एपिसोड – 15

डायरी के पन्ने

“मेल्विन, तुम कहां खोए गए?” पीटर ने मेल्विन को झकझोरते हुए पूछा। 

मेल्विन जैसे नींद से जाग उठा था। उसने अपने आसपास देखा।

“कहां खो गए थे तुम?” पीटर ने फिर पूछा, “दिन में सपने देख रहे हो शायद?”

“मेल्विन शायद उस लड़की के सपने में खो गया था।” लक्ष्मण ने हंसते हुए कहा, “मेल्विन चाहे जितना इग्नोर कर ले लेकिन वो अपने दिल से उस लड़की का ख्याल नहीं निकल पा रहा है। जैसे ही मलाड स्टेशन नजदीक आता है, मेल्विन किसी ख्यालों में हो जाता है।”

मलाड रेलवे स्टेशन से ही वो अजनबी लड़की रोजाना लोकल ट्रेन में चढ़ती थी। इसलिए जैसे ही ट्रेन मलाड रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाली थी मेल्विन ने हसीन सपने देखने शुरू कर दिए थे।

मेल्विन ने आज अपने आप को व्यस्त रखने के लिए कागज और पेंसिल उठा ली थी।

आज उसने बॉस और एंप्लॉई के बीच के रिलेशन को दिखाने वाला एक स्केच बनाया था।

“ये तुम्हारा बॉस मिस्टर कपूर है न?” पीटर ने मेल्विन के बनाए स्केच को देखते हुए पूछा। 

“मैं समझता था कि मेरा बॉस दूसरों के बॉस से थोड़ा अलग है। लेकिन मैं गलत था।” मेल्विन ने कहा, “मैंने अब तक अपने बॉस को इस तरह जज किया जिस तरह वो चाहता था। लेकिन अब मैं उसे अपनी तरह से जज करूंगा। एक बार घनश्याम से मेरी मुलाकात हो जाए फिर बॉस की असलियत भी धीरे-धीरे मेरे सामने आ जाएगी।”

“मैं इस संघर्ष में तुम्हारे साथ हूं मेल्विन। तुम्हारा आर्ट किसी की पहचान का मोहताज नहीं है। तुम सेल्फ डिपेंड होकर भी अपनी पहचान बना सकते हो।” पीटर ने कहा, “इसलिए जॉब जाने का डर अपने दिल में मत रखना। लेकिन इससे पहले हमें उस कहानी को अंजाम तक पहुंचना है जो पहले शुरू हुई थी।”

“नहीं पीटर। वो कहानी अब खत्म हो चुकी है।” मेल्विन ने इनकार करते हुए कहा।

“मेल्विन से जिद मत करो पीटर।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “वो खुद समझदार है। उसने अगर कोई फैसला लिया है तो सोच–समझ कर ही लिया होगा।

“तो इसका मतलब ये है कि अब से हम मेल्विन और उसकी प्रेम कहानी की बात नहीं करेंगे।” लक्ष्मण ने मौका पाते ही कहा, “फिर तो इतने दिन से बेकार में हमने इतनी मेहनत की।”

“तुमने मेहनत की?” पीटर ने पूछा, “बल्कि तुम्हारी वजह से ही मेल्विन इतना परेशान है। एक उम्मीद की लौ नजर आई थी लेकिन तुमने उसे बर्बाद कर दिया। मुझे समझ में नहीं आता लक्ष्मण कि तुम अपने आपको समझते क्या हो। मेल्विन की जगह अगर मैं होता तो तुम्हें बराबर उसका जवाब देता।”

“क्या मतलब है तुम्हारा पीटर?” लक्ष्मण ने गुस्से में पूछा, “क्या तुम मुझे धमका रहे हो?” 

“अगर मेरी बात तुम्हें धमकी लग रही है तो इसे धमकी ही समझो। लेकिन आइंदा से अगर तुमने मेल्विन को फिर परेशान करने की कोशिश की, तो मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं।”

बातों ही बातों में पीटर और लक्ष्मण के बीच बहस छिड़ चुकी थी। इससे पहले कि मामला और गंभीर होता मेल्विन ने बीच–बचाव किया। 

“तुम दोनों आपस में लड़ो मत। मैंने कोई भी फैसला लक्ष्मण की वजह से नहीं लिया है। बल्कि लक्ष्मण ने तो मेरी आंखें खोल दी है। मैं बेकार में भावनाओं में बह रहा था। इस उम्र में अगर मैं प्यार करने जाऊंगा तो कोई भी मुझ पर हंसेगा। जहां तक इस लड़की की बात है तो हंसी के सिवाय मैं और कुछ उम्मीद भी नहीं कर सकता।”

