राजेश पर शराब का नशा हावी हो रहा tha मगर उसने खुद को सम्भाले रखा. आज वो अपनी पहचान छुपाये हुए अपने भतीजे को हर राज़ बता देना चाहता tha. आरव उसके सामने बैठा tha. राजेश उसे बताना शुरू करता है. उसने अपनी बात शुरू करते हुए सबसे पहले बताया कि उसकी फैमिली ne एक मेन मेंबर के बारे में आरव और निशा को कभी नहीं बताया. आरव को ये सुन कर झटका लगा. उसे शॉकड देख राजेश मुस्कुराया. उसने कहा…
राजेश- “बेटा ये तो फुसकी बम था जिससे तुम इतने सदमे में आ गए, अभी तो बड़े बड़े बम फूटने बाकी हैं. पता नहीं तुम्हारा क्या हाल होगा.”
आरव को पहली ही बात ने इतना बड़ा झटका दिया था कि उसे सच में लग रहा था वो आगे जो भी सुनेगा बर्दाश्त नहीं कर पायेगा. उसने झट से एक ड्रिंक ऑर्डर किया और ड्रिंक आते ही एक सांस में पी गया. कडवे स्वाद की वजह से उसे ulti जैसा लगने लगा. जिसके बाद राजेश ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा…
राजेश- “शाबाश मेरे शेर, अब तुम सारे raaz सुनने के लिए तैयार हो.”
इसके बाद राजेश ने अपनी ही कहानी को किसी और का बता कर सुनना शुरू किया. रंजन और विक्रम दोनों रघुपति शर्मा के बेटे थे. रंजन आरव के चाचा थे. घर का सबसे लाडला. खुद विक्रम भी उस पर जान छिड़कते थे. रघुपति के भाई रामानुज फैमिली बिजनेस सम्भालते थे मगर उनकी कार एक्सीडेंट में मौत के बाद ये फैसला लेना था कि अब इस बिजनेस की जिम्मेदारी किस पर होगी. विक्रम को बचपन से ही सिंगर बनना था और रघुपति शर्मा स्कूल के प्रिंसिपल थे इसलिए बिजनेस पर पूरा फोकस नहीं कर सकते थे. रामानुज की डेथ के वक्त विक्रम 18 और रंजन 16 साल का था. दोनों के कुछ बड़े होने तक बिजनेस भगवान भरोसे चलता रहा. रघुपति शर्मा थोडा समय ही दे पाते थे बिजनेस को. समय बीतता रहा, विक्रम ने कभी बिजनेस में दिलचस्पी नहीं दिखाई. लेकिन रंजन चाहता था कि वो बिजनेस सम्भाले. उम्र छोटी थी मगर उसके हौसले बड़े थे.
रंजन ने अपने 22वें जन्मदिन पर अपने पिता से गिफ्ट के रूप में यही माँगा कि बिजनेस अब उसे सम्भालने दिया जाए. रघुपति को भी अब जरूरत थी कि कोई इसकी बागडोर सम्भाले. उन्होंने रंजन पर भरोसा कर लिया. रंजन ने भी बहुत मेहनत की. छोटी सी उम्र में उसने अपनी पूरी जान झोंक दी इस बिजनेस में. उन्हीं दिनों फैक्ट्री में एक बड़ा एक्सीडेंट हुआ. तीन मजदूर मारे गए और लाखों का माल भी बर्बाद हो गया. रंजन छोटा था वो ये सब देख कर डर गया. उसे लगा कि वो अपने पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. ये सोच कर वो वापस घर ही नहीं गया. वो बॉम्बे चला गया. जैसे तैसे कुछ दिन वहां रहा. जब उसे लगा कि वो ऐसे नहीं जी पायेगा. उसे घर लौटने की सूझी. उसने घर फोन milaya तो विक्रम से उसकी बात हुई.
बड़ा भाई होने के नाते विक्रम का ये farz बनता था कि वो उसे वापस बुलाये. फैक्ट्री में हुए हादसे में उसकी कोई गलती नहीं थी. लेकिन विक्रम ने ऐसा नहीं किया, उसने रंजन को पैसे भेजे और उसके विदेश जाने का इंतजाम कर दिया. रंजन को इतना समझ नहीं आया कि ये विक्रम की बिजनेस हथियाने की chaal थी. उसने रंजन को ये कह कर इमोशनल धमकी थी कि उनके पिता ने अगर उसे दोबारा देखा तो वो खुद को खत्म कर लेंगे. वो बड़ी मुश्किल से इस सदमे से निकले हैं. जबकि ये सब झूठ था जो रंजन को बाद में पता चला. रंजन विदेश में धक्के khaata रहा, सड़कों पर सोया, कचरे से खाना उठा कर खाया और इधर विक्रम बिजनेस के दम पर ऐश kaat-ta रहा.
