एपिसोड - 13: दरार

 पीटर के मना करने के बावजूद भी मेल्विन ने उसकी एक न सुनी।

कंपार्टमेंट में हर किसी का ध्यान अब मेल्विन की ओर ही था। न जाने मेल्विन को क्या सूझी थी कि वो चलते हुए उस अजनबी लड़की के पास गया। मेल्विन को अपनी ओर आते हुए उसने देख लिया था। लक्ष्मण के कहे अनुसार उसने अपना रुमाल लड़की के पैरों के पास गिरा दिया।

मेल्विन की हरकत देखकर पहले उस लड़की की हल्की सी हंसी छूट गई। फिर देखते ही देखते पूरे कंपार्टमेंट में हंसी गूंज उठी। हर कोई मेल्विन की इस हरकत पर हंस रहा था।

मेल्विन शर्मिंदा होकर पीटर के पास आकर खड़ा हो गया।

“मैंने तुमसे कहा था न, इस तरह की हरकत करने की जरूरत नहीं है। लक्ष्मण तुम्हें बेवकूफ बना रहा है।” पीटर ने नाराज होते हुए कहा, “बाकी लोग तो तुम पर हंस ही रहे हैं लेकिन जिसे तुम इंप्रेस करने गए थे वो भी तुम्हारी इस हरकत को देखकर हंस रही है। मेरी सारी मेहनत पर तुमने पानी फेर दिया है मेल्विन। अब उस लड़की के सपने देखना छोड़ ही दो तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा।”

मेल्विन के पास पीटर को कहने के लिए कोई शब्द नहीं बचे थे। वो तब तक कुछ नहीं बोला जब तक कि उस अजनबी लड़की का स्टेशन नहीं आ गया और वो ट्रेन से उतर नहीं गई।

“मेल्विन, तुम्हें खुद इस बात को समझना चाहिए था कि ये कितनी बचकानी हरकत है। हमने तुम्हें मना भी किया था लेकिन तुमने हमारी बात नहीं मानी।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “तुम्हारे जैसे समझदार आदमी को इस तरह की हरकतें करना शोभा नहीं देती। तुम एक आर्टिस्ट हो मेल्विन। तुम्हें एक लड़की को इंप्रेस करने के लिए किसी की एडवाइस की जरूरत नहीं है।”

 

“तुम्हारी किस्मत की गाड़ी पिछले 1 महीने में जरा सा खिसकी थी जिसे तुमने बर्बाद कर दिया।” राम स्वरूप जी ने कहा, “अब आगे कुछ भी उम्मीद करना तुम्हारी दूसरी सबसे बड़ी बेवकूफी होगी। मेरी मानो तो अब उसे लड़की के चक्कर में पड़ना छोड़ दो। उसने तुम्हारी मां का हाल-चाल लिया था जिसे हम सब ने समझने में गलती की। वो एक इत्तेफाक था जो होकर गुजर चुका है।”

 

“मैं आप दोनों से सहमत नहीं हूं।” पीटर ने कहा, “भले मिल्विन ने आज बेवकूफी की है लेकिन यह बेवकूफी उसके दिमाग की उपज नहीं थी। यह बेवकूफी लक्ष्मण ने उसके दिमाग में डाली। देखो मेल्विन, तुम्हें किसी के भी हंसने पर शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। हां, तुमने जो किया है वो वाकई बचकाना था। अब उस बात को सोचकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। मेरे पास कुछ आइडियाज हैं जिससे बिगड़ी हुई बात अब भी बनाई जा सकती है।”

पीटर जब मेल्विन को यह बातें समझ रहा था तब लक्ष्मण अपना मुंह छुपा कर हंस रहा था। मेल्विन ने उसे हंसते हुए देख लिया था लेकिन उसने कुछ भी कहना अभी ठीक नहीं समझा।

उस दिन मेल्विन किसी से कुछ भी नहीं कह पाया था। वो अपने दिल में शर्मिंदगी लेकर ही ऑफिस में पहुंचा।

 

वो अब तक सोच में डूबा था कि कैसे आम से शब्द या बातें जिन्हे शायद कोई कुछ हफ्ते बाद भूल भी जाए, उस समय इंसान के दिमाग पर इतना गहरा असर छोड़ जाती हैं… कि कई बार उसकी ज़िन्दगी के इतने सालों का अनुभव किसी काम का नहीं लगता। ऊपर से अगर किसी वाकये में और लोग भी शामिल हों तो बात और बिगड़ जाती है।  

