एपिसोड - 16: नई उम्मीद

“महेश, मुझे इस डायरी में मेंशन तीन में से दो लोगों के बारे में पता चल चुका।” लंच समय में मेल्विन ने महेश को बताते हुए कहा, “अब मुझे बस एक और नाम जानना है।”

“बहुत जल्द वो नाम भी तुम्हारे सामने आ जाएगा मेल्विन!” महेश ने कहा, “अब ये बताओ, क्या प्लान है तुम्हारा?”

“मैंने कुछ सोचा तो है। लेकिन ये कितना कारगर होगा मैं नहीं जानता। हमें बहुत सावधानी से इसे अंजाम देना होगा।” मेल्विन ने अपना प्लान समझाते हुए कहा, “मैं अपने मोबाइल के गुम हो जाने का नाटक करूंगा। फिर तुम मुझे मोबाइल ढूंढने के लिए सीसीटीवी कैमरा चेक करने का सुझाव दोगे।”

“यह योजना कुछ ज्यादा ही सिंपल और सीधा–सादा नहीं लग रही तुम्हें?” महेश ने पूछा, “कोई भी ये आईडिया दे सकता है कि तुम्हारे मोबाइल पर कॉल करके उसे ढूंढ लिया जाए।”

“मैंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया है। और वो अभी डस्टबिन के पास पड़ा हुआ है।”

“ये तुमने कैसे किया?” महेश ने पूछा।

“ये हम सब मिलकर खुद सीसीटीवी कैमरे में देखेंगे।” मेल्विन ने कहा।

“मुझे डर लग रहा है मेल्विन! मैंने इस तरह का काम पहले कभी नहीं किया। अगर हमसे कोई चूक हुई तो फिर बॉस हमारे खिलाफ कोई भी एक्शन ले सकता है।”

 

“एक्सपीरियंस तो मुझे भी नहीं है महेश! लेकिन डरने से बात नहीं बनेगी। वैसे भी हम कौन सा क्राइम कर रहे हैं। हमें ऐसा सिर्फ इसलिए कर रहे हैं ताकि बॉस हम पर सीधे उंगली न उठा सके। शक तो उन्हें जरूर होगा लेकिन वो हमारा काम पूरा होने के बाद कर भी क्या सकते हैं। शक तो उन्हें पहले ही मुझ पर हो चुका है कि मैं इस मामले के तह तक जाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं।”

“मेरे दिमाग में एक और ख्याल आ रहा है मेल्विन!” महेश ने कहा, “इतना सब कुछ क्या हम सिर्फ इसलिए कर रहे हैं ताकि घनश्याम की पहचान हम कर सकें?”

“शायद।” मेल्विन ने कुछ सोचते हुए कहा, “लेकिन मुझे उम्मीद है कि सीसीटीवी कैमरे से हमें कुछ ऐसी जानकारी भी मिल सकती है जिसकी हमने उम्मीद भी न की हो। एक बार मैं सीसीटीवी कैमरा खंगाल लूं फिर मुझे चैन मिलेगा।”

उसी वक्त महेश के फोन की घंटी बज उठी।

 

मेल्विन ने महेश से नजरे मिलाए बिना ही खुद को खाना खाने में व्यस्त दिखाते हुए कहा, “अपना फोन उठाओ। ये कॉल पीटर का है। वो तुम्हें जो भी जानकारी देगा वो बिना मेरी तरफ देखे हुए बता देना।”

मेल्विन के कहे अनुसार महेश ने फोन उठा लिया। दूसरी तरफ सचमुच पीटर था।

उसने कुछ देर तक महेश से बात की और महेश सिर्फ हां–हां करता गया। कुछ देर बाद दूसरी तरफ से फोन कट हो गया।

“बॉस सिंगापुर की फ्लाइट में बैठ चुका है।” महेश ने पीटर की दी हुई जानकारी मेल्विन को बताते हुए कहा।

“ठीक है। अब हमें अपने प्लान को अंजाम देना है।”

मेल्विन का मोबाइल गुम हो गया है इस बात को महेश ने पूरे ऑफिस में फैला दी थी। सबने मिलकर मेल्विन के मोबाइल को ढूंढने की कोशिश की लेकिन उसका मोबाइल कहीं भी नहीं मिला।

आखिर में महेश ने कहा, “क्या किसी के दिमाग में ये ख्याल नहीं आया कि हमें सीसीटीवी कैमरा एक बार देख लेना चाहिए। जब मेल्विन कह रहा है कि उसने अपना मोबाइल आखिरी बार ऑफिस में देखा था तो फिर मोबाइल यहीं कहीं होगा। हमें सीसीटीवी कैमरा चेक करना चाहिए।”