राजेश ने अपने हिस्से की कहानी सुना दी थी इसमें कितना सच था और कितना झूठ ये राजेश या विक्रम ही जानते थे. मगर आरव ये सब सुन कर बौखला गया था. उसने सेम मगर आधी कहानी अपने दादा जी से सुनी थी. उसे ये तो yakeen हो गया था कि ये कहानी झूठी नहीं. बस वो ये सोच रहा था कि इतना सब राजेश को कैसे पता. उसने राजेश से यही सवाल किया जिसके जवाब में राजेश ने कहा कि उसे ये सारी बातें विक्रम ने बताई thi. यानी कि विक्रम को ये भी पता था कि रंजन ko विदेश में किन किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद भी उसने रंजन को घर वापस नहीं लौटने दिया.
आरव ने उससे पूछा कि अब रंजन कैसा है तो उसने बताया कि उसे नहीं पता. शायद वो जिंदा भी ना हो. राजेश की आखिरी बात ने आरव की नज़रों में विक्रम की वैल्यू को काफी हद तक गिरा दिया था. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पिता इस हद तक गिर गए होंगे. उसे ये अहसास होने लगा कि वो आज तक जो भी ऐश कर रहे थे उस पर किसी और का भी हक़ था. राजेश ने खुद को रंजन बता कर ऐसी कहानी गढ़ी थी जिसे शर्मा परिवार का कोई शख्स झुठला नहीं सकता था. इस कहानी पर डिटेल में बात होने पर ही विक्रम अपना सच कह paata लेकिन राजेश ने आरव को ऐसी patti पढाई थी कि जब तक विक्रम उसे सब बता पायेगा तब तक वो अपना काम कर चुका होगा. आरव ने इस सदमे को बर्दाश्त करने के लिए चार और पेग गटक लिए. अब राजेश की आँखों का नशा आरव की आँखों में उतर आया था. शायद राजेश ने खुद को नशे में दिखाया ही इसलिए था कि आरव भी शराब पी सके.
अब आरव घर जाने की हालत में बिलकुल नहीं था. अगर वो घर पहुंच भी जाता तो शायद गुस्से mein सारी बात उगल देता. इसीलिए राजेश उसे उसी होटल में ले गया जहाँ वो खुद रुका हुआ था. उसने उसके लिए एक रूम बुक किया और उसका फोन अपने पास रख लिया. आरव नशे में धुत होटल के बेड पर सोया हुआ था. राजेश ने उसकी कुछ तस्वीरें लीं और ऐसे मुकुराया जैसे उसकी जीत की शुरुआत हो चुकी हो.
इधर घर पर मौजूद लोगों को लग रहा था कि आरव हॉस्पिटल में होगा और हॉस्पिटल में maujood माया सोच रही थी वो घर चला गया होगा. किसी ने किसी से भी आरव के बारे में नहीं पूछा. क्योंकि ऐसा कभी हुआ ही नहीं कि वो रात को घर ना लौटा हो.
दादा जी बॉस दादी के साथ अपने कमरे में the. आज वो बहुत बेचैन the. उन्हें अंदर से feeling आ रही thi कि कुछ बहुत बड़ा होने वाला है. उन्हें बेचैन देख बॉस दादी unse परेशानी का कारण poochhti hain. Palat kar दादा जी अचानक उनसे पूछते हैं कि क्या उन्हें राजेश की याद आती है? आज सालों बाद दादा जी की ज़ुबान से राजेश का नाम सुन कर दादी हैरान हैं. दादी कहती हैं कि बेटा है तो याद आयेगी ही लेकिन उसने जो किया वो माफ़ी के लायक नहीं. दादा जी फिर से पूछते हैं कि अगर वो वापस आ जाये तो क्या करना चाहिए? दादी के पास इसका कोई जवाब नहीं. वो अपने पति के लिए बेटे को भुला तो सकती थीं लेकिन उसके लिए कुछ ऐसा नहीं कह सकती थीं जिसे वो टाइम आने पर पूरा ना कर सकें. दादा जी ने उनसे कहाना शुरू किया..
दादा जी- “देख Sumitra मैंने आजतक तुझसे कुछ नहीं छिपाया, लेकिन पिछले दिनों एक बात मुझे छुपानी पड़ी. राजेश लौट आया है. वो घर भी आया था.”
दादा जी की बात सुन कर दादी ऐसे चौंकी जैसे भूत देख लिया हो. उन्होंने उनसे पूछा की वो आया था तो उन्हें क्यों नहीं बताया? कितने साल हो गए उसे देखे हुए. दादी की ममता जाग रही थी लेकिन दादा जी आगे जो बताने वाले थे वो सुन कर शायद उन्हें राजेश से नफरत हो जाती.