 

अभी मेल्विन अपने ऑफिस के बाहर ही था कि उसे घनश्याम दिखाई दिया। वही घनश्याम जिसने मेल्विन को अपने पिता का लेटर दिया था। मेल्विन उसे देखते ही उसकी ओर दौड़ पड़ा।

“घनश्याम…! मेल्विन ने उसे आवाज दी, “घनश्याम रुको।”

मेल्विन दौड़ते हुए उसके करीब पहुंच गया था। घनश्याम कहीं जाने की जल्दी में दिखाई दे रहा था।

“अरे मेल्विन भाई साहब, आप! घनश्याम ने घबराते हुए मेल्विन से कहा।

“घनश्याम, मैं तुम्हें कब से आवाज दे रहा हूं। तुम रुके क्यों नहीं? मेल्विन ने घनश्याम की आंखों में देखते हुए पूछा। उसे कुछ गड़बड़ महसूस हुआ।

“अरे नहीं भाई साहब। दरअसल मैंने आपकी आवाज सुन ही नहीं थी।” घनश्याम ने जैसे अपनी घबराहट को छुपाते हुए कहा “दरअसल मैं किसी जरूरी काम से कहीं जा रहा था। इसलिए ध्यान नहीं गया।

“कोई बात नहीं।” मेल्विन ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “मुझे भी तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है घनश्याम।”

घनश्याम से ये कहा तो उसके माथे पर पसीना आने लगा। मेल्विन को समझ में नहीं आया कि वह इतना घबरा क्यों रहा है।

“घनश्याम, तुमने मुझे जो लेटर दिया था वो मुझसे कहीं गुम हो गया। मैं उस लेटर को पढ़ नहीं पाया था।” मेल्विन ने घनश्याम को जब लेटर के बारे में बताया तो उसके चेहरे पर एक राहत दिखाई दी। मेल्विन ने उससे आगे कहा, “मैं तुम्हारे पिता के बारे में कुछ जानना चाहता हूं।”

“मेरे पिता के बारे में। घनश्याम ने राहत की सांस लेते हुए कहा, “आप मेरे पिता के बारे में क्या जानना चाहते हैं मेल्विन भाई साहब?”

“बस कुछ जनरल चीजें। जैसे तुम्हारे पिता क्या काम करते थे? वो कहां रहते थे? उनके करीबी कौन-कौन थे? और सबसे बड़ा सवाल, क्या उनका मेरी कंपनी से कुछ लेना-देना था?” मेल्विन ने एक साथ अपने सारे सवाल पूछ लिए थे।

“मेल्विन भाई, अभी थोड़ा जल्दी में हूं। अगर हम फुरसत में कभी मिलकर बैठे तो इस बारे में बात करें?” घनश्याम ने जैसे मुसीबत को डालने की इरादे से कहा, “मैं आपको हर सवाल का जवाब दूंगा। दरअसल मैं भी कुछ सवालों के पीछे लगा हूं। शायद तब तक मेरे सवालों के जवाब भी मुझे मिल जाए। अभी माफी चाहूंगा मेल्विन भाई।”

घनश्याम ने इतना कहा और फिर वो जल्दी-जल्दी जाने लगा। उसके पीछे खड़ा मेल्विन उसे आवाज देता रह गया लेकिन घनश्याम नहीं रुका। मेल्विन को समझ में नहीं आया कि आखिर माजरा क्या है। 

वो अपने आप में बड़बड़ाया, “क्या घनश्याम सचमुच किसी काम की जल्दबाजी में था या फिर इन सवालों से बचने के लिए भाग रहा है?”

 मेल्विन अभी अपने सवालों में उलझा था कि मिस्टर कपूर की नजर उस पर पड़ गई।

“मेल्विन, तुम यहां क्या कर रहे हो?” मिस्टर कपूर ने घड़ी की ओर देखते हुए पूछा, “मेरे ख्याल से तुम काफी लेट हो चुके हो। या शायद यहां किसी से बात करने में तुम लेट हो गए।”

“वो दरअसल मेरा एक पुराना दोस्त मिल गया था। बरसों बाद मिला था इसलिए मैं कुछ जरूरी बात करने के लिए रुक गया।” मेल्विन ने मिस्टर कपूर से असल बात छुपाते हुए कहा, “कहिए, आपको कोई जरूरी काम था?”