“मेल्विन कुछ दिन पहले तो तुम इतना अंडर कॉन्फिडेंट नहीं थे। और तुम अपने आपको कम स्मार्ट क्यों समझने लगे एकाएक?” रामस्वरूप जी ने पूछा, “तुमने ऐसा सोचना तब से ही शुरू किया है जब से वो रुमाल वाला इंसिडेंट तुम्हारे साथ हुआ। ये सब लक्ष्मण की गलती थी मेल्विन, तुम्हारी नहीं।”

“प्यार में पड़कर पहली गलती तो मैंने ही की थी रामस्वरूप जी। बाद में जितनी भी गलतियां हुई वे मेरी गलतियों का ही नतीजा था। मैं किसी और को इसमें दोष नहीं दे सकता। मेरी जगह अगर कोई और होता तभी भी मैं उसको यही सलाह देता इन चक्करों में पड़ने की उम्र अब निकल चुकी है। इस रास्ते में कुछ नहीं रखा। मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं और इसी रास्ते आगे बढ़ना चाहता हूं। मैं अपनी जिंदगी में कोई नया चैप्टर नहीं खोलना चाहता रामस्वरूप जी।”

“तुम अपने नसीब से भाग रहे हो मेल्विन।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “तुम्हारी जिंदगी में नए चैप्टर शुरू हो चुके हैं। और ये अब से नहीं, काफी पहले से मैं देख रहा हूं। अपने आपसे पूछो, तुम अपने बैग में वो डायरी लेकर क्यों घूम रहे हो? राधेश्याम से तुम क्यों मिलना चाहते हो? रघु का नाम तुम्हारे दिमाग में क्यों घूमता रहता है? आज तुमने  आते ही हमें बताया कि कल तुम्हारी मां अचानक ऑफलाइन हो गईं, फिर फोन भी स्विच ऑफ आने लगा। क्या तुमने उन्हें आज सुबह फिर फोन किया था? या उन्होंने तुमसे दोबारा कॉन्टैक्ट किया? नहीं किया है। और तुम्हें ये याद भी नहीं रहा कि तुम मां से फोन करके बात कर सको।”

“मैंने आज सुबह मां को कॉल किया था डॉक्टर साहब। मां का फोन अबी भी स्विच ऑफ आ रहा है। मैं सुबह से कम से कम 10 बार ट्राई कर चुका हूं। अगर आपका मानना है कि मैं अपनी जिंदगी में उलझ कर अपनी मां को भूल रहा हूं तो ये आपकी गलतफहमी है। मैं बिल्कुल ठीक हूं और जानता हूं कि मैं क्या कर रहा हूं। आप लोग मुझ पर सिर्फ एक मेहरबानी कर दीजिए। जिस पागलपन को मैं प्यार समझने लगा था उसे मैं फिर प्यार समझने की भूल नहीं कर सकता। आप लोग प्लीज इस मामले में मेरा पीछा छोड़ दीजिए।”

उस दिन मेल्विन ने उस अजनबी लड़की से बातचीत करने की कोई कोशिश नहीं की। कहीं न कहीं ये बात उस अजनबी लड़की की मन में भी खटकी कि आज मेल्विन और उसके साथियों के बीच उसे लेकर कोई चर्चा क्यों नहीं हुई? मेल्विन ने एक बार उसे देखने की कोशिश क्यों नहीं की?

ट्रेन से उतरने के बाद भी मेल्विन अपनी मां को लगातार कॉल ट्राई कर रहा था। आखिरकार ऑफिस पहुंचने से ठीक पहले उसकी मां का फोन ऑन हुआ और उन्होंने कॉल पिक किया। 

“हेलो मां, कहां हो तुम? मेल्विन ने घबराते हुए पूछा, “कल से तुम्हारा फोन बंद आ रहा है। सब ठीक तो है?”

“कल मेरा फोन अचानक से बंद पड़ गया। इसलिए मैं तुमसे कॉन्टैक्ट नहीं कर पाई बेटे।” मेल्विन की मां ने बताया, “मेरा फोन कई दिनों से खराब चल रहा है।”

“ठीक है, मैं इस बार घर आऊंगा तो तुम्हारे लिए एक नया फोन लेकर आऊंगा।” मेल्विन ने कहा, “अच्छा, ये बताओ मां कि क्या तुमने वो फोटोस देखीं जो मैंने तुम्हें कल भेजी थी?”