दादा जी- “सही मकसद से आया होता तो जरूर बताता मगर वो अपना हिस्सा मांगने आया था. मुझसे ऐसे बात कर रहा था जैसे मैं उसका बाप नहीं बल्कि dushman हूँ. आज विक्रम की जान पर बन आई इसकी वजह भी वही है. जानती है उसने विक्रम को क्या कहा? कि वो सेल्फिश है. क्या हमारा विक्रम सेल्फिश है?”
इतना कहते कहते दादा जी रो पड़े. दादी को yakeen नहीं हो रहा था कि उनका बेटा इतना गिर सकता है. उन्हें उसके नाम से अब नफरत होने लगी थी.
दादा जी ने राजेश की कही हर बात बॉस दादी को बता दी और उन्हें ये भी कहा कि फ़िलहाल ये बात किसी को pata नहीं लगनी चाहिए. जब वो किसी को कुछ ना बताने वाली बात कर रहे थे तभी कबीर रूम में आ गया. वो पूछने लगा कि क्या नहीं बताना है? दादा जी चुप हो गए. जिसके बाद कबीर नाराज हो गया. उसका कहना था कि उसे कोई कुछ नहीं बताता. वो अब छोटा बच्चा नहीं है जो उससे हर बात छुपायी जाए.
कबीर- मुझे सब पता है, दादू हॉस्पिटल में हैं. पापा मम्मी लड़ते रहते हैं, दादी बुई से गुस्सा होती हैं. मैं सब जानता हूँ. आप दोनों भी पहले की तरह मुझे प्यार नहीं करते.”
इतना कह कर कबीर रोने लगा. उसका ये रोना natak वाला रोना नहीं था, वो दिल से रो रहा था. उसका दिल दुखा था. दादा जी ने उसे गोद में उठाया और चुप कराने लगे. वो उसे किसी तरह शांत करना चाहते थे. उनहोंने कबीर से पूछा कि उसका कोई दोस्त है? कबीर ने बताया कि chetan, रचना और कौशिक उसके सबसे अच्छे दोस्त हैं. दादा जी ने पूछा तो क्या वो लोग आपस में कभी नहीं लड़ते? कबीर ने बताया कि बहुत लड़ते हैं, एक बार तो चेतन ने रचना के बाल नोच दिए थे. दादा जी ने पूछा तो क्या उसके बाद दोनों की दोस्ती टूट गयी. कबीर ने ना में सिर हिलाया. Phir दादा जी ने उसे समझाते हुए कहा…
दादा जी- जो लोग हमेशा एक साथ रहते हैं unke बीच ऐसे छोटे छोटे झगडे होते ही रहते हैं. हमारे घर में भी होते हैं. पहले तुम छोटे थे तो समझ नहीं पाते थे अब बड़े होने पर तुम्हें सब पता चल जाता है. इन झगड़ों का मतलब ये नहीं कि हम आपस में प्यार नहीं करते. देखा था न जब हीरा आया था तो हम लोग कितनी बातें कर रहे थे. जैसे तुम घर आ कर अपने फ्रेंड्स से हुए झगड़ों के बारे में नहीं बताते वैसे हम भी तुम्हें अपने झगड़ों के बारे में नहीं बताते. जब तुम थोड़े और बड़े हो जाओगे तो समझ जाओगे कि एक परिवार के लिए बहुत ज्यादा pyaar और थोड़े से झगडे बहुत ज़रूरी होते हैं.”
कबीर ने ऐसे सिर हिलाया जैसे उसने poori बात समझ ली हो. इसके बाद उसने dadaji ke साथ खेलने की ज़िद की. वो लूडो निकाल लाया और फिर दादा दादी के साथ खेलने लगा.
Udhar आरव होटल के कमरे में बेसुद्ध सोया हुआ tha. उसके बगल में लगी टेबल पर शराब की बोतल पड़ी thi. सामने कुर्सी पर राजेश बैठा हुआ thi. वो उसे देख कर आगे की चाल सोच रहा tha. रात के एक बजे हुए the. आरव का नशा थोड़ा कम होने पर उसकी आँख खुल rahin thin. उसे अपने बिस्तर के अलावा और कहीं सही से नींद नहीं आती. थोड़ी देर में उसकी नींद पूरी जगह खुल जाती है. वो खुद को होटल के कमरे में देख कर चौंक जाता है. पहली बार शराब पीने की वजह से उसका सिर फटा जा रहा tha. उसे याद नहीं कि वो यहाँ तक कैसे पहुंचा. उसे रात राजेश की कहानी में भी कई बातें याद नहीं.
राजेश ने उसकी तरफ ग्लास बढ़ाया. वो ऐसे हंस रहा tha जैसे आरव का मज़ाक उड़ा रहा हो…
Hosh mein aane ke baad क्या आरव राजेश की बताई कहानी पर यकीन करेगा? क्या ab आरव और विक्रम के रिश्ते में दरार आ जाएगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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