“इस बार कोई तुमसे छीनकर वो डायरी फाड़ दे इससे पहले उसे पढ़ लो मेल्विन।” पीटर ने मेल्विन को समझाते हुए कह, जब दोनों मुंबई की लोकल में खड़े-खड़े वापस घर को लौट रहे थे।

“शायद इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी पीटर।” मेल्विन ने अपने बैग से डायरी निकलते हुए कहा, “इस डायरी की हालत बहुत खराब है।”

पीटर ने उस डायरी को अपने हाथ में लेकर देखा।

“मेल्विन, तुम्हें शायद इसे अपने बैग से बाहर नहीं निकलना चाहिए था। ये सचमुच संभाल कर अपने घर ले जाने लायक है।”

इतना कहकर पीटर ने वो डायरी मेल्विन को वापस थमा दी।

“डायरी में कुछ दिलचस्प और जानने लायक लगे तो मुझे जरूर बताना।” पीटर ने कहा “मुझे उम्मीद है कि तुम्हारे कुछ सवालों का जवाब इस डायरी से मिल जाएंगे। लेकिन मेरे मन में एक सवाल घूम रहा है मेल्विन।*

“कौन सा सवाल?” मेल्विन ने पूछा। 

“यही कि एक तरफ तो तुम्हारा बॉस तुम्हें एग्जिबिशन की खबर तक नहीं देता और दूसरी तरफ वो तुम्हें एक ऐसी पुरानी डायरी देता है जिसमें वो इस बात का दावा करता है कि इसमें तुम्हारे पिता के बारे में कोई जानकारी होगी। भला तुम्हारे बॉस को क्या सूझी कि वो इस डायरी को खोजकर तुम्हारे लिए ले आया?”

“नहीं पीटर, इसमें सवाल खड़ा करने लायक कोई बात नहीं है। दरअसल इस टॉपिक पर मेरी बॉस के साथ एक लंबी बातचीत पहले ही हो चुकी थी। एग्जीबिशन वाला मामला तो अब जाकर निकला है। मैं आज पूरी रात इस डायरी को पढ़ने में निकलूंगा। इसके कई पन्ने गायब हो चुके हैं। उम्मीद है फिर भी मुझे इस डायरी से कुछ जानकारी मिल जाएगी।”

“ठीक है मेल्विन। बेस्ट ऑफ़ लक।” पीटर ने कहा। 

उस दिन मेल्विन ने डिनर में कुछ भी नहीं बनाया। उसने अपने लिए कुछ शराब की बोतलें और पोर्क मंगवा लिए थे। उन्हें जल्दी-जल्दी निपटाने के बाद वो टेबल लैंप के पास डायरी खोलकर बैठ गया।

1965।” मेल्विन ने डायरी के कवर पर लिखे तारीख को पढ़ते हुए कहा और फिर डायरी खोलते हुए बोलने लगा, “15 अगस्त 1965। यह पहली बार है जब जंग के बीच भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा था। दो पड़ोसी देश आपस में जमीन के टुकड़े के लिए लड़ रहे हैं। एक का मकसद जमीन के टुकड़े को हथियाना है तो दूसरे का मकसद उस जमीन के टुकड़े को बचाना। बेशक भारत इस जंग में मजबूत स्थिति में है। लेकिन ये कहानी जंग और जमीन के टुकड़े की नहीं है। ये कहानी काले सोने की है। यानी कोयले की है, जो आज ईंधन का सबसे बड़ा साधन है।”

डायरी के आगे के पन्ने खराब हो चुके थे। मेल्विन ने अक्षरों को पढ़ने की बहुत कोशिश की लेकिन आगे क्या लिखा हुआ है वो ये नहीं समझ पाया। कुछ पन्ने पलटने के बाद मेल्विन ने उस डायरी को फिर पढ़ना शुरू किया। 

“अब हम लखपति बन गए हैं। हमारे पास इतना पैसा हो चुका है जितना देश के प्रधानमंत्री के पास भी नहीं है। हम इस पैसे को छुपाकर अपने घर तक ले जाने का प्लान बना रहे हैं। इसमें खतरा बहुत ज्यादा है। लेकिन इतनी बड़ी रकम को हासिल करने के लिए ये खतरा…। मेरे दो साथी इस काम में मेरी मदद करेंगे। मैं उन दोनों पर...।”