“हां बेटे, मैंने वो फोटोज देख ली हैं।” मेल्विन की मां ने बताया, “मेल्विन आगे सुनने के लिए बेताब था लेकिन उसकी मां चुप रही।”

“बताओ मां, क्या वो हैंडराइटिंग पिताजी की है?” मेल्विन ने बेसब्र होते हुए पूछा, “मैं इस सवाल का जवाब जानने के लिए कल से बेचैन हूं।”

“हां मेल्विन बेटे, हैंडराइटिंग तुम्हारे पिताजी की ही है। मेल्विन, मैं तुम्हें एक बार फिर समझा रही हूं। अपने पिताजी की बीती हुई जिंदगी के पीछे मत पड़ो। वहां तुम्हें कुछ भी नहीं मिलने वाला। उल्टा तुम्हारी मुसीबत जरूर बढ़ सकती है।” मेल्विन की मां ने मेल्विन को समझाते हुए कहा। 

“मां, क्या तुम पिताजी की जिंदगी के बारे में कुछ ऐसा जानती हो जिसे मेरा जानना जरूरी हो?” मेल्विन ने बेहद गंभीर होते हुए अपनी मां से पूछा, “देखो मां, मैं इस समय कंफ्यूज हूं। अगर आप मेरी थोड़ी सी भी मदद करेंगी तो मुझे आगे बढ़ने का रास्ता दिखाई देगा। मैं शायद अपने पिता की पिछली जिंदगी की पीछे नहीं जाता लेकिन इस डायरी में मैंने जो कुछ भी पढ़ा है उसे पढ़कर मैं सचमुच परेशान हो उठा हूं।”

“इसी परेशानी से मैं तुम्हें बचाने के लिए ये कह रही हूं बेटे।” मेल्विन की मां ने एक बार फिर कहा, “कुछ नहीं रखा उनकी पिछली जिंदगी में। और अगर रखा भी हो तो अब अचानक से उसे हासिल करने की क्या जरूरत है? चलने दो जैसा चल रहा है। जो बीत गया उसकी कब्र खोदने पर तुम क्या हासिल कर सकोगे?”

“अगर पिताजी के दोस्त मुझे ढूंढते हुए नहीं आते तो शायद मैं इन सब चक्करों में नहीं पड़ता मां। लेकिन अब जबकि ये मामला मेरे सामने आया है तो मैं इसके तह तक जरूर जाऊंगा।”

इस बार मेल्विन ने जिद किया तो उसकी मां ने कुछ नहीं कहा।

“मेल्विन, जो डायरी इस समय तुम्हारे पास है उसके कुछ पन्ने तुम्हारे पिताजी ने संभाल कर रखे हैं।” मेल्विन की मां ने जब ये कहा तो उसके कान में जैसे एक बम फटने की आवाज आई। उसका कान सुन्न हो चुका था। इतना बड़ा राज उसकी मां को मालूम था लेकिन उन्होंने अब तक उससे छुपाकर रखा था। ये बात मेल्विन से बर्दाश्त नहीं हुई।

“मां, ये बात तुम्हें मुझसे नहीं छुपानी चाहिए थी।” मेल्विन ने नाराज होते हुए कहा, “मैं अभी-अभी घर से लौट के आया हूं। हमने इस बारे में चर्चा भी की थी। तब भी तुमने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया। क्यों मां?” 

“क्योंकि मैं तुम्हारे पिता को अच्छी तरह जानती हूं मेल्विन। मैंने तुम्हें पहले भी कहा है कि उनकी जिंदगी को खंगालने से तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। मैं अब भी तुमसे यही कहती हूं। और जहां कुछ मिलना ही न हो उसके बारे में जिक्र करने का क्या मतलब। न जाने क्यों मैंने उन पन्नों को जला नहीं दिया। अगर कल को मैंने उन पन्नों को देखते ही जला दिया होता तो ये नौबत नहीं आती।” 

“ये एक इशारा है मां कि जरूर इसके पीछे कोई न कोई राज है जिसका खुलना अब भी बाकी है। आप उन पन्नों को ढूंढकर रखिए। मैं उन पन्नों को लेने आऊंगा।” मेल्विन ने कहा और फोन कट करके ऑफिस की ओर बढ़ गया। उसे ऑफिस के लिए आज फिर देर हो रही थी।

