो वापस क्यों नहीं आ रहे. और अब मेरी बात सुन तुझे लगता है तू अकेली ऐसी सिचुएशन में फंसी है? यहाँ तो आरव ने तुझे इतना तंग किया है सोच उसके दादा ने मेरी क्या हालत की होगी. तब मैं भी चली जाती अपने बच्चे को लेकर तो आज ये परिवार एक साथ कैसे होता? तेरे दादा कोई कम बड़ी चीज नहीं हैं.” 

माया को बड़ी हैरानी हुई ये जान कर कि प्यारे से दिखने वाले दादा ने उन्हें इतना तंग किया था. दादी ने अपनी बात बतानी शुरू की. ये उन दिनों की बात है जब दादा जी को अपने भाई की डेथ के बाद फॅमिली बिजनेस और स्कूल दोनों सम्भालने पड़े. वो अधि रात के बाद घर आते. कुछ दिनों तक ऐसे ही चला. दादी ने भी समझने की कोशिश की कि वो अभी परेशान हैं. मगर इस परेशानी की वजह से दादा जी चिढ़चिढ़े होते जा रहे थे. वो बिना बात के भड़क जाते. पहले ऐसे थे कि अगर सब्जी में नमक डालना भूल जाओ तो उसे खत्म करने के बाद हँसते हुए बताते थे कि आज नमक नहीं था सब्जी में मगर phir jab pareshaan rehne lage the tab वो अच्छी भली सब्जी होने पर भी खाना छोड़ कर उठ जाते थे. विक्रम को बिना मतलब डाँटते रहते थे. वो ये मानने को तैयार ही नहीं थे कि उनसे बिजनेस नहीं सम्भल रहा, बस वहां का गुस्सा घर पर निकालते थे. 

माया दादी की baaton से हैरान थी कि दादा जी ऐसा कैसे कर सकते हैं. दादी ने कहा कि आरव भी अभी ऐसा ही कर रहा है. वो उलझा हुआ है. उसे समझ नहीं आ रहा कि क्या बेहतर है और उसे क्या चूज़ करना चाहिए. वो अपने बिजनेस और फैमिली बिजनेस के बीच फंसा हुआ है. शुकर है वो गुस्सा कहीं निकाल नहीं रहा, बस चुप हो गया है. माया उनकी बातों से एग्री karti hai. वो पूछती है कि un दिनों दादी का क्या रिएक्शन होता था? उनहोंने कैसे सब सही किया? जिस पर दादी बताती हैं कि कुछ दिन उनहोंने ये सब बर्दाश्त किया फिर एक दिन अचानक से उन्हें इग्नोर करना शुरू कर दिया. वो जब तक एक बात कहते कहते चिढ़ नहीं जाते तब तक दादी नहीं सुनती थी. दादी ने सोचा कि अगर उन्हें गुस्सा ही होना है तो अच्छे से हो लें. 

उन्होंने उनसे बात करना भी बंद कर दिया. वो हमेशा की तरह उनके सारे काम कर रही थीं लेकिन बात नहीं करती थीं. महीना भर ऐसा hi चला फिर एक दिन वो खुद बोले कि तुम बदली गयी हो. दादी के लिए ये मौक़ा अच्छा था. तब उनहोंने दादा जी को बताया कि उन्हें उनका बदलना तो दिख गया मगर वो जो खुद बदलते जा रहे हैं उसपर गौर क्यों नहीं किया? दादी ने उनसे पूछा बच्चों को आखिरी बार कब घुमाने ले गए? हमारे बीच लास्ट टाइम अच्छे से बात कब हुई? ऐसे कई सवाल थे जिनका जवाब दादा जी के पास नहीं था. उसके बाद वो अपने आप लाइन पर आ गए. 

दादी ने माया को समझाया कि कई बार मर्द इतने pareshan हो जाते हैं कि उन्हें अपने आसपास मौजूद लोगों की वैल्यू ही yaad nahin rehti. इसके लिए उन्हें स्पेस दो, unse थोड़ा दूर हट जाओ. उन्हें बार बार पुकारने दो. उन्हें अहसास होने दो कि तुम कितने कीमती हो. वो अपने आप लाइन पर आ जायेंगे. माया को दादी का ये आइडिया बहुत पसंद आया. उसने अपने कॉलेज के दिनों को याद कर के खुद से कहा कि उससे बेहतर इग्नोर करना कौन जानता है. उसे समझ आ गया कि क्या करना है अब. उसने एक नया और asaaan रास्ता dikhaane के लिए दादी को कस कर गले लगा लिया. 

Dusri taraf राजेश आरव को एक बड़े से बार में ले गया tha. उसने आरव को ड्रिंक ऑफर किया मगर आरव ने मन कर दिया. वो हैरानी जताता है ये जान कर कि आज की जनरेशन का होकर आरव ड्रिंक नहीं करता. आरव जवाब में कहता है कि इसका जनरेशन से कुछ लेना देना नहीं है. जिसका मन करता है वो पीता है jiska नहीं करता वो नहीं पीता. उसके कई दोस्त हैं जो नहीं पीते. राजेश कहता है उसने उससे इसलिए ऐसा कहा क्योंकि उसे yakeen नहीं हुआ विक्रम का बेटा शराब नहीं पीता. अच्छी बात है कि उसे विरासत में अपने पिता से ये आदत नहीं मिली. आरव इस बात पर हैरानी जताता है क्योंकि उसे यही पता है कि उसके पिता कभी bhi ड्रिंक नहीं करते. इस पर राजेश बताता है कि वो अपने ग्रुप में सबसे ज्यादा शराब पीने वाले शख्स थे. शायद बाद में छोड़ दी हो वर्ना एक वक्त था जब वो रोज़ पीते थे. आरव कहता है कि उसे ये नहीं पता था. इस बात पर राजेश अपना जाल फेंकता है और इशारे इशारे में कहता है कि उसे अभी अपने परिवार और पिता के बारे में बहुत कुछ नहीं पता. 

आरव इस बात से हैरान है कि वो शख्स जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा वो उसके परिवार के बारे में इतना कुछ कैसे जानता है? राजेश बताता है कि एक वक्त ऐसा था जब वो उनके परिवार के मेंबर की तरह था लेकिन फिर कुछ मनमुटाव के कारण दूरियाँ आ गयीं. आरव उनसे कहता है कि वो उसकी फैमिली के बारे में उसे सबकुछ बताये जो उसे पता नहीं. राजेश उसकी बात सुन कर ऐसे ड्रामा करता है जैसे उसे उसकी बहुत परवाह हो. 

अंत में राजेश मान जाता है. वो एक और ड्रिंक मंगाता है और एक ही सांस में उसे पी कर शर्मा परिवार के राज खोलने शुरू करता है. उसे एक अजनबी बन कर आरव को वो सब बता देना है जिससे उसके अंदर अपने पिता और दादा के लिए नफरत पैदा होने लगे. आज उसके पास वो मौका tha जिसका उसने बरसों तक इंतज़ार किया. जैसे जैसे वो अपनी बात कह रहा tha वैसे वैसे आरव की हैरानी बढती जा रही thi. आरव को आज ऐसी बातें पता चलने वाली thi जो उसने आज से पहले कभी नहीं सुनी थीं.

राजेश आरव को कौन से raaaz बताएगा? क्या राजेश के बताये raaz शर्मा परिवार में दरार paida kar देंगे? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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