आगे के पन्ने फिर से गायब थे। अब पेज नंबर 7 के बाद सीधे पेज नंबर 26 था। 

“मैं जेल से वापस आ चुका हूं। मैंने रघु और बाबू को बहुत ढूंढा लेकिन वो मुझे कहीं नहीं मिले। अब मुझे यकीन होने लगा है कि ये दोनों सारा पैसा लेकर गायब हो चुके हैं।”

इसके आगे डायरी में सिर्फ तारीख और घटना का जिक्र था। वो पन्ने भी इतनी बुरी हालत में थे कि मेल्विन को कुछ भी समझ में नहीं आया। लेकिन एक बात थी जो मेल्विन अच्छी तरह से समझ चुका था। उसके बॉस ने उसे ये डायरी इसलिए थमाई थी क्योंकि वो खुद नहीं जान पाया था कि ये डायरी किस बारे में है।

“इस डायरी में कुल 27 पन्ने मौजूद हैं। लेकिन सिर्फ चार-पांच पन्ने ही ऐसे हैं जिसमें कुछ जानकारी लायक चीज हैं। सिर्फ एक निर्देश, जिससे काफी कुछ जाना जा सकता है। ये मामला तो अब और भी पेचीदा होता जा रहा है।”

मेल्विन ने उन सभी तारीख और घटनाओं के जिक्र को अपनी एक दूसरी डायरी में लिख लिया। 

“अब मुझे इन्हीं निर्देशों को सबूत बनाकर अपने सवालों के जवाब ढूंढने होंगे।” मेल्विन अपने आप से बात करता हुआ बोला, “क्या मुझे इस बारे में मां को बताना चाहिए? शायद मां इस बारे में कुछ ज्यादा जानकारी दे पाए। मैं ये भी नहीं कह सकता कि डायरी लिखने वाले मेरे पिता ही थे। इस डायरी में सिर्फ दो लोगों का नाम आया है। एक रघु और दूसरा बाबू। यह रघु वही शख्स है जो मां से मिलने घर गया था। अब मुझे ये जानना है कि घनश्याम के पिता का क्या नाम है। या तो उसके पिता का नाम बाबू होना चाहिए या फिर वही इस डायरी को लिखने वाला शख्स हो सकता है।”

मेल्विन ने तुरंत उठाकर अपनी मां को कॉल लगाया।

“हेलो मेल्विन बेटे, कैसे हो? इतनी रात को कैसे याद किया?” फोन के दूसरी तरफ से मेल्विन की मां ने पूछा।

“हेलो मां! मैं ठीक हूं। मां, क्या तुम पिताजी की हैंडराइटिंग पहचानती हो।” मेल्विन ने तुरंत मुद्दे पर आते हुए अपनी मां से पूछा।

“आज तुम्हें अचानक पापा की हैंडराइटिंग की याद क्यों आ पड़ी?” मेल्विन की मां ने पूछा।

“मैं आज फ्लैट की जरा साफ सफाई कर रहा था। उसमें मुझे एक पुरानी डायरी मिली। डायरी की हालत इतनी खराब है कि उसमें मैं ज्यादा कुछ पढ़ नहीं पाया। लेकिन मैं ये सोच रहा हूं कि क्या इस डायरी को वाकई पिताजी ने लिखी है या फिर ये किसी और की डायरी है।”

“अब ये मैं तुम्हें कैसे बता सकती हूं मेल्विन? डायरी तो तुम्हारे पास है जबकि मैं तुमसे दूर यहां हूं।” मेल्विन की मां ने कहा।

“मैं तुम्हें इस डायरी के कुछ पन्ने व्हाट्सएप पर भेजता हूं मां। तुम इसे देखो और तुरंत मुझे रिप्लाई करो।” मेल्विन ने कहा और फिर फोन कट कर दिया।

“उसने फटाफट उस डायरी के कुछ पन्नों की फोटो क्लिक की। तुरंत ही दूसरी तरफ से उन मैसेजेस को सीन किया गया। लेकिन फिर एकाएक ही व्हाट्सएप पर ऑफलाइन शो होने लगा।

मेल्विन ने कुछ देर तक इंतजार किया कि शायद मां का व्हाट्सएप फिर ऑनलाइन शो करने लगे। लेकिन काफी देर इंतजार करने के बाद भी मेल्विन की मां व्हाट्सएप पर ऑनलाइन नहीं हुई। मेल्विन ने फिर उन्हें कॉल लगाया। मेल्विन की मां का फोन स्विच ऑफ आने लगा था।