“गुड पॉइंट महेश। दरअसल ये आइडिया मेरे दिमाग में आया था। लेकिन मुझे लगा था इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।” मेल्विन ने कहा, “अब हमें सीसीटीवी कैमरे की मदद लेनी होगी। महेश, मेरे साथ बॉस के केबिन में आओ। मेरा मोबाइल अभी मिल जाएगा।”

प्लान अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका था। लेकिन ये पड़ाव ही सबसे जरूरी और सबसे रिस्की था।

केबिन में पहुंचते ही महेश ने कहा, “सीसीटीवी कैमरे का फुटेज चेक करने से अच्छा है कि हम सारी डेटा कॉपी कर ले।”

“मैं वही करने वाला हूं महेश!” मेल्विन ने कहा और एक पेन ड्राइव निकाल कर सिस्टम में लगा दिया। जैसे ही मेल्विन ने सारा डेटा कॉपी करने की कोशिश की उसने देखा वहां पुराने सभी वीडियो डिलीट किया जा चुके थे।

“व्हॉट। हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर गया।” महेश ने अपना सिर पीटते हुए कहा, “आज का सारा फुटेज है लेकिन आज से पहले की कोई भी फुटेज यहां स्टोर नहीं है।

मुझे इस बात का पहले ही शक था।” मेल्विन ने भी अपने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा, “हम नाकामयाब होकर भी कामयाब हो गए हैं महेश। सारे डाटा डिलीट किया जा चुका है इससे ये कंफर्म हो जाता है कि वाकई बड़ी साजिश चल रही है। हमसे कई चीजें छुपाई जा रही हैं।”

 

मेल्विन का प्लान पूरा हो चुका था। उसके हाथ बस इतनी ही जानकारी लगी थी कि इन सब में उसका बॉस मिस्टर कपूर भी शामिल है। मेल्विन के सामने अब कुछ नए सवाल थे। 

ये डायरी मिस्टर कपूर ने मेल्विन को क्यों दी? उसके पिता और मेल्विन के पिता कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे, इस बात का जिक्र आखिर मिस्टर कपूर ने मेल्विन के सामने क्यों किया था? 

मेल्विन उस दिन इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढता रहा लेकिन उसे कुछ भी हासिल न हो सका।।

 

“तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है मेल्विन।” पीटर ने फोन पर मेल्विन से कहा, “कम से कम हमें ये जानकारी तो मिली कि तुम्हारा बॉस कोई बहुत बड़ा खेल खेल रहा है। मुझे तो लगता है कि तुम्हें अब घनश्याम को ढूंढने की जरूरत भी नहीं है। अपने बॉस का बैकग्राउंड चेक करो। पता करो कि वो कार्टून कंपनी चलाने के अलावा और क्या-क्या करता है। बाकी मैं भी अपने स्तर पर ये पता लगाने की कोशिश करता हूँ। मुझे तुम्हारा ये बॉस मिस्टर कपूर ही सबसे बड़ा फ्रॉड लगता है। देखना इस डायरी के कुछ और पात्र निकलकर सामने आएंगे।”

 

“मुझे भी यही लगता है। इसमें सबसे पहला नाम तो बॉस के पिता का ही है।” मेल्विन ने कहा, “बॉस के बैकग्राउंड के साथ-साथ अगर तुम घनश्याम के बारे में भी कुछ पता लगा सको तो मेरा काम और आसान हो जाएगा।”

“फिक्र मत करो मेल्विन। मैं उसका भी पता लगा लूंगा।” पीटर ने इतना कहा और फोन कट कर दिया।

इसके तुरंत बाद मेल्विन ने अपनी मां को कॉल लगाया।

 

“हेलो मां।” मेल्विन ने अपनी मां के फोन उठाते ही कहा, “क्या डायरी के वे पन्ने आपको मिले?”