मेल्विन जब ऑफिस पहुंचा तो उसके बॉस मिस्टर कपूर उस समय नहीं थे। लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त थे जब मेल्विन महेश के पास पहुंचा।

“क्या आज बॉस ऑफिस नहीं आ रहे हैं?” मेल्विन ने महेश से पूछा।

“आज ही नहीं, वो अगले एक हफ्ते तक देश के बाहर रहेंगे।” महेश ने बताया, “किसी काम के सिलसिले में उन्हें अर्जेंट जाना पड़ रहा है। आज दोपहर की उनकी फ्लाइट है। तुम्हारे आने से जस्ट पहले वो यहां से निकले।”

मेल्विन ने जब ये सुना तो उसके दिमाग में एक साथ कई विचार आए। उन विचारों को झटकते हुए उसने महेश से पूछा, “मुझे इस शहर में एक शख्स की तलाश है। मुझे कुछ दिन पहले के सीसीटीवी कैमरा फुटेज देखना है। वहीं से मैं उस शख्स की पहचान निकाल सकता हूं। बॉस फॉरेन से लौट कर आए उससे पहले मुझे इस शख्स से मिलना है महेश।”

“क्या बात है मेल्विन? तुम आज फिर परेशान दिखाई दे रहे हो। कौन है ये शख्स जिसे ढूंढने के लिए तुम ऑफिस के सीसीटीवी कैमरा को खंगालना चाहते हो।”

“है कोई। इसके बारे में मुझे अभी भी कुछ जानकारी नहीं है। लेकिन उसके पास ऐसी कई जानकारियां होने की उम्मीद है जिसे  मैं जानना चाहता हूं।”

“अगले हफ्ते तक ऑफिस की जिम्मेदारी बॉस ने तुम पर ही छोड़ रखी है। तुम जब चाहे सीसीटीवी कैमरा कंगाल सकते हो।” महेश ने बताया। 

“मुझे वो आज ही देखना है महेश। लेकिन अभी नहीं, लंच के बाद। ये कंफर्म हो जाने के बाद कि बॉस की फ्लाइट एयरपोर्ट से उड़ान के लिए निकल चुकी है।”

“ध्यान रखना मेल्विन, अगर किसी को इस बात की खबर मिली तो फिर हमारे लिए मुसीबत बढ़ सकती है।” महेश  ने कहा, “बॉस ने जरूर हमारे पीछे कोई जासूस छोड़ रखा होगा। अगर हम सीसीटीवी कैमरा फुटेज चेक करेंगे तो हम भी कैमरे में आ जाएंगे। बॉस वापस लौटने के बाद यहां की गतिविधियां जरूर चेक करेंगे।”

“इसलिए हमें सीसीटीवी कैमरा बहुत ही चालाकी से चेक करना होगा। हमें यहां कोई ऐसा हंगामा खड़ा करना होगा जिससे कि हमें कैमरा चेक करने का मौका मिल जाए। इससे बॉस को शक भी नहीं होगा। हो न हो बॉस ने अपने मोबाइल फोन में सीसीटीवी कैमरे का एक्सेस जरूर रखा होगा।”

“लेकिन इतनी जल्दी हम ऐसा क्या हंगामा करेंगे मेल्विन? तुमने कुछ सोचा है?” महेश ने पूछा, “अब तो हमें ऑफिस के अंदर बातचीत करते हुए भी बहुत सावधानी बरतनी होगी मेल्विन।”

“लंच के समय हम इस पर चर्चा करेंगे। फिलहाल हमें ध्यान रखना होगा कि हम कुछ भी करते हुए पकड़े न जाएं।”

मेल्विन गहरी सोच में डूब गया था। उसके दिमाग में इस समय एक साथ कई विचार आ रहे थे। 

उसने सोचा, “क्या सचमुच बॉस फॉरेन गया है? या फिर इसके पीछे उनकी कोई चालाकी है? मुझे इस बात को कंफर्म करना होगा कि बॉस अगले एक हफ्ते के लिए कहां जा रहा है।”

मेल्विन सीसीटीवी कैमरा चेक करने के लिए क्या आइडिया लगाएगा? क्या सीसीटीवी कैमरे से घनश्याम की पहचान निकलकर बाहर आ पाएंगी? क्या मेल्विन के बर्ताव से इस अजनबी लड़की पर सचमुच कोई असर पड़ेगा?




















 

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