“काम तो था मेल्विन। मेरे केबिन में आओ, तो बात करते हैं।” मिस्टर कपूर ने कहा और फिर वो अंदर चला गया।

मेल्विन जब ऑफिस में पहुंचा तो उसकी नजर महेश से मिली।

“मेरे यहां आने से पहले कोई डिस्कशन हुआ है क्या महेश?” मेल्विन ने अंदाजा लगाते हुए पूछा, “बॉस ने आज सीधा अपने केबिन में बुलाया है मुझे।””

“शायद ये लोग तुम्हें निकालने का प्लान बना रहे हैं मेल्विन। यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कुछ तो साजिश चल रही है जिसकी खबर हम में से किसी को नहीं है। पिछले दो दिन से जो कुछ भी हो रहा है उसे लेकर हम सब परेशान है।”

“तुम सब क्यों परेशान हो?” मेल्विन ने पूछा।

“सबको यही डर है कि आज जो तुम्हारे साथ हो रहा है कल को उनके साथ भी हो सकता है। इस कंपनी के काम करने का तरीका बदल चुका है। अब ये किस कारण से है ये कोई नहीं जानता। हमने मिस्टर कपूर का ये रूप पहले कभी नहीं देखा था। तुम तो जानते ही हो मेल्विन।”

“हां, जानता हूं। लेकिन अभी और भी बहुत कुछ जाननाबाकी है महेश।” मेल्विन ने कहा, “कुछ चीजें हमारे आसपास घट रही हैं लेकिन उसके तार कहां से जुड़े हुए हैं ये बात नहीं समझ में आ रही। सारी कड़ियां आपस में उलझी हुई हैं। उसे सुलझाना मेरे लिए काफी कठिन साबित हो रहा है। क्या तुम मेरा एक काम करोगे महेश? मेल्विन ने महेश से पूछा।

“अगर ये हमारे करियर के बारे में है तो मैं तुम्हारा साथ देने के लिए तैयार हूं मेल्विन। एक रिस्क तो मैंने ले ही लिया है तो अब और रिस्क लेने से क्या डरना। मैंने तुम्हें एग्जीबिशन की खबर दी थी, ये बात जरूर मिस्टर कपूर को पता चल चुकी होगी। इसलिए मैं हर तरह से तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं। कहो, क्या बात है?”

मेल्विन ने पहले अपने आसपास देखा, फिर सिलसिलेवार तरीके से अपना सारा प्लान महेश को बताया। 

मेल्विन कोमहेश की बातों से ये पहले ही अंदाजा हो चुका था कि वो उसकी मदद जरूर करेगा। इतने सालों में ये पहली बार था जब महेश अपने बॉस का नाम लेकर बुला रहा था।

मेल्विन को मिस्टर कपूर के केबिन में पहुंचने में लेट हो गया। उसके केबिन में घुसते ही मिस्टर कपूर ने पूछा, “इतनी देर की लगा दी तुमने मेल्विन? महेश से तुम्हारी क्या बातचीत हो रही थी?”

मेल्विन ने जब अपने बॉस के मुंह से ये सुना तो उसका सिर घूम गया। उसने मिस्टर कपूर से कहा, “सर, क्या आप हम पर नजर भी रख रहे हैं? महेश और मैं पुराने कलीग हैं। पिछले 12 सालों से हम दोनों एक साथ काम कर रहे हैं।आज ये सवाल आपको पूछने की क्या जरूरत पड़ गई? क्या कोई ऐसी बात है जिसके लीक हो जाने का डर आपको या ऑफिस के अंदर किसी को है?”