अगले दिन मेल्विन उस डायरी को लेकर लोकल ट्रेन में आया था। उस डायरी को मेल्विन के सभी साथियों ने बारी–बारी देखा।

रामस्वरूप जी ने कहा, “इस डायरी की ज्यादातर चीजें पढ़ने लायक नहीं हैं। कई पन्ने तो गायब ही हो चुके हैं। जितना भी इसमें पढ़ने लायक है, उसे पढ़कर ही लगता है कि इसमें लिखी एक–एक इबारत सच्ची है।”

“मुझे तो लगता है कि किसी साजिश के तहत इतने खास पन्नों को इसमें से फाड़ दिया गया है।” पीटर ने अपनी राय दी।

“मेरा भी यही मानना है।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “इसकी महत्वपूर्ण जानकारियां चुरा ली गई हैं। ये एक हाई प्रोफाइल केस के बारे में है मेल्विन। शायद अगर इस डायरी की खबर पुलिस को लग गई तो वो तुम्हें गिरफ्तार भी कर सकते हैं।”

“मुझे पुलिस क्यों गिरफ्तार करेगी डॉक्टर साहब? ये डायरी मेरी नहीं है। ये डायरी मुझे मेरे बॉस मिस्टर कपूर ने दी है।” मेल्विन ने कहा।

“क्या पता तुम्हारे बॉस ने ये डायरी तुम्हें इसलिए ही थमाई हो।” लक्ष्मण ने आगे जोड़ते हुए कहा।

“इसे न जाने क्यों हर एक चीज में साजिश दिखाई देती है।” पीटर ने कहा, “मेल्विन, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। इसमें ऐसी कोई जानकारी नहीं है जिसे हम किसी से भी छुपाए। जानकारी तो उसके पास है जिसने इस डायरी के पन्ने फाड़े हैं।”

“और उसे हम नहीं जानते।” मेल्विन ने वो डायरी अपने बैग में वापस रखते हुए कहा, “अब इस बारे में सबसे पहले यदि कोई जानकारी दे सकता है तो वो घनश्याम ही है। घनश्याम से मुझे ये जानना है कि उसके पिता का नाम क्या था। इस डायरी में तीन लोगों का जिक्र है जिसमें से एक मेरी मां से मिल चुका है। दूसरा वो है जिसने ये डायरी लिखी है। तीसरा या तो घनश्याम के पिता होंगे या फिर मेरे पिता।”

“तुम अपने बॉस मिस्टर कपूर के पिता का नाम तो भूल ही रहे हो मेल्विन।” पीटर ने याद दिलाया, “तुमने कहा था न कि तुम्हारे पिता और तुम्हारे बॉस के पिता एक जमाने में दोस्त हुआ करते थे। ये डायरी तुम्हें तुम्हारे बॉस ने दिया। ये डायरी उसे उसके पिता से मिली होगी। क्या तुम्हें नहीं लगता कि वो तीसरा शख्स तुम्हारे बॉस का पिता भी हो सकता है?”

“या फिर ऐसा भी हो सकता है कि मेल्विन के बॉस का पिता तीसरा नहीं बल्कि कोई चौथा ही शख्स हो।” लक्ष्मण ने सोचते हुए कहा। 

“इतना सोचने से अच्छा है कि मेल्विन कुछ सवाल अपने बॉस से ही कर ले तो उसे जवाब मिल जाएगा।” पीटर ने कहा।

“मेल्विन के बॉस को अगर कुछ मालूम भी होगा तो वो नहीं बताया।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि वो मेल्विन की इसमें कोई मदद करना चाहेगा। खासकर एग्जिबिशन वाले मामले के बाद।”

“मेरा भी यही ख्याल है।” मेल्विन ने कहा, “इसलिए मैं बॉस से कोई सवाल नहीं करने वाला। मैं सिर्फ घनश्याम को ढूंढूंगा। अब वही इसमें मेरी कोई मदद कर सकता है।”

“लेकिन अगर तुम्हारी बॉस ने डायरी के बारे में तुमसे कुछ पूछा तो तुम क्या जवाब दोगे?” राम स्वरूप जी ने पूछा।