“इतनी जल्दी मैं उन पन्नों को मैं कैसे ढूंढ सकूंगी मेल्विन?” मेल्विन की मां ने कहा। उनकी आवाज में परेशानी झलक रही थी, “तुम तो जानती हो कि मैं दिन भर कितना व्यस्त रहती हूं। ऊपर से मैंने वो पन्ने कई साल पहले देखे थे। अब तो मुझे याद भी नहीं कि वो कहीं सही–सलामत रखे हैं या फिर गुम हो चुके हैं। जैसे ही मुझे टाइम मिलेगा, मैं पुरानी चीजों को खंगाल कर देखूंगी।”

“मां, ये बहुत अर्जेंट है। दूसरे सभी काम अगर तुम रोक कर मेरे लिए वे पन्ने ढूंढ दो तो तुम्हारी बहुत मेहरबानी होगी।”

“मैं जानती हूं मेल्विन कि उन पन्नों का तुम्हारे लिए क्या महत्व है। अगर डायरी के वे पन्ने अब भी इस घर में है तो मैं उसे जरूर ढूंढ लूंगी। तुम फ़िक्र मत करो।”

 

“ठीक है मां।” मेल्विन ने कहा और कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
कॉल डिस्कनेक्ट करते ही मेल्विन एक बार फिर ख्यालों में खो गया था, “मुझे महेश की मदद से ऑफिस के अंदर घनश्याम के बारे में पता लगाना चाहिए। घनश्याम के पिता यहां कई बार आ चुके हैं। वे एक बुजुर्ग आदमी थे। वे वीटी में आसपास ही कहीं रहते होंगे। कोई तो होगा इस कंपनी में जिसे घनश्याम या फिर उसके पिता के बारे में कुछ भी जानकारी होगी।”
मेल्विन ने ये करके भी देख लिया। उसे कहीं से कोई उम्मीद नजर नहीं आई। दिन खत्म होने के बाद उसने इसकी चर्चा पीटर से भी की। 

“तुम्हारा बॉस बहुत चालाक है मेल्विन!” पीटर ने कहा, “मुझे डर है कि उसने सिंगापुर जाने का सिर्फ नाटक किया है। दूसरी फ्लाइट से वो जरूर वापस लौट आएगा।”
“अगर ऐसा कुछ होगा तो क्या तुम मुझे इसकी जानकारी दे सकोगे?” मेल्विन ने पूछा।
“तुम इसकी फिक्र मत करो मेल्विन।” पीटर ने कहा, “मेरी नजर लगातार तुम्हारे बॉस की गतिविधियों पर है। यही वो कड़ी है जिससे दूसरी सारी कड़ियां जुड़ी हुई हैं। तुम्हारे बॉस पर नजर रखकर ही हम घनश्याम और रघु तक भी पहुंच जाएंगे।”
“एक बात और पीटर। इस बात का जिक्र तुम हमारे लोकल ट्रेन के दूसरे साथियों के सामने मत करना। दरअसल मुझे लक्ष्मण पर भरोसा नहीं है। वो न जाने क्या-क्या कहानियां बनाता रहता है।”
“मुझे वो अव्वल दर्जे का मूर्ख लगता है मेल्विन! अगर वह रामस्वरूप जी का बेटा नहीं होता तो अब तक मैं उसे अपने लपेटे में ले चुका होता। देखना, ये जरूर किसी दिन मार खाएगा।”
“हमें ये सब नहीं करना पीटर। रामस्वरूप जी हमारे पुराने जानकार हैं।” मेल्विन ने कहा।

 

“मैं अपनी बात नहीं कर रहा हूं मेल्विन!” उसकी हरकतों को देखकर कह रहा हूं। अगर इसकी यही हरकतें रहीं तो जरूर किसी दिन कोई इसे कूट कर जाएगा। हम रामस्वरूप जी का सम्मान करते हैं, पूरी मुंबई उन्हें थोड़ी न जानती है। खैर, मैंने अपने कुछ दोस्तों को तुम्हारे बॉस की पूरी हिस्ट्री जांचने का काम सौंप दिया है। जल्दी ही हमें कुछ रिस्पांस मिलने की उम्मीद है।”
मेल्विन जब घर लौटा तब शाम को उसकी मां का फिर फोन आया।

उन्होंने फोन पर जानकारी देते हुए बताया, “मेल्विन, मुझे वे पन्ने तो मिल गए हैं लेकिन अब शायद वे पन्ने तुम्हारे किसी काम नहीं आ सकेंगे।”
“क्यों मां?” मेल्विन ने तुरंत पूछा।

 

“उन पन्नों को चूहों ने कुतर दिया है। मुझे सिवाय रद्दी और बेकार कागजों के य हां कुछ नहीं मिला।” मेल्विन की मां ने उदास होते हुए कहा, “मुझे माफ कर देना बेटा। मैं इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाई।”
मेल्विन भी अपनी मां की आवाज सुनकर उदास हो गया। एक-एक करके उसकी सारी उम्मीद टूट रही थीं।
मेल्विन ने व्हाट्सएप पर इस बात की जानकारी पीटर को दे दी थी। इससे पीटर को ये मालूम चल गया कि अब सारा दारोमदार सिर्फ उसी पर है।
रविवार की सुबह मेल्विन के लिए एक अच्छी खबर लेकर आई थी। महेश ने सुबह ही उसे कॉल घुमाकर एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा, “घनश्याम का पता चल गया है मेल्विन!” 