“मेल्विन, मेरा ख्याल है कि तुम्हें इन सब बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। यहां जो कुछ भी हो रहा है मेरी मर्जी से ही हो रहा है। अगर उसके बीच में तुम दखल दोगे तो फिर तुम्हारे लिए ही मुसीबत होगी। मैं नहीं चाहता कि हमारी कंपनी एक बढ़िया आर्टिस्ट खो दे।”

“अगर आप वाकई ऐसा चाहते हैं तो फिर मुझे ये दिखाई क्यों नहीं देता। मुझे ऐसा क्यों लगता है कि आप कहना कुछ चाहते हैं और कह कुछ और रहे हैं। आप हमसे ऐसी चीज भी छुपाने लगे हैं जिसे जानने का हक हमें है। आज ऑफिस के अंदर हर कोई टेंशन में है। आपस में ही न जाने क्या सोच-विचार चल रहा है। किसी को कुछ पता नहीं।”

“इसलिए मैं तुमसे कह रहा हूं मेल्विन। इन सब के बारे में तुम्हें बहुत ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। तुम सब अगर अपना काम पहले की तरह करो तो इससे तुम्हारी जिंदगी में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” मिस्टर कपूर ने मेल्विन को समझाते हुए कहा।

“मुझे लगता है कि अब तक हम गलती करते आए थे सर। हम अब तक इस तरह जीते हुए आ रहे थे जिससे कि हमारी जिंदगी पर कोई फर्क न पड़े। लेकिन अब हमें ऐसा कुछ नहीं करना। हम सब चाहते हैं कि हमारे काम का असर हमारी जिंदगी पर पड़े। हम आर्टिस्ट हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि हमें भूख नहीं लगती। हमारा परिवार नहीं है। दूसरे से ज्यादा हम आर्टिस्ट भूखे होते हैं सर।”

“मेल्विन, अब तुम भावनाओं में बह रहे हो। ये तुम्हारे लिए अच्छी बात नहीं है। तुम हमारी कंपनी से अब तक इसलिए ही जुड़े थे क्योंकि तुम्हारे काम में वो बात थी। लेकिन अब तुम अपने काम में अपनी पूरी जिंदगी देखने लगे हो। मेल्विन, तुम स्वतंत्र रूप से काम नहीं करते। तुम एक नियम से बंधकर काम करते हो। जब तक नियम में बंधकर काम करते रहोगे तब तक हमारा और तुम्हारा साथ रहेगा। जिस दिन नियम टूटा, हमारा साथ छूट जाएगा।” मिस्टर कपूर ने मेल्विन को समझाते हुए कहा।

“तो इसका मतलब आप मुझे कंपनी से निकलने की बात कर रहे हैं सर?” मेल्विन ने सीधे-सीधे पूछा।

“तुम एक बार फिर मुझे गलत समझ रहे हो मेल्विन। तुम्हारे दिमाग में ऐसी उलजुलूल बातें कहां से आ रही है। मुझे नहीं पता लेकिन हम तुम्हें कंपनी से निकल रहे हैं, ऐसा कुछ भी नहीं है। ये सरासर झूठ है।”

मिस्टर कपूर ने जब मेल्विन से ये कहा तो वो चुप हो गया।

“सर, आपने मुझे यहां क्यों बुलाया है ये बताइए?

तुम मुझसे पूछ रहे थे न, तुम्हारे पिता और मेरे पिता के बीच क्या रिलेशन था? दरअसल कल मुझे मेरे पिता की एक पुरानी डायरी मिली। मैंने इसे पढ़ा नहीं है लेकिन ये शायद तुम्हारे कुछ काम आप आ जाए।” मिस्टर कपूर ने वो डायरी मेल्विन की तरफ बढ़ाते हुए कहा, “इसलिए ही मैंने तुम्हें केबिन में बुलाया था मेल्विन। लेकिन न जाने तुम्हारे दिमाग में किसने क्या डाल दिया था जो तुम बहस करने के इरादे से यहां आ गए।”

मेल्विन ने तुरंत लपककर वो डायरी अपने हाथ में ले ली। उस डायरी की हालत बहुत बुरी थी। उसके सारे पन्ने पीले पड़ चुके थे और कुछ पन्ने शायद गायब भी हो चुके थे। 

आखिर उस डायरी के अंदर क्या था? क्या वो डायरी मेल्विन के सवालों का जवाब दे पाएगी? क्या मेल्विन की प्रेम कहानी इतनी ही थी? अब क्या नया किस्सा इंतज़ार कर रहा था मेल्विन की आर्टिस्ट वाली नज़र का?

Continue to next

No reviews available for this chapter.