“तो मैं उनसे कह दूंगा कि मैंने अब तक वो डायरी नहीं पड़ी। मुझे अब इस मामले से कुछ भी लेना-देना नहीं है।”

“तुम्हारे इतना कहने से बात नहीं बनेगी मेल्विन।” पीटर ने कहा, “तुम्हें कुछ और भी सोचना होगा।”

“वैसे अभी तुम्हें इस बारे में कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं है मेल्विन।” लक्ष्मण ने मेल्विन का ध्यान प्लेटफार्म की ओर खींचते हुए कहा। सब ने लक्ष्मण की नजरों का पीछा किया तो वही अजनबी लड़की फिर उन्हें दिखाई दी। मेल्विन ने इस बार उसे देखकर कोई भाव नहीं दिया। उसने इस तरह जताया जैसे उसे अब इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।

“मेल्विन, तुम्हें कल के लिए शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। अगर उसने तुम्हारी मां का हाल-चाल पूछा है तो जरूर उसे तुम में कुछ दिलचस्पी होगी। अब भी तुम्हारे पास एक मौका है कि तुम बिगड़ी हुई चीजों को सुधार सको।” पीटर ने अपनी तरफ से एक कोशिश करते हुए कहा।

“पीटर, आज नहीं। आज मेरा दिमाग बहुत उलझा हुआ है। मेरे सामने एक ऐसा मसला आ चुका है जिसके सामने मैं दूसरे किसी मसले के बारे में नहीं सोच सकता। इस मुश्किल के बारे में फिर कभी देखेंगे।” मेल्विन ने अपना इरादा स्पष्ट करते हुए कहा।

रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा ने भी मेल्विन से कुछ नहीं कहा।

लेकिन तभी एक चमत्कार हो गया। वही लड़की हाथ में एक गुलाब का फूल लिए मेल्विन की तरह आने लगी थी।

उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। उसे देखकर मेल्विन के माथे से पसीना छूटने लगा था। उसके पांव डगमगाने लगे थे। वो रह –रहकर कभी पीटर की ओर देखता तो कभी अपने दूसरे साथियों की तरफ। पीटर ने उसे इशारों ही इशारों में कहा, “गो अहेड।”

“मुझसे बात मत करो पीटर। तुम मुझे मरवाओगे। वो मेरी तरफ नहीं आ रही है। उसे मुझसे दूर जाने दो।” मेल्विन ने घबराते हुए कहा। 

“ये तुम कैसी बातें कर रहे हो मेल्विन? कितने दिनों बाद तो ऐसा मौका तुम्हारे पास आया है। अगर अब तुम इस मौके का फायदा नहीं उठाओगे तो फिर हम में से कोई भी तुम्हारी मदद नहीं करेगा।” पीटर ने कहा। 

मेल्विन ने बारी-बारी से अपने सभी साथियों की ओर देखा। सबने इशारे में उसे आगे बढ़ाने को कहा।

ट्रेन में भीड़ बहुत ज्यादा थी। मेल्विन को समझ में नहीं आ रहा था कि वो इस स्थिति से कैसे निपटे। उसे जब कुछ न सूझा तो वो दूसरी तरफ मुड़ गया। मेल्विन मन ही मन अपने आप से दोहराने था कि वो लड़की उसके पास न आए।

तभी मेल्विन के कानों में एक महीन सी सुरीली आवाज गूंजी। 

“मेल्विन, यह तुम्हारे लिए।” उस लड़की ने वो गुलाब का फूल मेल्विन की ओर बढ़ाते हुए कहा।

मेल्विन अपनी जगह पर ही खड़ा रहा। वो टस से मस न हुआ। 

“क्या हुआ मेल्विन? क्या तुम मुझसे बात नहीं करना चाहते?” मेल्विन के कानों में फिर वही आवाज गूंजी। मेल्विन को एक पल को ऐसा लगा जैसे ट्रेन में उसके और उस लड़की के अलावा कोई नहीं है। उसका दिमाग काम करना बंद कर चुका था।

क्या मेल्विन उस अजनबी लड़की का सामना करने की हिम्मत जुटा पाएगा? क्या वो घनश्याम को एक बार फिर खोज निकालेगा? क्या उस पुरानी डायरी के बारे में कोई और जानकारी मिल सकेगी? आखिर मेल्विन की मां का फोन स्विच ऑफ क्यों हुआ था?

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