“क्या! लेकिन ये अचानक कैसे हुआ?” मेल्विन ने पूछा।

“मैंने किसी को घनश्याम के हुलिए के बारे में बताया था। हमारी किस्मत अच्छी थी कि वो आदमी उसके जैसे हुलिए वाले एक आदमी को पहले से ही पहचानता था। बस वहीं से हम घनश्याम तक पहुंच गए।”
“कहां रहता है वो?” मेल्विन ने तुरंत पूछा, “मुझे उससे अभी मिलना है।”
“मैं तुमसे 2 घंटे में तुम्हारे फ्लैट के बाहर मिलूंगा। फिर हम दोनों एक साथ उससे मिलने जाएंगे। मेरे दोस्त ने बताया कि वह गोरेगांव ईस्ट में कहीं रहता है।”
“ठीक है महेश, तुम जल्दी पहुंचो। मैं पीटर को भी अपने साथ ले लेता हूं। वह दिखने में हमसे थोड़ा खतरनाक लगता है इसलिए कोई भी जानकारी वो जल्दी निकाल लेगा।” मेल्विन ने कहा।
मेल्विन ने तुरंत पीटर को कॉल करके अपने फ्लैट पर बुला लिया था। करीब आधे घंटे में पीटर मेल्विन के फ्लैट पर पहुंच चुका था।
“एक-डेढ़ घंटे में महेश भी है यहां आ जाएगा।” मेल्विन ने जानकारी देते हुए कहा, “मैंने तो जैसे उम्मीद ही छोड़ दी थी। एक-एक करके मेरे सारे दरवाजे बंद होते जा रहे थे। घनश्याम हमें बहुत किस्मत से मिला है। देखते हैं वो हमें कितनी जानकारी दे पाता है।”
“चलो, इसी बहाने तुम्हारे फ्लैट पर तो आना हुआ। वरना हम दोनों का तो हमेशा लोकल ट्रेन में ही मिलना होता था।” पीटर ने मेल्विन की फ्लैट को अच्छे से देखते हुए कहा, “अभी डेढ़ घंटे हम यहां क्या करने वाले हैं?”
“मैंने नाश्ता आर्डर किया है। वो जल्दी ही आ जाएगा। हम नाश्ता करेंगे फिर देखेंगे कि महेश और कितना वक्त लेता है आने में।”
जल्दी ही शराब की कुछ बोतले और पोर्क का आर्डर आ गया।

मेल्विन ने उसे पीटर के सामने परोसा।

“अपने घर पहली बार बुलाकर तुम अपने पसंद की चीज मुझे खिला रहे हो।” पीटर ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्त हो तो ऐसा।” 

“संडे के दिन मैं शराब और पोर्क जरूर खाता हूं। इसके बिना मेरा संडे पूरा नहीं होता। उसके बाद तो मंडे से लेकर सैटरडे तक भाग दौड़ मची रहती है।”

यूं ही बातें करते-करते किसी तरह डेढ़ घंटे भी निकल गए।

महेश ने मेल्विन के फ्लैट के बाहर आकर अपनी बाइक की हॉर्न बजाई। हॉर्न की आवाज सुनते ही दोनों बाहर आ गए। 

“हमें जल्दी घनश्याम को पकड़ना होगा। वो बहुत जल्दी-जल्दी अपनी लोकेशन बदल रहा है। अभी-अभी मुझे मेरे दोस्त का फोन आया था। एक कहीं जाने की तैयारी कर रहा है।”

“कहां जाने की तैयारी?” मेल्विन ने पूछा। 

“शायद देश से बाहर जाने की तैयारी कर रहा है।” महेश ने जानकारी दी।

क्या मेल्विन और उसके साथी घनश्याम से मिल पाएंगे? आखिर घनश्याम अपना लोकेशन जल्दी-जल्दी क्यों बदल रहा था? क्या ये सारी कड़ियां मिस्टर कपूर से जुड़ी हुई थी? आखिर इसमें मेल्विन का क्या रोल था?

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